अर्थतंत्र की खबरें: शेयर बाजार में चार दिनों की गिरावट पर लगाम और सोना-चांदी खरीदारों के लिए खुशखबरी
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "घरेलू बाजार मिलेजुले वैश्विक संकेतों और आरबीआई की मौद्रिक नीति से पहले सतर्क रुख के बीच लगभग स्थिर रहे।

घरेलू शेयर बाजारों में चार दिनों से जारी गिरावट का सिलसिला बृहस्पतिवार को थम गया। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और प्रौद्योगिकी शेयरों में खरीदारी आने से सेंसेक्स 158 अंक चढ़ गया जबकि निफ्टी एक बार 26,000 के स्तर के ऊपर पहुंच गया।
बीएसई का 30-शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 158.51 अंक यानी 0.19 प्रतिशत मजबूत होकर 85,265.32 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 380 अंक से अधिक चढ़कर 85,487.21 तक चला गया था।
एनएसई का मानक सूचकांक निफ्टी भी 47.75 अंक बढ़कर 26,033.75 अंक पर पहुंच गया। इससे पहले पिछले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स में करीब 613 अंक यानी 0.72 प्रतिशत की गिरावट आई थी जबकि निफ्टी लगभग 230 अंक यानी 0.8 प्रतिशत टूटा था।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से टीसीएस, टेक महिंद्रा, इन्फोसिस, एचसीएल टेक, भारती एयरटेल, सन फार्मा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और ट्रेंट में मुख्य रूप से तेजी रही।
दूसरी तरफ, मारुति, इटर्नल, कोटक महिंद्रा बैंक और टाइटन के शेयरों में गिरावट का रुख रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली का सिलसिला जारी है। बुधवार को एफआईआई ने 3,206.92 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 4,730.41 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "घरेलू बाजार मिलेजुले वैश्विक संकेतों और आरबीआई की मौद्रिक नीति से पहले सतर्क रुख के बीच लगभग स्थिर रहे। रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर और एफआईआई की बिकवाली के कारण शुरुआती तेजी थम गई थी। हालांकि, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कम होने से रुपये में मामूली सुधार हुआ, जिससे सूचकांकों को समर्थन मिला।"
हालांकि व्यापक बाजार में गिरावट दर्ज की गई। छोटी कंपनियों का बीएसई स्मालकैप सूचकांक 0.32 प्रतिशत गिर गया जबकि मझोली कंपनियों का मिडकैप सूचकांक में 0.19 प्रतिशत की गिरावट रही।
सोना-चांदी खरीदारों के लिए खुशखबरी, कीमतों में आई गिरावट
सोना-चांदी खरीदारों के लिए खुशखबरी है। गुरुवार को दोनों कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।
इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट के सोने की कीमत 1,27,845 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि पहले 1,28,214 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। यह सोने की कीमतों में 369 रुपए प्रति 10 ग्राम की कमी दो दर्शाता है।
22 कैरेट सोने की कीमत कम होकर 1,17,106 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि पहले 1,17,444 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। वहीं, 18 कैरेट सोने का दाम 96,161 रुपए प्रति 10 ग्राम से कम होकर 95,884 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है।
सोने के साथ चांदी की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली है। चांदी की कीमत 1,565 रुपए कम होकर 1,76,625 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि पहले 1,78,190 रुपए प्रति किलो थी।हाजिर के साथ वायदा बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में कमजोरी देखने को मिली।
सोने के 5 फरवरी 2026 के कॉन्ट्रैक्ट का दाम 0.55 प्रतिशत कम होकर 1,29,750 रुपए हो गया है। चांदी के 05 मार्च 2026 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 1.43 प्रतिशत कम होकर 1,79,738 रुपए हो गई।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। खबर लिखे जाने तक कॉमेक्स पर सोना 0.12 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 4,227.65 डॉलर प्रति औंस और चांदी 1.08 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 57.99 डॉलर प्रति औंस पर थी।
एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने कहा कि सोना में एमसीएक्स पर करीब 500 रुपए की गिरावट देखने को मिली है। सोने में गिरावट की वजह वैश्विक स्तर पर कीमतों में कमी और आरबीआई की मौद्रिक नीति से पहले डॉलर के खिलाफ रुपए में रिकवरी होना है।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में सोना 1,29,400 रुपए से लेकर 1,30,750 रुपए की रेंज में रह सकता है।
रुपया सर्वकालिक निचले स्तर से 19 पैसे मजबूत होकर 89.96 प्रति डॉलर पर बंद
विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे की बढ़त दर्ज करने के साथ रिकॉर्ड गिरावट से उबरने में सफल रहा और 89.96 रुपये प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ।
रुपये के मूल्य में यह तेजी मुख्य रूप से डॉलर सूचकांक में नरमी और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुद्रा बाजार में संभावित हस्तक्षेप की वजह से आई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिका में गैर-कृषि रोजगार के आंकड़े अनु्मान से कम रहने से डॉलर में नरमी आई और इसने रुपये को निचले स्तर पर समर्थन दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 90.36 प्रति़ डॉलर के भाव पर खुला और शुरुआती कारोबार में फिसलकर 90.43 के नए सर्वकालिक निचले स्तर तक पहुंच गया। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली, कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की घोषणा में देरी से रुपये पर दबाव रहा।
हालांकि बाद में रुपया की स्थिति संभली और अंत में यह 89.96 रुपये प्रति डॉलर के (अस्थायी) भाव पर बंद हुआ। इस तरह पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले रुपये में 19 पैसे की मजबूती रही।
बुधवार को रुपया पहली बार 90 के स्तर के ऊपर चला गया था और 90.15 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जो इसका अब तक सर्वकालिक निचला बंद स्तर है।
इस बीच, दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.01 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 98.84 पर आ गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.22 प्रतिशत की तेजी के साथ 62.81 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार के कमजोर रुझान के चलते रुपया निकट अवधि में दबाव में रह सकता है। ऊंची कच्चे तेल की कीमतें भी मुद्रा पर असर डालेंगी।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों में कमजोरी और फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती की उम्मीदें रुपये को सहारा दे सकती हैं। इसके अलावा आरबीआई के अतिरिक्त हस्तक्षेप से भी रुपये को समर्थन मिलेगा।
चौधरी ने अनुमान जताया कि निकट अवधि में डॉलर-रुपया का हाजिर विनिमय भाव 89.65 से 90.50 के दायरे में रह सकता है।
घरेलू स्तर पर मौद्रिक नीति से जुड़े मोर्चे पर भी बाजार की निगाहें टिकी हुई हैं। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का निर्णय शुक्रवार को आएगा। इसमें रेपो दर को लेकर फैसला आएगा।
सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 158.51 अंक चढ़कर 85,265.32 अंक और निफ्टी 47.75 अंक बढ़कर 26,033.75 अंक पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को शेयरों में 3,206.92 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक 2025 पेश किया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक 2025 पेश किया। इसके तहत पान मसाला जैसे उत्पादों पर उपकर लगाया जाएगा।
लोकसभा में बोलते हुए, सीतारमण ने कहा कि विधेयक में जरूरी चीजों पर टैक्स नहीं लगाया जाएगा और पान मसाला जैसे उत्पादों पर टैक्स से होने वाली कमाई राज्यों के साथ स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च करने के लिए शेयर की जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा, "यह एक उपकर है और यह किसी जरूरी चीज पर नहीं लगाया गया है। इस बिल का मकसद डीमेरिट चीजों पर सेस लगाना है, जिनसे सेहत को बड़ा खतरा होता है। इस उपकर के जरिए हम एक ऐसी कीमत चाहते हैं, जिससे इन चीजों पर रोकथाम लगे और लोग इसका इस्तेमाल न करें।"
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में पान मसाले पर 40 प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है। इस उपकर के लगने से जीएसटी आय पर कोई असर नहीं होगा।
प्रस्तावित बिल के तहत उपकर पान मसाला बनाने वाली फैक्ट्रियों में मशीनों की उत्पादन क्षमता पर लगाया जाएगा। यह जीएसटी के अतिरिक्त होगा।
वित्त मंत्री ने कहा, "हर फैक्ट्री के लिए उपकर की देनदारी उनकी उत्पादन क्षमता के आधार पर अलग-अलग होगी।"
सीतारमण ने कहा, "इस उपकर से मिलने वाली आय का कुछ हिस्सा स्वास्थ्य जागरूकता या स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी योजनाओं के जरिए राज्यों के साथ शेयर किया जाएगा।"
पान मसाले पर उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जा सकता है। इस कारण सरकार इस पर उपकर लगाने के लिए विधेयक लेकर आई है और यह जीएसटी के अतिरिक्त लगाया जाएगा।
इससे पहले बुधवार को लोकसभा ने सेंट्रल एक्साइज एक्ट 1944 में बदलाव करते हुए एक बिल पास किया था, जिससे तंबाकू पर 40 प्रतिशत जीएसटी के अलावा उत्पाद शुल्क लगाया जा सकता है।
अभी, पान मसाला, तंबाकू और इससे जुड़े उत्पादों पर 28 प्रतिशत जीएसटी और अलग-अलग दर पर क्षतिपूर्ति उपकर लगता है। क्षतिपूर्ति उपकर खत्म होने के साथ जीएसटी दर बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाएगी।
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