अर्थतंत्र की खबरें: सेबी ने निवेशकों को किया आगाह और वैश्विक अनिश्चितता के बीच सोना और चांदी महंगा
सेबी की यह चेतावनी ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के बीच आई है, जहां कुछ कंपनियां प्रतिभूति बाजार में भोले-भाले निवेशकों को लुभाने और धोखाधड़ी के लिए सोशल मीडिया मंच का उपयोग कर रही हैं।

बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को निवेशकों को असत्यापित लोगों से आने वाले अनचाहे संदेशों के प्रति आगाह किया और उनसे ऐसे व्हाट्सएप ‘ग्रुप’ या ‘कम्युनिटीज’ का हिस्सा न बनने को कहा।
सेबी की यह चेतावनी ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के बीच आई है, जहां कुछ कंपनियां प्रतिभूति बाजार में भोले-भाले निवेशकों को लुभाने और धोखाधड़ी के लिए सोशल मीडिया मंच का उपयोग कर रही हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी जांच में पाया है कि ऐसी इकाइयां निवेशकों का भरोसा और विश्वास जीतने के लिए कई तरह की रणनीति अपनाती हैं। ये इकाइयां संभावित ग्राहकों को लक्षित करके व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए अक्सर ‘वीआईपी ग्रुप’ या ‘फ्री ट्रेडिंग कोर्स’ (शेयर बाजार कारोबार का नि:शुल्क पाठ्यक्रम) जैसे नामों से लिंक के रूप में अनचाहे निमंत्रण भेजती हैं।
खुद को भरोसेमंद दिखाने के लिए ये इकाइयां अक्सर नकली प्रोफाइल बनाती हैं जो उन्हें प्रतिभूति बाज़ार के विशेषज्ञ के रूप में दर्शाती हैं। कई मामलों में वे सेबी के पास पंजीकृत मध्यस्थों, मशहूर सार्वजनिक हस्तियों या स्थापित संगठनों के सीईओ/ एमडी का भी फर्जी रूप धारण करते हैं।
ये इकाइयां बड़े मुनाफे के फर्जी प्रमाण दिखाकर निवेशकों का शोषण करते हैं। ये प्रमाण भी कथित तौर पर समूह के अन्य सदस्य ही पेश करते हैं जो असल में इस घोटाले में मददगार होते हैं।
ऐसे में भोले-भाले निवेशक इस भ्रामक चित्रण से प्रभावित होकर इन कंपनियों के बैंक खातों में धन हस्तांतरित करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
बाजार नियामक ने संभावित निवेशकों का ध्यान इन सभी बिंदुओं की तरफ आकृष्ट करते हुए कहा, “वे असत्यापित लोगों से आने वाले ऐसे अनचाहे संदेशों पर भरोसा न करें और ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप/कम्युनिटी में शामिल होने से बचें। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे केवल सेबी-पंजीकृत मध्यस्थों और प्रामाणिक ट्रेडिंग ऐप के जरिये ही लेनदेन करें।”
सोने की कीमतों में तेज उछाल, 24 घंटे में 1,500 रुपए से अधिक का हुआ इजाफा
सोने की कीमतों में एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है। बीते 24 घंटे में 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने के दाम में 1,500 रुपए से अधिक बढ़ गया है।
इंडिया बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा बुधवार को जारी की गई ताजा कीमतों के मुताबिक, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव 1,502 रुपए बढ़कर 95,309 रुपए हो गया है, जो कि पहले 93,807 रुपए पर था।
22 कैरेट सोने का दाम 85,927 रुपए प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 87,303 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है। वहीं, 18 कैरेट सोने का भाव बढ़कर 71,482 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है, जो कि पहले 70,355 रुपए प्रति 10 ग्राम था।
सोने के कीमत में आई तेजी की वजह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ना है, जिसके चलते डॉलर लगातार कमजोर हो रहा है और इससे सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
बीते हफ्ते बढ़ते कर्ज के कारण अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से यूएस को डाउनग्रेड किया गया था।
सोने के साथ चांदी की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिला है। बीते 24 घंटे में चांदी का भाव 1,760 रुपए बढ़कर 97,332 रुपए प्रति किलो हो गया है, जो कि पहले 95,572 रुपए प्रति किलो था।
हाजिर के साथ वायदा बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने का 5 जून 2025 का कॉन्ट्रैक्ट 0.35 प्रतिशत बढ़कर 95,170 रुपए पर था। वहीं, चांदी का 4 जुलाई 2025 का कॉन्ट्रैक्ट 0.45 प्रतिशत बढ़कर 97,726 रुपए पर था।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। कॉमेक्स पर सोना करीब आधा प्रतिशत की तेजी के साथ 3,300 डॉलर प्रति औंस पर था। वहीं, चांदी 0.27 प्रतिशत की मजबूती के साथ 33 डॉलर प्रति औंस पर थी।
भारतीय शेयर बाजार की दमदार वापसी, सेंसेक्स 410 अंक उछला
भारतीय शेयर बाजार ने बुधवार के कारोबारी सत्र में दमदार वापसी की। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 410.19 अंक या 0.51 प्रतिशत की तेजी के साथ 81,596.63 और निफ्टी 129.55 अंक या 0.52 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,813.45 पर था।
बाजार में तेजी का नेतृत्व डिफेंस शेयरों ने किया। बीईएल 5.26 प्रतिशत, एचएएल 3.13 प्रतिशत, सोलार इंडस्ट्रीज 5.26 प्रतिशत और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स 2.83 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी खरीदारी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 436.95 अंक या 0.78 प्रतिशत की मजबूती के साथ 56,619.60 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 65.60 अंक या 0.38 प्रतिशत की तेजी के साथ 17,548.60 पर था।
शेयर बाजार के सभी सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। ऑटो, आईटी, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी और एनर्जी सबसे ज्यादा बढ़ने वाले इंडेक्स थे।
सेंसेक्स पैक में बजाज फिनसर्व, टाटा स्टील, सन फार्मा, टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, नेस्ले, टाटा मोटर्स, एचयूएल, एमएंडएम और इटरनल (जोमैटो) टॉप गेनर्स थे। इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, पावर ग्रिड, आईटीसी और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के रिसर्च हेड , विनोद नायर ने कहा, "शेयर बाजार का रुझान सकारात्मक था। हालांकि, बाजार एक छोटी रेंज में कारोबार रहा है और मौजूदा परिस्थितियां तेजी में बिकवाली का संकेत दे रही हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "अमेरिका और भारत के बीच बातचीत को लेकर हाल के समय में अनिश्चितता बढ़ी है। वहीं, अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग के डाउनग्रेड से एफआईआई की बिकवाली ने बाजार पर दबाव बनाने का काम किया है।"
एनएसई के प्रोविजनल डेटा के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 20 मई को 10,016.10 करोड़ रुपए के भारतीय शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) 6,738.39 करोड़ रुपए के शुद्ध खरीदार थे।
इससे पहले भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार के कारोबारी सत्र में बिकवाली देखी गई थी। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 872.98 अंक या 1.06 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,186.44 और निफ्टी 261.55 अंक या 1.05 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 24,683.90 पर बंद हुआ।
अप्रैल माह में मुद्रास्फीति दर गिरी, कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए राहत भरे संकेत
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दर इस साल अप्रैल में कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) के लिए 3.48 प्रतिशत और ग्रामीण श्रमिकों (सीपीआई-आरएल) के लिए 3.53 प्रतिशत रही। पिछले साल अप्रैल 2024 में यह 7.03 प्रतिशत और 6.96 प्रतिशत थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महंगाई में गिरावट आई है। सरकार का मानना है कि इस कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
मुद्रास्फीति दर में मासिक आधार पर भी कमी आई है, क्योंकि मार्च 2025 के लिए यही आंकड़े सीपीआई-एएल के लिए 3.73 प्रतिशत और सीपीआई-आरएल के लिए 3.86 प्रतिशत थे।
कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति दर पिछले छह महीनों में लगातार घट रही है। यह उन कमजोर वर्गों के लिए राहत भरा है, जो बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इससे कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के हाथ में अधिक पैसे बचते हैं, जिससे वे अधिक सामान खरीद पाते हैं और उनकी जीवनशैली बेहतर होती है।
कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति में गिरावट देश की समग्र खुदरा मुद्रास्फीति में अप्रैल में 3.16 प्रतिशत की गिरावट की पृष्ठभूमि में आई है, जो मार्च में 3.34 प्रतिशत थी और जुलाई, 2019 के बाद से सबसे कम स्तर पर है। खाद्य कीमतों में कमी दर्ज की गई, जिससे घरेलू बजट को राहत मिली है।
खाद्य मुद्रास्फीति, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, अप्रैल में धीमी होकर 1.78 प्रतिशत हो गई, जबकि मार्च में यह 2.69 प्रतिशत थी।
यह लगातार तीसरा महीना है, जब मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे रही है। इससे केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी नरम मुद्रा नीति को जारी रखने में सक्षम होगा।
हाल के महीनों में देश में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख रहा है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान को 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है, क्योंकि आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से सकारात्मक हो गया है।
रबी फसलों को लेकर अनिश्चितताएं काफी हद तक कम हो गई हैं और दूसरे एडवांस अनुमान पिछले साल की तुलना में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के अधिक उत्पादन की ओर इशारा करते हैं। खरीफ की मजबूत आवक के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में स्थायी नरमी की स्थिति बनने की उम्मीद है।
रुपया एक पैसे टूटकर 85.59 प्रति डॉलर पर
आयातकों और विदेशी बैंकों की डॉलर मांग तथा कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को रुपये में सीमित दायरे में घट-बढ़ रही और यह एक पैसे की गिरावट के साथ 85.59 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी और लगातार विदेशी कोषों की निकासी से कारोबारी धारणा प्रभावित हुई। हालांकि, सकारात्मक घरेलू बाजारों और कमजोर अमेरिकी डॉलर सूचकांक की वजह से रुपये की गिरावट पर कुछ अंकुश लगा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.65 प्रति डॉलर पर खुला। दिन में इसने डॉलर के मुकाबले 85.53 के उच्च और 85.70 के निचले स्तर के बीच कारोबार किया। अंत में डॉलर के मुकाबले रुपया 85.59 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से एक पैसे की गिरावट है।
रुपया मंगलवार को 16 पैसे की गिरावट के साथ 85.58 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आयातकों की डॉलर मांग और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव के कारण रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि, व्यापार युद्ध की आशंकाओं में कमी के बीच वैश्विक बाजारों में जोखिम की लेने की प्रवृत्ति बढ़ने से रुपये को समर्थन मिल सकता है। उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपया हाजिर कीमत 85.40 से 86 के बीच कारोबार करने की उम्मीद है।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.66 पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 1.04 प्रतिशत की तेजी के साथ 66.06 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 410.19 अंक की तेजी के साथ 81,596.63 अंक पर जबकि निफ्टी 129.55 अंक बढ़कर 24,813.45 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने मंगलवार को शुद्ध रूप से 10,016.10 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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