अर्थतंत्र की खबरें: इजरायल-ईरान संघर्ष से भारतीय शेयर बाजार में भारी नुकसान और सोने और चांदी हुआ महंगा

बाजार में गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 555.20 अंक या 0.99 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 55,527.35 पर था।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 573.38 अंक या 0.70 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,118.60 और निफ्टी 169.60 अंक या 0.68 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 24,718.60 पर था।

बाजार में गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 555.20 अंक या 0.99 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 55,527.35 पर था।

इसके अलावा ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल और एनर्जी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। आईटी, रियल्टी और मीडिया इंडेक्स हरे निशान में थे।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बिकवाली देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 213 अंक या 0.37 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 58,227.45 पर था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 90 अंक या 0.49 प्रतिशत के दबाव के साथ 18,374 पर था।

सेंसेक्स पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, मारुति सुजुकी और सन फार्मा टॉप गेनर्स थे। आईसीटी, एसबीआई, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, टाइटन, कोटक महिंद्रा बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, इटरनल और हिंदुस्तान यूनिलीवर टॉप लूजर्स थे।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड में रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "कमजोर वैश्विक संकेतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी के कारण भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में गिरावट का दबाव देखने को मिला। ईरान पर इजरायल के सैन्य हमले के बाद बढ़े भू-राजनीतिक तनाव से बाजार के सेंटीमेंट पर काफी असर पड़ा है।"

उन्होंने आगे कहा, "ब्रेंट क्रूड की कीमतें 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं, जो इस साल का उच्चतम स्तर है, जिससे तनाव जारी रहने पर मुद्रास्फीति की आशंका बढ़ गई है। सोने की मांग मजबूत बनी हुई है, जो सुरक्षित-संपत्तियों की ओर बदलाव को दर्शाती है। निकट भविष्य में, भू-राजनीतिक स्थिरता लौटने तक बाजार सेंटीमेंट सतर्क रहने की संभावना है।"

भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई थी। सुबह करीब 9.33 बजे, सेंसेक्स 896.5 अंक या 1.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,795.44 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 278.5 अंक या 1.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,609.70 पर कारोबार कर रहा था।

सोने की कीमत 1,600 रुपए से अधिक बढ़ी, चांदी 1.06 लाख रुपए के पार

सोने और चांदी की कीमतों में शुक्रवार को तेजी देखने को मिली और 24 कैरेट के सोने की कीमत बढ़कर 99,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक और चांदी की कीमत 1.06 लाख रुपए प्रति किलो को पार कर गई है।

इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा शाम को जारी की गई कीमतों के मुताबिक, 24 कैरेट के सोने की कीमत 1,603 रुपए बढ़कर 99,058 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि गुरुवार को 97,455 रुपए प्रति 10 ग्राम थी।

22 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत बढ़कर 90,737 रुपए हो गई है, जो कि पहले 89,269 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। वहीं, 18 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम बढ़कर 74,294 रुपए हो गया है, जो कि पहले 73,091 रुपए प्रति 10 ग्राम था।

आईबीजेए द्वारा दिन में दो बार-सुबह और शाम सोने की कीमतें जारी की जाती हैं।

सोने के साथ चांदी की कीमत में भी इजाफा देखने को मिला है। बीते 24 घंटे में चांदी की कीमत 669 रुपए बढ़कर 1,06,167 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि पहले 1,05,498 रुपए प्रति किलो थी।

कामा ज्वेलरी के मैनेजिंग डायरेक्टर कॉलिन शाह ने कहा कि भू-राजनीतिक तनावों और भारतीय रुपए के कमजोर होने के चलते देश में सोने की कीमतें सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।

उन्होंने आगे कहा कि सोने की कीमतों को अल्पावधि में प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रमों के चलते एमसीएक्स पर सोना 1,00,200 रुपए से 1,00,500 रुपए प्रति 10 ग्राम के बीच रह सकता है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। खबर लिखे जाने तक सोना 1.62 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3,457.20 डॉलर प्रति औंस और चांदी 0.10 प्रतिशत की तेजी के साथ 36.31 डॉलर प्रति औंस पर थी।

1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 22,896 रुपए या 30.06 प्रतिशत बढ़कर 99,058 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 20,150 रुपए या 23.42 प्रतिशत बढ़कर 1,06,167 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।


भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.17 बिलियन डॉलर बढ़ा

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 जून को समाप्त हुए सप्ताह में 5.17 बिलियन डॉलर बढ़कर 696.66 बिलियन डॉलर हो गया है। आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए डेटा में यह जानकारी दी गई।

सप्ताह के दौरान तीव्र वृद्धि ने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को 704.885 बिलियन डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर के करीब पहुंचा दिया है, जो सितंबर 2024 के अंत में देश ने हासिल किया था। देश के विदेशी मुद्रा भंडार के मजबूत होने से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए को भी मजबूती मिली है।

6 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख घटक, विदेशी मुद्रा आस्तियों की वैल्यू 3.47 बिलियन डॉलर बढ़कर 587.69 बिलियन डॉलर हो गई है।

डॉलर के संदर्भ में व्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों की मूल्यवृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है।

सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का अहम घटक गोल्ड रिसर्व 1.6 मिलियन डॉलर बढ़कर 85.89 बिलियन डॉलर हो गया। भू-राजनीतिक तनावों से पैदा हुई अनिश्चितता के बीच दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोना जमा कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2021 से विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी को बढ़ाकर लगभग दोगुना कर दिया है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि विदेशी मुद्रा कोष में विशेष आहरण अधिकार का मूल्य 102 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.67 बिलियन डॉलर हो गया।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति भी 6 जून को समाप्त सप्ताह में 14 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.4 बिलियन डॉलर हो गई।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 मई को समाप्त हुए सप्ताह में 691.5 बिलियन डॉलर था और यह 11 महीने से अधिक के माल आयात और लगभग 96 प्रतिशत बाहरी लोन को फंड करने के लिए पर्याप्त है।

आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि भारत का एक्सटर्नल सेक्टर मजबूत बना हुआ है, क्योंकि एक्सटर्नल सेक्टर के प्रमुख संकेतकों में सुधार जारी है। हमें अपनी एक्सटर्नल फंडिंग आवश्यकताओं को पूरा करने का भरोसा है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 55 पैसे टूटकर 86.07 पर बंद

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 55 पैसे टूटकर 86.07 (अस्थायी) पर आ गया। ईरान के परमाणु स्थलों पर इजराइल के हमले के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच वैश्विक तेल कीमतों में उछाल और डॉलर के मजबूत होने से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 7.27 प्रतिशत की तेजी के साथ 74.40 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

डॉलर के मुकाबले रुपया 86.25 पर खुला और 85.92 और 86.25 के दायरे में कारोबार करते हुए 86.07 (अस्थायी) पर बंद हुआ। यह पिछले बंद से 55 पैसे की गिरावट है। बृहस्पतिवार को रुपया 85.52 पर बंद हुआ था।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कमजोर घरेलू शेयर बाजार और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेश) निकासी ने स्थानीय मुद्रा में गिरावट को और बढ़ा दिया।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “रुपया 86.25 के निचले स्तर तक गिर गया, फिर 85.92 तक सुधरने के बाद अंततः 86.07 पर बंद हुआ।”

घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 573.38 अंक टूटकर 81,118.60 अंक पर, जबकि एनएसई निफ्टी 169.60 अंक गिरकर 24,718.60 अंक पर बंद हुआ।

छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला सूचकांक 0.33 प्रतिशत चढ़कर 98.24 पर पहुंच गया।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 3,831.42 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।


केनरा बैंक ने कर्ज पर ब्याज दर 0.5 प्रतिशत घटाई

सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक ने रेपो दर से जुड़े कर्ज पर ब्याज में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। इससे संशोधित रेपो आधारित ब्याज दर 8.75 प्रतिशत से 8.25 प्रतिशत पर आ गई है।

नई दरें 12 जून, 2025 से लागू हो गई हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पिछले सप्ताह प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.5 प्रतिशत की कटौती के बाद केनरा बैंक ने यह कदम उठाया है। इस कटौती से केनरा बैंक आरबीआई के कदम के बाद अपने ग्राहकों को ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की पूरी कटौती का लाभ दे रहा है।

केनरा बैंक ने शुक्रवार को बयान में कहा कि इस कटौती से सभी प्रकार के कर्ज के लिए न्यूनतम ब्याज दर में कमी आई है। इससे आवास ऋण पर ब्याज 7.90 प्रतिशत प्रति वर्ष से कम होकर 7.40 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं, वाहन ऋण 8.20 प्रतिशत प्रति वर्ष से घटकर 7.70 प्रतिशत प्रति वर्ष पर आ गया है।

बयान के अनुसार, यह कदम ग्राहक-केंद्रित नीतियों पर केनरा बैंक के निरंतर ध्यान और ऋण तक आसान पहुंच को सक्षम करके आर्थिक प्रगति का समर्थन करने की प्रतिबद्धता को बताता है।

उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) एक प्रतिशत कम कर तीन प्रतिशत करने की घोषणा की।

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