अर्थतंत्र की खबरें: सीमा पर तनाव बढ़ने से निवेशकों ने अपनाया सतर्क रुख और बिक जाएगी YES Bank?
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से निवेशकों के सतर्क रुख अपनाने के कारण मंगलवार को स्थानीय शेयर बाजारों में गिरावट रही।

बैंकिंग एवं पेट्रोलियम शेयरों में मुनाफावसूली आने और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से निवेशकों के सतर्क रुख अपनाने के कारण मंगलवार को स्थानीय शेयर बाजारों में गिरावट रही। सेंसेक्स 156 अंक फिसल गया, जबकि निफ्टी में 82 अंक की गिरावट दर्ज की गई।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स दो दिन की बढ़त को रोकते हुए 155.77 अंक यानी 0.19 प्रतिशत गिरकर 80,641.07 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 315.81 अंक गिरकर 80,481.03 अंक पर आ गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी 81.55 अंक यानी 0.33 प्रतिशत गिरकर 24,379.60 अंक पर बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि नीतिगत दर पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निर्णय से पहले और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता पर चिंताओं से कारोबारी गतिविधियां सीमित दायरे में रहीं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है।
परमाणु संयंत्रों, सैन्य ठिकानों, रिफाइनरियों और पन बिजली बांध जैसे संवेदनशील प्रतिष्ठानों वाले करीब 300 ‘नागरिक सुरक्षा जिलों’ में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन, ‘शत्रुतापूर्ण हमले’ के लिए नागरिक प्रशिक्षण और बंकरों और खाइयों की सफाई पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा।
सेंसेक्स की कंपनियों में इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), टाटा मोटर्स, भारतीय स्टेट बैंक, अदाणी पोर्ट्स, एनटीपीसी, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, एक्सिस बैंक और सन फार्मा में सबसे ज्यादा गिरावट आई।
दूसरी तरफ, भारती एयरटेल, टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले और मारुति के शेयरों में तेजी का रुख रहा।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “भारत-पाकिस्तान सीमा तनाव के बीच सतर्क भावना से प्रेरित मजबूत वापसी के बाद हाल के सत्रों में घरेलू बाजार प्रभावित हो रहा है। चालू तिमाही के लिए कमजोर नतीजों ने भी बाजार को और प्रभावित किया है।”
उन्होंने कहा, “इस बीच, निवेशक अमेरिका के साथ भारत की द्विपक्षीय व्यापार वार्ता पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व को लेकर अटकलें भी ध्यान आकर्षित कर रही हैं, क्योंकि निकट भविष्य में दरों में कटौती की कोई उम्मीद नहीं है, जिससे वैश्विक रुझान प्रभावित हो रहे हैं।”
मंगलवार को जारी मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रैल में भारत के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में थोड़ी तेजी आई, जिसका मुख्य कारण नए ऑर्डर का प्रवाह बढ़ना था, तथा रोजगार में भी तेजी से विस्तार हुआ।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शोध प्रमुख (धन प्रबंधन) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आगामी ब्याज दर निर्णय को लेकर अनिश्चितता के कारण बाजार में अस्थिरता और बढ़ गई है।”
बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 2.33 प्रतिशत तथा मिडकैप सूचकांक में 2.16 प्रतिशत की गिरावट आई।
एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ बंद हुए। दक्षिण कोरियाई और जापानी बाजार छुट्टियों के कारण बंद रहे।
यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार सोमवार को नकारात्मक दायरे में बंद हुए थे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 497.79 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 2.76 प्रतिशत उछलकर 61.85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 294.85 अंक चढ़कर 80,796.84 अंक पर और एनएसई निफ्टी 114.45 अंक बढ़कर 24,461.15 अंक पर बंद हुआ था।
जापान की एसएमबीसी के साथ शुरुआती चरण में हिस्सेदारी बेचने की बातचीत : यस बैंक
प्राइवेट सेक्टर के ऋणदाता येस बैंक ने मंगलवार को कहा कि जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्प (एसएमबीसी) के साथ हिस्सेदारी बिक्री के लिए बातचीत फिलहाल प्रारंभिक चरण में है।
यस बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, "ऐसी चर्चाएं प्रारंभिक चरण में हैं और सेबी (लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स) रेगुलेशन, 2015 के विनियमन 30 के तहत इस चरण में डिस्क्लोजर की आवश्यकता नहीं है।"
मुंबई मुख्यालय वाले निजी क्षेत्र के बैंक ने यह भी कहा कि वह नियमित रूप से शेयरधारक मूल्य बढ़ाने के उद्देश्य से अवसरों की खोज करता है।
येस बैंक का बयान मीडिया रिपोर्ट्स के जवाब में आया कि वह एसएमबीसी को महत्वपूर्ण हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत कर रहा है, जो महीनों की बातचीत के बाद अंतिम चरण में पहुंच गई है।
इस कदम से सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार, येस बैंक में अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए एक खुली पेशकश शुरू होने की उम्मीद है।
मंगलवार को सुबह के कारोबार में येस बैंक के शेयर में 8 प्रतिशत से अधिक की उछाल आया, क्योंकि ऐसी खबरें आई थीं कि हिस्सेदारी बिकने वाली है।
हालांकि, बाद में शेयर की कीमत 1.5 प्रतिशत बढ़कर बंद होने के साथ ही अधिकांश लाभ समाप्त हो गया।
सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एसबीआई एसएमबीसी को 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने में रुचि रखती है। एसबीआई की येस बैंक में 23.97 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
एसबीआई उन बैंकों के संघ का हिस्सा था, जिन्होंने 2020 में येस बैंक को बचाने के लिए हिस्सेदारी खरीदी थी, जब यह पतन के कगार पर था।
यह कदम आरबीआई द्वारा उठाया गया था, जिसने प्रमोटर से जुड़े वित्तीय घोटाले के मद्देनजर नकदी संकट के बाद येस बैंक का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था।
एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और एचडीएफसी बैंक जैसे दूसरे बैंकों से भी येस बैंक से बाहर निकलने के हिस्से के रूप में अपने कुछ शेयर एसएमबीसी को बेचने की उम्मीद है।
येस बैंक ने 31 मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही में सालाना आधार पर शुद्ध लाभ में 63.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो बढ़कर 738.1 करोड़ रुपए हो गया। यह पिछले साल की समान तिमाही में बैंक का शुद्ध लाभ 451.9 करोड़ रुपए रहा।
चौथी तिमाही के कमजोर नतीजों के कारण बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर में 11 प्रतिशत की गिरावट
सार्वजनिक क्षेत्र के 'बैंक ऑफ बड़ौदा' का वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए कमजोर वित्तीय प्रदर्शन रहा, जिसके कारण मंगलवार को बैंक के शेयरों में 10.91 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 5,048 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो कि सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत की वृद्धि रही। बैंक का शुद्ध लाभ तीसरी तिमाही में 4,886 करोड़ रुपए था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के चौथी तिमाही के शुद्ध लाभ में मामूली वृद्धि उच्च प्रावधानों और कमजोर शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) के कारण हुई।
बैंक ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 11,020 करोड़ रुपए का शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) दर्ज किया, जो एक साल पहले की समान अवधि में दर्ज 11,793 करोड़ रुपए से 6.6 प्रतिशत कम है।
तिमाही आधार पर भी एनआईआई कमजोर रहा क्योंकि यह वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 11,417 करोड़ रुपए से कम रहा।
बैंक का घरेलू शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) तिमाही आधार पर 3.11 प्रतिशत से घटकर 3.02 प्रतिशत हो गया। बैंक का परिचालन लाभ वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में दर्ज 8,106 करोड़ रुपए की तुलना में वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 8,132 करोड़ रुपए पर स्थिर रहा।
वित्त वर्ष 2025 में बैंक का ग्रॉस एनपीए 12.6 प्रतिशत घटकर 27,835 करोड़ रुपए हो गया और ग्रॉस एनपीए अनुपात वित्त वर्ष 2024 के 2.92 प्रतिशत से सुधरकर वित्त वर्ष 2025 में 2.26 प्रतिशत हो गया।
वित्त वर्ष 2024 में 0.68 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में बैंक का शुद्ध एनपीए अनुपात 0.58 प्रतिशत रहा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के पास मार्च 2025 के अंत में 14.72 ट्रिलियन रुपए की कुल जमा राशि थी, जो पिछले साल की तुलना में 10.3 प्रतिशत और तिमाही दर तिमाही 4.9 प्रतिशत अधिक थी।
ग्लोबल एडवांस सहित कुल अग्रिम 12.30 ट्रिलियन रुपए थे, जो पिछले साल की तुलना में 12.8 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 4.9 प्रतिशत अधिक थे।
बोर्ड ने अपेक्षित अप्रूवल के अधीन 418 प्रतिशत का लाभांश घोषित करने की सिफारिश की है।
बीओबी के ग्लोबल एडवांसेस में पिछले साल की तुलना में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और मजबूत रिटेल लोन बुक वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2025 में डोमेस्टिक एडवांसेस में 13.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मूडीज ने 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का लगाया अनुमान
मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और उम्मीद जताई है कि 2026 में देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और यह 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करेगी।
मूडीज का पूर्वानुमान आईएमएफ के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो भारत को 2025 में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज करने वाली दुनिया की एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में देखता है।
मूडीज ने अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक के मई अपडेट में कहा, "वैश्विक आर्थिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता का असर उपभोक्ता, व्यवसाय और वित्तीय गतिविधियों पर पड़ने की संभावना है।"
रेटिंग एजेंसी ने पहले भारत के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था।
मूडीज ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ को लेकर कटौती के बावजूद भी नीति अनिश्चितता और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव वैश्विक व्यापार और निवेश को प्रभावित कर सकते हैं, जिसका असर जी-20 देशों पर भी पड़ सकता है।
व्यापार अनिश्चितताओं के अलावा, बढ़ते तनाव से विकास पर असर पड़ने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव बेसलाइन पूर्वानुमानों के लिए एक और संभावित नकारात्मक जोखिम है।
हाल के दिनों में, दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान और दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच तनाव बढ़ गया है। मूडीज ने कहा कि ये देश भी अब रूस और यूक्रेन में अनसुलझे युद्धों की तरह आपसी तनाव में उलझ गए हैं।
इसमें कहा गया है, "निवेशकों और व्यवसायों की लागत बढ़ने की संभावना है।"
मूडीज को उम्मीद है कि भारत की मुद्रास्फीति दर 2025 में 4 प्रतिशत और 2026 में 4.3 प्रतिशत रहेगी, जिससे देश के मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल को मजबूती मिलेगी और आरबीआई के पास विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने के लिए अधिक गुंजाइश होगी।
मूडीज ने कहा, "उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों के लिए फेड की नीति का मार्ग उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना पिछले साल इस समय था। दूसरे उभरते देशों में, हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक विकास को समर्थन देने के लिए दरों को और कम करेगा।"
आरबीआई ने अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के मद्देनजर वैश्विक व्यापार और नीति अनिश्चितताओं के बीच 2025-26 में भारत के लिए 6.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा, "सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अनिश्चितता अपने आप में व्यवसायों और परिवारों के निवेश और खर्च के निर्णयों को प्रभावित कर विकास को धीमा कर देती है। दूसरा, ट्रेड फ्रिक्शन के कारण वैश्विक विकास पर पड़ने वाला असर घरेलू विकास को बाधित करेगा। तीसरा, उच्च टैरिफ का शुद्ध निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।"
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अब 6.5 प्रतिशत अनुमानित है।
भारत में 2032 तक 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन होंगे: रिपोर्ट
भारत में 2032 तक सबसे अच्छी स्थिति में भी 12.3 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सड़कों पर होंगे। मंगलवार को जारी इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (आईईएसए) और कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस (सीईएस) की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण अनुकूल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम और 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की आवश्यकता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और 2030 के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्य- 30 प्रतिशत ईवी को समर्थन किया जा सकेगा।
इस तीव्र वृद्धि को सहायक सरकारी नीतियों, जैसे कि फेम-2 योजना द्वारा बढ़ावा मिला है, जो सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे के लिए पूंजी सब्सिडी के साथ-साथ इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए मांग प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह राष्ट्रीय ईवी लक्ष्य (एनईवी) परिदृश्य के अनुरूप है, जो पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एनईवी परिदृश्य ‘ईवी30एट30’ महत्वाकांक्षा पर आधारित है, जिसमें यह माना गया है कि 2030 तक, इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए ईवी की पहुंच 80 प्रतिशत, निजी इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों के लिए 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक कारों के लिए 70 प्रतिशत और इलेक्ट्रिक बसों के लिए 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। यह परिवहन विद्युतीकरण के लिए नीति आयोग के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।
‘भारत इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर मार्केट ओवरव्यू’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में देश के बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परिदृश्य पर इस बदलाव के संभावित प्रभाव को रेखांकित किया गया है।
रिपोर्ट ने बताया गया कि भारत में 2024 में सड़कों पर ईवी खंड में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 93 प्रतिशत से अधिक रही।
इसके विपरीत, इलेक्ट्रिक चारपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग छह प्रतिशत थी, जबकि इलेक्ट्रिक बस और ट्रक की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी।
उल्लेखनीय रूप से, व्यक्तिगत इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन (ई4डब्ल्यू) खंड देश के विस्तारित निजी और घरेलू चार्जिंग पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख चालक के रूप में उभरा है।
सीईएस के प्रबंध निदेशक (एमडी) विनायक वलिम्बे ने कहा, “साल 2032 तक, आईईएसए और सीईएस का अनुमान है कि भारत का सड़क पर चलने वाला ईवी की संख्या लगभग 4.9 करोड़ (सबसे खराब स्थिति में), छह करोड़ (सामान्य कारोबार) या 12.3 करोड़ (एनईवी परिदृश्य) तक पहुंच सकती है।”
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में, सड़क पर लगभग 2,20,000 व्यक्तिगत इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन (ई4डब्ल्यू) होंगे, जिनमें से अधिकांश आवासीय क्षेत्रों में स्थापित टाइप-2 एसी चार्जर पर निर्भर होंगे।
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