संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश, जीडीपी 7 और वित्तीय घाटा 5.8% रहने का अनुमान, जानिए आर्थिक सर्वे की अहम बातें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 संसद में पेश कर दिया। आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष के लिए 7 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे को ऊपरी सदन राज्यसभा में पेश किया। इसके मुताबिक, 2019-20 में विकास दर में तेजी आएगी और इसके 7 फीसदी रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2018-19 में जीडीपी की वृद्धि दर 5 साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी। इस आर्थिक सर्वेक्षण को मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार किया है।

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-10 में राजकोषीय घाटा 5.8 फीसदी रहा, जबकि संशोधित बजट अनुमान 3.4 फीसदी रहा था। सर्वे में बताया गया है, “2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर साल 8 फीसदी ग्रोथ की जरूरत है। इसमें खपत और निवेश की अहम भूमिका होगी। वित्त वर्ष 2019-20 में यदि इकोनॉमिक ग्रोथ सुस्त रहती है तो राजस्व संग्रह को झटका लग सकता है।” सर्वेक्षण के मुताबिक अभी तक हाल के दौर में रही सुस्ती की वजह चुनाव रहे थे।

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने के लिए 2025 तक लगातार हर वर्ष 8 प्रतिशत की जीडीपी विकास दर को बनाए रखने की आवश्यकता है।


देश में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और आगे भी इसमें कमी नहीं आएगी। 14 जून तक देश में कुल 42220 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद था। आर्थिक सर्वे के मुताबिक, देश में पर्याप्त रूप से विदेशी मुद्रा भंडार है और आगे भी इसमें कमी नहीं आएगी। 14 जून तक देश में कुल 42220 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद था। जानिए आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़ी अहम बातें।

  • सर्वे में बताया गया है कि आरबीआई की उदार मौद्रिक नीति की वजह से ब्याज दरें घटने की उम्मीद है। इससे आने वाले महीनों में निवेश और क्रेडिट ग्रोथ बढ़ेगी।
  • राज्यसभा के बाद लोकसभा में आर्थिक सर्वे को पेश किया गया है। आर्थिक सर्वे अर्थव्यवस्था के पिछले एक साल का रिपोर्ट कार्ड होता है. इसमें अगले वित्त वर्ष के नीति निर्णयों के संकेत भी होते हैं।
  • जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान, पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत पर थी।
  • पिछले 5 साल में औसत जीडीपी विकास दर 7.5 फीसदी रही।
  • धीमी विकास दर,जीएसटी, कृषि योजनाओं का अर्थव्यवस्था पर असर पडेगा।
  • 2018-19 में राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसका संशोधित बजट अनुमान 3.4 प्रतिशत का था।
  • वित्तीय वर्ष 2015 तक विकास दर 8 फीसदी बनाए रखने की जरूरत है।
  • 2018 से ही ग्रामीण विकास ने रफ्तार पकड़ी हुई है। मांग बढ़ने से निवेश में तेजी आएगी।
  • वैश्विक व्यापर के स्तर पर तनाव के निर्यात पर असर पड़ेगा।
  • अगले वित्त वर्ष में निवेश बढ़ने की उम्मीद, कच्चे तेल की कीमतों में भी कमी संभव है।
  • एनबीएफसी सेक्टर में दबाव का विकास दर पर असर पड़ा है।एनबीएफसी की लेंडिंग में कमी से ऑटो बिक्री गिरी है लेकिन सीमेंट उत्पादन और स्टील की खपत बढ़ी है। 2020 में कई वित्तीय चुनौतियां हैं।
  • वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी।
  • देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार बना रहेगा। 14 जून तक विदेशी मुद्रा भंडार 42,220 करोड़ डॉलर था।

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Published: 04 Jul 2019, 1:21 PM