अर्थतंत्र की खबरें: 'वैश्विक स्तर पर आ सकती है मंदी' और ट्रंप टैरिफ के बाद ऑल टाइम हाई पर गोल्ड
जिंदल ने कहा कि मेरे हिसाब से यह एक खराब फैसला है कि जिसके कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था की गति धीमी होगी और वहां के कंज्यूमरों को अधिक नुकसान पहुंचेगा और इससे ग्लोबल ट्रेड प्रभावित होने के साथ वैश्विक स्तर पर मंदी भी आ सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी टैरिफ से यूएस की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा और इससे वैश्विक स्तर पर मंदी भी आ सकती है। यह बयान अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने गुरुवार को दिया।
जिंदल ने कहा कि मेरे हिसाब से यह एक खराब फैसला है कि जिसके कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था की गति धीमी होगी और वहां के कंज्यूमरों को अधिक नुकसान पहुंचेगा और इससे ग्लोबल ट्रेड प्रभावित होने के साथ वैश्विक स्तर पर मंदी भी आ सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार सॉल्यूशन ओरिएंटेड है और स्थिति देखकर फैसला लेती है। केंद्र सरकार ने अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत करने की भी कोशिश की, लेकिन अमेरिका द्वारा जवाबी टैरिफ लगाया गया। इस फैसले से भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर असर हो सकता है। इससे केवल छोटी अवधि में ही नुकसान होगा। हालांकि, लंबी अवधि में इसका कोई नुकसान नहीं होगा।
गोयल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरी दुनिया सम्मान करती है। उनके नेतृत्व में हम आने वाले समय में हम दुनिया के अन्य बड़े देशों के साथ समझौता कर सकते हैं, जिससे भारत के समान के निर्यात के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ वैश्विक व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू चेन में एक बड़ा बदलाव लाएंगे।
ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए गए जवाबी टैरिफ से वैश्विक बाजारों में छोटी अवधि के लिए उथल-पुथल का दौर देखने को मिल सकता है। इस टैरिफ का सबसे अधिक असर ऑटो, स्टील और कृषि पर होगा। हालांकि, फार्मा पर कोई टैरिफ नहीं लगाया गया है।
ट्रंप ने बुधवार को भारत पर 26 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत और यूरोपीय यूनियन पर 20 प्रतिशत के साथ कई देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
ट्रंप टैरिफ के बाद ऑल टाइम हाई पर गोल्ड
गोल्ड की कीमतें ऑल-टाइम हाई पर बनी हुई है और 24 कैरेट के 10 ग्राम गोल्ड का भाव 91,000 रुपये से भी अधिक हो गया है।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार, गुरुवार को 24 कैरेट गोल्ड का दाम 214 रुपये बढ़कर 91,210 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। इससे पहले 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 90,996 रुपये थी।
22 कैरेट गोल्ड का दाम बढ़कर 89,002 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट सोने का दाम बढ़कर 73,880 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है।
गोल्ड के उलट चांदी की कीमत में गिरावट देखने को मिली है। एक किलो चांदी की कीमत 2,236 रुपये गिरकर 97,300 रुपये प्रति किलो हो गई है। इससे पहले चांदी की कीमत 99,536 रुपये प्रति किलो थी।
गोल्ड की कीमत में बढ़त की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जवाबी टैरिफ लगाने के बाद बढ़ी वैश्विक अस्थिरता, डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी और दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा गोल्ड की लगातार खरीद को माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गोल्ड के दाम उच्च स्तर पर बने हुए है और यह 3,117 डॉलर प्रति औंस के आसपास बना हुआ है। वहीं, चांदी के दाम 32 डॉलर प्रति औंस के करीब है।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड की कीमतें 3,200 डॉलर के स्तर को पार कर सकती हैं। इसकी वजह अमेरिका द्वारा टैरिफ के ऐलान से बढ़ी वैश्विक अस्थिरता है। हमें लगता है कि आने वाले समय में भी वैश्विक अस्थिरता बनी रहेगी, जिससे गोल्ड की कीमतों को सहारा मिलता रहेगा।
2025 की शुरुआत के बाद से अब तक गोल्ड 20 प्रतिशत से भी अधिक का रिटर्न दे चुका है। एक जनवरी को 24 कैरेट के 10 ग्राम गोल्ड का रेट 76,162 रुपये था, जो कि अब 15,048 रुपये बढ़कर 91,210 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है।
इस दौरान चांदी ने करीब 13 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। 1 जनवरी को चांदी की कीमत 86,017 रुपये प्रति किलो थी, जो कि 11,283 रुपये बढ़कर 97,300 रुपये प्रति किलो हो गई है।
अमेरिका के जवाबी शुल्क के प्रभाव का सावधानीपूर्वक आकलन कर रही है सरकार
वाणिज्य मंत्रालय भारत पर अमेरिका के जवाबी शुल्क के प्रभावों की सावधानीपूर्वक जांच कर रहा है और इस मुद्दे पर घरेलू उद्योग तथा निर्यातकों सहित विभिन्न पक्षों की राय जानने को लेकर उनके साथ बातचीत कर रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि वह अमेरिकी व्यापार नीति में इस कदम के कारण उत्पन्न होने वाले अवसरों का भी अध्ययन कर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी व्यापार भागीदारों से आयात पर 10 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त मूल्यानुसार शुल्क लगाने की घोषणा की है। 10 प्रतिशत का बेसलाइन यानी संदर्भ शुल्क पांच अप्रैल से और 27 प्रतिशत नौ अप्रैल से प्रभावी होगा। कुछ क्षेत्रों को इन शुल्कों से छूट दी गई है जिनमें औषधि, सेमीकंडक्टर और ऊर्जा उत्पाद शामिल हैं।
बयान के अनुसार, ‘‘वाणिज्य विभाग अमेरिका के राष्ट्रपति की विभिन्न उपायों/घोषणाओं के प्रभाव का सावधानीपूर्वक आकलन कर रहा है।’’
इसने यह भी कहा कि पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के शीघ्र समापन के लिए भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते में आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करने सहित आपसी हितों के कई मुद्दे शामिल होंगे। भारत और अमेरिका के बीच जारी बातचीत दोनों देशों को व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बढ़ाने में सक्षम बनाने पर केंद्रित है।
वाणिज्यि विभाग ने कहा, ‘‘हम इन मुद्दों पर ट्रंप प्रशासन के संपर्क में हैं और आने वाले दिनों में उन्हें आगे बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं।’’
बयान के अनुसार, भारत] अमेरिका के साथ अपनी व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को महत्व देता है और दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ट्रंप की शुल्क घोषणा से सेंसेक्स 322 अंक टूटा, आईटी शेयरों में बिकवाली
स्थानीय शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को गिरावट आई और बीएसई सेंसेक्स 322 अंक टूट गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत समेत 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयरों में बिकवाली तथा वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख से बाजार नुकसान में रहा।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 322.08 अंक यानी 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,295.36 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 809.89 अंक तक लुढ़क गया था। हालांकि, बाद में औषधि शेयरों में तेजी से बाजार नुकसान की कुछ हद तक भरपाई करने में सफल रहा।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 82.25 अंक यानी 0.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,250.10 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी एक समय 186.55 अंक तक लुढ़क गया था।
अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क दरों का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘अमेरिकी शुल्क की घोषणा के बाद निफ्टी सूचकांक नुकसान के साथ खुला लेकिन कुछ प्रमुख कंपनियों के शेयरों में मजबूती से इसमें कुछ सुधार देखने को मिला। इससे शुरुआती नुकसान को कम करने में मदद मिली और आज बाजार एक दायरे में रहा।’’
सेंसेक्स की कंपनियों में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इन्फोसिस, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारती एयरटेल और मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा स्टील के शेयरों में प्रमुख रूप से गिरावट आई।
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में पावरग्रिड, सन फार्मास्युटिकल्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, एनटीपीसी, एशियन पेंट्स, नेस्ले इंडिया, टाइटन, इंडसइंड बैंक और एक्सिस बैंक शामिल है।
छोटी कंपनियों से जुड़े बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 0.76 प्रतिशत की तेजी रही जबकि मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप 0.31 प्रतिशत मजबूत हुआ।
जियोजीत इनवेस्टमेंट्स के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू शेयर बाजार में एक समय सुधार का संकेत था लेकिन अंत में यह हल्की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसका कारण अमेरिकी आयात पर अपेक्षाकृत कम शुल्क की घोषणा है। अमेरिका में नरमी और आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने की की चिंता के बीच आईटी और वाहन शेयरों में बिकवाली दबाव रहा।’’
नायर ने कहा कि औषधि कंपनियों को शुल्क से बाहर रखने से यह क्षेत्र लाभ में रहा। इन सबके बावजूद मजबूत घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़ों और कच्चे तेल की कम कीमत से व्यापक स्तर पर बाजार को समर्थन मिला।
उन्होंने कहा कि हालांकि शुल्क से अल्पकालीन स्तर पर चुनौतियां हैं, लेकिन भारत की आर्थिक मजबूती और द्विपक्षीय व्यापार समझौते से इसके असर को कम करने में मदद मिलेगी।
हालांकि, बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ, लेकिन बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 35,170.32 करोड़ रुपये बढ़कर 4,13,33,265.92 करोड़ रुपये पहुंच गया।
बीएसई में 2,809 शेयरों में तेजी रही, जबकि 1,175 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। 139 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ।
एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की तीन प्रतिशत नीचे आया जबकि हांगकांग का हैंगसेंग 1.52 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 0.76 प्रतिशत और चीन का शंघाई कम्पोजिट 0.24 प्रतिशत टूटा।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में गिरावट का रुख था। अमेरिकी बाजार बुधवार को बढ़त में रहे थे।
वैश्विक स्तर पर तेल मानक ब्रेंट क्रूड 3.68 प्रतिशत की गिरावट के साथ 72.19 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
इस बीच, शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को 1,538.88 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,808.83 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 592.93 अंक चढ़ा था जबकि एनएसई निफ्टी में 166.65 अंक की तेजी आई थी।
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