अर्थतंत्र की खबरें: सोना-चांदी में फिर लौटी तेजी, चांदी में 12,000 रुपए की उछाल और बजट की तैयारियां हुईं तेज
सोने और चांदी में फिर से शानदार तेजी दिखाई दी। इससे पहले के सत्र में रिकॉर्ड ऊंचाई से गिरने के बाद दोनों कीमती धातुओं में उछाल देखने को मिली।

हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को घरेलू वायदा बाजार में सोने और चांदी में फिर से शानदार तेजी दिखाई दी। इससे पहले के सत्र में रिकॉर्ड ऊंचाई से गिरने के बाद दोनों कीमती धातुओं में उछाल देखने को मिली।
खबर लिखे जाने तक मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी 12,298 रुपए यानी 5.48 प्रतिशत की उछाल के साथ 2,36,727 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। वहीं फरवरी डिलीवरी वाला सोना 1,382 रुपए यानी 1.02 प्रतिशत बढ़कर 1,36,324 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया। कारोबारी सत्र के दौरान चांदी ने 2,36,980 रुपए का तो सोने ने 1,36,403 रुपए का इंट्रा डे हाई बनाया।
वैश्विक बाजारों में सोमवार को सोने की कीमतों में गिरावट आई। स्पॉट गोल्ड 4.5 प्रतिशत गिरकर 4,330.79 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जबकि फरवरी डिलीवरी वाला अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स 4.6 प्रतिशत गिरकर 4,343.60 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।
इससे पहले तेजी के दौरान सोना 4,584 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था और चांदी 82.67 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंची थी, लेकिन बाद में दोनों धातुएं अपनी बढ़त बनाए नहीं रख पाईं।
विशेषज्ञों के अनुसार, गिरावट की वजह ज्यादा खरीदी (लॉन्ग पोजीशन), शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (सीएमई) द्वारा मार्जिन बढ़ाना और छुट्टियों के कारण कम कारोबार होना रहा, जिससे कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव हुआ।
हालांकि, सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) के रूप में सोना-चांदी की मांग अभी बनी हुई है। रूस और यूक्रेन से जुड़े तनाव और अमेरिका-वेनेजुएला के बीच तनाव के कारण निवेशक अब भी इन धातुओं में रुचि दिखा रहे हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि चांदी की कीमतों को कम उपलब्धता और बाजार में कम स्टॉक का सहारा मिल रहा है। सोने के पास बड़ा रिजर्व होता है, लेकिन चांदी के पास ऐसा कोई बड़ा भंडार नहीं है, जिससे इसकी कीमत जल्दी ऊपर नीचे होती है।
केंद्रीय बजट की तैयारियां हुईं तेज, पीएम मोदी करेंगे देश के शीर्ष अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से चर्चा
बजट 2026-27 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से मुलाकात करने वाले हैं। इस बैठक में वह बजट को लेकर उनकी राय और सुझाव जानेंगे।
यह बैठक सरकार द्वारा बजट से पहले की जा रही चर्चाओं का हिस्सा है। इसमें अर्थशास्त्रियों और अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम और अन्य सदस्य भी शामिल हो सकते हैं।
इस बैठक का उद्देश्य देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विशेषज्ञों के विचार जानना है, ताकि सरकार सही आर्थिक फैसले ले सके।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को बजट पेश कर सकती हैं। यह बजट ऐसे समय में आएगा, जब दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के टैरिफ जैसे मुद्दे मौजूद हैं।
बजट की तैयारी के लिए वित्त मंत्री पहले ही कई अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों से चर्चा कर चुकी हैं। ये बैठकें हर साल बजट से पहले की जाती हैं।
हाल के दिनों में सरकार ने बैंकिंग, होटल, आईटी और स्टार्टअप्स जैसे क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की है। इसके अलावा कृषि, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विकास को बढ़ावा देने और रोजगार व आमदनी बढ़ाने पर भी चर्चा की गई है।
इसी बीच, देश के बड़े उद्योग संगठन सीआईआई (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) ने बजट 2026-27 के लिए चार मुख्य सुझाव दिए हैं। इनमें कर्ज को नियंत्रित रखना, सरकारी खर्च में पारदर्शिता, ज्यादा राजस्व जुटाना और खर्च को सही तरीके से करना शामिल है।
भारत का घरेलू एयर ट्रैफिक नवंबर में 7 प्रतिशत बढ़ा, इंडिगो का मार्केट शेयर गिरा
भारत का घरेलू एयर ट्रैफिक नवंबर 2025 में सालाना आधार पर 7 प्रतिशत बढ़कर 15.2 मिलियन तक पहुंच गया है। इसमें बढ़ोतरी की वजह फेस्टिव सीजन की मांग होना है। यह जानकारी मंगलवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया कि इंडिगो की उड़ानों में आई परेशानी के बाद दिसंबर 2025 के मध्य में ऑपरेशन सामान्य हो गए थे। हालांकि, मौसमी कारणों ने ऑन-टाइम परफॉरमेंश (ओटीपी) और कैंसिलेशन पर दबाव बनाया है।
हालांकि, दिसंबर 2025 तक के डेली ट्रेंड से पता चलता है कि साल-दर-साल आधार पर वृद्धि दर सपाट रही है, इसकी मुख्य वजह महीने के पहले 15 दिन में इंडिगो के ऑपरेशन में लगातार परेशानियां बने रहना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिगो को मौसम, सॉफ्टवेयर की समस्याओं और फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियमों को लागू करने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिससे नवंबर-25 में उसका मार्केट शेयर महीने-दर-महीने आधार पर 200 आधार अंक गिरकर 63.6 प्रतिशत हो गया।
इस दौरान स्पाइसजेट का मार्केट शेयर 110 आधार अंक बढ़कर 3.7 प्रतिशत हो गया है। इसकी वजह अतिरिक्त स्लॉट, फ्लीट का विस्तार होना और विंटर शेड्यूल में अधिक सीट किलोमीटर उपलब्ध होना है। एयर इंडिया का भी मार्केट शेयर 100 आधार अंक बढ़कर 26.7 प्रतिशत हो गया है। 88.7 प्रतिशत और 87.7 प्रतिशत रहा और अकासा ने 93.8 प्रतिशत का पीएलएफ दर्ज किया।
भारतीय शेयर बाजार सपाट बंद, बैंकिंग शेयरों में तेजी
भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में सपाट बंद हुआ। दिन के अंत में सेंसेक्स 20.46 अंक की गिरावट के साथ 84,675.08 और निफ्टी 3.25 अंक की कमजोरी के साथ 25,938.85 पर था।
बाजार को संभालने का काम बैंकिग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 0.41 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,171.25 पर बंद हुआ। इसके अलावा ऑटो, पीएसयू बैंक और मेटल शेयरों में तेजी देखी गई।
दूसरी तरफ आईटी, फार्मा, एफएमसीजी, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुआ।
स्मॉलकैप और मिडकैप भी हल्की गिरावट के साथ कारोबार हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.15 प्रतिशत या 87.05 अंक की गिरावट के साथ 59,914.25 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.28 प्रतिशत या 48.75 अंक की कमजोरी के साथ 17,518.95 पर बंद बुआ।
सेंसेक्स पैक में टाटा स्टील, एमएंडएम, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, भारतीय एयरटेल, एसबीआई, एलएंडटी, मारुति सुजुकी, अदाणी पोर्ट्स और सन फार्मा गेनर्स थे। इटरनल (जोमैटो), इंडिगो, इन्फोसिस, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फाइनेंस, एचसीएल टेक, आईटीसी, टाइटन और ट्रेंट लूजर्स थे।
व्यापक बाजार में कमजोरी बनी हुई है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,918 शेयर हरे निशान में; 2,260 शेयर लाल निशान में और 169 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए हैं।
बाजार के जानकारों ने कहा कि घरेलू बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है। सकारात्मक वैश्विक माहौल होने के बाद भी कुछ चुनिंदा सेक्टर में ही खरीदारी देखने को मिली। एफआईआई की लगातार बिकवाली के कारण बाजार पर दबाव बना हुआ है। आने वाले समय में बाजार एक सीमित दायरे में कारोबार कर सकता है। इसकी वजह भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता के नतीजे में देरी और तीसरी तिमाही के नतीजों का इंतजार है।
रुपया 14 पैसे की बढ़त के साथ 89.84 प्रति डॉलर पर
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे की बढ़त के साथ 89.84 (अस्थायी) पर बंद हुआ। मुख्य रूप से भारतीय रिजर्व बैंक की डॉलर की बिक्री से रुपया लाभ में रहा।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि मजबूत औद्योगिक उत्पादन आंकड़ों ने स्थानीय मुद्रा को सहारा दिया। हालांकि मजबूत डॉलर, वैश्विक कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी ने तेज वृद्धि को सीमित कर दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 89.98 पर खुला। कारोबार के दौरान 89.72 से 89.98 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करता रहा। अंत में 89.84 (अस्थायी) पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 14 पैसे की तेजी है। रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.98 पर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘ रुपया का रुख सुबह से ही कमजोर रहा लेकिन बाद में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की लगातार डॉलर बिक्री से इसमें मजबूती आई और यह 89.72 तक पहुंच गया। इसके बाद खरीदारों की वापसी हुई और उन्होंने डॉलर की खरीदारी की। हाल के दिनों में रुपया 89.50 से 90 के दायरे में बना हुआ है। फिलहाल आरबीआई 90 के स्तर का बचाव करता दिख रहा है...।’’
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत की बढ़त के साथ 97.99 पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार के मोर्चे पर सेंसेक्स 20.46 अंक टूटकर 84,675.08 अंक पर जबकि निफ्टी 3.25 अंक फिसलकर 25,938.85 अंक पर बंद हुआ।