लाखों बैरल रूसी तेल का निर्यात कर रही अज्ञात भारतीय कंपनी, इसकी उत्पत्ति और स्वामित्व बना रहस्य

गैटिक शिप मैनेजमेंट के पास 2021 में सिर्फ दो टैंकर थे। इस साल अप्रैल तक इसने 1.6 बिलियन डॉलर के अनुमानित मूल्य के साथ 58 जहाजों का एक बेड़ा हासिल कर लिया। फाइनेंशियल टाइम्स ने शिपिंग विशेषज्ञों वेसल्सवैल्यू का हवाला देते हुए ये बात कही।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

मुंबई में नेप्च्यून मैगनेट मॉल से पिछले 18 महीनों में अंतरराष्ट्रीय तेल शिपिंग का एक बड़ा हिस्सा उभरा है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, कंपनी ने कई तेल टैंकर खरीदे हैं। इसके साथ ही यह एक अज्ञात भारतीय शिपिंग व्यवसाय से दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी बन गया है।

गैटिक शिप मैनेजमेंट के पास 2021 में सिर्फ दो टैंकर थे। इस साल अप्रैल तक इसने 1.6 बिलियन डॉलर के अनुमानित मूल्य के साथ 58 जहाजों का एक बेड़ा हासिल कर लिया। फाइनेंशियल टाइम्स ने शिपिंग विशेषज्ञों वेसल्सवैल्यू का हवाला देते हुए ये बात कही। फिर भी इसकी उत्पत्ति और स्वामित्व एक रहस्य का विषय बना हुआ है। इसके कॉपोर्रेट रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं हैं।

द फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस समूह को इस साल 31 मार्च को भारत में एक निर्यातक के रूप में पंजीकृत किया गया, लेकिन यह बात भारत की आधिकारिक कॉपोर्रेट रजिस्ट्री में दर्ज नहीं है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि गैटिक शिप मैनेजमेंट का रजिस्टर्ड पता बुएना विस्टा शिपिंग के साथ मुंबई के इस सुनसान पड़े मॉल में है। बुएना विस्टा शिपिंग भी एक और रहस्यमय ऑपरेशन है जिसने दो साल पहले एक लाख डॉलर मूल्य की संपत्ति की सूचना दी थी।


बुएना विस्टा शिपिंग का मालिक कौन है और किसने गैटिक के बेड़े को तेजी से विस्तार करने में मदद की है? यह बात तेल बाजार को परेशान कर रही है। लेकिन शिपब्रोकर, विश्लेषकों और कमोडिटी व्यापारियों को इसका संदेह है कि इसका सबसे बड़ा ग्राहक रूसी तेल दिग्गज रोस्नेफ्ट है। गैटिक के नए अधिग्रहीत बेड़े का उपयोग बड़े पैमाने पर रूस से तेल परिवहन के लिए किया जाता है, मुख्य रूप से भारत में बंदरगाहों के लिए।

एनालिटिक्स कंपनी केप्लर के डेटा के फाइनेंशियल टाइम्स के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय समूह ने कम से कम 83 मिलियन बैरल रूसी कच्चे तेल और तेल उत्पादों का निर्यात किया है - जो दो महीने से अधिक के लिए यूके की कुल तेल मांग को पूरा कर सकता है। इसमें आधे से ज्यादा रोस्नेफ्ट से आया है। माना जाता है कि कुल आंकड़े केप्लर के डेटा से भी बड़े हैं।

केप्लर के विक्टर कटोना ने रिपोर्ट में कहा, पश्चिम देशों के प्रतिबंधों के बाद यह जरूरी था कि रूसी तेल कंपनियां शिपिंग में शामिल होना चाहेंगी और हमें लगता है कि गैटिक को ऐसा करने के लिए चुना गया है। प्रतिबंधों के बाद, भारत ने रूसी तेल के अपने आयात को बढ़ाने का विकल्प चुना। गतिक का उदय इसी संदर्भ में हुआ है। वेसल्सवैल्यू के रेबेका गैलानोपोलोस के अनुसार, खरीदारी ने गैटिक को दुनिया के सबसे बड़े टैंकर मालिकों में शामिल कर लिया है। इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए, अधिकांश कंपनियां 10 से कम टैंकरों की मालिक हैं, लेकिन गैटिक सहित केवल 20 कंपनियों के पास 50 या उससे अधिक टैंकर हैं।

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