अर्थतंत्र की खबरें: अमेरिकी शेयरों में जमकर पैसा लगा रहे भारतीय और लगातार दूसरे दिन कम हुए सोना-चांदी के दाम

घरेलू निवेशकों ने सबसे ज्यादा ट्रेड यूएस की चिप कंपनी एनवीडिया में किया है, जिसने हाल ही में चार ट्रिलियन डॉलर की मार्केटकैप की उपलब्धि हासिल की है। यह जानकारी बुधवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

घरेलू शेयर बाजार के साथ-साथ अमेरिकी बाजार में भी भारतीय जमकर पैसा ला रहे हैं। घरेलू निवेशकों ने सबसे ज्यादा ट्रेड यूएस की चिप कंपनी एनवीडिया में किया है, जिसने हाल ही में चार ट्रिलियन डॉलर की मार्केटकैप की उपलब्धि हासिल की है। यह जानकारी बुधवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

वेस्टेड फाइनेंस की ‘ग्लोबल इन्वेस्टिंग बिहेवियर रिपोर्ट’ के मुताबिक, अप्रैल-जून की अवधि में भारतीयों की ओर से अमेरिकी शेयरों में एनवीडिया को सबसे ज्यादा ट्रेड किया गया। कुल बाय वॉल्यूम में इसकी हिस्सेदारी 6.4 प्रतिशत थी, जबकि सेल वॉल्यूम में इसकी हिस्सेदारी 8.3 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे ज्यादा नेट इनफ्लो गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट में दर्ज किया गया। यूनिक निवेशकों में 113 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा भारतीयों ने अन्य दिग्गज अमेरिकी कंपनियों जैसे टेस्ला, एडवांस्ड माइक्रो डिवाइस (एएमडी) और एप्पल आदि में भी निवेश किया है।

इसके अतिरिक्त, अन्य अमेरिकी कंपनी डुओलिंगो में निवेशकों की संख्या में 2,255 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि यूनाइटेडहेल्थ ग्रुप और नोवो नॉर्डिस्क जैसी स्वास्थ्य सेवा की दिग्गज कंपनियों के निवेशक आधार में 500 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खुदरा निवेशकों ने अमेरिकी टैरिफ के झटके और एसएंडपी 500 में उतार-चढ़ाव के बीच दूसरी तिमाही में वैश्विक निवेश दोगुना कर दिया।

वेस्टेड प्लेटफॉर्म पर खरीदारी की मात्रा में तिमाही-दर-तिमाही 20.47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में तिमाही-दर-तिमाही 35.4 प्रतिशत और साल-दर-साल 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष की दूसरी तिमाही में ईटीएफ में भी अच्छी तेजी देखी गई।

रिपोर्ट में कहा गया, "निवेशकों ने इन्वेस्को नैस्डैक 100 ईटीएफ (क्यूक्यूक्यूएम), आईशेयर्स सेमीकंडक्टर ईटीएफ (एसओएक्सएक्स), और वैनगार्ड एसएंडपी 500 ईटीएफ (वीओओ) जैसे फंडों के माध्यम से विविधीकरण की ओर रुख किया, जिससे निवेशकों की संख्या में क्रमशः 131 प्रतिशत, 101 प्रतिशत और 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई।"

रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ और केंद्रीय बैंक की नीतियां अलग-अलग हुई हैं, भारतीय निवेशकों ने ईटीएफ के माध्यम से यूरोप, चीन और ब्राजील में निवेश अवसर खोजे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय निवेशक केवल समाचारों की सुर्खियों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय दृढ़ विश्वास से प्रेरित पोर्टफोलियो बना रहे हैं क्योंकि स्वास्थ्य सेवा, सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे उद्योग मुख्यधारा में आ रहे हैं और वैश्विक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) गति पकड़ रहे हैं।

भारतीय शेयर बाजार सपाट बंद, बैंकिंग शेयरों में हुई खरीदारी

भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 63.57 अंक या 0.08 प्रतिशत की तेजी के साथ 82,634.48 और निफ्टी 16.25 अंक या 0.06 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,212.05 पर था।

बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई। निफ्टी बैंक 162.30 अंक या 0.28 प्रतिशत की मजबूती के साथ 57,168.95 पर था।

लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी खरीदारी हुई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 8 अंक की तेजी के साथ 59,620 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 4.80 की मामूली बढ़त के साथ 19,140.05 पर था।

सेक्टोरल आधार पर ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा इंडेक्स हरे निशान में थे। मेटल, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा और कमोडिटीज लाल निशान में थे।

सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, टेक महिंद्रा, एसबीआई, इन्फोसिस, अदाणी पोर्ट्स, एशियन पेंट्स, आईटीसी, एक्सिस बैंक, एलएंडटी, मारुति सुजुकी, एनटीपीसी, भारती एयरटेल और टाइटन टॉप गेनर्स थे। इटरनल (जोमैटो), सन फार्मा, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, बीईएल, टीसीएस और पावर ग्रिड टॉप लूजर्स थे।

एसबीआई सिक्योरिटीज के तकनीकी एवं डेरिवेटिव्स अनुसंधान प्रमुख सुदीप शाह ने कहा कि सुस्त शुरुआत के बाद, बुधवार के सत्र के दूसरे भाग में भारतीय शेयर बाजारों ने वापसी की और निफ्टी लगातार दूसरे दिन हरे निशान में बंद हुआ। इस सुधार का नेतृत्व इन्फोसिस, एसबीआई और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे दिग्गज शेयरों ने किया, जो सूचकांक में बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले शेयरों के रूप में उभरे। दूसरी ओर, आईसीआईसीआई बैंक, आयशर मोटर्स और सन फार्मा में गिरावट दर्ज की गई।

उन्होंने आगे कहा कि लगातार दो सत्रों के मजबूत प्रदर्शन के बाद, व्यापक बाजारों ने राहत की सांस ली। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 दोनों सूचकांक स्थिर रुख के साथ बंद हुए, जो व्यापक बाजार की तेजी में ठहराव को दर्शाता है।

मिश्रित वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत लाल निशान में हुई। सुबह 9:46 पर सेंसेक्स 139 अंक या 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,431 और निफ्टी 58 अंक या 0.23 प्रतिशत की कमजोर के साथ 25,137 पर था।


लगातार दूसरे दिन कम हुए सोना-चांदी के दाम, पीली धातु की कीमत 400 रुपए से ज्यादा गिरी

सोना और चांदी के दाम लगातार दूसरे दिन कम हो गए हैं। दोनों ही कीमती धातुओं की कीमत में बुधवार के कारोबारी दिन भी गिरावट देखने को मिली है। 24 कैरेट के सोने की कीमतों में 400 रुपए से ज्यादा की गिरावट आई है। वहीं, चांदी की कीमत भी लगभग 800 रुपए कम हो गई है।

इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम 416 रुपए कम होकर 97,500 रुपए हो गया है, जो कि पहले 97,916 रुपए था।

इसी तरह 22 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम भी 381 रुपए कम होकर 89,310 रुपए हो गया है, जो कि मंगलवार को 89,691 रुपए दर्ज किया गया था।

18 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम भी 312 रुपए कम होकर 73,125 रुपए हो गया है, जो कि पिछले कारोबारी दिन 73,437 रुपए दर्ज किया गया था।

चांदी का दाम 797 रुपए कम होकर 1,11,200 रुपए प्रति किलो हो गया है, जो कि पहले 1,11,997 रुपए प्रति किलो था।

वायदा बाजार में सोने और चांदी की कीमत में तेजी दर्ज की जा रही है।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के 5 अगस्त 2025 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 0.21 प्रतिशत बढ़कर 97,415 रुपए और चांदी के 5 सितंबर 2025 के कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 0.29 प्रतिशत बढ़कर 1,11,805 रुपए थी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने और चांदी की कीमत में तेजी देखी जा रही है। कॉमैक्स पर सोना करीब 0.27 प्रतिशत बढ़कर 3,345.60 डॉलर प्रति औंस और चांदी 0.34 प्रतिशत बढ़कर 38.24 डॉलर प्रति औंस पर थी।

कार्स्टन मेन्के के प्रमुख अर्थशास्त्री जूलियस बेयर ने कहा, "गोल्ड कंसोलिडेशन में फंस गया है, जिससे हालिया तेजी को फिर से शुरू करने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है। व्यापार तनाव कम होने और मंदी के जोखिम कम होने के परिणामस्वरूप, सुरक्षित निवेश की मांग में कमी आने लगी है। केंद्रीय बैंकों की खरीदारी अभी भी अच्छी है, लेकिन साल की शुरुआत जितनी मजबूत नहीं है। हमें अभी भी दीर्घकालिक अनुकूल बुनियादी पृष्ठभूमि दिखाई दे रही है।"

उन्होंने आगे कहा कि इस बीच, चांदी में तेजी आई है, जो सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से निवेशकों की नई दिलचस्पी को दर्शाता है।

महीने के अंत में फार्मास्यूटिकल्स पर हाई टैरिफ लग सकते हैं : डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार महीने के अंत तक फार्मास्यूटिकल्स इंपोर्ट्स पर टैरिफ लगाना शुरू कर सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि सेमीकंडक्टर्स पर शुल्क लगाने की समयसीमा भी फार्मास्यूटिकल्स की तरह ही हो सकती है।

'योनहाप समाचार एजेंसी' की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने संकेत दिया कि उनकी सरकार फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ को धीरे-धीरे लागू करेगी, ताकि कंपनियों को अमेरिका में अपनी प्रोडक्शन फैसिलिटी स्थापित करने के लिए समय मिल सके।

पिट्सबर्ग में एक सार्वजनिक कार्यक्रम से लौटने के बाद प्रेस से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, "संभवतः महीने भर में, हम कम टैरिफ से शुरुआत करेंगे और फार्मास्युटिकल कंपनियों को निर्माण के लिए लगभग एक साल का समय देंगे। उसके बाद हम इस पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाएंगे।"

ट्रंप ने यह भी कहा कि सेमीकंडक्टर्स पर टैरिफ लागू करने की समय सीमा मिलती-जुलती है। चिप्स पर शुल्क लगाना 'कम जटिल' है।

पिछले हफ्ते, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि ट्रंप प्रशासन इस महीने के अंत तक सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स इंपोर्ट की राष्ट्रीय सुरक्षा जांच पूरी कर लेगा। यह संकेत है कि इन इंपोर्ट पर टैरिफ की घोषणाएं जल्द हो सकती हैं।

लुटनिक जिस जांच की बात कर रहे थे, वह उन्होंने अप्रैल में 1962 के 'ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट' की धारा 232 के तहत शुरू की थी। इस कानून के तहत, अगर राष्ट्रपति यह तय करते हैं कि किसी आयात से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, तो उन्हें उस इंपोर्ट को नियंत्रित करने या समायोजित करने का अधिकार प्राप्त होता है।

इस महीने की शुरुआत में एक कैबिनेट बैठक में, ट्रंप ने कहा था कि वह आगामी हफ्तों में कॉपर पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग अमेरिका वापस लाने के लिए एक साल का समय देने के बाद, फार्मास्यूटिकल्स टैरिफ में 200 प्रतिशत तक के इजाफे की उम्मीद है।

ट्रंप पहले ही 1962 के 'ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट' की धारा 232 के तहत ड्रग्स पर जांच की घोषणा कर चुके हैं। उनका तर्क है कि विदेशी इंपोर्ट की बाढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है।


रुपया 18 पैसे टूटकर 85.94 प्रति डॉलर पर

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया बुधवार को 18 पैसे टूटकर 85.94 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितताओं के बीच प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी मुद्रा में मजबूती से रुपये पर दबाव बढ़ा।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी पूंजी प्रवाह में वृद्धि और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से हालांकि घरेलू मुद्रा को निचले स्तर पर समर्थन मिला।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 86.02 पर कमजोर रुख के साथ खुला। कारोबार के दौरान यह 85.74 से 86.05 प्रति डॉलर के दायरे में रहा। अंत में यह 85.94 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 18 पैसे की गिरावट है।

रुपया मंगलवार को 16 पैसे की बढ़त के साथ 85.76 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘ हम व्यापार समझौते के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि निवेश और विदेशी कोषों की निकासी के कारण रुपया 85.70 से 86.10 के बीच कारोबार कर रहा है। हमारा अनुमान है कि रुपया बृहस्पतिवार को भी इसी दायरे में रहेगा।’’

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.54 पर आ गया।

घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 63.57 अंक की बढ़त के साथ 82,634.48 अंक पर जबकि निफ्टी 16.25 अंक चढ़कर 25,212.05 अंक पर बंद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.53 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को लिवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 120.47 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

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