अर्थजगतः एक ही दिन में निवेशकों के 10.98 लाख करोड़ रुपये डूबे और इन्फोसिस ने वार्षिक वेतन बढ़ोतरी को टाला
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 1,258 अंक लुढ़क गया। मेटा ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा वॉट्सऐप पर लगाए गए 213 करोड़ रुपये के जुर्माने को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है।

एक ही दिन में निवेशकों के 10.98 लाख करोड़ रुपये डूबे
भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली से आई भारी गिरावट के बीच सोमवार को निवेशकों के 10.98 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स 1,258.12 अंक यानी 1.59 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 77,964.99 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,441.49 अंक तक लुढ़क गया था। इसके अलावा छोटी कंपनियों से जुड़े बीएसई स्मालकैप सूचकांक में 3.17 प्रतिशत और मझोली कंपनियों के मिडकैप सूचकांक में भी 2.44 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
इस चौतरफा बिकवाली ने बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के सम्मिलित बाजार पूंजीकरण को एक ही झटके में 10,98,723.54 करोड़ रुपये का नुकसान दे दिया। कारोबार के अंत में इन कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 4,38,79,406.58 करोड़ रुपये (5.11 लाख करोड़ डॉलर) रहा। विश्लेषकों के मुताबिक, कंपनियों के तिमाही नतीजों को लेकर आशंका गहराने और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के अलावा नए वायरस संक्रमण के फैलने से जुड़ी चिंताओं ने भी कारोबारी धारणा को प्रभावित किया।
वैश्विक अस्थिरता का असर! इन्फोसिस ने वार्षिक वेतन बढ़ोतरी को टाला
देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में भी वार्षिक वेतन बढ़ोतरी को टाल दिया है। यह जानकारी सोमवार को रिपोर्ट्स में दी गई। रिपोर्ट्स में बताया गया कि आमतौर पर साल के शुरुआत में लागू होने वाली वेतन वृद्धि में देरी इस बात का संकेत है कि आईटी सेक्टर अभी भी अनिश्चितता का सामना कर रहा है और इस दबाव की वजह वैश्विक अस्थिरता के चलते क्लाइंट्स द्वारा अपने आईटी खर्च में बढ़ोतरी न करना है। इन्फोसिस ने आखिरी बार वेतन बढ़ोतरी नवंबर 2023 में लागू की थी। इन्फोसिस ही नहीं दूसरी अन्य बड़ी आईटी कंपनियों जैसे एचसीएल टेक, एलटीआईमाइंडट्री और एलएंडटी टेक सर्विसेज ने भी दूसरी तिमाही में लागत और मुनाफे को मैनेज करने के लिए वेतन बढ़ोतरी नहीं की थी।
इन्फोसिस को लेकर मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपने प्री-अर्निंग नोट में कहा था कि इन्फोसिस का मार्जिन दिसंबर तिमाही में कम हो सकता है। इसकी वजह कर्मचारियों द्वारा छुट्टी पर जाना और काम के दिन कम होना है। हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी, सबकॉन्ट्रैक्टर लागत अनुकूलन और प्रोजेक्ट मैक्सिमस द्वारा इसकी भरपाई की जाएगी। प्रोजेक्ट मैक्सिमस इंफोसिस की मार्जिन सुधार योजना है। इसका लक्ष्य लागत को कम करना है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर अवधि में कंपनी का मुनाफा सालाना आधार पर 4.7 प्रतिशत बढ़कर 6,506 करोड़ रुपये हो गया था, जो कि एक साल पहले समान तिमाही में 6,212 करोड़ रुपये था। दूसरी तिमाही में कंपनी की आय 40,986 करोड़ रुपये रही है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह आंकड़ा 38,994 करोड़ रुपये था। सितंबर तिमाही में इन्फोसिस ने पूरे वर्ष के लिए आय में वृद्धि की गाइडेंस को बढ़ाकर 3.75 प्रतिशत से लेकर 4.5 प्रतिशत कर दिया था। इस दौरान आईटी दिग्गज ने 21 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का भी ऐलान किया था।
सेंसेक्स ने लगाया 1,258 अंक का गोता, निफ्टी भी 388.70 अंक गिरा
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 1,258 अंक का गोता लगा गया। एनएसई निफ्टी भी लुढ़क कर 23,700 अंक के नीचे आ गया। कारोबारियों के अनुसार, कंपनियों के तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों को लेकर चिंता और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की पूंजी निकासी के बीच चौतरफा लिवाली से बाजार नुकसान में रहा। इसके अलावा नये एचएमपी वायरस को लेकर चिंता, रुपये की विनिमय दर में गिरावट तथा एशिया के अन्य बाजारों में कमजोर रुख से भी कारोबारी धारणा पर असर पड़ा।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,258.12 अंक यानी 1.59 प्रतिशत का गोता लगाकर 78,000 अंक के नीचे 77,964.99 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 1,441.49 अंक तक लुढ़क गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 388.70 अंक यानी 1.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,616.05 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल तीस शेयरों में टाटा स्टील, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक, पावरग्रिड, जोमैटो, अदाणी पोर्ट्स, एशियन पेंट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और रिलांयस इंडस्ट्रीज प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। केवल दो शेयर टाइटन और सन फार्मा लाभ में रहे।
वॉट्सएप पर 213 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ मेटा पहुंचा NCLAT
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मेटा ने सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) का दरवाजा खटखटाया। इसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के हाल के आदेश को चुनौती दिया गया है। इस आदेश में वॉट्सऐप के 2021 प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट को लेकर फर्म पर 213 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। पिछले साल नवंबर में, प्रतिस्पर्धा नियामक ने वॉट्सएप को निर्देश दिया था कि कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर एकत्र किए गए यूजर डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए दूसरे मेटा प्रोडक्ट या कंपनियों के साथ पांच साल की अवधि के लिए साझा न करे। साथ ही मेटा पर अपने प्रमुख स्थान का कथित रूप से दुरुपयोग करने के लिए 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। मेटा ने अब एनसीएलएटी को सूचित किया है कि सीसीआई के आदेश का पूरे उद्योग पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा और इसलिए, मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता होगी। अब यह मामला 16 जनवरी को अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष सुनवाई के लिए आएगा।
देश में वॉट्सएप के 500 मिलियन से ज्यादा मंथली एक्टिव यूजर्स हैं। पिछले साल, जब सीसीआई ने वॉट्सऐप को निर्देश दिया था कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर एकत्र किए गए यूजर डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए पांच साल की अवधि के लिए दूसरे मेटा प्रोडक्ट या कंपनियों के साथ साझा न करें, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कहा कि वह सीसीआई के फैसले से असहमत है और अपील करने की योजना बना रहा है। सीसीआई के आदेश के अनुसार, "वॉट्सऐप द्वारा 2021 पॉलिसी अपडेट 'इसे लें या छोड़ दें' के आधार पर पेश किया गया था, जो कि एक्ट के तहत अनुचित शर्तों को दिखाती है। क्योंकि यह सभी यूजर्स को एक्सपेंडेड डेटा कलेक्शन शर्तों को स्वीकार करने और बिना किसी ऑप्ट-आउट के मेटा ग्रुप के भीतर डेटा शेयर करने के लिए बाध्य करती है।"
मेटा के प्रवक्ता ने जवाब देते हुए कहा कि 2021 के वॉट्सएप अपडेट ने लोगों के पर्सनल मैसेज की प्राइवेसी को नहीं बदला और उस समय इसे यूजर्स के लिए एक विकल्प के रूप में पेश किया गया था। कंपनी के प्रवक्ता के अनुसार, "हमने यह भी सुनिश्चित किया कि इस अपडेट के कारण किसी का भी अकाउंट डिलीट न हो या वॉट्सएप सर्विस की फंक्शनैलिटी न खोई जाए। अपडेट वाट्सएप पर ऑप्शनल बिजनेस फीचर्स शुरू करने के बारे में था और इस बारे में और अधिक पारदर्शिता प्रदान करता था कि हम डेटा कैसे एकत्र करते हैं और उसका उपयोग कैसे करते हैं।"
चांदी के लिए भी ‘हॉलमार्किंग’ को अनिवार्य करने पर विचार
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने सोमवार को कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप चांदी और चांदी के सामान के लिए ‘हॉलमार्किंग’ अनिवार्य करने पर विचार करना चाहिए। जोशी ने 78वें बीआईएस स्थापना दिवस समारोह में कहा, ‘‘ चांदी की ‘हॉलमार्किंग’ के लिए उपभोक्ताओं की ओर से मांग आ रही है। आप (बीआईएस) इसपर विचार-विमर्श कर निर्णय ले सकते हैं।’’ मंत्री ने बताया कि इस दिशा में काम शुरू हो चुका है और सरकार हितधारकों के साथ विचार-विमर्श तथा बीआईएस द्वारा व्यवहार्यता आकलन पूरा होने के बाद निर्णय लेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने बीआईएस से व्यवहार्यता पर काम करने और उपभोक्ताओं तथा आभूषण डीलर से प्रतिक्रिया लेने को कहा है। हम सभी हितधारकों से परामर्श करेंगे और प्रक्रिया शुरू करेंगे।’’
चांदी की ‘हॉलमार्किंग’ यानी सफेद धातु की शुद्धता को प्रमाणित करना वर्तमान में दुकानदार या ग्राहक की इच्छा पर निर्भर है। बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि ब्यूरो तीन से छह महीने में अनिवार्य चांदी ‘हॉलमार्किंग’ लागू करने के लिए तैयार हो सकता है। हितधारकों के साथ विचार-विमर्श जारी है। तिवारी ने कहा, ‘‘हितधारकों के साथ कई दौर की चर्चा हुई है और वे इसके पक्ष में हैं। छह अंक वाले ‘अल्फान्यूमेरिक कोड’ पर चर्चा जारी है।’’
यह कदम जून, 2021 में शुरू की गई सोने की अनिवार्य ‘हॉलमार्किंग’ के सफल कार्यान्वयन के बाद उठाया गया है, जो अब 361 जिलों में विस्तारित हो चुकी है। इसका उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना तथा सोने के उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना है। मौजूदा ‘हॉलमार्किंग’ प्रणाली में छह-अंकीय ‘अल्फान्यूमेरिक कोड’ शामिल है, जो सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है।
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