हीरो के नखरे के आगे बेबस डायरेक्टर, ‘कंचना’ को लेकर भी उठा सवाल, हीरो बड़ा या डायरेक्टर

आमिर, शाहरुख और सलमान की फिल्म सेट पर असली डायरेक्टर वही होते हैं। कौन सा शॉट कैसे लेना है, कैमरा कहां लगाना है, लाइट्स कैसी हो, इन सब चीजों पर उनका बारीक दख़ल रहता है।

फोटो : सोशल मीडिया
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अमिताभ पाराशर

परंपरागत तौर पर माना जाता है कि जब शूटिंग होती है, तो सेट पर डायरेक्टर ही शहंशाह होता है। लेकिन होता ठीक इसके उलट है। ख़ास कर बड़े फिल्म स्टार्स के मामलों में। वे खुद से जुड़े लगभग हर सीन में शूटिंग के वक्त भी दखल देते हैं। स्क्रिप्ट के स्तर पर तो उनका दखल लाजिमी है। अगर अक्षय कुमार, आमिर खान, शाहरुख खान जैसे बड़े स्टार्स की बात करें, तो सेट पर असली डायरेक्टर वही होते हैं। कौन सा शॉट कैसे लेना है, कैमरा कहां लगाना है, लाइट्स कैसी हो, इन सब चीजों पर उनकी बारीक दखल रहती है। सफलता का नशा कई बार कई लोगों के आत्मविश्वा स को गलत दिशा दे देता है।

दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री की एक सफल फ्रेंचायजी फिल्म है। नाम है ‘कंचना’। इस श्रृंखला की तीन चार फ़िल्में आ चुकी हैं और सभी बॉक्स ऑफिस पर सफल। इन फिल्मों को हिंदी में डब करके अक्सर हिंदी मूवी चैनल पर दिखाया जाता है।

इस श्रृंखला की पहली फिल्म की कहानी यह थी कि एक मृत हिजड़े की बुरी आत्मा एक परिवार के लड़के के शरीर में प्रवेश कर पूरे परिवार को परेशान करती रहती है। फिल्म हॉरर कॉमेडी है जो आजकल बॉलीवुड का प्रिय विषय है। सो, अक्षय कुमार को यह आइडिया जंच गया कि इस फिल्म का हिंदी रीमेक बनाया जाए जिसमें, जाहिर है, वे हीरो बनेंगे।

कंचना के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और एक्टर राघव लॉरेन्स से बात की गई। चूंकि ‘कंचना’ की कहानी भी उनकी ही थी, इसलिए बिना उनकी रजामंदी के फिल्म तो बनती ही नहीं, इसलिए उनसे कहानी के अलावा यह भी करार हुआ कि हिंदी रीमेक को डायरेक्ट भी वही, यानि राघव लॉरेन्स ही करेंगे।


यहां तक सब ठीक था। फिल्म इस साल अगस्त-सितम्बर में फ्लोर पर जाने वाली थी। करीब दस दिन पहले अक्षय कुमार ने ‘लक्ष्मी बम’ नाम की इस फिल्म के पोस्टर का ‘फर्स्ट लुक रिलीज’ कर दिया जिसमें में वे अपनी एक आंख में काजल लगाते दिख रहे हैं। बात यहीं से बिगड़ गई।

राघव लॉरेन्स ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए घोषणा कर दी कि एक डायरेक्टर के तौर पर उन्हें इस फिल्म का ड्राइवर होना था, लेकिन उन्हें तो पता ही नहीं कि कौन क्या फैसले ले रहा है और उन्हें बताया तक नहीं जा रहा है। इसलिए, इस फिल्म से उनका कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि पैसे से ज्यादा उन्हें अपना आत्म सम्मान प्यारा है।

सोशल मीडिया पर भारी हंगामा मचा। आखिर कोई अक्षय की फिल्म को डायरेक्ट करने का मौका कैसे छोड़ सकता है? पता ये चला कि अक्षय ने जिस पोस्टर को रिलीज किया, उसकी डिजाइन से लेकर उसे रिलीज करने के फैसले तक में उनसे ना कोई राय ली गई और ना ही उनसे कुछ पूछा गया। विरोध स्वरूप उन्होंने फिल्म से अलग होने का फैसला ले लिया। यहां बताते चलें कि ‘कंचना’ में मुख्य किरदार भी राघव लॉरेन्स ने ही निभाया है।

ताजा जानकारी ये है कि अक्षय ने राघव लॉरेन्स को मना लिया है और एक बार फिर चीजें पटरी पर आ गई हैं। लेकिन ऐसा अक्सर नहीं होता। बॉलीवुड सितारों को झुकाने की ताकत बहुत कम लोगों में होती है। उनसे सवाल करने की हिम्मत बॉलीवुड के बहुत कम लोगों के पास है।

दरअसल, अक्षय कुमार और राघव लॉरेन्स के इस प्रकरण से हिंदी सिनेमा के एक पुराने घाव को फिर से कुरेदा है। डायरेक्टर बड़ा या हीरो? यह बहुत ही पुराना सवाल है। परंपरागत तौर पर माना जाता है कि जब शूटिंग होती है, तो सेट पर डायरेक्टर ही शहंशाह होता है। लेकिन होता ठीक इसके उलट है। खास कर बड़े फिल्म स्टार्स के मामलों में। वे खुद से जुड़े लगभग हर सीन में शूटिंग के वक्त भी दखल देते हैं। स्क्रिप्ट के स्तर पर तो उनका दख़ल लाजिमी है।

अगर अक्षय कुमार, आमिर खान, शाहरुख खान जैसे बड़े स्टार्स की बात करें, तो सेट पर असली डायरेक्टर वही होते हैं। कौन सा शॉट कैसे लेना है, कैमरा कहां लगाना है, लाइट्स कैसी हो, इन सब चीजों पर उनकी बारीक दख़ल रहती है। सफलता का नशा कई बार कई लोगों के आत्मविश्वास को गलत दिशा दे देता है। उसे लगता है कि वह जैसा कर रहा है, जैसा सोच रहा है, वही सच है क्योंकि अपनी सोच और फैसले की वजह से ही वह आज इस मुकाम पर पहुंचा भी है। उनकी दृष्टि से देखें तो बात पूरी तरह से गलत नहीं है, लेकिन वे अक्सर इस बात को भूल जाते हैं कि जो सफलता उन्हें मिली है उसमें उनकी फिल्मों के उस लेखक, संवाद लेखक, कैमरामेन, म्यूज़िक डायरेक्टर, सिंगर और डायरेक्टर का भी बड़ा हाथ है। इसलिए, वे सेट पर खूब दख़लंदाजी करते हैं। बाहर तो खैर करते ही हैं, जैसा कि पहले कहा।


हीरो के नखरे के आगे बेबस डायरेक्टर, ‘कंचना’ को लेकर भी उठा सवाल, हीरो बड़ा या डायरेक्टर

सो, राघव लॉरेन्स को लगा होगा कि भाई, अभी तक तो मैं अपनी फिल्मों (जिसमें ज्यादातर सफल रही हैं) के सेट पर शहंशाह रहा हूं, अक्षय कुमार जैसे बड़े स्टार के साथ काम करने के लालच में कहीं चपरासी ना हो जाऊं। अभी तो सिर्फ़, पोस्टर ही उनकी जानकारी के बगैर रिलीज किया है, आगे ना जाने क्या-क्या करेंगे। तो उन्होंने खुद को अलग करने का फैसला लिया होगा। अब शायद, अक्षय ने कोई आश्वासन दिया है, तो वापस लौटे हैं।


सितारों की दखलंदाजी कई बार फिल्म को फायदा पहुंचाती है, तो ज्यादातर नुकसान। हाल में शाहरुख खान की ‘जीरो’ और आमिर खान की ‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान’ के बुरी तरह से फ्लॉप होने के पीछे भी शाहरुख और आमिर की अतिशय दखलंदाजी को माना जा रहा है। इस पूरे मामले से सलमान खान को निकाल ही दें तो बेहतर। उनके बारे में कहा जाता है कि उनकी फ़िल्म में कहानी नहीं होती, सिर्फ सलमान खान होते हैं। लेकिन सेट पर इस खान की दखलंदाजी के कहने ही क्या।

पिछले दिनों की बात है। शारजाह में उनकी किसी फिल्म की शूटिंग चल रही थी। ऐक्शन सीन था। चार-पांच गाड़ियां हवा में उड़नी थीं। दो-चार में आग लगनी थी। जलने-टूटने के लिए बाजार से पुरानी गाड़ियां खरीदकर लाई जा चुकी थीं। बस सेट पर भाई (सलमान) का इंतजार हो रहा था। वो आए और सीन का शूट शुरू हुआ। अचानक उन्हें लगा कि गाड़ियां पुरानी लग रही हैं। एकाध लोगों ने हिम्मत करके कहा कि भाई, ये कोई हिंदुस्तान तो है नहीं। यहां तो पुरानी गाड़ियां भी नई जैसी लगती हैं। लेकिन ना। भाई माने नहीं। शूटिंग रोक दी गई। भाई का आदेश हुआ कि टूटने-जलने वाली सभी गाड़ियां नई खरीद कर लाई जाएं। सो, प्रोड्यूसर बेचारा, मरता क्यान करता, सारी की सारी नई गाड़ियां खरीद लाया। उन गाड़ियों को जलते देख उसके दिल पर क्या बीत रही होगी, ये तो खैर वही बता सकता है जिसके जेब से पैसे निकले हों।

आमिर खान के बारे में कहा जाता है कि सेट पर असली डायरेक्टर वे खुद होते हैं। वे लगभग हर सीन में नुक्ता चीनी करते हैं। इसलिए, अपनी फिल्म के डायरेक्टर भी वे उन्हें ही रखते हैं जो पूर्णरूप से उनके नियंत्रण में हो। सलमान खान की भी यही कहानी है। लेकिन जब शाहरुख खान ने आनंद राय को बतौर डायरेक्टर साइन किया तो उम्मीद थी कि शायद ठीकठाक फिल्म बन जाएगी। आनंद राय अच्छे डायरेक्टर हैं और उन्होंने तनु वेड्ज मनु और रांझना जैसी कुछ अच्छी और सफल फिल्में बनाई हैं। लेकिन इस फिल्म में वे पिट गए। अब यह चूक सीधे स्टार के हस्तक्षेप की वजह से हुई या लेखक (हिमांशु शर्मा) या डायरेक्टर के स्तर पर, कहना मुश्किल है।

पुराने दौर में ह्रिषिकेश मुखर्जी जैसे गिने-चुने डायरेक्टर के बारे में कहा जाता था कि स्टार चाहे कितना भी बड़ा हो, वे उनकी कोई दखलंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करते थे। कई मामलों में तो स्टार्स को यह भी पता नहीं रहता था कि फिल्म में उनका रोल और संवाद क्या होगा। सुपर स्टार राजेश खन्ना, ह्रिषिकेश मुखर्जी के साथ काम करना चाहते थे लेकिन वे, राजेश खन्ना के सेट पर नखरों के बारे में जानते थे। उन्होंने मना कर दिया। बाद में राजेश खन्ना ने अपने लोगों से कहवाया कि वे कोई नखरा नहीं करेंगे, तब जाकर मुखर्जी साहब तैयार हुए थे।

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