अर्थतंत्र की खबरें: थोक महंगाई दर पर आई रिपोर्ट और सोना 1.37 लाख के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

मंत्रालय की ओर से बताया गया कि प्राथमिक वस्तुओं में थोक महंगाई दर सालाना -2.93 प्रतिशत, ईंधन और ऊर्जा में थोक महंगाई दर सालाना आधार पर -2.27 प्रतिशत रही है। इसके अलावा, नवंबर में फूड इंडेक्स की दर -2.60 प्रतिशत रही है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

थोक महंगाई दर नवंबर में -0.32 प्रतिशत रही है। इसके नकारात्मक दायरे में रहने की वजह खाद्य उत्पादों, मिनरल ऑयल, क्रूड पेट्रोलियम, नेचुरल गैस, मैन्युफैक्चर ऑफ बेसिक मेटल और इलेक्ट्रिसिटी की कीमतें कम होना है। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को दी गई।

मंत्रालय की ओर से बताया गया कि प्राथमिक वस्तुओं में थोक महंगाई दर सालाना -2.93 प्रतिशत, ईंधन और ऊर्जा में थोक महंगाई दर सालाना आधार पर -2.27 प्रतिशत रही है। इसके अलावा, नवंबर में फूड इंडेक्स की दर -2.60 प्रतिशत रही है।

सरकार की ओर से बताया गया कि नवंबर में मिनरल में थोक महंगाई दर मासिक आधार पर 4.50 प्रतिशत, खाद्य उत्पादों की कीमतों में मासिक आधार पर महंगाई दर 2.5 प्रतिशत और गैर-खाद्य पदार्थों में थोक महंगाई दर 1.28 प्रतिशत रही है।

वहीं, कच्चे तेल और नेचुरल गैस में थोक महंगाई दर नवंबर में अक्टूबर 2025 में -1.62 प्रतिशत रही है।

इससे पहले शुक्रवार को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने बताया था कि भारत में खुदरा महंगाई दर नवंबर में 0.71 प्रतिशत रही है, जो कि अक्टूबर की महंगाई दर 0.25 प्रतिशत से 46 आधार अंक अधिक है।

मंत्रालय ने बताया कि नवंबर में शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर 1.40 प्रतिशत रही है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर 0.10 प्रतिशत रही है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में खाद्य महंगाई दर -3.91 प्रतिशत रही है। ग्रामीण इलाकों में खाद्य महंगाई दर -4.05 प्रतिशत है, जबकि शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर -3.60 प्रतिशत रही है।

नवंबर में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले अनाज की कीमत में 0.10 प्रतिशत, मांस और मछली की कीमत में 2.50 प्रतिशत, अंडों की कीमत में 3.77 प्रतिशत, दूध और उससे जुड़े उत्पादों की कीमतों में 2.45 प्रतिशत, ऑयल और फैट की कीमतों में 7.87 प्रतिशत, फलों की कीमतों में 6.87 प्रतिशत, चीनी और उससे जुड़े उत्पादों की कीमतों में 4.02 प्रतिशत और गैर अल्कोहल पेय पदार्थों की कीमतों में 2.92 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।

सोना 4,000 रुपये उछलकर 1.37 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर

मजबूत वैश्विक संकेतों के बीच सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोना 4,000 रुपये बढ़कर 1,37,600 रुपये प्रति 10 ग्राम के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह कहा। शुक्रवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,33,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (अनुसंधान विश्लेषक...जिंस और मुद्रा) जतिन त्रिवेदी ने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय हाजिर बाजार में सोना के 4,350 अमेरिकी डॉलर के स्तर की ओर बढ़ने के साथ ही घरेलू बाजार में तेज उछाल देखने को मिला। इससे सोने की कीमतें नयी ऊंचाई पर पहुंच गईं।''

उन्होंने कहा कि पीली धातु ने वैश्विक मजबूती को दर्शाते हुए तेज बढ़त के साथ एक नया सर्वकालिक उच्च स्तर छू लिया। इससे पहले 17 अक्टूबर को सोना 1,34,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया था।

त्रिवेदी ने कहा, ''यह तेजी सुरक्षित निवेश की मांग और इस सप्ताह जारी होने वाले अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों को लेकर बनी उम्मीदों के कारण आई है। अब ध्यान पूरी तरह अमेरिकी वृहत आर्थिक संकेतों पर है, जिससे अस्थिरता ऊंची बनी रहने की संभावना है।''

इस साल अब तक सोने की कीमतों में 58,650 रुपये यानी 74.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सोने का भाव 31 दिसंबर 2024 को 78,950 रुपये प्रति 10 ग्राम था।

दूसरी ओर, संघ के अनुसार चांदी की कीमतें सभी करों सहित 1,99,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रहीं। इस साल अब तक चांदी की कीमतों में 1,09,800 रुपये यानी 122.41 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इसका भाव 31 दिसंबर 2024 को 89,700 रुपये प्रति किलोग्राम था।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने का हाजिर भाव लगातार पांचवें सत्र में बढ़ा और यह 49.83 अमेरिकी डॉलर यानी 1.16 प्रतिशत बढ़कर 4,350.06 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।

पिछले पांच सत्रों में पीली धातु में कुल 159.32 अमेरिकी डॉलर यानी 3.80 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इस बीच, विदेशी बाजारों में चांदी का हाजिर भाव दो अमेरिकी डॉलर यानी 3.24 प्रतिशत की बढ़त के साथ 63.96 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।


अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे टूटकर अबतक के सबसे निचले स्तर 90.74 पर

अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सोमवार को 25 पैसे फिसल कर 90.74 (अस्थायी) प्रति डॉलर के अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। भारत–अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली के चलते रुपये में गिरावट आई।

एक समय यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.80 तक आ गया था।।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि जोखिम से बचने की धारणा और आयातकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग ने निवेशकों की धारणाओं को और कमजोर किया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 90.53 पर खुला, लेकिन बाद में फिसलते हुए कारोबार के दौरान 90.80 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया, जो उसके पिछले बंद भाव से 31 पैसे की गिरावट है।

कारोबार में अंत में यह 25 पैसे टूटकर 90.74 (अस्थायी) के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। भारतीय मुद्रा शुक्रवार को 17 पैसे गिरकर 90.49 पर बंद हुई थी।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ''रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है और एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। विदेश व्यापार के अपेक्षा से बेहतर आंकड़ों के बावजूद रुपये को कोई समर्थन नहीं मिल सका।''

परमार ने कहा, ''इस कमजोरी का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा असंतुलन है। इसका कारण आयातकों की ओर से डॉलर की ऊंची मांग और लगातार पूंजी निकासी है।''

उन्होंने कहा कि निकट अवधि में हाजिर बाजार में रुपये पर दबाव बना हुआ है। इसे प्रमुख रूप से 90.95 पर प्रतिरोध और 90.50 पर समर्थन स्तर है।

इस बीच, वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच मसौदा व्यापार समझौता बहुत जल्द हो सकता है, हालांकि उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.32 पर था।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.21 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61.25 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 1,114.22 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

भारतीय शेयर बाजार सपाट बंद, एफएमसीजी शेयरों में खरीदारी हुई

भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में सपाट बंद हुए। दिन के अंत में सेंसेक्स 54.30 अंक या 0.06 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 85,213.36 पर और सेंसेक्स 19.65 अंक या 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 26,027.30 पर था।

सत्र के दौरान बाजार को ऊपर खींचने का काम एफएमसीजी और सरकारी बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी एफएमसीजी 0.69 प्रतिशत, निफ्टी पीएसयू बैंक 0.46 प्रतिशत, निफ्टी मेटल 0.16 प्रतिशत, निफ्टी प्राइवेट बैंक 0.06 प्रतिशत की मजबूती के साथ बंद हुए।

दूसरी तरफ निफ्टी ऑटो 0.91 प्रतिशत, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज 0.25 प्रतिशत, निफ्टी फार्मा 0.39 प्रतिशत और निफ्टी सर्विसेज 0.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी मिलाजुला कारोबार देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 70.50 अंक या 0.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60,212.80 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 35.90 अंक या 0.21 प्रतिशत की तेजी के साथ 17,425.85 पर था।

सेंसेक्स पैक में एचयूएल, ट्रेंट, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स, इन्फोसिस, टाटा स्टील, आईटीसी, एसबीआई, एलएंडटी, टीसीएस, कोटक महिंद्रा बैंक, बीईएल और इटरनल (जोमैटो) गेनर्स थे। एमएंडएम, मारुति सुजुकी, बजाज फिनसर्व, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंस, टाइटन, एनटीपीसी और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे।

बाजार के जानकारों ने कहा कि लगातार बिकवाली और कमजोर भारतीय रुपए के कारण बाजार लगातार एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है। अमेरिका-भारत ट्रेड डील की अनिश्चितता के कारण डॉलर के मुकाबले रुपए में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में आय में रिकवरी देखने को मिल सकती है। इसकी वजह अर्थव्यवस्था में रिकवरी होना है, जिससे सेंटीमेंट स्थिर हो सकता है।

आने वाले समय में बाजार की दिशा अमेरिका के महंगाई के आंकड़े और अन्य वैश्विक डेटा तय करेंगे।

कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार कारोबारी सत्र में लाल निशान में खुला। सुबह 9:17 पर सेंसेक्स 233 अंक या 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,034 और निफ्टी 84 अंक या 0.36 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 29,960 पर था।