दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट का भंडाफोड़, लोगों को हाई रिटर्न का वादा कर बनाते थे अपना शिकार

दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह लोगों को हाई रिटर्न देने का वादा कर अपना शिकार बनाता था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अकसर लोग कम समय में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में जालसाजों के चक्कर में फंस जाते हैं। साइबर ठग ऐसे लोगों को अपनी चंगुल में फंसाने के लिए कई तरह के जाल बुनते हैं। कम लगाता ज्यादा मुनाफा, कुछ ही दिन में पैसे दोगुना करने का वादा, तमाम ऐसे तरीके हैं जिससे वो लोगों के अपने झांसे में लेते हैं। ऐसे ही एक गिरोह का दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ किया है।  

दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह लोगों को हाई रिटर्न देने का वादा कर अपना शिकार बनाता था।अधिकारियों के मुताबिक अपराध की शुरुआत दुबई और फिलीपींस से हुई। अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने 1.25 करोड़ रुपये से अधिक वाले बैंक खाते भी जब्त कर लिए हैं। आरोपियों की पहचान विवेक कुमार सिंह (33), मनीष कुमार (23), सुहेल अकरम उर्फ सैयद अहमद (32), गौरव शर्मा (23) और बलराम (32) के रूप में हुई है।


6 जून को आशीष अग्रवाल ने नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, जिसमें बताया कि मई महीने में उनके व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया। भेजनेवाले ने उसे हाई रिटर्न का वादा करते हुए टेलीग्राम ऐप में निवेश करने का लालच दिया।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (केंद्रीय) सचिन शर्मा ने कहा,'' शुरुआत में उन्होंने उनसे 1,100 रुपये लौटाने के वादे के साथ 1,000 रुपये की छोटी राशि निवेश करने के लिए कहा। उसने एक टेलीग्राम समूह में 1,000 रुपये का निवेश किया और बाद में 1,100 रुपये प्राप्त किए। फिर आरोपी ने उसे 12,000 रुपये की वापसी के वादे के साथ 10,000 रुपये का निवेश करने के लिए राजी किया।

शर्मा ने बताया, ''धीरे-धीरे उन्होंने उसे लाखों की बड़ी रकम निवेश करने के लिए मना लिया। हालांकि, बाद में वे वादा की गई रकम लौटाने से मुकर गए और मूलधन लौटाने के बहाने उन्हें और भी अधिक निवेश करने के लिए मना लिया। नतीजतन, शिकायतकर्ता साइबर घोटाले का शिकार हो गया और उसे लगभग 30 लाख रुपये का नुकसान हुआ।"

अतिरिक्त डीसीपी ने कहा, ''जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी संदिग्ध व्यक्तियों के बैंक खातों का विवरण और उनके बैंक खातों से जुड़े मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) प्राप्त किए। पूछताछ में पता चला कि धोखाधड़ी का पैसा विभिन्न बैंकों और शहरों में 25 बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया था। इन खातों से धनराशि को विभिन्न अन्य बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया गया। दिल्ली के नांगलराया पते पर फर्जी फर्म एयरस्की के नाम पर यस बैंक में एक चालू बैंक खाता खोला गया था।"


अधिकारी ने कहा कि सत्यापन करने पर पता चला कि उक्त परिसर को सुहेल अकरम नाम के एक व्यक्ति ने किराए पर लिया हुआ था, उसके साथ एक अन्य व्यक्ति गौरव शर्मा भी जुड़ा हुआ था। जांच से पता चला कि इस पते पर 11 फर्जी कंपनियां पंजीकृत थीं, इन कंपनियों के निदेशकों के रूप में अलग-अलग व्यक्तियों को गलत तरीके से सूचीबद्ध किया गया था।

18 सितंबर को पुलिस ने विशेष सूचना के आधार पर सुहेल अकरम और उसके साथी गौरव शर्मा को मालवीय नगर से गिरफ्तार कर लिया। अधिकारी ने कहा, "उनके कब्जे से अलग-अलग नामों वाले विभिन्न नकली स्टैंप, बैंक खाते के विवरण और डेबिट कार्ड बरामद किए गए। उन्होंने घोटाले में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली, जिसके बाद उचित कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार उनकी गिरफ्तारी हुई।"

निरंतर पूछताछ पर, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर शेल कंपनियों के पंजीकरण के लिए परिसर किराए पर लेते थे। अधिकारी ने कहा, "फिर वे इन शेल कंपनियों के नाम का उपयोग कर विभिन्न बैंकों, मुख्य रूप से यस बैंक और आरबीएल बैंक में चालू बैंक खाते खोलते थे। सुहेल अकरम के दोस्त, बलराम को इन शेल कंपनियों के निदेशकों के रूप में कार्य करने के लिए व्यक्तियों को ढूंढने की जिम्मेदार दी गई थी। सुहेल के बताने पर बलराम को भी गिरफ्तार किया गया।''

सुहेल ने आगे खुलासा किया कि उसने इन धोखाधड़ी वाले चालू बैंक खातों का विवरण सेक्टर 28, डीएलएफ -1, गुरुग्राम, हरियाणा में रहने वाले विवेक कुमार सिंह को दिया था। अधिकारी ने कहा, "इस जानकारी के बाद पुलिस ने विवेक कुमार सिंह और उसके सहयोगी मनीष कुमार को गिरफ्तार कर लिया। विवेक दुबई और फिलीपींस में लोगों के संपर्क में रहने वाला व्यक्ति था, जो आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था।"


विवेक ने खुलासा किया कि वह टेलीग्राम और लिंक्डइन के माध्यम से ऑनलाइन सट्टेबाजी, गेमिंग और निवेश में शामिल विदेशी नागरिकों से जुड़ा था। अधिकारी ने कहा, ''इन बैंक खातों में दैनिक लेनदेन एक करोड़ रुपये से अधिक का था।''

सुहेल ने आधार कार्ड और पैन कार्ड सहित जाली दस्तावेज बनाकर अपनी पहचान सैयद अब्दुल हक के बेटे सैयद अहमद के रूप में बदल ली थी। उसने इन मनगढ़ंत पहचानों का इस्तेमाल विभिन्न कंपनियां खोलने के लिए किया, जिसका लक्ष्य गलत तरीके से कमाए गए धन को वैध बनाना था। अधिकारी ने कहा, "आगे की जांच जारी है और ऐसे साइबर धोखेबाजों से जुड़े अन्य लोगों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।"

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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