आज से एक साथ 3 तलाक देना अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने लगायी 6 महीने की रोक

मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक देने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। ये रोक छह महीने की है और इन छह महीनों के भीतर सरकार को इस बारे में कानून बनाना होगा।



सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर 6 महीने की रोक लगायी / फोटो : SC Website
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर 6 महीने की रोक लगायी / फोटो : SC Website
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नवजीवन डेस्क

इस मामले पर पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। दो जज तीन तलाक जारी रखने के पक्ष में थे जबकि तीन जज इसके खिलाफ। बहुमत के आधार पर तीन जजों के फैसले को बेंच का फैसला माना गया है। बेंच के तीन जजों ने इस रिवाज या परंपरा को गैर संवैधानिक बताया, लेकिन कोर्ट ने अपने आखिरी फैसले में इस परंपरा को समानता के अधिकार का उल्लंघन ठहराया है।

कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर तत्काल रोक लगायी है। अनुच्छेद 142 का अर्थ है कि कोर्ट का फैसला तुरंत ही कानून बन गया है। इस दौरान देशभर में कहीं भी तीन तलाक की परंपरा का पालन कानूनन अपराध होगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की पूरी रिपोर्ट आप इस लिंक पर देख सकते हैं।

पांच जजों की इस बेंच में भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस कुरिएन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल थे। इस केस की सुनवायी 11 मई को शुरु हुई थी और 18 मई को सुनवायी पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।।

इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कर दिया था कि यह एक विचार करने का मुद्दा है कि मुसलमानों में तीन तलाक जानबूझकर किया जाने वाला मौलिक अधिकार की परंपरा है न कि एक से ज्यादा विवाह करने की शर्त।

इससे पहले चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रक्रिया और भावनाओं से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। जस्टिस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने कहा कि ये 1400 साल पुरानी प्रथा है और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा है, जिसे कोर्ट रद्द नहीं कर सकता है।

मार्च, 2016 में उतराखंड की शायरा बानो नामक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी। बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती थी। कोर्ट में दाखिल याचिका में शायरा ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है। तीन तलाक पर शायरा बानो का तर्क था कि तीन तलाक ना तो इस्लाम का हिस्सा है और ना ही ये आस्था है।

जैसा कि अपेक्षित था बीजेपी ने तुरंत ही इस फैसले का स्वागत किया। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे मुस्लिम महिलाओं के स्वाभिमान और समानता के नए युग की शुरुआत करार दिया।

महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने भी फैसले का स्वागत किया।

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Published: 22 Aug 2017, 12:59 PM
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