पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान तो कर दिया, लेकिन वास्तव में सिर्फ 4.2 लाख करोड़ ही होंगे खर्च!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार रात 8 बजे एक बार फिर टीवी पर अवतरीत हुए। इस बार उन्होंने लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार रात 8 बजे एक बार फिर टीवी पर अवतरीत हुए। इस बार उन्होंने लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। लेकिन आर्थिक जानकार ऐलान के साथ ही सवाल उठाने लगे हैं। वो इस बात का पता लगाने में लगे हैं कि वास्तव में सरकार कितना पैसा अपने खजाने से खर्च करने जा रही है। जानकारों का कहना है कि वास्तव में सरकारी खजाने से फिलहाल काफी कम रकम निकलने वाली है।

गौरतलब है कि इसका बड़ा हिस्सा करीब 8.04 लाख करोड़ रुपये का ऐलान भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से फरवरी, मार्च और अप्रैल के महीने में कई तरह से सिस्टम में नकदी बढ़ाने के लिए किया जा चुका है। इसके अलावा मार्च के आखिरी सप्ताह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को भी जोड़ लिया जाए तो फिर 10.26 लाख करोड़ रुपये की रकम ही बचती है। फिलहाल पैकेज के बारे में ज्यादा कुछ बताया नहीं गया है। पीएम मोदी ने कहा कि वित्त मंत्री इस पैकेज के बारे में जल्द ही विस्तार से बताएंगी। आज शाम 4 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाली हैं और उम्मीद है कि वो इसमें पैकेज के बारे में विस्तार से बात करेंगी, लोगों को बताएंगी।

जनसत्ता को सरकार की ओर से जारी किए गए पैकेज के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इस साल पैकेज में से 4.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जारी करना संभव नहीं लगता। तीन दिन पहले ही सरकार की ओर से चालू वित्त वर्ष में बाजार से कर्ज की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जो पहले 7.8 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह से जानकारों का मानना है कि सरकार कर्ज में ली गई 4.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम को ही इस पैकेज के तहत खर्च करने वाली है। खबर के मुताबिक सरकार के पास सिर्फ 4.2 लाख करोड़ रुपए ही नकदी के तौर पर उपलब्ध है। ऐसे में यह पैकेज जीडीपी के 2.1 फीसदी के बराबर ही होगी।


ऐसे में माना जा रहा है कि गरीबों, पलायन करने वाले मजदूरों और किसानों के लिए सरकार 4.2 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ही ऐलान हो सकता है। हालांकि यदि इस पैकेज को भी सही तरीके से खर्च किया जाए तो इसके काफी अच्छे परिणाम हो सकते हैं। खासतौर पर तब जब भारतीय अर्थव्यवस्था बीते 47 दिनों से पूरी तरह से ठप है। ज्यादातर ग्लोबल एजेंसियों ने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के 0.4 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया है।

जनसत्ता की खबर के मुताबिक मोदी सरकार ज्यादा बड़ा पैकेज झेलने में सक्षम नहीं है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार वास्तव में बहुत बड़े आर्थिक पैकेज को अफोर्ड नहीं कर सकती। एक अधिकारी ने कहा कि यह राहत ऐसी ही है कि किसी मरीज को आईसीयू से बाहर निकाला जाए। सरकार के पास इतना बजट नहीं है कि वह खर्च को अप्रत्याशित तौर पर बढ़ा सके। यही नहीं 27 मार्च को जारी किए 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से भी महज 61,380 करोड़ रुपये की रकम ही ऐसी थी, जिसे गरीबों तक पहुंचाया गया है। इसमें भी 17,380 करोड़ रुपये पीएम किसान योजना के तहत ट्रांसफऱ किए गए हैं, जिसका प्रावधान पहले से ही 2020-21 के बजट में तय किया गया था।

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Published: 13 May 2020, 1:31 PM