अर्थतंत्र की खबरें: रिकॉर्ड ऊंचाई पर गोल्ड और चीन ने टैरिफ बम पर अमेरिका को दिया जवाब
गोल्ड ने नया ऑल-टाइम हाई बनाया है। गोल्ड की कीमत पहली बार 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई है।

गोल्ड ने शुक्रवार को नया ऑल-टाइम हाई बनाया और कीमत पहली बार 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार, 24 कैरेट के गोल्ड की कीमत 2,913 रुपये बढ़कर 93,074 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि पहले 90,161 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। इससे पहले, गोल्ड का ऑल-टाइम हाई 91,205 रुपये प्रति 10 ग्राम था।
22 कैरेट गोल्ड की कीमत बढ़कर 82,840 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है और 18 कैरेट गोल्ड की कीमत बढ़कर 75,390 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है।
गोल्ड के साथ सिल्वर की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है। सिल्वर की कीमत 1,958 रुपये बढ़कर 92,627 रुपये प्रति किलो हो गई। इससे पहले सिल्वर की कीमत 90,669 रुपये प्रति किलो थी।
घरेलू बाजार के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी गोल्ड की कीमतें ऑल-टाइम हाई पर बनी हुई हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमत बढ़कर 3,235 डॉलर प्रति औंस हो गई है। यह पहला मौका है, जब गोल्ड 3,200 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है।
एलकेपी सिक्योरिटीज में रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी और करेंसी), जतिन त्रिवेदी ने कहा कि गोल्ड में रिकॉर्ड रैली देखने को मिली है और एमसीएक्स पर कीमत 1,500 रुपये बढ़कर 93,500 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। इसकी वजह अमेरिकी और चीन के बीच ट्रेड वार बढ़ने से वैश्विक स्तर पर अस्थिरता पैदा होना है।
उन्होंने आगे कहा कि गोल्ड के लिए 94,500 रुपये से लेकर 95,000 रुपये एक रुकावट का स्तर है। वहीं, 92,000 रुपये एक सपोर्ट लेवल के तौर पर काम करेगा।
2025 की शुरुआत से अब तक 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 76,162 रुपये प्रति 10 ग्राम से 16,912 रुपये यानी 22 प्रतिशत बढ़कर 93,074 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। वहीं, सिल्वर का भाव भी 86,017 रुपये प्रति किलो से 6,610 रुपये या 7 प्रतिशत बढ़कर 92,627 रुपये हो गया है।
चीन का अमेरिका को जवाब, आयात पर शुल्क बढ़ाकर 125 प्रतिशत किया
चीन ने ट्रंप प्रशासन की तरफ से सीमा शुल्क में लगातार की जा रही बढ़ोतरी के बीच शुक्रवार को अपना पलटवार जारी रखते हुए अमेरिकी उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त शुल्क को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया।
इसके पहले अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर शुल्क को बढ़ाकर 145 प्रतिशत करने की घोषणा की थी।
हालांकि चीन ने सीमा शुल्क को लेकर छिड़े व्यापार गतिरोध को दूर करने के लिए अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत करने में भी दिलचस्पी दिखाई।
चीन के सीमा शुल्क आयोग ने अमेरिकी आयात पर अतिरिक्त 125 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा, "अगर अमेरिका इससे भी अधिक शुल्क लगाता है तो उसका आर्थिक रूप से कोई मतलब नहीं होगा और आखिरकार वह विश्व आर्थिक इतिहास में एक मजाक के रूप में दर्ज होगा।"
आयोग ने कहा, "चीनी बाजार के लिए मौजूदा शुल्क स्तर पर अमेरिकी आयात को स्वीकार करना पहले से ही असंभव है। ऐसे में अगर अमेरिका हमारे उत्पादों पर और शुल्क लगाता है तो फिर चीन इसे अनदेखा कर देगा।"
इसके साथ ही सीमा शुल्क आयोग ने कहा कि अगर अमेरिका चीन के हितों को कमज़ोर करने में लगा रहता है तो चीन सख्त जवाबी कार्रवाई करेगा और आखिर तक लड़ेगा।
अतिरिक्त शुल्क शनिवार से प्रभावी होंगे। यह घोषणा चीनी आयात पर 'जवाबी शुल्क' को 125 प्रतिशत तक बढ़ाने के अमेरिकी कदम के बाद की गई है।
अमेरिका ने कहा कि चीनी उत्पादों पर कुल शुल्क 145 प्रतिशत हो गया है जिसमें इस साल जनवरी में ट्रंप सरकार आने के बाद घोषित 20 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है।
ट्रंप सरकार की तरफ से चीन पर भारी-भरकम शुल्क लगाए जाने और अन्य देशों पर लगाए शुल्क को 90 दिनों के लिए टाल दिए जाने के बाद चीन इस व्यापार युद्ध में अलग-थलग पड़ता हुआ नजर आ रहा है।
हालांकि दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने भी अमेरिकी आयात पर शुल्क को कई गुना बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के विवाद निपटान तंत्र के तहत अमेरिका के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया है।
इसके साथ ही चीन ने इस मुद्दे को हल करने के लिए बातचीत का दरवाजा खुला रखा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अगर अमेरिका वास्तव में बातचीत और वार्ता के माध्यम से मुद्दों को हल करना चाहता है, तो उसे अपने अधिकतम दबाव की रणनीति और गैर-जिम्मेदाराना हरकतों को रोकना चाहिए।
लिन ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "शुल्क युद्धों या व्यापार युद्धों में कोई भी विजेता नहीं होता है। चीन ऐसे युद्ध का हिस्सा नहीं बनना चाहता है लेकिन हम ऐसा करने से डरते भी नहीं हैं।"
उन्होंने कहा कि कोई भी संवाद समानता, आपसी सम्मान एवं लाभ पर आधारित होना चाहिए और अगर अमेरिका शुल्क युद्ध बढ़ाने पर जोर देता है, तो चीन भी इस चुनौती का पुरजोर जवाब देगा।
अमेरिकी शुल्क टाले जाने से शेयर बाजारों में तेजी लौटी, सेंसेक्स 1310 अंक उछला
भारत समेत विभिन्न देशों पर लगाए उच्च सीमा शुल्क को तीन महीनों के लिए टालने के अमेरिकी सरकार के फैसले से शुक्रवार को स्थानीय शेयर बाजारों में जबर्दस्त तेजी रही। सेंसेक्स 1,310 अंक उछल गया जबकि निफ्टी ने 429 अंकों की छलांग लगाई।
भारतीय बाजार में तेजी इस लिहाज से खास रही कि इसने दुनिया भर के बाजारों में व्याप्त गिरावट के रुख के उलट तेजी का रुझान दिखाया। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध गहराने से वैश्विक बाजारों में नकारात्मक धारणा हावी रही।
स्थानीय स्तर पर जबर्दस्त लिवाली होने से बीएसई का 30 शेयरों वाला मानक सूचकांक सेंसेक्स 1,310.11 अंक यानी 1.77 प्रतिशत उछलकर 75,157.26 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,620.18 अंक बढ़कर 75,467.33 तक पहुंच गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 429.40 अंक यानी 1.92 प्रतिशत बढ़कर 22,828.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 524.75 अंक बढ़कर 22,923.90 पर पहुंच गया था।
घरेलू बाजार में आई तेजी के बीच सेंसेक्स की 30 में से 28 कंपनियों के शेयर बढ़त में रहे। टाटा स्टील में सर्वाधिक 4.91 प्रतिशत की तेजी रही जबकि एचडीएफसी बैंक 2.33 प्रतिशत बढ़त पर रहा। पावर ग्रिड, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदाणी पोर्ट्स में भी तेजी देखी गई।
दूसरी तरफ, एशियन पेंट्स और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "जवाबी शुल्कों पर अप्रत्याशित रोक लगा दिए जाने से बाजार को राहत मिली है। हालांकि टीसीएस के तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों से कम रहे, लेकिन ऑर्डर बुक बढ़ने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति सुधरने की उम्मीद है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस की तरफ से जारी आदेशों के मुताबिक, अमेरिका ने इस साल नौ जुलाई तक 90 दिनों के लिए भारत पर लगे अतिरिक्त शुल्क को निलंबित करने की घोषणा की है।
इसके पहले दो अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को माल निर्यात करने वाले लगभग 60 देशों पर शुल्क और भारत जैसे देशों पर अलग से शुल्क लगाया था।
चौतरफा खरीदारी के दौर में बीएसई स्मालकैप सूचकांक ने 3.04 प्रतिशत का उछाल देखा जबकि मिडकैप सूचकांक में 1.84 प्रतिशत की तेजी रही।
सभी क्षेत्रवार सूचकांक भी बढ़त के साथ बंद हुए। जिंस खंड में सर्वाधिक 3.40 प्रतिशत की बढ़त रही जबकि टिकाऊ उपभोक्ता खंड 2.92 प्रतिशत और बिजली खंड 2.64 प्रतिशत चढ़ा।
बीएसई पर सूचीबद्ध कुल 3,115 शेयर बढ़कर बंद हुए जबकि 846 शेयरों में गिरावट रही और 118 अन्य अपरिवर्तित रहे।
भारतीय बाजार के उलट वैश्विक बाजारों में गिरावट का रुख देखा गया। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध तेज होने से बढ़ती चिंताओं के बीच वैश्विक बाजारों में बिकवाली का जोर देखा गया।
एशिया के अन्य बाजारों में जापान का सूचकांक निक्की और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग चढ़कर बंद हुए।
यूरोपीय बाजार भी गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजारों में बृहस्पतिवार को बड़ी गिरावट रही। नैस्डैक कंपोजिट में 4.31 प्रतिशत, एसएंडपी 500 में 3.46 प्रतिशत और डॉऊ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 2.50 प्रतिशत की गिरावट रही।
चीन ने शुक्रवार को अमेरिका से आयात पर अपने अतिरिक्त शुल्क को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया। इसके पहले ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात पर 145 प्रतिशत कर लगाने की घोषणा की।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 4,358.02 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की।
महावीर जयंती के अवसर पर बृहस्पतिवार को भारतीय शेयर बाजार बंद रहे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.32 प्रतिशत बढ़कर 63.53 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 379.93 अंक गिरकर 73,847.15 और एनएसई निफ्टी 136.70 अंक गिरकर 22,399.15 अंक पर बंद हुआ था।
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