अर्थतंत्र की खबरें: भारत के पारंपरिक उत्पादों को एफटीए से ब्रिटेन में मिलेगा बड़ा बाजार और सोना-चांदी के दामों में गिरावट
इस व्यापार समझौते से लाभान्वित होने वाली अन्य वस्तुओं में बालूचरी साड़ियां (पश्चिम बंगाल), बंधिनी (गुजराती रंगाई कला), कांचीपुरम साड़ियां और तिरुपुर के बुने कपड़े भी शामिल हैं।

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में स्वदेश निर्मित कई पारंपरिक उत्पादों पर शुल्क में छूट दिए जाने के बाद भागलपुर सिल्क, पश्मीना शॉल, कोल्हापुरी चप्पल और तंजावुर डॉल (गुड़िया) अब ब्रिटेन के शॉपिंग मॉल और दुकानों में प्रमुखता से नजर आएगी।
इस व्यापार समझौते से लाभान्वित होने वाली अन्य वस्तुओं में बालूचरी साड़ियां (पश्चिम बंगाल), बंधिनी (गुजराती रंगाई कला), कांचीपुरम साड़ियां और तिरुपुर के बुने कपड़े भी शामिल हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘बिहार का भागलपुर सिल्क अपनी चमकदार बनावट और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए जाना जाता है। इस विशिष्ट उत्पाद को भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के जरिये ब्रिटेन में एक फलता-फूलता बाजार मिलेगा जिससे निर्यात के अवसर बढ़ेंगे और बिहार के स्थानीय कारीगरों को काफी लाभ होगा।’’
कृषि क्षेत्र में मखाना, शाही लीची, अराकू कॉफी और कश्मीरी केसर जैसी वस्तुओं की भी ब्रिटिश बाज़ार में पहुंच बढ़ेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘शुल्क हटने के बाद अराकू कॉफी को ब्रिटेन में एक बड़ा बाजार मिलेगा। इससे इस जैविक कॉफी के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र के स्थानीय किसानों एवं समुदायों को समर्थन मिलेगा।’’
इसी तरह, भारतीय पारंपरिक खिलौने, जैसे नटुग्राम गुड़िया (पश्चिम बंगाल), सिक्की घास शिल्प (बिहार), तंजावुर गुड़िया (तमिलनाडु), और चन्नपटना खिलौने एवं गुड़िया (कर्नाटक) के निर्यात को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।
वेल्लोर चप्पल (तमिलनाडु), शांतिनिकेतन चमड़ा (पश्चिम बंगाल), और कोल्हापुरी जूते (महाराष्ट्र) जैसे उत्पादों की ब्रिटेन के बाजार में आसान पहुंच होगी, जिससे इन पारंपरिक जूतों की मांग बढ़ेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘जीआई (भौगोलिक संकेत) निशान के साथ कोल्हापुरी चप्पलों की ब्रिटेन में मांग बढ़ेगी, जिससे पारंपरिक दस्तकारी वाले फुटवियर के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय कारीगरों को समर्थन मिलेगा। इससे महाराष्ट्र की समृद्ध शिल्प विरासत को भी बढ़ावा मिलेगा।’’
इसके अलावा मोरबी सिरेमिक (गुजरात), बुलंदशहर के खुर्जा के बर्तन और कश्मीरी लकड़ी (कश्मीरी विलो) के क्रिकेट बैट को ब्रिटेन में बेहतर पहुंच मिलेगी।
व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए।
इस समझौते को लागू होने से पहले ब्रिटिश संसद से मंजूरी भी लेनी होगी। इस प्रक्रिया में लगभग एक साल लग सकता है।
बिकवाली, एफआईआई की निकासी से सेंसेक्स 543 अंक लुढ़का, निफ्टी भी नुकसान में
स्थानीय शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को गिरावट आई और बीएसई सेंसेक्स 543 अंक लुढ़क गया जबकि एनएसई निफ्टी 158 अंक के नुकसान में रहा। मुख्य रूप से प्रमुख कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली और विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी जारी रहने से बाजार में गिरावट आई।
सकारात्मक शुरुआत के बावजूद 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स इस गति को बनाये नहीं रख सका और बाद में इसमें गिरावट आई। सेंसेक्स 542.47 अंक यानी 0.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,184.17 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 679.42 अंक तक लुढ़क गया था।
बीएसई में सूचीबद्ध शेयरों में 2,410 शेयरों में गिरावट रही जबकि 1,645 शेयर बढ़त में रहे। वहीं 166 के भाव अपरिवर्तित रहे।
पचास शेयरों वाला एनएसई निफ्टी भी 157.80 अंक यानी 0.63 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,062.10 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की कंपनियों में ट्रेंट, टेक महिंद्रा, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, कोटक महिंद्रा बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एनटीपीसी प्रमुख रूप से नुकसान में रहीं।
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), टाटा मोटर्स, सन फार्मा, टाटा स्टील और टाइटन शामिल हैं।
इन्फोसिस के शेयर में एक प्रतिशत की गिरावट आई। जून तिमाही के वित्तीय परिणाम के बाद कंपनी के शेयर में मुनाफावसूली का सिलसिला चला।
एशिया के अन्य बाजारों में, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग सकारात्मक दायरे में बंद हुए।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में तेजी का रुख रहा। बुधवार को अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘ सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को लेकर शुरुआती सकारात्मक प्रभाव की जगह सतर्कता ने ले ली क्योंकि निवेशकों का ध्यान अब कंपनियों के तिमाही नतीजों पर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहली तिमाही के हल्के प्रदर्शन के कारण आईटी और एफएमसीजी (दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों) से जुड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर नुकसान में रहे। हालांकि, पहली तिमाही के नतीजे मोटे तौर पर ठीक रहे हैं, लेकिन यह अधिक मूल्यांकन को सही नहीं ठहराते...।’’
भारत और ब्रिटेन ने बृहस्पतिवार को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए। इससे ब्रिटेन की व्हिस्की, कार और कई वस्तुओं पर शुल्क में कटौती होगी। साथ ही द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब डॉलर की वृद्धि होगी।
इस समझौते पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड ने हस्ताक्षर किये। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर भी मौजूद थे।
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, एफटीए से शुल्क से 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को लाभ होने की उम्मीद है। इससे ब्रिटिश कंपनियों के लिए भारत में व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का निर्यात आसान हो जाएगा। साथ ही कुल व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘वायदा एवं विकल्प खंड में सौदों की साप्ताहिक समाप्ति के दिन बाजार दबाव में रहा...स्थिर शुरुआत के बाद, मुख्य रूप से इन्फोसिस के नतीजों के बाद आईटी कंपनियों में लगातार कमजोर रुख और हाल की तेजी के बाद निजी बैंकों के शेयरों में मुनाफावसूली के कारण निफ्टी नुकसान में जाता रहा और अंत में आधा प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ 25,062.10 पर बंद हुआ।’’
छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.50 प्रतिशत नीचे आया और मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप 0.43 प्रतिशत टूटा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 4,209.11 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने पिछले कारोबार में 4,358.52 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.24 प्रतिशत बढ़कर 69.36 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
सेंसेक्स बुधवार को 539.83 अंक चढ़कर बंद हुआ जबकि निफ्टी 159 अंक मजबूत हुआ था।
सोना 1,400 रुपये टूटा, चांदी में 3,000 रुपये की गिरावट
स्टॉकिस्ट की मुनाफावसूली और वैश्विक बाजारों में सुस्ती के कारण राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में बृहस्पतिवार को सोने की कीमत 1,400 रुपये टूटकर 99,620 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बुधवार को 1,01,020 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
राष्ट्रीय राजधानी में, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को 1,200 रुपये गिरकर 99,250 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रह गया। पिछले सत्र में यह 1,00,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष, ईबीजी, , जिंस और मुद्रा प्रणव मेर ने कहा, ‘‘अमेरिका द्वारा जापान और फिलिपीन के साथ व्यापार समझौतों की घोषणा के बाद जोखिम प्रीमियम कम होने से मुनाफावसूली के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आई है। इससे चीन और यूरोप के साथ ऐसे और करार होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले कमजोर डॉलर से कीमतों को कुछ समर्थन मिल सकता है।’’
एसोसिएशन के अनुसार, बृहस्पतिवार को चांदी की कीमतें 3,000 रुपये गिरकर 1,15,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) रह गईं। बुधवार को यह 4,000 रुपये की तेजी के साथ 1,18,000 रुपये प्रति किलोग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गई थीं।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 24.35 डॉलर या 0.72 प्रतिशत गिरकर 3,362.88 डॉलर प्रति औंस रह गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘अमेरिका और उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के कारण सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों के रूप में सोने की मांग प्रभावित होने से सोना पांच सप्ताह के उच्चस्तर से नीचे आया और बृहस्पतिवार को भी गिरावट जारी रही।’’
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष, शोध विश्लेषक जिंस और मुद्रा जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘पिछले महीने, शुल्क वार्ताओं में रुकावट के बीच सोने में लगातार बढ़त दर्ज की गई थी, लेकिन नए समझौते की घोषणाओं ने तनाव कम होने की उम्मीदें जगा दी हैं, जिससे अल्पावधि में सर्राफा की अपील कम हो गई है।’’
वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर चांदी 0.53 प्रतिशत की गिरावट के साथ 39.05 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के एवीपी (जिंस और मुद्रा ) मनीष शर्मा ने कहा, ‘‘आगे जाकर, अगले सप्ताह फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले आर्थिक सेहत का आकलन करने के लिए बृहस्पतिवार को अमेरिका के साप्ताहिक बेरोजगारी दावों के आंकड़े और एसएंडपी ग्लोबल पीएमआई आंकड़े ध्यान केंद्र में रहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘यूरोपीय केंद्रीय बैंक के ब्याज दर संबंधी फैसले को लेकर भी व्यापारी सतर्क रह सकते हैं।’’
डॉलर के मुकाबले रुपया एक पैसे बढ़कर 86.40 पर
वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की मंशा और कच्चे तेल के दाम रातोंरात मजबूत होने से निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया अपनी शुरुआती बढ़त गंवा बैठा और एक पैसे की मामूली बढ़त के साथ 86.40 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता, विदेशी मुद्रा बाजार पर भारी पड़ रही है, जिससे रुपया सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है। इसके अलावा, घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख और विदेशी पूंजी की निकासी ने निवेशकों की धारणा प्रभावित की और रुपये की तेजी को सीमित कर दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, डॉलर के मुकाबले रुपया 86.33 पर खुला और कारोबार के दौरान 86.24 के उच्चतम स्तर और 86.42 के निम्नतम स्तर को छुआ।
बृहस्पतिवार के कारोबारी सत्र के अंत में, रुपया 86.40 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से मात्र एक पैसे की तेजी है।
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया तीन पैसे की गिरावट के साथ 86.41 पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच हमारा अनुमान है कि रुपया थोड़े नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी भी रुपये पर दबाव डाल सकती है।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘अमेरिका-यूरोपीय संघ व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद और कमजोर अमेरिकी डॉलर निचले स्तर पर रुपये को सहारा दे सकते हैं। व्यापारी अमेरिका से नए घरों की बिक्री के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं और इस सप्ताह अमेरिका से पीएमआई और टिकाऊ माल के ऑर्डर के आंकड़ों से पहले सतर्क रह सकते हैं। निवेशक ईसीबी की मौद्रिक नीति के फैसले से भी संकेत ले सकते हैं। डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 86.10 से 86.75 के बीच रह सकती है।’’
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती मापने वाला सूचक, डॉलर सूचकांक 0.16 प्रतिशत बढ़कर 97.36 पर पहुंच गया, क्योंकि निवेशक एक अगस्त की समयसीमा से पहले भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर नज़र बनाए हुए हैं।
यदि वार्ता विफल हो जाती है या इसमें देरी होती है, तो भारतीय निर्यातकों पर नए दबाव पड़ सकते हैं - जिससे रुपये की चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।
हालांकि, यदि कोई समझौता हो जाता है, तो यह एक बहुत ज़रूरी राहत प्रदान कर सकता है। तब तक, अनिश्चितता के कारण बाजार सहभागी सतर्क रह सकते हैं।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.18 प्रतिशत बढ़कर 69.32 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी टीम अगस्त में भारत का दौरा करेगी।
भारत और अमेरिकी टीमों ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में समझौते के लिए पाँचवें दौर की वार्ता पूरी की।
इस बीच, घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 542.47 अंक टूटकर 82,184.17 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 157.80 अंक फिसलकर 25,062.10 पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बुधवार को शुद्ध आधार पर 4,209.11 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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