यूपी में फर्जी मुठभेड़ का मामला; संभल में 12 पुलिसकर्मी और अन्य व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश
ओमवीर के अधिवक्ता सुकांत कुमार ने बताया, “सीजेएम ने 24 दिसंबर को ओमवीर द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसे डकैती के झूठे मामले में फंसाया गया और बहजोई पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर उसकी गिरफ्तारी की।”

संभल जिले की एक अदालत ने कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूर्व थाना प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मी और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप है कि एक व्यक्ति को डकैती के मामले में गिरफ्तार दिखाया गया, जबकि घटना के समय वह जेल में बंद था। एक अधिवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने कहा कि वह इस आदेश को चुनौती देगी।
अधिवक्ता ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने का यह आदेश संभल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) विभांशु सुधीर ने दिया। मामला ओमवीर नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसे जेल में बंद होने के बावजूद लूट की घटना में शामिल दिखाकर बाद में कथित मुठभेड़ में गिरफ्तार दर्शाया गया।
ओमवीर के अधिवक्ता सुकांत कुमार ने बताया, “सीजेएम ने 24 दिसंबर को ओमवीर द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसे डकैती के झूठे मामले में फंसाया गया और बहजोई पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर उसकी गिरफ्तारी की।”
याचिका के अनुसार, 25 अप्रैल 2022 को बहजोई थाना क्षेत्र में एक लाख रुपये की लूट हुई थी और उसी दिन प्राथमिकी दर्ज की गई।
इसमें कहा गया कि जांच के दौरान पुलिस ने सात जुलाई 2022 को कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ दिखाई जिसमें 19 मोटरसाइकिलें और लूटी गई राशि की बरामदगी के अलावा ओमवीर, धीरेंद्र और अवनीश की गिरफ्तारी दर्शाई गई।
हालांकि, याचिका में ओमवीर ने दावा किया कि वह 11 अप्रैल से 12 मई 2022 तक बदायूं जेल में बंद था और 12 मई को ही रिहा हुआ था, ऐसे में 25 अप्रैल को डकैती में शामिल होना असंभव था। याचिका में कहा गया कि इसके बावजूद, ओमवीर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर उसे जेल भेज दिया गया।
अदालत ने तत्कालीन थाना प्रभारी पंकज लवानिया, अपराध शाखा के निरीक्षक राहुल चौहान, उप निरीक्षक प्रबोध कुमार, नरेश कुमार, नीरज कुमार और जमील अहमद, आरक्षी वरुण, आयुष, राजपाल, मालती चौहान, दीपक कुमार, हेड कांस्टेबल रूप चंद्र और एक अन्य दुर्वेश के खिलाफ तीन दिन के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) गोपाल सिंह को इस मामले में राहत दी है। हालांकि, शिकायतकर्ता ने कहा कि वह इस राहत के खिलाफ भी कानूनी लड़ाई जारी रखेगा।
ओमवीर ने पत्रकारों से कहा कि उसने कथित फर्जी मुठभेड़ को लेकर पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा, “अदालत का आदेश न्यायसंगत है।”
बहजोई के सीओ प्रदीप कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पुलिस को अभी तक अदालत का आदेश औपचारिक रूप से प्राप्त नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, “हमें इसकी जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली है।”
इस बीच, संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं करेगी और अदालत के आदेश को चुनौती देगी।
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