नया नहीं है कंगना रनौत का इन दिनों दिख रहा 'रूप', दूसरे को नीचा दिखाना बन चुकी है आदत!

'पता नहीं कब मैं कंगना के सर से सर-दर्द बन गया। कंगना की तरफ से भेजे गए एक कानूनी नोटिस ने मुझे हैरान किया जिसमें उन्होंने मुझ पर जिस प्रकार के आरोप लगाए थे वे मेरी समझ के बाहर थे। बाद में मुझे पता चला कि लीगल नोटिस भेजना तो उनकी आदत है'।

फोटो: सोशल मीडिया
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सुभाष के झा

एक समय था जब कंगना रनौत सच में मुझे बहुत अजीज थीं। मैंने उन्हें पहली बार स्क्रीन पर उनकी पहली फिल्म ‘गैंगस्टर’ में देखा था और मुझे अपने सामने एक बहुत ही विशेष प्रतिभा दिखी। मैंने उन्हें मुबारकबाद दी। “सर, आप नहीं जानते कि यह मेरे लिए कितना महत्व रखता है,” कंगना ने भावुक होते हुए कहा था। मुझे उनके इस व्यवहार ने बहुत प्रभावित किया। उन्होंने हमेशा अपने मन की बात कही है और शब्दों को कभी महत्व नहीं दिया। वह अपने प्रकार की एक ही हैं। हम एक-दूसरे से जल्दी घुलमिल गए।

वह अपने सह-कलाकारों के साथ अपनी समस्याएं साझा करती थीं और ऐसा लगता था जैसे उन्हें सभी से समस्या है.. इमरान हाशमी, शाइनी आहूजा, उपेन पटेल, प्रभास...बस आप नाम लो। कंगना का सभी के साथ कोई न कोई मुद्दा था। मैं उन्हें बहुत सहानुभूति के साथ सुनता था। मुझे सच में विश्वास था कि उनके साथ गलत हुआ है। हम पहली बार मुंबई में मैरिएट होटल में मिले थे। हमें लंच पर मिलना था। लेकिन मैं किसी वजह से मुंबई के बाहरी इलाके कर्जत में किसी काम में उलझ गया जहां मैं अपने मित्र संजय लीला भंसाली को मिलने गया था। वह उस समय ‘सांवरिया’ फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। कंगना को इस मुलाकात को अगली दोपहर तक मुलतवी करने में कोई आपत्ति नहीं हुई।

हम लंच पर मिले। मुझसे एक गलती हो गई थी। मैंने रणदीप हुड्डा को भी आमंत्रित कर लिया था और रणदीप तो रणदीप हैं (हर समय जिनसे ज्ञान और सर्वश्रेष्ठता टपकती रहती है)। उन्होंने कंगना को भी ज्ञान बांटना शुरू कर दिया कि उन्हें अपना करियर कैसे आगे बढ़ाना चाहिए। कंगना ने उन्हें यह कहकर चुप करा दिया कि, “मुझे तुमसे कोई राय नहीं चाहिए।” लंच वहीं से ढेर होने लगा। बाद में उन्होंने मेरे द्वारा किसी तीसरे व्यक्ति को आमंत्रित करने पर भी अपनी असहमति बहुत मुखरता के साथ प्रकट की। बाद में, बल्कि बहुत बाद में जब वह रणदीप हुड्डा के साथ फिल्म ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ की शूटिंग कर रही थीं तो वे दोनों मित्र हो गए और मैं साझा शत्रु।

उस यादगार लंच के बाद कंगना के क्रोध रूपी नखरों से मेरा दूसरा आमना-सामना तब हुआ जब मैं मुंबई में ‘सांवरिया’ के प्रीमियर के लिए गया हुआ था। फोन पर कंगना ने बहुत उत्सुकता के साथ बात की। हमने शाम को प्रीमियर पर मिलने का और गपशप मारने का प्लान बनाया। मैंने संजय को बताया कि कंगना और मैं साथ बैठेंगे। तो वह कंगना के पासेज (निमंत्रण पत्र) को किसी और को दे सकते हैं। कुछ घंटों बाद कंगना ने अपनी तीखी आवाज में फोन पर मुझसे पूछा कि मेरे लिए फैसला करने का हक आपको किसने दिया। मेरे पासेज कैंसल करने का, और आदि-आदि। मैंने उनके अस्थिर व्यक्तित्व का यह पहलू पहले कभी नहीं देखा था। उनकी टोन झेलने के लिए कुछ ज्यादा ही कड़वी थी। शाम को प्रीमियर पर हमने एक-दूसरे को ठीक से पहचाना भी नहीं।

जैसे-जैसे उन लोगों की संख्या बढ़ने लगी जिनसे कंगना को समस्या थी, तो मुझे लगा कि मैं भी उनमें से एक हूं। पता नहीं कब मैं कंगना के सर से सर-दर्द बन गया। मुझे लगता है कि यह तब से हुआ जब आदित्य पंचोली ने एक टैप्ड इंटरव्यू में मुझसे कंगना के खिलाफ बातें कहीं और कंगना पर उनके रुतबे और उनके पैसे इत्यादि का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। पंचोली ने कंगना के साथ अपने अफेयर के बड़े सनसनीखेज खुलासे भी मेरे साथ किए जिन्हें मैंने समझदारी दिखाते हुए इंटरव्यू से हटा दिया। जो छपा था वह कंगना के साथ मेरे संबंधों को हमेशा के लिए हानि पहुंचाने के लिए पर्याप्त था। वह फोन पर रो रही थीं। मुझे बहुत बुरा लगा। मन ही मन मुझे इस इंटरव्यू का बहुत पछतावा हो रहा था। आज अगर आवश्यकता पड़ती है तो पंचोली वो व्यक्ति नहीं हैं जिनका मैं समर्थन करूंगा।

जल्द ही कंगना की तरफ से भेजे गए एक कानूनी नोटिस ने मुझे हैरान किया जिसमें उन्होंने मुझ पर जिस प्रकार के आरोप लगाए थे वे मेरी समझ के बाहर थे। उनके लिए मेरे स्नेह का यह निर्णायक मोड़ था। बाद में मुझे पता चला कि लीगल नोटिस भेजना तो उनकी आदत है। अगर आपको कंगना रनौत से कभी कोई लीगल नोटिस नहीं मिला है तो इसका मतलब है कि आप महत्वपूर्ण नहीं हो। इसके बाद हम मित्र नहीं रहे। बाद में जब ऋतिक रोशन कंगना के खिलाफ अपने दुखों का दस्तावेजी सबूत लेकर आए तो मैंने एक दूरी बनाए रखी। इसलिए नहीं कि मुझे कंगना से एक और लव लेटर (लीगल नोटिस) का भय था बल्कि इसलिए कि अब मुझे पता चल चुका था कि यह वो कंगना रनौत नहीं है जिसे मैं कभी जानता था जो बहुत परवाह करने वाली, गर्मजोशी से भरी हुई और मुंहफट थी। जिन्होंने जब मैं परेशान था तो मेरे लिए मन्नत रखी थी। बस थोड़े से ही समय में मैं उनके लिए समस्या बन चुका था।

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