युवा मशालों की रोशनी से आया यह सैलाब, फिर से जिंदा करने इंकलाब

देश के मौजूदा हालात को लेकर देश भर में चिंता है। छात्र, नौजवान, किसान, मजदूर सभी चिंतित हैं। हर कोई अपने तरीके से इस चिंता को जाहिर कर रहा है। सीनियर एडवोकेट और कवि राजिंदर सिंह चीमा ने भी आज की परिस्थिति पर अपने तरीके से विचार व्यक्त किए हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर
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नवजीवन डेस्क

युवा मशालों के जल्से में गूंज रहा है यह ऐलान

हम हैं सब भारतवासी, सबका घर है हिन्दोस्तान

राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह हमसे मिलने आते हैं

बिस्मिला और अश्फाक भी आकर यही तराना गाते हैं

पाठक, रहमत अली, सराबा गूंज गदर की लाते हैं

चमक रहा है दीवारों पर अमर शहीदों का फरमान

हम हैं सब भारतवासी, सबका घर है हिन्दोस्तान


जंगे आजादी का वादा हमको अभी निभाना है

भूख, गरीबी, बेरोजगारी, इक इक रोग मिटाना है

आजादी का नूर अभी तो हर चहेरे पर लाना है

आजादी के परवानों के पूरे करने हैं अरमान

हम हैं सब भारतवासी, सबका घर है हिन्दोस्तान

जग जाहिर है जब भी अपने देश पर संकट आया है

हर हिन्दी ने आगे बढ़ कर मौत को गले लगाया है

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई सबने खून बहाया है

भारत है पहचान हमारी, वतन हमारा है ईमान

हम हैं सब भारतवासी, सबका घर है हिन्दोस्तान


अपने वतन की सच्ची ताकत अपना भाईचारा है

नहीं टूटने देंगे भारत प्राणों से भी प्यारा है

आज युवाओं ने सड़कों पर उन सबको ललकारा है

जो बांटो और राज करो का बांट रहे हैं फिर से ज्ञान

हम हैं सब भारतवासी, सबका घर है हिन्दोस्तान

कवि और सीनियर एडवोकेट राजिंदर सिंह चीमा की कलम से

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