Exclusive : मोबाइल एप के जरिए लोन के नाम पर धोखाधड़ी का खेल, इस तरह लोगों को शिकार बने साइबर अपराधी
उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम के एसपी त्रिवेणी सिंह बताते हैं कि जिस तरह की समस्या शान मोहम्मद के साथ हुई उस तरह की हजारों शिकायतें हमें मिली है और यही कारण है कि हम ऐसी 274 ऐप को चिन्हित करके बैन करने जा रहे हैं।
मुजफ्फरनगर के शान मोहम्मद सिद्धि मार्केट में एक गारमेंट्स की दुकान चलाते हैं। फेसबुक चलाते हुए मिनट भर में लोन का एक विज्ञापन दिखाई दिया। यहां से उन्होंने एक ऐप डाउनलोड की। शान मोहम्मद बताते हैं कि ऐप डाऊनलोड होते ही एक फार्म पर मेरा आधार कार्ड नम्बर मांगा गया और मैंने सामान्य जानकारी भर दी ! इसके बाद 10 मिनट में मेरे अकॉउंट में 8 हजार रुपये आ गए। यह आश्चर्यजनक था। मैंने तुरंत पैसे उसी अकॉउंट में वापस कर दिए। कुछ देर बाद मुझे एक कॉल आई और मुझे कहा गया कि मैंने साइबर क्राइम करते हुए 8 हजार रुपये का फ्रॉड कर लिया है और मेरे विरुद्ध दिल्ली में एफआईआर दर्ज हो गई है। मैं बुरी तरह डर गया। मैंने कोई फ्रॉड नहीं किया था।
शान मोहम्मद के अनुसार एफआईआर की बात ने मुझे बहुत अधिक डरा दिया। इसके बाद मुझे दिल्ली पुलिस की और से एक फर्जी एफआईआर का मैसेज भेज दिया गया। मैं बहुत डर गया। इस मैसेज में लिखा हुआ था कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल प्रवीण कुमार ने मेरे विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है। इसके बाद समझौते के नाम पर मुझे 20 हजार ठग लिए गए। बाद में मुझे पता चला कि मेरे विरुद्ध कहीं कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी यह है मनघडंत मैसेज था और मेरी मुझे फंसाया गया था। उसके बाद मैंने अपने साथ हुई ठगी की शिकायत की। मुझे लोन की जरूरत नहीं थी मगर सिर्फ एक स्क्रॉल ने एक पूरा दिन तनाव में रहा और ठगी भी हो गई।
उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम के एसपी त्रिवेणी सिंह बताते हैं कि जिस तरह की समस्या शान मोहम्मद के साथ हुई उस तरह की हजारों शिकायतें हमें मिली है और यही कारण है कि हम ऐसी 274 ऐप को चिन्हित करके बैन करने जा रहे हैं। यह उत्पीड़न लोन देकर वसूली के नाम पर हो रहा है। शिकायतकर्ता बता रहे हैं की ऐप में डिटेल भरने के बाद फटाक से 25 हजार रुपये तक का लोन सिर्फ आधार कार्ड नम्बर पर मिल जाता है। इसके बाद वसूली का असली उत्पीड़न शुरू होता है।
पीड़ित शान मोहम्मद बताते हैं कि ऐप कंपनी बिना किसी डॉक्यूमेंट के लोन दे रही है। वो 5 मिनट से भी कम समय मे हमारे अकॉउंट में पैसे डाल देती है। अगर कोई पैसे लेना नहीं भी चाहता है तो खुद भेज देती है। बस उसे डिटेल चाहिए। नियम समझने के लिए जो डिटेल मांगी जाती है उसी में पैसे भेज देती है। असली खेल उसके बाद शुरू होता है। उसमें लड़कियां जेल भेजने की धमकी देने लगती है और एक फर्जी पुलिसकर्मी बनकर बात की जाती है। यहां तक कि एफआईआर भी फर्जी बना दी जा रही है। इसी से आम आदमी भयाक्रांत हो जाता है।
यूपी साइबर क्राइम को पिछले कुछ दिनों में ऐप द्वारा लोन देने के नाम पर ठगी और वसूली के दौरान किए गए उत्पीड़न की 10 हजार से ज्यादा शिकायतें मिली है। साइबर क्राइम के एसपी त्रिवेणी सिंह बताते हैं कि जल्दी लोन पाने के चक्कर मे लोग फंस रहे हैं। पीड़ितों को कई तरह से ब्लैकमेल किया जाता है। कई मामलों में उन्हें रेपिस्ट लिखकर डराया जाता है। अश्लील फोटो भेजकर दबाव में लिया गया है। हमने आरबीआई को ऐसी 274 ऐप हटाने के लिए लिखा है।
मेरठ के एक पीड़ित शशांक शर्मा बताते हैं कि युवाओं को इन ऐप ने आसान टारगेट बनाया है। मेरे साथ भी ऐसा हुआ मगर मैं समय रहते पुलिस में पहुंच गया हालांकि तब तक 5 हजार रुपये की ठगी हो चुकी थी हालांकि मेरे कुछ दोस्तों के साथ ठगी हो गई ! सभी तो अपनी बात बताते भी नहीं है। शशांक शर्मा बताते हैं कि इसके चक्रव्यूह में फंसने की सबसे बड़ी वज़ह आसानी है। ऐप से 5 मिनट में ही पैसा अकॉउंट में आ जाता है। वो 5 हजार रुपये तक का भी लोन दे देती है। इसमें युवाओं में बेरोजगारी है और ऐप से मिले पैसे के आगे आने वाले वसूली संकट के बारे में वो कुछ नही जानते हैं।
साइबर क्राइम शाखा के मुताबिक उन्होंने जिन ऐप को बैन करने के लिए लिखा है उनमें धनपाल, कैशहोस्ट, फ्रिलोन, रैपिडपैसा, कैशमैनेजर, लकीलोन , रूपी बॉक्स, मनीलैडर, लिंक मनी, फ़्लैशलोन, जसमीनलोन, क्रेजीबी, फ़ास्ट केश, समय रूपी, कैशमनी, ईजी क्रेडिट जैसी 274 ऐप शामिल हैं। साइबर क्राइम शाखा के मुताबिक यह सभी अवैध हैं। अब इनके सत्यापन के लिए आरबीआई को पत्र भेजा है उसके बाद इन्हें बंद कर दिया जाएगा।
बैंक अधिकारी प्रवेज बेग बताते हैं कि कि ठगी से बचने का सबसे बढ़िया तरीका लोन ऐप से दूर रहना है। लोन लेने से पहले आरबीआई से रजिस्टर्ड ऐप के बारे में पता कर लेना चाहिए। जिन ग्राहकों को तुंरत लोन की जरूरत होती है,उन्हें नॉन बैकिंग फाइनेंसल कम्पनी में ही सम्पर्क करना चाहिए।
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