अर्थव्यवस्था को लेकर कौन सच्चा-कौन झूठा: गडकरी बोलें देश पर आर्थिक संकट, जेटली कहें आंकड़े उत्साहवर्धक

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था संकट में है, क्योंकि तेल की बढ़ती कीमतों और रुपए की गिरती साख ने हालात खराब कर दिए हैं। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली बताते हैं कि अर्थव्यवस्था मजबूत है, इसीलिए हम तेल पर एक्साइज़ ड्यूटी घटा रहे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश की अर्थव्यवस्था संकट में है...

देश की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, और सरकार का राजस्व ठीकठाक है....

इन दोनों वाक्यों का विरोधाभास किसी को भी उलझन में डाल सकता है। दोनों ही वाक्य सत्य हैं, बशर्ते सरकार के मंत्री सत्य बोलते हों तो...

पहला बयान है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का, जो कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था संकट में है, क्योंकि तेल की बढ़ती कीमतों और रुपए की गिरती साख ने हालात खराब कर दिए हैं। वहीं दूसरा बयान वित्त मंत्री अरुण जेटली का है जो कह रहे हैं कि अर्थव्यवस्था मजबूत है और राजस्व का मोर्चा तंदुरुस्त है, इसीलिए हम तेल पर एक्साइज़ शुल्क घटा रहे हैं।

सबसे पहले बात कर लेते हैं नितिन गडकरी की। समाचार एजेंसी रायटर ने टीवी चैनलों के हवाले से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान जारी किया। एजेंसी ने कहा कि नितिन गडकरी के मुताबिक तेल की बढ़ती कीमतें और रुपए में कमजोरी के चलते देश में आर्थिक संकट की स्थिति है। नितिन गडकरी का यह बयान ऐसे वक्त में आया था जब रुपए की गिरती हालत, बढ़ता व्यापार घाटा और तेल के दामों पर अंतर मंत्रालय बैठक होने वाली थी।

मोदी सरकार के मंत्री का यह बयान सबूत है कि देश की अर्थव्यवस्था किस दशा में जा रही है। गौरतलब है कि गुरुवार को रुपए ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 73.81 रुपए का आंकड़ा छू लिया था। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। ध्यान देना होगा कि इस साल अब तक रुपये में करीब 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है, और देश के शेयर बाज़ारों में हाहाकार मचा हुआ है और बीते एक-सवा महीने में निवेशकों को करीब 15 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है।

लेकिन, क्या नितिन गड़करी देश की आर्थिक सेहत की सही तस्वीर बता रहे हैं?

मोदी सरकार के वित्त मंत्री को तो ऐसा कुछ नहीं लगता। गुरुवार दोपहर को जब वित्त मंत्री मीडिया से मुखातिब हुए तो वे बेहद सहज नज़र आ रहे थे। न चेहरे पर कोई शिकन, और न ही आम लोगों की दिक्कतों को लेकर कोई चिंता। उन्होंने रुपए की कमजोरी, शेयर बाजारों की गिरावट और पेट्रोल-डीज़ल के दामों में बढ़ोत्तरी के लिए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय हालात को जिम्मेदार ठहरा दिया।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आंकड़े पेश किए और कहा कि अर्थव्यवस्था के सारे घरेलू संकेत मजबूती का इशारा करते हैं। हालं चालू खाते का घाटा कुछ गड़बड़ है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा बाकी जितने भी आंकड़ें हैं काफी उत्साहवर्धक हैं। जेटली ने कहा कि महंगाई और वित्तीय घाटा काबू में और सीमा के अंदर है। उन्होंने कहा कि इसी मजबूती के आधार पर हमने तय किया कि देश के लोगों को थोड़ी राहत दे दी जाए। इसके बाद उन्होंने पेट्रोल-डीज़ल को 2.50 रुपए प्रति लीटर सस्ता करने का ऐलान किया।

उन्होंने बताया कि इस ढाई रुपए में से 1.50 रुपया केंद्र सरकार एक्साइज़ कम करेगी और 1 रुपया तेल मार्केटिंग कंपनियां अपना मार्जिन कम करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे राज्य सरकारों से अपील करेंगे कि वे भी अपने यहां 2.50 रुपए प्रति लीटर की कटौती करें ताकि आम लोगों को कुल 5 रुपए प्रति लीटर सस्ता तेल मिल सके।

यहां वित्त मंत्री यह बताना भूल गए कि वित्तीय घाटे के कुछ हजार करोड़ रुपए के लिए तेल कंपनियों की शेयर बाजार में क्या हालत हुई। वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद कि 2.50 रुपए कटौती में से एक रुपया तेल कंपनियां वहन करेंगी, सभी तेल कंपनियों के शेयरों में 10 से 15 फीसदी की गिरावट आई। इस गिरावट को जोड़ें तो इन कंपनियों की बाजार मूल्य मोटा-मोटी करीब 50,000 करोड़ रुपए घट गया। लेकिन वित्त मंत्री की नजर में अर्थव्यवस्था में सब ठीक है।

तो क्या नितिन गडकरी सही कह रहे हैं कि देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है?

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