तिहाड़ में पांव रखते ही हुई कविता की ‘मौत’ से उठे सवाल, क्या हकीकत कभी सामने आएगी या फाइलों में दब जाएगी!

पुलिस ने गिरफ्तार करके सतीश और कविता को अदालत में पेश किया। जहां से न्यायिक हिरासत में दोनों को तिहाड़ जेल भेज दिया गया। लेकिन इसके अगले ही दिन यानि 26 अप्रैल 2020 की आधी रात को कविता का शव संदिग्ध हालात में तिहाड़ के महिला जेल में खिड़की से लटका मिला।

फोटोः IANS
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आईएएनएस

सास-ससुर के दोहरे हत्याकांड में जेल पहुंची बहू कविता की सलाखों के अंदर संदिग्ध मौत ने दो सरकारी महकमों को सवालों के घेरे में ला दिया है। एक कविता की संदिग्ध मौत ने तमाम सवाल भी खड़े कर दिए हैं। हालांकि, जेल के तमाम कथित मजबूत इंतजामों को धता बताकर हो चुकी कविता की अकाल मौत की हकीकत भी अब सरकारी फाइलों में ही दबकर रह जाएगी। रिपोर्ट में सिर्फ इतना आएगा कि, कविता ने जेल में आत्महत्या कर ली।

कविता ने आत्महत्या क्यों की? तिहाड़ जैसी सुरक्षित और चाक-चौबंद बंदोबस्तों को एक कविता जैसी निहत्थी चंद घंटे की विचाराधीन मुलजिम ने आखिर चुनौती कैसे दी? ढीली व्यवस्थाओं पर निशान लगाते यह सवाल आने वाले वक्त में 'अनुत्तरित सवाल' ही बनकर दफन हो जाएंगे। इन सवालों के जवाब न कभी कोई देना चाहेगा और वक्त बीतने के साथ न ही कोई इन सवालों को याद रखेगा।

कविता को उसके पति सतीश के साथ द्वारका जिले के थाना छाबला की पुलिस ने 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। दोनों पर वृद्ध दंपत्ति की हत्या का आरोप था। वृद्ध दंपत्ति थे कविता के सास-ससुर और सतीश के माता-पिता- ओमवती और राज सिंह। दोनों के शव घर के भीतर खून से लथपथ हालत में पड़े मिले। छाबला थाना पुलिस का दावा था कि, प्रॉपर्टी विवाद के चलते सतीश और उसकी पत्नी ने दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया।

पुलिस ने जब सतीश की पत्नी कविता को गिरफ्तार करना चाहा तो उसने दीवार से अपना सिर फोड़ लिया। यह कहते हुए कि वो निर्दोष है। लिहाजा पुलिस ने हत्या के साथ-साथ उसके खिलाफ आत्महत्या की कोशिश का भी केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने गिरफ्तार करके सतीश और कविता को अदालत में पेश किया। जहां से न्यायिक हिरासत में दोनों को तिहाड़ जेल भेज दिया गया।लेकिन इसके अगले ही दिन यानि 26 अप्रैल 2020 को आधी रात के वक्त कविता का शव संदिग्ध हालातों में तिहाड़ के जेल नंबर- 6 (महिला जेल) में खिड़की से लटका मिला।

अब तक तो पुलिस की थ्योरी के मुताबिक सब कुछ ठीक-ठाक था। डबल मर्डर का केस भी चंद घंटों में ही दिल्ली पुलिस ने खोल दिया था और आरोपी जेल भी पहुंच गए। लेकिन दोहरे हत्याकांड का पूरा रुख कविता की सलाखों में संदिग्ध मौत से एकदम पलट गया। जिसने न केवल तिहाड़ जेल प्रशासन के कड़े सुरक्षा इंतजामों को खोखला साबित कर दिया, वरन द्वारका जिले की छाबला थाना पुलिस के पूरे 'गुडवर्क' का ही गुड़-गोबर कर दिया।

कविता की जेल में संदिग्ध मौत, जिसे बाद में जेल प्रशासन ने आत्महत्या करार दिया है, ने तमाम सवाल खड़े कर दिए। तिहाड़ जेल प्रशासन के इंतजामों की बखिया इसलिए उधड़ी कि, आखिर जिस जेल में परिंदा पर नहीं मार सकता हो, एक कैदी दूसरे कैदी की शक्ल देखने को तरसता हो, हर कैदी हर सेकेंड सीसीटीवी कैमरों की जद में हो, वहां आखिर ऐसे सख्त सुरक्षा इंतजामों के बीच कविता ने, जिंदगी खत्म करने के रास्ते कब और कैसे खोज लिए?

इतना ही नहीं, चूंकि पहली बार जेल आने वाले कैदी खुद को मानसिक रुप से नहीं संभाल पाते हैं। लिहाजा तिहाड़ जेल प्रशासन ने पहली बार तिहाड़ पहुंचने वाले कैदियों की 'काउंसलिंग' का भी इंतजाम किया हुआ है। फिर वो कौन सी चूक हो गयी जिसके चलते कविता जेल में कदम रखने के चंद घंटे के बाद ही संदिग्ध हालातों में अकाल मौत के मुंह में समा गई?

हालांकि, कविता की संदिग्ध मौत के मामले में तिहाड़ जेल प्रवक्ता राज कुमार ने कहा, "आरोपी विचाराधीन कैदी कविता ने चुन्नी से लटक कर यह कदम उठाया। घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही कारणों से परदा उठ पाएगा।" जबकि द्वारका डीसीपी अंटो अल्फांसो के मुताबिक, "छाबला पुलिस ने जब दोनों को गिरफ्तार किया, तब तक कविता की बातचीत से ऐसा कुछ नहीं लग रहा था। मौके पर मौजूद पुलिस को जो मजबूत तथ्य और सबूत मिले, उन्हीं के आधार पर कविता और सतीश को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। जेल में क्या कुछ और कैसे हुआ? पुलिस इस बारे में कुछ नहीं बता सकती है।"

दूसरी और छाबला थाना पुलिस सूत्रों के मुताबिक, "दरअसल सतीश और उसकी पत्नी कविता के बीच अक्सर झगड़ा होता था। झगड़े की वजह थी आर्थिक तंगी। सतीश लंबे समय से बेरोजगार था। लिहाजा वो रोजमर्रा के खर्चो के लिए माता-पिता पर आर्थिक रुप से निर्भर रहता था। इस बात को लेकर भी घर में अक्सर चिकचिक रहती थी।"

छाबला पुलिस की मानें तो, "संभव है कि, पत्नी कविता के साथ रोज-रोज की चिक-चिक से तंग सतीश ने तैश में आकर माता-पिता की हत्या कर दी। यह सोचकर कि जब वे ही जिंदा नहीं रहेंगे तो पैसों-प्रॉपर्टी को लेकर कलेश भी नहीं होगा। संभव है, पति सतीश द्वारा ऐसा खतरनाक कदम उठा लिया जाएगा, कविता को इसका गुमान तक न हो। अचानक घर में रात के वक्त पति द्वारा दोहरे हत्याकांड से हतप्रभ पत्नी कविता जब सिर्फ चश्मदीद होने के चलते दोहरे हत्याकांड की आरोपी के बतौर जेल भेजी गई, तो उससे यह सदमा बर्दाश्त ही न हुआ हो। लिहाजा उसने इसे अपनी और अपने मायके वालों की तौहीन समझकर खुद की जान देना ही ज्यादा मुनासिब समझ लिया हो।"

जो भी हो छावला थाना पुलिस ने भले ही चंद घंटों में इलाके में हुए दोहरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली हो, मगर आरोपी कविता की तिहाड़ जेल में पांव रखने के चंद घंटे बाद ही संदिग्ध मौत को भी हल्के में लेकर नहीं भुलाया जा सकता। हालांकि अब सब कुछ निर्भर करेगा, कविता के पति सतीश के बयान पर कि आखिर वे कौन से कारण रहे जिनके चलते उसकी पत्नी आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर हुई? ऐसा तो नहीं कि, गुस्से में माता पिता को ठिकाने लगाने जैसे सतीश द्वारा उठाए गए कदम में कविता की उतनी बड़ी भूमिका ही न रही हो, जितनी जमाने के सामने लाई गई!

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