धर्मेंद्र जब आधी रात अचानक दिलीप कुमार के घर पहुंचे थे, फिर...
बॉलीवुड के दोनों सितारों, ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और एक्शन हीरो धर्मेंद्र के बीच खास रिश्ता था। बीते जमाने की अभिनेत्री सायरा बानो ने इस खूबसूरत किस्से का जिक्र एक सोशल मीडिया पोस्ट में किया था।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के 'ही मैन' धर्मेंद्र इस दुनिया में नहीं रहे। धर्मेंद्र चले गए, पर छोड़ गए सैकड़ों फिल्में, अनगिनत यादें और कुछ ऐसे किस्से जिन्हें आने वाली पीढ़ियां भी मुस्कुराते हुए सुनाया करेंगी। ऐसा ही किस्सा एक रात का है।
जब आधी रात को, बिना बताए धर्मेंद्र सीधे अपने आइडल यूसुफ साहब यानी दिलीप कुमार के घर जा पहुंचे थे।
बॉलीवुड के दोनों सितारों, ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और एक्शन हीरो धर्मेंद्र के बीच खास रिश्ता था। बीते जमाने की अभिनेत्री सायरा बानो ने इस खूबसूरत किस्से का जिक्र एक सोशल मीडिया पोस्ट में किया था।
सायरा बानो ने बताया था कि साल था 1952, जब पंजाब के नौजवान धर्मेंद्र ने दिलीप कुमार की फिल्म ‘शहीद’ देखी थी और उनके दीवाने हो गए थे। बस एक ही जुनून था कि अपने आइडल से मिलना है। ट्रेन पकड़ी और सीधे बॉम्बे पहुंचे। बांद्रा के पाली माला में दिलीप साहब का घर ढूंढ निकाला। गेट खोला, सीढ़ियां चढ़ी, एक कमरे के दरवाजे पर रुके, जहां अंदर सोफे पर गोरा, दुबला-पतला, हैंडसम शख्स यानी उनके यूसुफ साहब सो रहे थे! धर्मेंद्र बस खड़े-खड़े निहारते रहे। अचानक दिलीप साहब की आंख खुली, स्टाफ को आवाज दी। धर्मेंद्र घबराकर नीचे भागे। पहली मुलाकात तो बस इतनी थी, पर ये प्यार जिंदगी भर का था।
6 साल बाद जब फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट के लिए फिर बॉम्बे आए तो बहन की मदद से अपॉइंटमेंट लिया। दिलीप साहब ने बड़े भाई की तरह गले लगाया। बाहर ठंड थी, धर्मेंद्र कॉटन शर्ट में कांप रहे थे। दिलीप साहब ने फौरन अपना स्वेटर निकाला और कहा, “लो, घर जाते वक्त पहन लेना।” उस दिन से धर्मेंद्र के लिए दिलीप साहब का घर अपना घर बन गया। न रस्म, न अपॉइंटमेंट दिन हो या आधी रात, दरवाजा हमेशा खुला रहता था।
उन्होंने एक और किस्सा सुनाया था, एक बार सनी देओल की पहली फिल्म ‘बेताब’ का मुहूर्त था और आधी रात को धर्मेंद्र दिलीप साहब के घर पहुंच गए थे। ऊपर गए, सनी की बड़ी-बड़ी तस्वीरें फैलाकर शर्माते हुए बोले, 'हीरोइन अमृता सिंह है… नासिर भाई की रिश्तेदार।' दिलीप साहब ने हौसला बढ़ाया, घर जैसा एहसास कराया।
धर्मेंद्र हमेशा कहते थे, “मेरे घर में माता-पिता और बच्चों की तस्वीरों के अलावा सिर्फ यूसुफ साहब की एक तस्वीर है, जिसे मैं रोज देखता हूं। दोनों ने कभी साथ किसी मुख्य भूमिका में काम नहीं किया, पर दोस्ती और मोहब्बत में कभी कोई कमी नहीं रही।
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