अर्थतंत्र की खबरें: शेयर बाजार गुलजार, सेंसेक्स 1,022 अंक चढ़ा, निफ्टी रिकॉर्ड स्तर के करीब और सोना-चांदी भी चमके

चौतरफा लिवाली से बीएसई सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक चढ़ गया जबकि एनएसई निफ्टी ने फिर से 26,205 अंक तक पहुंच गया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

स्थानीय शेयर बाजार में तीन कारोबारी सत्रों से जारी गिरावट पर बुधवार को विराम लगा और चौतरफा लिवाली से बीएसई सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक चढ़ गया जबकि एनएसई निफ्टी ने फिर से 26,205 अंक तक पहुंच गया।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर घटाने की उम्मीद के बीच वैश्विक बाजारों में तेजी और विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी प्रवाह से घरेलू बाजार में उछाल आया।

तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,022.50 अंक यानी 1.21 प्रतिशत चढ़कर 85,609.51 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, यह 1,057.18 अंक तक चढ़ गया था।

वहीं पचास शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 320.50 अंक यानी 1.24 प्रतिशत की बढ़त के साथ 26,205.30 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी अपने अबतक के उच्चतम स्तर से केवल 10 अंक कम है। कारोबार के दौरान, निफ्टी 330.35 तक चढ़ गया था।

विशेषज्ञों के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम को लेकर बढ़ती उम्मीद ने भी निवेशकों की धारणा को मजबूत किया।

सेंसेक्स की कंपनियों में बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, टाटा स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सन फार्मा, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स, एक्सिस बैंक और इन्फोसिस प्रमुख रूप से लाभ में रहीं।दूसरी तरफ, भारती एयरटेल और एशियन पेंट्स के शेयर नुकसान में रहे।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर, दिसंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की बढ़ती उम्मीद के साथ ही डॉलर के कमजोर होने से बाजार धारणा में सुधार हुआ है। इसके अलावा, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम को लेकर बढ़ती उम्मीद जोखिम उठाने की क्षमता को बढ़ा रही है।’’

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 785.32 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी 3,912.47 करोड़ रुपये की लिवाली की।

त्योहारी मांग से दिल्ली में सोना 1.28 लाख रुपये पर, चांदी 5,800 रुपये चढ़ी

शादी-विवाह के मौसम की मांग के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं और खुदरा कारोबारियों की ताजा खरीदारी के बीच मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतें 3,500 रुपये बढ़कर 1,28,900 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं।

सर्राफा में तीन दिनों से जारी गिरावट का सिलसिला टूट गया और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 3,500 रुपये बढ़कर 1,28,300 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी कर मिलाकर) हो गयी।

सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी लिवाली देखी गई। यह 5,800 रुपये बढ़कर 1,60,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी कर मिलाकर) पर पहुंच गई।

व्यापारियों ने कहा कि शादियों के मौसम के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की मांग बढ़ी है।

विश्व की प्रमुख प्रतिस्पर्धी मुद्राओं के मुकाबले कमजोर डॉलर से भी सुरक्षित निवेश वाले विकल्पों की मांग बढ़ी है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक - जिंस, सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘मंगलवार को सोने की कीमतों में बढ़त दर्ज हुई, जिसकी वजह कमजोर डॉलर और फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की नरम टिप्पणियों के बाद दिसंबर में ब्याज दर में कटौती की बढ़ती उम्मीदें थीं।’’

विदेशी बाजारों में, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 0.09 प्रतिशत टूटकर 4,131.09 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जबकि हाजिर चांदी 0.40 प्रतिशत टूटकर 51.15 डॉलर प्रति औंस रह गई।


ट्रेड यूनियनों, एआईपीईएफ सदस्यों ने श्रम संहिता के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया

सरकार द्वारा मंज़ूर चार श्रम संहिताओं के खिलाफ बुधवार को देश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया। इसमें 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा और बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों के संगठन एआईपीईएफ के सदस्यों के एक साझा मंच ने भाग लिया।

श्रम कानूनों में एक अहम बदलाव करते हुए, सरकार ने शुक्रवार को सभी चार श्रम संहिता को अधिसूचित कर दिया, जिससे कई बड़े सुधार हुए हैं, जिसमें गिग वर्कर्स के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी कर्मचारियों के लिए ज़रूरी नियुक्ति पत्र, और सभी क्षेत्रों में कानूनी न्यूनतम मज़दूरी और समय पर भुगतान शामिल हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिए एक ज्ञापन में, साझा मंच ने कहा, ‘‘ये संहिताएं हमारे हड़ताल करने के अधिकार को खत्म करती हैं, यूनियन पंजीकरण के काम को मुश्किल बनाती हैं, यूनियनों की मान्यता खत्म करना आसान बनाती हैं, सुलह और फैसले की प्रक्रिया को मुश्किल बनाती हैं, श्रम अदालतों को बंद करती हैं और कामगारों के लिए न्यायाधिकरण लाती हैं, रजिस्ट्रार को यूनियनों का पंजीकरण खत्म करने की पूरी शक्ति देती हैं।’’

एआईटीयूसी की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि देश के 500 से ज़्यादा ज़िलों में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सभी क्षेत्र और उद्योगों के संगठित और असंगठित श्रमिकों ने हिस्सा लिया।

डॉलर के मुकाबले रुपया 89.23 पर लगभग स्थिर

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को एक सीमित दायरे वाले कारोबार के दौरान अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया एक पैसे की गिरावट के साथ 89.23 (अस्थायी) पर बंद हुआ। मजबूत घरेलू शेयर बाजारों और वैश्विक कच्चे तेल कीमतों में गिरावट ने डॉलर की मजबूती के असर को कम कर दिया।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी कोषों की निकासी और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर चिंताओं से बाजार में जोखिम लेने की धारणा कमजोर हुई, जिससे निवेशक सुरक्षित निवेश मानी जाने वाली परिसंपत्तियों की ओर बढ़ गए।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 89.24 पर खुला और डॉलर के मुकाबले 89.17-89.28 के बेहद सीमित दायरे में घूमता रहा। आखिर में यह अपने पिछले बंद स्तर से एक पैसे की गिरावट के साथ 89.23 पर बंद हुआ।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक (जिंस) अनुज चौधरी ने कहा कि दिसंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की बढ़ती संभावना और वैश्विक बाजारों में जोखिम लेने की क्षमता बढ़ने से रुपये के थोड़े सकारात्मक रुख के साथ कारोबार करने की उम्मीद है।

उन्होंने आगे कहा, ‘‘हालांकि, आयातकों की डॉलर मांग से तेज बढ़त पर रोक लग सकती है। डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 89 रुपये से 89.50 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है।’’ मंगलवार को, रुपया डॉलर के मुकाबले छह पैसे गिरकर 89.22 पर बंद हुआ था।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख प्रतिस्पर्धी मुद्रओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.12 प्रतिशत बढ़कर 99.70 पर पहुंच गया।