BSNL-MTNL की उम्मीदों पर फिरा पानी, पीएमओ से मंजूरी के बावजूद वित्त मंत्रालय का पैसा देने से इनकार

बीएसएनएल और एमटीएनएल कंपनियों के लिए रिवाइल प्लान की मंजूरी पीएमओ कार्यालय से मिली हुई थी। खबरों के मुताबिक, दूरसंचार कंपनी ने बताया है कि दोनों सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को अगर सरकार बंद करती है तो सरकार को 95 हजार करोड़ का वित्तिय बोझ उठाना पड़ेगा।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) दोनों सरकारी दूरसंचार कंपनियों में भीषण नकदी संकट चल रहा है। दोनों ही कंपनियों का सबसे ज्यादा खर्च वेतन पर ही होता है। अब वित्त मंत्रालय ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के 74 हजार करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज के प्रस्ताव पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही दूरसंचार मंत्रालय से इनके लिए नया प्लान लाने के लिए कहा है।

खबरों के मुताबिक, बीएसएनएल और एमटीएनएल कंपनियों के लिए रिवाइल प्लान की मंजूरी पीएमओ कार्यालय से मिली हुई थी। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार कंपनी ने बताया है कि दोनों सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को अगर सरकार बंद करती है तो सरकार को 95 हजार करोड़ का वित्तिय बोझ उठाना पड़ेगा।


रिपोर्ट के मुताबिक, रिवाइवल पैकेज में प्रस्ताव यह भी था कि पैकेज में कर्मियों की रिटायरमेंट होने वाली उम्र को 60 साल से घटाकर 58 साल किया जाएगा। इसके साथ ही बीएसएनएल के करीब 1.65 लाख कर्मचारियों को वीआरएस भी देना था, जिसमें अच्छे वीआरएस पैकेज का प्रपोजल था।

इसके अलावा रिवाइवल पैकेज में कंपनियों को सुधारने को लेकर भी रणनीति बनाई गई थी। दोनों कंपनियों को पूरे देश में 4जी सेवाओं को शुरू करने के लिए लाइसेंस देने का पैकेज में प्रस्ताव था, जिससे दोनों कंपनियों की वित्तीय हालात में सुधार होती।

हालांकि पीएमओ ने विलय, लोन और संपत्तियों को बेचने के प्रस्ताव पर स्पेशल पर्पज व्हीकल को खड़ा करने के फैसले को टाल दिया है। हालांकि दोनों कंपनियों की संपत्तियों को बेचने या फिर किराये पर देने के एक संयुक्त कमेटी बनाने को मंजूरी दे दी है। खबरों के मुताबिक, सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में बीएसएनएल, दूरसंचार विभाग और विनिवेश विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। अब इन सभी प्रस्तावों को कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

खबरों के मुताबिक, केंद्र की इस मदद से बीएसएनएल को 6365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल को 2120 करोड़ रुपये इस मद के लिए मिलेंगे। इसके एवज में सरकार 10 साल के लिए जारी बांड को गिरवी के तौर पर रखेगी।

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