अर्थतंत्र की खबरें: एलन मस्क की स्टारलिंक भारत में एंट्री के करीब और अमेरिका में कर बढ़ाने से अरबों का नुकसान
स्टारलिंक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट अब श्रीलंका में उपलब्ध है।" स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के करीब पहुंच रहा है।

एलन मस्क के स्वामित्व वाली सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक ने बुधवार को श्रीलंका में आधिकारिक तौर पर अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं।
इस लॉन्च के साथ, श्रीलंका दक्षिण एशिया का तीसरा देश बन गया है, जिसे स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस तक पहुंच प्राप्त हुई है। इसी के साथ श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश के बाद भारत का एक और पड़ोसी देश बन गया है, जिसे यह सर्विस प्राप्त हुई है।
स्टारलिंक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट अब श्रीलंका में उपलब्ध है।" स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के करीब पहुंच रहा है।
पिछले महीने, कंपनी को दूरसंचार विभाग से एक महत्वपूर्ण लाइसेंस मिला, जो पहली बार आवेदन करने के लगभग तीन साल बाद मिला।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक अगले दो महीनों के भीतर भारत में सेवाएं देना शुरू कर सकता है।
स्टारलिंक के लिए भारत में परिचालन शुरू करने का अंतिम चरण भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) से औपचारिक मंजूरी है।
एजेंसी ने कंपनी को पहले ही एक ड्राफ्ट लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी कर दिया है।
एक बार जब दोनों पक्ष इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर देंगे तो स्टारलिंक को भारतीय बाजार में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए आधिकारिक रूप से मंजूरी मिल जाएगी।
स्टारलिंक पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट के नेटवर्क के जरिए इंटरनेट सर्विस प्रदान करता है। कंपनी वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े सैटेलाइट समूह का संचालन करती है, जिसमें 6,750 से ज्यादा सैटेलाइट कक्षा में हैं।
कंपनी के अनुसार, स्टारलिंक कम देरी के साथ तेज इंटरनेट प्रदान करता है, जिससे यह सीमित कनेक्टिविटी वाले दूरदराज के क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है।
एशिया में स्टारलिंक सेवाएं मंगोलिया, जापान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, यमन और अजरबैजान सहित कई देशों में पहले से ही उपलब्ध हैं। विश्व स्तर पर यह 100 से ज्यादा देशों में यूजर्स को सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें रेजिडेंशियल और रोमिंग दोनों तरह के इंटरनेट प्लान पेश किए जाते हैं।
अमेरिका में शुल्क बढ़ाने से कंपनियों को होगा 82.3 अरब डॉलर का नुकसान
अमेरिकी नियोक्ताओं के एक बड़े समूह को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीमा शुल्क संबंधी फैसलों से सीधे तौर पर 82.3 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा। एक विश्लेषण में यह आकलन पेश किया गया है।
जेपी मॉर्गन चेज इंस्टिट्यूट के इस विश्लेषण के मुताबिक, कंपनियों पर पड़ने वाले इस भारी बोझ की भरपाई संभावित रूप से कीमतों में वृद्धि, छंटनी या कम लाभ मार्जिन के जरिये करने की कोशिश की जाएगी।
इस विश्लेषण में एक करोड़ डॉलर से लेकर एक अरब डॉलर तक के सालाना राजस्व वाली कंपनियों पर आयात कर के सीधे प्रभाव का आकलन किया गया है। इन कंपनियों में अमेरिका के भीतर निजी क्षेत्र के लगभग एक-तिहाई कर्मचारी तैनात हैं।
ये अमेरिकी कंपनियां चीन, भारत और थाइलैंड से आयात पर अधिक निर्भर हैं। ऐसे में सीमा शुल्क बढ़ाए जाने से खुदरा एवं थोक क्षेत्र खासतौर पर प्रभावित होंगे।
इस विश्लेषण के निष्कर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दावे का खंडन करते हैं कि विदेशी विनिर्माता शुल्क की लागत का बोझ उठाएंगे। हालांकि, ट्रंप के कार्यकाल में लगाए गए उच्च शुल्क से अभी तक समग्र मुद्रास्फीति में वृद्धि नहीं देखी गई है। इसकी वजह यह है कि अमेजन एवं वॉलमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों ने करों के लागू होने से पहले ही बड़ा स्टॉक जमा कर लिया था।
भारत समेत कई देशों पर लगाया गया ऊंचा शुल्क नौ जुलाई से प्रभावी होना है। इन शुल्कों से अमेरिकी नियोक्ताओं को होने वाले 82.3 अरब डॉलर के नुकसान को देखें तो वह प्रति कर्मचारी औसतन 2,080 डॉलर यानी औसत वार्षिक वेतन का 3.1 प्रतिशत होगा।
विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि शुल्क के कारण कुछ घरेलू विनिर्माता आपूर्तिकर्ताओं के रूप में अपनी भूमिका मजबूत कर सकते हैं, लेकिन थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को अपनी शुल्क लागत उपभोक्ताओं पर डालने की जरूरत हो सकती है।
रुपया नौ पैसे टूटकर 85.68 प्रति डॉलर पर
स्थानीय शेयर बाजारों में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे टूटकर 85.68 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर में मामूली सुधार से भी रुपये पर दबाव पड़ा क्योंकि बाजार निवेशक भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का इंतजार कर रहे हैं, जिसके लिए बातचीत जारी है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.59 पर खुला। इसने कारोबार के दौरान 85.57 के उच्चस्तर तथा 85.75 के निचले स्तर को छुआ। अंत में यह 85.68 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से नौ पैसे की गिरावट है।
मंगलवार को रुपया 17 पैसे बढ़कर 85.59 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.14 प्रतिशत चढ़कर 96.95 पर पहुंच गया।
वायदा कारोबार में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.92 प्रतिशत बढ़कर 67.73 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘हमें लगता है कि नौ जुलाई की समयसीमा नजदीक आने के साथ ही शुल्क को लेकर अनिश्चितता के कारण रुपये में गिरावट आएगी। शुल्क के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने वाले बयानों से बाजार में हलचल मची हुई है।’
भारत और अमेरिका के बीच वाशिंगटन में मंगलवार को छठे दिन भी गहन वार्ता जारी रही। वार्ता निर्णायक चरण में पहुंच गई है और भारत ने अपने श्रम-गहन उत्पादों के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग की है।
वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल की अध्यक्षता में भारतीय दल अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर वार्ता के लिए वाशिंगटन में है। दोनों पक्ष नौ जुलाई की समयसीमा से पहले वार्ता को अंतिम रूप देने पर विचार कर रहे हैं।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 890.93 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
सोने में 500 रुपये की तेजी, चांदी स्थिर
राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतें बुधवार को 500 रुपये बढ़कर 99,170 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं। अमेरिकी शुल्क को लेकर नयी चिंताओं के बीच भारी वैश्विक खरीद होने से सोने में यह तेजी देखी गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
पिछले सत्र में मंगलवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,200 रुपये बढ़कर 98,670 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी।
दो लगातार सत्रों में सोने में 1,700 रुपये प्रति 10 ग्राम की तेजी आई है।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 450 रुपये बढ़कर 98,600 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) पर पहुंच गया। पिछले कारोबार में यह 98,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
नुवामा प्रोफेशनल क्लाइंट्स ग्रुप के एफएक्स एवं जिंस प्रमुख, अभिलाष कोइकरा ने कहा, ‘‘जुलाई-सितंबर तिमाही में सोने की शुरुआत तेजी के साथ हुई। हाल ही में जून के उच्च स्तर से गिरावट के साथ ईरान-इजराइल युद्धविराम के बाद भू-राजनीतिक जोखिम में कमी आई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंकों ने जून में 50 टन से अधिक सोना खरीदा, जिसका नेतृत्व चीन और तुर्की ने किया, जबकि खासकर यूरोप में व्यापार तनाव के बीच, गोल्ड ईटीएफ में नए सिरे से निवेश देखा गया।’’
हालांकि, बुधवार को चांदी की कीमतें 1,04,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर स्थिर रहीं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापक कर और व्यय कटौती विधेयक के राजकोषीय निहितार्थों को लेकर चिंताओं के बीच सुरक्षित निवेश की मांग से सोने में तेजी आई है।’’
वैश्विक बाजारों में हाजिर सोना मामूली रूप से बढ़कर 3,342.44 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।
कोटक सिक्योरिटीज में जिंस शोध की एवीपी कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘नए व्यापार तनाव के बीच सोना 3,350 डॉलर के स्तर के आसपास स्थिर बना हुआ है, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वे व्यापार भागीदारों पर जवाबी शुल्क दरों के लिए नौ जुलाई की समयसीमा को बढ़ाने पर विचार नहीं कर रहे हैं और इसमें देरी नहीं करेंगे।’’
अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चिंतन मेहता के अनुसार, निवेशक अमेरिकी श्रम आंकड़ों का इंतजार करेंगे, एडीपी रोजगार रिपोर्ट दिन के उत्तरार्द्ध में और गैर-कृषि पेरोल और बेरोजगारी दर के आंकड़े बृहस्पतिवार को आएंगे।
मेहता ने कहा कि ये आंकड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अगले कदम के बारे में संकेत देंगे।
शेयर बाजार लाल निशान में बंद, सेंसेक्स 287.60 अंक फिसला
भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुए। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 287.60 अंक या 0.34 प्रतिशत गिरावट के साथ 83,409.69 और निफ्टी 88.40 अंक या 0.35 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,453.40 पर था।
गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 460.25 अंक या 0.80 प्रतिशत की गिरावट के साथ 56,999.20 पर था। इसके अलावा एफएमसीजी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, इन्फ्रा और पीएसई लाल निशान में बंद हुए। ऑटो, आईटी, फार्मा, मेटल और कमोडिटी हरे निशान में बंद हुए।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 82.80 अंक या 0.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ 59,667.25 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 78.60 अंक या 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,977.10 पर था।
सेंसेक्स पैक में टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, ट्रेंट, मारुति सुजुकी, सन फार्मा, टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा और एचयूएल टॉप गेनर्स थे। बजाज फिनसर्व, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, बीईएल, पावर ग्रिड, कोटक महिंद्रा बैंक और एसबीआई टॉप लूजर्स थे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर का कहना कि टैरिफ समय सीमा से पहले मिश्रित वैश्विक संकेत निवेशकों को सतर्क कर रहे हैं। बाजार का ध्यान धीरे-धीरे जरूरी पहली तिमाही की आय पर जा रहा है, जिससे अधिक उम्मीदें हैं। मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल और बढ़े हुए सरकारी खर्च जैसे अंतर्निहित रुझान बाजार की मजबूती का समर्थन कर रहे हैं।
सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार हरे निशान में खुला था। सुबह करीब 9.23 बजे, सेंसेक्स 225.5 अंक या 0.27 प्रतिशत बढ़कर 83,922.79 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 58.75 अंक या 0.23 प्रतिशत बढ़कर 25,600.55 पर था।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 1 जुलाई को अपनी बिकवाली जारी रखी और 1,970.14 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अपनी खरीद जारी रखी और उसी दिन 771.08 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।
भारतीय बैंकों का एनपीए कई दशक के निचले स्तर 2.3 प्रतिशत पर पहुंचा
भारतीय रिजर्व बैंक की लेटेस्ट फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को मजबूत पूंजी भंडार, कई दशकों से कम नॉन-परफॉर्मिंग लोन और मजबूत आय से समर्थन मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार दर्ज करना जारी रखा है, जीएनपीए रेश्यो और एनएनपीए रेश्यो क्रमशः कई दशक के निचले स्तर 2.3 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत पर आ गया है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों का कुल ग्रॉस एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) एक वर्ष पहले के 2.8 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च तक कुल ऋणों का 2.3 प्रतिशत हो गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एनपीए में भारी गिरावट दर्ज की, जो मार्च 2024 में 3.7 प्रतिशत से इस वर्ष मार्च में 2.8 प्रतिशत हो गया। निजी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए रेश्यो 2.8 प्रतिशत पर स्थिर रहा।
इसके अलावा, मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों से पता चला है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल पूंजी स्तर प्रतिकूल तनाव परिदृश्यों में भी नियामक न्यूनतम से ऊपर बना रहेगा।
वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच भारतीय वित्तीय क्षेत्र मजबूत बना रहा। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार करते हुए अपनी पूंजी और लिक्विडिटी बफर को मजबूत किया। बैंक ऋण वृद्धि में कमी आई और यह जमा वृद्धि के करीब पहुंच गई, जिससे दोनों के बीच का अंतर कम हो गया।
एनबीएफसी द्वारा ऋण विस्तार को ऋण गुणवत्ता में सुधार और मजबूत पूंजी बफर से बल मिला। मौद्रिक नीति में ढील के कारण अनुकूल ब्याज दर के माहौल से आगे चलकर क्रेडिट ऑफटेक को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की पूंजी स्थिति मजबूत हुई, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पूंजी नियामक न्यूनतम से काफी ऊपर रही।
बीमा क्षेत्र, जीवन और गैर-जीवन दोनों क्षेत्रों का कंसोलिडेटेड सॉल्वेंसी रेश्यो न्यूनतम निर्धारित सीमा से ऊपर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्ध-वार्षिक स्लिपेज रेश्यो 0.7 प्रतिशत पर स्थिर रहा, जबकि मार्च 2025 में बैंकों का प्रोवजनिंग कवरेज रेश्यो 76.3 प्रतिशत था, जो सितंबर 2024 की तुलना में थोड़ा कम था।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia