करोड़ों लेने वाले फिल्म स्टार सेट पर आने-जाने, वैनिटी वैन और ड्राइवर तक का खर्च मांगते हैं प्रोड्यूसर से

बॉलीवुड में फिल्म स्टार्स के नखरे प्रोड्यूसर को ही उठाने पड़ते हैं। उसकी हालत मरता क्या न करता जैसी रहती है। शूटिंग के दौरान स्टार के ड्राइवर, मेकअप मैन, बॉडीगार्ड आदि के लिए प्रोड्यूसर को अलग से दोगुनी, तिगुनी रकम देनी पड़ती है, जो करोड़ों में होती है।

फोटोः सोशल मीडिया
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अमिताभ पाराशर

करीब 3-4 महीने पहले की बात है। साधारण हैसियत के एक फिल्म स्टार गुजरात में एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। बारिश में भीगने का सीन था। जाहिर है, कोई सीन एक टेक में तो ओके होता नहीं है, सो दो-तीन बार भीगना पड़ा। हालांकि, फिल्म के सेट पर उन्हें गरम रखने के किए बाकायदा आग जलाई गई थी, लेकिन उससे काम नहीं बन रहा था। अचानक उन्होंने ब्रांडी की फरमाइश कर दी और वो भी किसी खास ब्रांड की।

एक तो गुजरात जहां शराबबंदी लागू है और दूसरा, जहां फिल्म की शूटिंग हो रही थी वो जगह शहर से खासी दूर। सो, ब्रांडी लाने गए लड़के को देर हो रही थी। प्रोड्यूसर इस चक्कर में था कि जब तक लड़का ब्रांडी लेकर वापस आ जाए, तब तक स्टार महोदय शूटिंग चालू रखें। लेकिन नहीं... उनका मूड नहीं बन रहा था। लड़के को आने में देर हो गई, तो उन्होंने ऐलान कर दिया... आज शूटिंग केंसल!

उसी फिल्म की शूटिंग के दौरान, फिल्म की साधारण हैसियत की फीमेल स्टार ने सबके सामने अपने बॉय (हीरो और हीरोइन का एक ऐसा सहायक जो सेट पर लगातार उन्हीं के पीछे मंडराता रहता है और उन्हें समय-समय पर पानी, जूस, फल, ड्राई फ्रूट्स वगैरह उपलब्ध कराता है और शूट के वक्त उनका फोन रखता और रिसीव करता है) को इतनी जोर से हड़काया कि बेचारा रोने लग गया। उसका कसूर यह था कि उसने उक्त हीरोइन की इच्छानुसार, कोई एक खास फल मांगने पर उपलब्ध नहीं कराया, जबकि हीरोइन ने उसे एक दिन पहले ही अपनी इच्छा बता दी थी। बेचारा वह दुर्लभ फल पूरे बाजार में नहीं खोज सका और मुफ्त में डांट खा गया।

अब वक्त की घड़ी को कुछ साल पहले घुमा देते हैं। अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना जैसे बड़े हीरो हों या रेखा, हेमा मालिनी जैसी बड़ी हीरोइन। सेट पर जब उनके हिस्से की शूटिंग नहीं हो रही होती थी तो वे बेंत या प्लास्टिक की किसी कुर्सी पर चुपचाप बैठकर अपने काम का इंतजार करते थे और वक्त बिताने के लिए गप्पें लड़ाते थे। कुछ पढ़ते थे या कैरम जैसा कुछ खेलते थे। बीच-बीच में शीशे के ग्लास में जो चाय सेट पर मौजूद सभी लोगों को बंटती थी, वह उन्हें भी नसीब होती थी। हां, खाना वे अपने घर से मंगवा के ही खाते थे, अगर वे मुंबई में शूट कर रहे होते थे तो। वरना मुंबई के बाहर, वे वही खाते थे जो सारे लोग खाते थे।

अब फिर से आज के दौर में घड़ी की सुई वापस घुमा लेते हैं। शाहरुख खान की बीवी गौरी खान ने हाल ही में आलिया भट्ट के लिए एक नया वैनिटी वैन डिजाइन किया है। इसमें हर वो सुख-सुविधा है, जो आप सोच सकते हैं। इसे बनाने में करोड़ों खर्च हुए हैं। यह आलिया भट्ट का निजी वैन है। वह मुंबई या मुंबई के आसपास जहां भी शूट करेंगी यह वैनिटी वैन सिर्फ उनके लिए उपलब्ध रहेगी।

शूटिंग के दौरान फिल्म स्टार्स के लिए वैनिटी वैन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी प्रोड्यूसर की होती है। अपना शॉट देने के बाद वे वहां आराम करते हैं। लोगों से मिलते हैं और खाना-पीना खाते हैं। अब फर्क सिर्फ यह हो गया है कि ज्यादातर बड़े फिल्म स्टार ने अपने अपने खर्चे पर एक से एक फैन्सी वैनिटी वैन बनवा ली हैं। लेकिन किराया वे प्रोड्यूसर से वसूलते हैं। तर्क यह है कि वैसे भी प्रोड्यूसर उनके लिए बाजार से किराए पर वैनिटी वैन मंगवाता ही है। इसलिए शॉट के दौरान वह किराया वह स्टार को ही भरे।

फिल्मस्टार के लिए अब फिल्म सिर्फ एक व्यापार है। फिल्म रिलीज होने के बाद क्या होगा... से उन्हें जितना मतलब रहता है, उतना ही मतलब उन्हें फिल्म के शूट के दौरान अपने आर्थिक नफा-नुकसान से है। कुछ साल पहले तक कोई यह सोच नहीं सकता था किअब अरशद वारसी जैसे ऐक्टर भी जब अपनी फीस लेते हैं तो उस पर आने वाले इनकम टैक्स की देनदारी भी प्रोड्यूसर पर डाल देते हैं। जैसे, मान लीजिए, किसी फिल्म के लिए कोई स्टार पांच करोड़ रुपये में तैयार हुआ और पांच करोड़ पर उसकी इनकम टैक्स देनदारी करीब डेढ़ करोड़ बैठ रही है तो प्रोड्यूसर को साढ़े छह करोड़ रुपए ढीले करने होंगे। यह बॉलीवुड का नया चलन है।

फिल्म स्टार के नखरे बेचारे प्रोड्यूसर को ही उठाने पड़ते हैं और उसकी स्थिति मरता क्या न करता जैसी रहती है। कुछ समय पहले तक, फिल्म शूट के दौरान किसी स्टार के ड्राइवर, मेकअप मैन, अन्य सहायक, बॉडीगार्ड आदि के बिल प्रोड्यूसर को प्रतिदिन के हिसाब से देने पड़ते थे। अब उसे इन सबके लिए अलग से स्टार को दुगुनी, तिगुनी रकम ढीली करनी पड़ती है, जो कई मामले में करोड़ों में होती है। जितना बड़ा स्टार, उतने बड़े नखरे।

कुछ समय पहले की बात है। सलमान खान किसी खाड़ी देश में एक ऐक्शन सीन फिल्मा रहे थे। चार-पांच गाड़ियां हवा में उड़नी थीं और जमीन पर गिर कर मटियामेट हो जानी थीं। दो एक गाड़ियों को आग में नष्ट भी होना था। प्रोड्यूसर अपने पैसे बचाने के खयाल से कुछ सेकंड हैंड लेकिन नई जैसी दिखने वाली गाड़ियां ले आया। ऐक्शन सीन की शूटिंग शुरू हुई। अचानक सलमान को लगा कि गाड़ियों को नया होना चाहिए। पुरानी होने से फील नहीं आ रही। शूटिंग रोक दी गई। पांच बिलकुल नई गाड़ियां शो रूम से मंगवायी गईं और फिर ऐक्शन सीन फिल्माया गया। गाड़ियां तो बर्बाद हुईं ही, प्रोड्यूसर के पैसे भी पानी में गए।

सुबह आठ बजे का शूट कॉल (जिस टाइम स्टार को सेट पर मौजूद रहना है) है और फिल्मस्टार दिन में दो बजे सेट पर पधार रहा है, यह तो कोई नई बात नहीं है। लेकिन सलमान खान जैसे स्टार का अगर मूड नहीं बन रहा तो वे अचानक घोषणा कर सकते हैं कि उनका मूड नहीं बन रहा है। इसलिए वे शूटिंग नहीं करेंगे।

अगर विदेश में शूटिंग चल रही हो तो फिल्म स्टार के लिए रोज घर का भोजन तो मिल नहीं सकता, इसलिए अब कई स्टार ने इसका नया तोड़ निकाला है। वे अपने रसोइये को साथ लेकर चलते हैं, ताकि विदेश में भी उन्हें घर का खाना मिलता रहे। कई स्टार, भले ही देश या विदेश में फाइव/सेवन स्टार होटल में रहें, अब अपने पर्सनल ट्रेनर और जिम इन्स्ट्रक्टर को भी अपने साथ शूट पर ले जाते हैं। कुछ हीरोइन अपनी पर्सनल डायटीसियन भी साथ लेकर जाती हैं। ध्यान रहे, प्रोड्यूसर को सिर्फ स्टार के नखरे नहीं झेलने पड़ते बल्कि उसके चेले-चपाटी भी कम नखरे वाले नहीं होते। कहना ना होगा, इन सब के नखरे ही नहीं, खर्चे भी बेचारे प्रोड्यूसर के ही जेब से निकाले जाते हैं।

(नवजीवन के लिए अमिताभ पाराशर का लेख)

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