उपराष्ट्रपति को भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं

इससे पहले कभी मोदी ने मुसलमानों के बारे में इस तरह खुलकर अपने विचारों को प्रकट नहीं किया, लेकिन जिस संघ से उनका रिश्ता है उसके विचार मुसलमानों के बारे में कुछ ऐसे ही हैं।

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी / फोटो : Getty Images
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी / फोटो : Getty Images
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नवजीवन डेस्क

स्वतंत्रता के 70 साल बाद 'स्वतंत्र भारत' में यह एहसास दिलाया जा रहा है कि अब उपराष्ट्रपति भी खुलकर अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकते। और इसका एहसास किसी और ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद देश को दिलाया है। मौका था हामिद अंसारी के उपराष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने का।

मीडिया (समाचार पत्र और न्यूज चैनलों पर) में हामिद अंसारी की विदाई के मौके पर हुए समारोह और उसमें दिए गए भाषणों की खूब चर्चा रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की खास बात यह थी कि उन्होंने हामिद अंसारी कई बार ये एहसास कराया कि वे अल्पसंख्यक हैं और इसी का हिस्सा रहेंगे।

आइए नजर डालते हैं कि नरेंद्नर मोदी अपने भाषणी में क्या कह रहे हैं: '' आपने राजदूत के तौर पर अपने जीवन का लंबा अर्सा खाड़ी देशों में बिताया है। आप ऐसे ही ऐसे ही लोगों के बीच रहे। अपने रिटायरमेंट के बाद भी आप अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति और अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन की हैसियत से ऐसे ही माहौल में रहे। लेकिन पिछले दस वर्षों में आप को एक नई जिम्मेदारी और नया माहौल मिला। इस दौरान आप संविधान से बंधे रहे और उसकी रक्षा करते रहे। शायद इसीलिए आपके अंदर एक बेचैनी और चिंता का एहसास था। लेकिन अब आप यह चिंता नहीं महसूस करेंगे, अब आप स्वतंत्र हैं। और आपको फिर से अवसर मिला है कि आप अपनी मूल मान्यताओं और अधिकारों के अनुसार सोच सकते हैं और काम कर सकते हैं।'

आख़िर मोदी हामिद अंसारी को क्या बताना चाहते थे। कहीं वह ये तो नहीं कह रहे थे कि आप मुसलमान थे, मुसलमानों के बीच रहे, इसीलिए आपकी सोच मुसलमानों जैसी है। सिर्फ दस साल जब आप उपराष्ट्रपति थे तब आप भारतीय की तरह काम कर रहे थे। अगर मोदी यही संकेत दे रहे थे तो इससे ये संदेश भी मिलता है कि मोदी की नज़र में मुसलमान होना ही गुनाह है।

यूं तो इससे पहले कभी नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों के बारे में इस तरह खुलकर अपनी भावनाओं और विचारों को प्रकट नहीं किया, लेकिन जिस आर एस एस से नरेंद्र मोदी का गहरा रिश्ता है उसके विचार मुसलमानों के बारे में जगजाहिर हैं और कुछ ऐसे ही हैं।

आरएसएस मुसलमानों को दूसरे दर्ज का नागरिक मानता रहा है। क्या मोदी जी भी हामिद अंसारी को अलविदा कहते समय मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बारे कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त कर रहे थे? इसका असली जवाब तो खुद प्रधानमंत्री के पास ही होगा। लेकिन इस भाषण के लहजे से आरएसएस विचारधारा की गंध साफ आ रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

काश हमारे प्रधानमंत्री ने हामिद अंसारी को दी गयी विदाई में समारोह की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखा होता।

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Published: 12 Aug 2017, 9:49 AM