अंधेर नगरी, खट्टर राजा....

हरियाणा के पंचकुला, सिरसा और कई शहरों में हिंसा को जो तांडव शुक्रवार को हुआ उसने 31 लोगों की जान ले ली। ऐसा नहीं है कि इस अनहोनी की आशंका किसी को नहीं थी।

नवजीवन ग्राफिक्स
नवजीवन ग्राफिक्स
user

नवजीवन डेस्क

पूरे उत्तर भारत को अंदाजा था कि बलात्कार के 15 साल पुराने मामले में डेरा मुखिया के खिलाफ फैसला आते ही क्या कुछ हो सकता है। लेकिन हरियाणा की खट्टर सरकार कान में तेल डाले और आंखों पर पट्टी बांधे बैठी रही। इन मौतों के आखिर मुजरिम हैं कौन? आइए आपको इनसे मिलवाते हैं :

मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा मुख्यमंत्री को क्या पूरे देश को ये बात पता थी कि डेरा का मुखिया बलात्कार का आरोपी है। इसके बावजूद खट्टर सरकार ने उसे स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसेडर बनाया। अब प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के ब्रांड एंबेसेडर के खिलाफ कार्रवाई का आदेश कैसे देते। हजारों (कुछ लोग तो इन्हें लाखों बता रहे हैं) डेरा के भक्त पंचकुला में जमा होते रहे, लेकिन उन्हें वहां से हटाने के लिए कुछ नहीं किया गया। हां, डेरा के मुखिया से एक अपील जरूर करवाई, वह भी तब, जब पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट और इकट्ठा एसएमएस भेजने की सेवाएं बंद हो चुकी थीं। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने तो मीडिया के सामने आकर कहा कि सेक्टर एक से सेक्टर 21 तक डेरा के भक्तों को हटा दिया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों से स्पष्ट है कि सारे के सारे वहीं जमे हुए थे।

रामविलास शर्मा: हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा बड़े डेरा भक्त हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक हाल ही में राम विलास शर्मा ने डेरा का दौरा किया था और 51 लाख रुपए का चंदा भी दिया था। शर्मा की एक फोटो भी वायरल हो रही है जिसमें वह डेरा मुखिया के सामने दंडवत होते नजर आ रहे हैं। बलात्कार के मामले में अदालत का फैसला आने की तारीख करीब आने पर जब डेरा भक्त जुटने लगे तो इन्होंने कहा था कि “श्रद्धा पर धारा-144 नहीं लगेगी।” उनके इस बयान से अफसरों में भ्रम पैदा हुआ और पुलिस और दूसरे सुरक्षा बलों ने डेरा समर्थकों को हटाने की कोई पहल नहीं की।

एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रामनिवास: इनकी जिम्मेदारी थी कि अगर धारा 144 लगा दी गयी है तो पांच या अधिक व्यक्तियों का एक जगह जमा होना गैर कानूनी है। यहां तो हजारों-लाखों लोग जमा थे और इन्हें पता ही नहीं चला। इनकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अलावा पुलिस और सीआईडी से समन्वय की भी थी।

डीजीपी बी एस संधू : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ आदेश दिए थे कि डेरा समर्थकों को जमा न होने दिया जाए और उन्हें हटाया जाए। सूबे के पुलिस मुखिया होने के नाते ये जिम्मेदारी डीजीपी संधू की थी। लेकिन वह इस जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम रहे। हाईकोर्ट ने गुरुवार यानी हिंसा से एक दिन पहले ही ये आदेश दिए थे, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।

हरियाणा के सीआईडी मुखिया अनिल राव: इनकी जिम्मेदारी थी कि हर छोटी बड़ी जानकारी, खबर और खुफिया इनपुट के आधार पर रणनीति बनाते और सरकार और पुलिस प्रशासन के सामने रखते। जब सारी दुनिया को दिख रहा था कि क्या हो सकता है लेकिन इन्हें समझ नहीं आया। इनके पास सारी जानकारी थी लेकिन इन्होंने किया कुछ भी नहीं।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 26 Aug 2017, 2:48 PM