अर्थतंत्र की खबरें: त्रिपुरा के सबसे बड़े चाय बागान के उत्पादन में गिरावट और सोना-चांदी के दाम में गिरावट

अधिकारी ने कहा कि उत्पादन में गिरावट के रुझान के कारण प्रबंधन ने हरी चाय (ग्रीन टी) का उत्पादन बंद कर दिया है और केवल पारंपरिक किस्म पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

त्रिपुरा के उनाकोटी ज़िले में स्थित मनु वैली चाय बागान जलवायु परिवर्तन और श्रमबल की भारी कमी का सामना कर रहा है और पिछले तीन वर्षों में इसका उत्पादन धीरे-धीरे घट रहा है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह बागान राज्य के कुल चाय उत्पादन में लगभग एक-चौथाई का योगदान देता है।

इस पूर्वोत्तर राज्य में सालाना 90 लाख किलोग्राम प्रसंस्कृत चाय का उत्पादन होता है। राज्य के सबसे बड़े बागान में उत्पादन 2022 के 24 लाख किलोग्राम से घटकर 2023 में 22 लाख किलोग्राम और 2024 में 21 लाख किलोग्राम रह गया है, जिससे प्रबंधन का भविष्य अनिश्चित हो गया है।

अधिकारी ने कहा कि उत्पादन में गिरावट के रुझान के कारण प्रबंधन ने हरी चाय (ग्रीन टी) का उत्पादन बंद कर दिया है और केवल पारंपरिक किस्म पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

प्रबंधक (मानव संसाधन) प्रबीर डे ने पीटीआई-भाषा को बताया, ’‘पिछले कुछ साल में जलवायु परिवर्तन बागान के भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती प्रतीत होता है। औसत वर्षा और वर्षा के असमान वितरण ने चाय बागान में उत्पादन को प्रभावित किया है।’’

उनके अनुसार, पहले चाय बागानों में जनवरी या फरवरी में बारिश होती थी, लेकिन अब अप्रैल में ही बारिश शुरू हो जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘मई और जून के दौरान अत्यधिक बारिश चाय बागानों के समुचित विकास में बाधा डालती है। बागानों को उगाने के लिए समान रूप से वितरित वर्षा की आवश्यकता होती है, जो आजकल देखने को नहीं मिलती। यह चाय बागान के भविष्य के लिए बड़ी चिंताओं में से एक है।"

उन्होंने कहा कि कुशल श्रमिकों की कमी और उनकी अनुपस्थिति भी बागान के सुचारू संचालन के लिए बड़ी चुनौती है। कुल 900 पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 300 ही नियमित रूप से काम पर आते हैं।

डे ने कहा कि प्रबंधन ने श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए चाय की पत्तियों को इकट्ठा करने के लिए प्लकिंग मशीनें शुरू की हैं।

उन्होंने कहा, "कोई और विकल्प न मिलने पर, हमने 50 पत्तियां तोड़ने वाली मशीनें खरीदी हैं, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली चाय बनाने के लिए पत्तियों को हाथ से तोड़ना ही सबसे अच्छा विकल्प है। हमने लगभग 100 आदिवासी ग्रामीणों को चाय तोड़ने का प्रशिक्षण दिया है, लेकिन फिर भी कुशल श्रमबल की कमी है।"

उन्होंने बताया कि फिलहाल, एक चाय मज़दूर को पीएफ, बोनस, ग्रैच्युटी, चिकित्सा भत्ता और परिवार के लिए मुफ्त राशन के अलावा 204 रुपये की दैनिक मजदूरी मिलती है।

उद्योग सूत्रों ने बताया कि चाय बागानों में ‘कम’ मजदूरी के कारण बड़ी संख्या में पंजीकृत मज़दूर अधिक कमाई के लिए मनरेगा या अन्य गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, जिसके चलते चाय तोड़ने वालों की कमी हो जाती है।

डे ने कहा कि हर गुजरते साल के साथ चाय उत्पादन लागत बढ़ रही है, जबकि नीलामी बाजारों में कीमतें "स्थिर" बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा, "वर्तमान में, त्रिपुरा में उत्पादित चाय का विक्रय मूल्य 206 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि प्रति किलोग्राम उत्पादन लागत 180 रुपये से अधिक है। चाय उद्योग में स्थिति की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है।’’

सोना 200 रुपये टूटा, चांदी 3,000 रुपये के नुकसान के साथ रिकॉर्ड स्तर से फिसली

स्टॉकिस्ट की ताजा बिकवाली के कारण मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 200 रुपये टूटकर 99,370 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गयी। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।

99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत सोमवार को 99,570 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।

99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 200 रुपये गिरकर 98,800 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रह गया, जबकि पहले इसकी कीमत 99,000 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।

चांदी की कीमतें मंगलवार को 3,000 रुपये गिरकर 1,12,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) रह गईं। सोमवार को चांदी 5,000 रुपये की तेजी के साथ 1,15,000 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।

मेहता इक्विटीज़ के उपाध्यक्ष-जिंस राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘सोने और चांदी में दिन के दौरान भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, शुरुआत में इनमें तेज़ी देखी गई, लेकिन बाद में अमेरिकी डॉलर सूचकांक में उछाल आने के कारण ये अपने उच्चतम स्तर से नीचे आ गए।’’

कलंत्री ने आगे कहा कि निवेशकों ने दिन में बाद में जारी होने वाले महत्वपूर्ण अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों से पहले मुनाफावसूली का विकल्प चुना ताकि सर्राफा कीमतों की दिशा का पता लगाया जा सके।

इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 20.62 डॉलर या 0.62 प्रतिशत बढ़कर 3,364.14 डॉलर प्रति औंस हो गया।

अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक और व्यापारिक तनाव बढ़ने के बावजूद सोना सीमित दायरे में बना हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मेक्सिको और यूरोपीय संघ से आयात पर 30 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के बाद सुरक्षित निवेश की मांग में मामूली तेजी आई है। हालांकि, बातचीत की उम्मीदों ने तेज बढ़त को सीमित कर दिया है।’’


रुपया 10 पैसे की बढ़त के साथ 85.82 प्रति डॉलर पर

विदेशी बाजार में डॉलर के कमजोर रुख और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच रुपया मंगलवार को 10 पैसे मजबूत होकर 85.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि हालांकि, विदेशी पूंजी की निकासी तथा भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के नतीजों पर अनिश्चितताओं से स्थानीय मुद्रा की बढ़त सीमित रही।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.97 पर खुला। दिन में 85.75 से 85.97 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करने के बाद यह 85.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 10 पैसे की बढ़त है।

रुपया सोमवार को 12 पैसे की गिरावट के साथ 85.92 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कोष प्रमुख एवं कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक, रुपये को 86.00 के स्तर पर बनाए रखने की कोशिश कर रहा है और मंगलवार को भी उसने यह सुनिश्चित किया कि रुपया 86 से थोड़ा ऊपर खुले। कल (बुधवार) के लिए हमारा अनुमान है कि रुपया 85.50-86.10 के दायरे में रहेगा और इसमें और अधिक पूंजी प्रवाह की उम्मीद है।’’

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.97 पर आ गया।

घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 317.45 अंक चढ़कर 82,570.91 अंक पर जबकि निफ्टी 113.50 अंक की बढ़त के साथ 25,195.80 अंक पर बंद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.43 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.91 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 1,614.32 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

शेयर बाजार में चार दिन से जारी गिरावट थमी, सेंसेक्स 317 अंक चढ़ा

स्थानीय शेयर बाजार में मंगलवार को पिछले चार दिन से जारी गिरावट पर विराम लगा और बीएसई सेंसेक्स 317 अंक चढ़ गया। वहीं एनएसई निफ्टी में 113 अंक की तेजी रही। खुदरा महंगाई दर के छह साल के निचले स्तर पर आने के साथ वाहन और औषधि शेयरों में लिवाली से बाजार में तेजी आई।

तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 317.45 अंक यानी 0.39 प्रतिशत की बढ़त क साथ 82,570.91 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 490.16 अंक तक चढ़ गया था।

पचास शेयरों वाला नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 113.50 अंक यानी 0.45 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,195.80 अंक पर बंद हुआ।

इससे पहले, पिछले चार कारोबारी सत्रों में, सेंसेक्स 1,459.05 अंक यानी 1.74 प्रतिशत और निफ्टी 440 अंक यानी 1.72 प्रतिशत टूटा था।

सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में सन फार्मा, ट्रेंट, टाटा मोटर्स, बजाज फिनसर्व, महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज फाइनेंस प्रमुख रूप से लाभ में रहीं।

दूसरी तरफ, आईटी सेवा कंपनी एचसीएल टेक का शेयर 3.31 प्रतिशत के नुकसान में रहा। इसका कारण जून तिमाही में कंपनी के एकीकृत शुद्ध लाभ में 9.7 प्रतिशत की गिरावट है।

इसके अलावा, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), टाटा स्टील, कोटक महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक के शेयर भी नीचे आए।

अच्छे मानसून के कारण सब्जियों सहित खाने का सामान सस्ता होने खुदरा मुद्रास्फीति जून में छह साल के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई। यह आरबीआई के संतोषजनक स्तर के करीब है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.82 प्रतिशत और जून, 2024 में 5.08 प्रतिशत थी। पिछले साल नवंबर से मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों से बाजार धारणा में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौते की संभावना को लेकर उम्मीद बढ़ रही है। इससे शुल्क से जुड़े जोखिमों में कमी आ सकती है।

नायर ने कहा, ‘‘इसके साथ ही, घरेलू मुद्रास्फीति कई साल के निचले स्तर पर आ गई है। इससे आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में और कटौती की उम्मीद बढ़ी है, जिससे भविष्य में आर्थिक वृद्धि में तेजी आ सकती है...।’’

एशिया के अन्य बाजारों में, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त में रहे जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट गिरावट के साथ बंद हुआ।

यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में तेजी का रुख था। सोमवार को अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए थे।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 69.09 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 1,614.32 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 1,787.68 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 247.01 अंक टूटा था जबकि एनएसई निफ्टी 67.55 अंक नुकसान में रहा था।


यात्री वाहनों की बिक्री जून तिमाही में 1.4 प्रतिशत घटकर 10.11 लाख इकाई पर

देश में चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर 1.4 प्रतिशत घटकर 10,11,882 इकाई रही है।

गत वित्त वर्ष 2024-25 की पहली (अप्रैल-जून) तिमाही में यह आंकड़ा 10,26,006 इकाई रहा था।

वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में कुल दोपहिया वाहन बिक्री भी 6.2 प्रतिशत घटकर 46,74,562 इकाई रह गई, जबकि 2024 की इसी अवधि में यह 49,85,631 इकाई थी। वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) की बिक्री अप्रैल-जून तिमाही में मामूली 0.6 प्रतिशत घटकर 2,23,215 इकाई रह गई, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 2,24,575 इकाई थी।

सियाम के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में तिपहिया वाहनों की बिक्री 1,65,081 इकाई पर लगभग स्थिर रही।

सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा, ‘‘ 2025-26 की पहली तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 10.1 लाख इकाई रही।’’

मोटर वाहन उद्योग निकाय ने कहा कि पिछले दो वर्ष में दूसरी बार पहली तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री 10 लाख के आंकड़े को पार कर गई है।

सियाम के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘‘ वाहन उद्योग का प्रदर्शन अपेक्षाकृत सपाट रहा। हालांकि यात्री वाहनों, दोपहिया और तिपहिया वाहनों का खुदरा पंजीकरण पिछली तिमाही की तुलना में मामूली रूप से अधिक रहा।’’

सियाम ने कहा कि इस क्षेत्र में निर्यात वृद्धि अधिकतर बाजारों में स्थिर मांग और पश्चिम एशिया एवं लातिनी अमेरिका में मजबूत प्रदर्शन से हुई। श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसी बाजारों में सुधार, जापान से बढ़ती मांग तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत बढ़ते निर्यात ने भी समग्र वृद्धि में योगदान दिया।

सियाम ने कहा कि दूसरी तिमाही के लिए समग्र उद्योग परिदृश्य सतर्क और आशावादी बना हुआ है। हालांकि, पहली तिमाही की चुनौतियां निकट भविष्य में भी बनी रह सकती हैं, लेकिन कई सकारात्मक व्यापक आर्थिक एवं मौसमी संकेतक धीरे-धीरे सुधार का समर्थन कर सकते हैं। आगामी त्योहारों से आमतौर पर मांग को बढ़ावा मिलता है, खासकर यात्री वाहनों एवं दोपहिया वाहन खंड में ... यह उपभोक्ता भावनाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

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