बॉलीवुड और मीडिया के संबंध नकली और सतही, निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए स्टार्स से दूरी जरूरी

मुंबई में बैठकर फिल्म या मनोरंजन जगत की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार के लिए स्टार मजबूरी हैं। उसे उनका इंटरव्यू चाहिए। उनके पीआर तंत्र से खबरें चाहिए। जितना बड़ा स्टार, उतना बड़ा इगो। इसलिए, उसे अपने आत्मसम्मान और स्टार के इगो के बीच तालमेल बनाकर रखना है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

अमिताभ पाराशर

नाम न लेने की बंदिश न होती तो कई कहानियां थीं। फिर भी सिनेमा के सितारों और पत्रकारों के बीच के प्रेम-घृणा के संबंधों पर कुछ ऐसे रोचक संदर्भ याद आते हैं जिनसे पता चलता है कि तमाम कोशिशों और बहसों के बाबजूद ये संबंध वैसे ही रहने वाले हैं जैसे सालों से चले आ रहे हैं। कंगना रनौत और मीडिया के एक हिस्से के बीच की हाल की तनातनी भले ही राष्ट्रीय खबर बन गई हो, लेकिन ऐसा एक नहीं कई बार हुआ है और आगे भी होता रहेगा।

इस संबंध को रेखांकित करना इतना आसान नहीं है। इसे समझने के लिए, दोनों में से एक पक्ष का हिस्सा बनना पड़ेगा। यानी, अगर आप खुद स्टार हैं या आपने लंबे समय तक बतौर पत्रकार, मनोरंजन की दुनिया कवर की है, तभी आप इसकी गहराई में जाकर चीजों को समझ सकते हैं। तीन घटनाओं का यहां जिक्र करूंगा जिनका मैं गवाह रहा हूं। इनसे पता चलेगा कि फिल्मस्टार और पत्रकार के संबंध किस धरातल पर टिके हैं।

पहली घटना तब की है जब मैंने देश के एक बड़े और प्रतिष्ठित अंग्रेजी फिल्म ट्रेड वीकली की नौकरी शुरू की थी। उस वीकली फिल्मी अखबार के एक स्टार रिपोर्टर थे, जिनके बारे में पहले से सुन रखा था कि फिल्म इंडस्ट्री का कौन ऐसा शख्स है जो इन महोदय का मुरीद न हो और इनके एक फोन पर न आ जाए। जब मुंबई गया तो उन्होंने मुझे अपना चेला बना लिया और मैं उनके साथ फिल्मी सितारों और अन्य हस्तियों के घर आने-जाने लगा।

खैर, एक दिन इस अखबार समूह के मालिकान ने तय किया कि इस साप्ताहिक फिल्मी अखबार के नाम पर एक अवार्ड फंक्शन किया जाए। स्टार रिपोर्टर से कहा गया कि आप के जिम्मे फलां अदाकरा को लाना है। इन महोदय और उक्त सितारा/अदाकारा, जिसके एक धक-धक से उस वक्त पूरे देश की धुकधुकी शुरू हो जाती थी, के संबंध जगत विख्यात थे। सभी जानते थे कि इन महोदय ने अपने आलेख और कॉलम में उक्त अभिनेत्री को शुरू से ही कितना बढ़ाया है और वह भी इन महोदय की बड़ी इज्जत करती थीं। मुझे भी इस काम में बतौर सहायक लगा दिया गया।


सो, हम एक दिन उक्त अदाकारा के घर पहुंचे। शुरुआती बातचीत के बाद जब स्टार रिपोर्टर ने अपने अखबार समूह और प्रस्तावित अवार्ड फंक्शन में अदाकरा की बहुमूल्य उपस्थिति की बात की, तो महोदया चुप हो गईं और मुस्कुराने लगीं। कुछ पल की चुप्पी के बाद उन्होंने मुंह खोला, “सर.. आपने मेरे लिए कितना किया है, यह तो मैं जानती हूं लेकिन यहां तो प्रोफेशनल मामला है। सो सिर्फ आपके लिए पचास लाख रुपये!”

स्टार रिपोर्टर महोदय को लगा कि किसी ने उन्हें सातवें माले से धक्का दे दिया और वह जमीन पर गिरने से पहले हवा में तैर रहे हों। कहां वह पहले अवार्ड फंक्शन में इस अदाकरा का बिलकुल मुफ्त में डांस कराकर मालिकान की वाहवाही बटोर लेना चाहते थे और कहां पचास लाख का यह झटका! उन्होंने मेरी ओर इशारा किया और मैं उठने लगा कि अदाकरा ने समझ लिया कि स्टार रिपोर्टर को जोर का झटका जोर से लगा है। उन्होंने पैंतरा बदला, “अच्छा चलिए... सिर्फ आपके लिए सर.. .तीस लाख!” स्टार रिपोर्टर महोदय, सामने रखी चाय की बिना एक घूंट पिए जो उठे, तो फिर अदाकारा की ओर पलटकर नहीं देखा। उस दिन से, स्टार रिपोर्टर ने उक्त अदाकारा का गुणगान बंद कर दिया।

दूसरी घटना, इसी साप्ताहिक फिल्मी अखबार की एक महिला संपादक की है, जो एक बड़े पुराने सुपरस्टार की काफी करीबी समझी जाती थीं। उनके एक फोन पर यह सुपरस्टार उपलब्ध रहते थे। एक दिन, गलती से, महिला संपादक ने इस सुपरस्टार के पुत्र की खराब फिल्म को अपनी समीक्षा में घटिया कह दिया। फिर क्या था, उसी दिन से इस सुपरस्टार ने अपने दरवाजे उक्त महिला संपादक के लिए बंद कर दिए। फिर तो, लाख माफियां, मन्नतें, संदेश... लेकिन इस सुपरस्टार का दिल नहीं पसीजा। आज भी महिला संपादक महोदया उस एक घटिया फिल्म को घटिया लिखने का अफसोस करती हैं और अपनी इकलौती ईमानदार गलती को कोसती रहती हैं ।

तीसरी घटना, एक ऐसे स्टार फिल्म पत्रकार से जुड़ी है जिनका कद ऊपर वर्णित फिल्म पत्रकारों से काफी बड़ा है। यह भी उसी सुपरस्टार के मारे हैं जिनका जिक्र अभी ऊपर हुआ है। ये सज्जन, इस सुपरस्टार के सबसे करीबी थे। इस सुपरस्टार को छींक भी आए, तो इस सज्जन को पता रहता था। इस सुपरस्टार के बेटे की शादी हुई। शादी में किसे बुलाया किसे नहीं, यह राष्ट्रीय बहस का विषय हो गया था। खैर, हुआ यूं कि फिल्म इंडस्ट्री में यह खबर फैल गई कि इन स्टार पत्रकार को भी नहीं बुलाया। बात सच भी थी। स्टार पत्रकार के दिल को चोट पहुंची। उन्होंने इस सुपरस्टार से संबंध तोड़ लिए।


कुछ दिन बाद उस सुपरस्टार को शायद इसका अहसास हुआ। उन्होंने अपनी पत्नी को समझाने भेजा। बात आई-गई हो गई। कुछ दिन बाद सुपरस्टार बीमार पड़े। स्टार पत्रकार उनसे मिलने अस्पताल गए और लौटकर आने के बाद वह सब लिख मारा जो इस सुपरस्टार जी को नागवार गुजरा। मसलन, जैसे एक बीमार आदमी किसी अपने मित्र से अपनी निजी बातें शेयर करता है, वो सब बातें। दूसरे दिन, स्टार पत्रकार के अंदर का पत्रकार जाग गया और उसने पहले पन्ने पर इस सुपरस्टार का हेल्थ बुलेटिन लिख मारा। सुपरस्टार और उनके तब के चमचे बड़े नाराज हुए।

स्टार पत्रकार को इस सुपरस्टार ने नजरों से गिरा दिया कि तूने विश्वास तोड़ दिया। स्टार पत्रकार ने भी पहली बार इस सुपरस्टार और उसके बेटे की फिल्मों की वाजिब समीक्षा लिखनी शुरू की और घटिया को घटिया ही कहने लगे। बात और बिगड़ गई। इस सुपरस्टार ने अपने ब्लॉग में स्टार पत्रकार का नाम लेते हुए लिखा कि देखो, यह आदमी इतना बड़ा अहसान फरामोश है। इसे मैंने अपने घर में इटालियन ग्लास में सबसे महंगी वाइन पिलाई, लेकिन फिर भी यह मेरे खिलाफ लिख रहा है!

ऐसी अनगिनत घटनाएं हैं लेकिन ये तीन उदाहरण यह बताने के लिए जरूरी थे कि फिल्मी सितारों और फिल्मी रिपोर्टर के संबंध बिलकुल नकली और सतही ही होते हैं। इसमें नई बात नहीं होती। इन्हें टूटने में वक्त नहीं लगता। छोटे से स्वार्थ के नहीं सधने से ही स्टार नाराज हो जाता है। कंगना रनौत इस बात से नाराज हो गईं कि एक रिपोर्टर को उन्होंने अपने वैनिटी वैन में बिठाकर खाना खिलाया (हालांकि इससे रिपोर्टर ने इंकार किया है) और इंटरव्यू दिया, लेकिन फिर भी वह उलटा लिख रहा है।

मुंबई में बैठकर फिल्मी या मनोरंजन जगत की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार के लिए स्टार मजबूरी हैं। उसे उनका इंटरव्यू चाहिए। उसके पीआर तंत्र से खबरें चाहिए। जितना बड़ा स्टार, उतना बड़ा इगो। इसलिए, उसे अपने आत्म सम्मान और स्टार के इगो के बीच तालमेल बनाकर रखना है। अपने अखबार को भी बताते रहना है कि वह सिर्फ पीआर नहीं कर रहा, पत्रकारिता भी कर रहा है। लेकिन सच्चाई यही है कि अगर आपको वाकई पत्रकारिता करनी है, निष्पक्ष होकर लिखना है तो आपको स्टार्स से दूरी बनाकर रखनी ही होगी।

वरना, आपको वही लिखना होगा जैसा स्टार चाहता है या उसके पीआर वाले चाहते हैं। आपको किसी न किसी कैंप में शामिल होना होगा। सलमान खान कैंप, शाहरुख खान कैंप, करण जौहर कैंप, कंगना रनौत कैंप...ढेर सारे कैंप हैं। इनमें से कहीं कोई जगह ढूंढ लीजिए और पड़े रहिए। एक बार भी गलती से भी आपके अंदर का पत्रकार जाग गया, तो आप बाहर। फिर आप अहसान फरामोश, दो कौड़ी के भिखमंगे से लेकर देशद्रोही तक के संबोधन के लिए तैयार रहिए!

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


/* */