श्रीलंका में तमिल मूल के अधिकारी को दी गई नौसेना की कमान

श्रीलंका की सरकार ने रियर एडमिरल ट्रैविस सिन्निआह को देश की नौसेना का प्रमुख नियुक्त किया है। लगभग 45 साल बाद तमिल मूल के किसी व्यक्ति को नौसेना की कमान दी गई है।

ट्रैविस सिन्निआह/ फोटो : Twitter
ट्रैविस सिन्निआह/ फोटो : Twitter
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पीटीआई

श्रीलंका में छिड़े बर्बर गृहयुद्ध के लगभग 45 साल बाद किसी तमिल मूल के व्यक्ति को नौसेना की कमान दी गई है। सिन्निआह तमिल मूल के अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।

गृहयुद्ध के दौरान समुद्र में लिट्टे के युद्धपोतों को तबाह करने में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले सिन्निआह को राष्ट्रपति मैत्रीपाल श्रीसेना ने नौसेना प्रमुख नियुक्त किया है। राष्ट्रपति श्रीसेना ने बताया, ‘श्रीलंकाई नौसेना में बेहद वफादारी से अपनी सेवा दे चुके रियर एडमिरल ट्रैविस सिन्निआह ने नए सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लिया है।’

सिन्निआह की नियुक्ति 22 अगस्त से प्रभावी होगी। वह वाइस एडमिरल रवि विजेगुणरत्ने की जगह लेंगे जो नौसेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और जिन्हें श्रीलंका सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया है।

1960 के आखिर में श्रीलंकाई नौसेना के प्रमुख रहे राजन कादिरगमर के बाद सिन्निआह इस पद पर पहुंचने वाले तमिल मूल के दूसरे व्यक्ति होंगे। 1972 में श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में गृहयुद्ध छिड़ने के बाद से लेकर अब तक इस समुदाय का कोई भी अधिकारी इस पद पर नहीं पहुंचा है।

सिन्निआह ने 2007 में इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में लिट्टे के हथियारों की तस्करी करने वाले जहाजों को नेस्तनाबूद करने के लिए चलाए गए अभियान का नेतृत्व किया था। यह श्रीलंकाई नौसेना की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

1982 में नौसेना में शामिल हुए सिन्निआह लिट्टे अलगाववादियों के साथ संघर्ष के दौरान समुद्री अभियानों में सक्रिय रहने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे।

लिट्टे ने अलग तमिल राज्य की स्थापना के लिए श्रीलंका के खिलाफ जंग छेड़ा था, जिसका अंत 2009 में हुआ। लंबे समय से वहां रह रहे तमिल समुदाय के लोग बहुसंख्यक आबादी वाले सिंहला समुदाय द्वारा भेदभाव किए जाने का आरोप लगाते रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार महेंद्रा राजपक्षे के कार्यकाल में सैन्य बलों के हाथों लगभग 40,000 नागरिकों की जान गई। 2009 में राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान ही लिट्टे की हार के साथ इस बर्बर गृहयुद्ध का अंत हुआ था।

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