अर्थतंत्र की खबरें: 14 खरीफ फसलों की एमएसपी में इजाफा और शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट
किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन बाजरा (63 प्रतिशत) के मामले में सबसे अधिक होने का अनुमान है, उसके बाद मक्का (59 प्रतिशत), तुअर (59 प्रतिशत) और उड़द (53 प्रतिशत) का स्थान है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बुधवार को किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड (820 रुपए प्रति क्विंटल) के लिए की गई है, इसके बाद रागी (596 रुपए प्रति क्विंटल), कपास (589 रुपए प्रति क्विंटल) और तिल (579 रुपए प्रति क्विंटल) का स्थान है।
2025-26 मार्केटिंग सीजन के लिए खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है।
किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन बाजरा (63 प्रतिशत) के मामले में सबसे अधिक होने का अनुमान है, उसके बाद मक्का (59 प्रतिशत), तुअर (59 प्रतिशत) और उड़द (53 प्रतिशत) का स्थान है।
बयान में कहा गया है कि बाकी फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मार्जिन 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।
कुल लागत में सभी भुगतान जैसे किराए पर लिए गए श्रमिक, बैल श्रम/मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि के लिए भुगतान किया गया किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, औजारों और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेट आदि के संचालन के लिए डीजल/बिजली, अन्य व्यय और पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य आदि शामिल हैं।
हाल के वर्षों में, सरकार इन फसलों के लिए उच्च एमएसपी की पेशकश करके अनाज के अलावा अन्य फसलों, जैसे दालें और तिलहन, और पोषक अनाज/श्री अन्न की खेती को बढ़ावा दे रही है।
वित्त वर्ष 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान धान की खरीद 7,608 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) थी, जबकि 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान धान की खरीद 4,590 एलएमटी थी।
वर्ष 2014-15 से 2024-25 के बीच धान उत्पादक किसानों को दी गई एमएसपी राशि 14.16 लाख करोड़ रुपए थी, जबकि वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान किसानों को दी गई राशि 4.44 लाख करोड़ रुपए थी।
वर्ष 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान 14 खरीफ फसलों की खरीद 7,871 एलएमटी थी, जबकि वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान खरीद 4,679 एलएमटी थी।
वर्ष 2014-15 से 2024-25 के बीच 14 खरीफ फसलों की खरीद 16.35 लाख करोड़ रुपए थी, जबकि वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान किसानों को दी गई एमएसपी राशि 4.75 लाख करोड़ रुपए थी।
शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट; सेंसेक्स 239 अंक टूटा, आईटीसी में तीन प्रतिशत की गिरावट
स्थानीय शेयर बाजार में बुधवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 239 अंक के नुकसान में रहा। आईटीसी और वाहन शेयरों में बिकवाली से बाजार नीचे आया।
दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली आईटीसी में ब्रिटेन की बहुराष्ट्रीय कंपनी बीएटी पीएलसी द्वारा हिस्सेदारी घटाये जाने के बाद कंपनी का शेयर टूटा।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 239.31 अंक यानी 0.29 प्रतिशत टूटकर 81,312.32 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 307.61 अंक तक नीचे आ गया था।
इसी तरह, 50 शेयरों पर आधारित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 73.75 अंक यानी 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,752.45 अंक पर बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि बृहस्पतिवार को वायदा एवं विकल्प खंड में मासिक सौदों के अनुबंध की समाप्ति और जीडीपी तथा औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी होने से पहले प्रमुख सूचकांक काफी हद तक सीमित दायरे में रहे। दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी), वाहन और औषधि शेयरों में गिरावट आई जबकि बैंक, मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, मीडिया और ऊर्जा शेयरों में तेजी रही।
सेंसेक्स में शामिल शेयरों में आईटीसी में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। बीएटी पीएलसी ने थोक सौदे के जरिये 12,927 करोड़ रुपये (1.51 अरब डॉलर) में समूह में 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची है।
इसके अलावा इंडसइंड बैंक, नेस्ले, अल्ट्राटेक सीमेंट, महिंद्रा एंड महिंद्रा, पावर ग्रिड, एशियन पेंट्स, सन फार्मा और टेक महिंद्रा भी प्रमुख रूप से नुकसान में रहे।
दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, अदाणी पोर्ट्स और एचसीएल टेक शामिल हैं।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू सूचकांक सीमित दायरे के साथ नुकसान में रहे। इसका मुख्य कारण एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) से समर्थन की कमी और शेयरों का मूल्यांकन अधिक होना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी शुल्क को 90 दिन के लिए टाले जाने की समयसीमा करीब आने के साथ भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को लेकर चिंता बनी हुई है। यह बाह्य जोखिम पैदा करती है।’’
छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉल सूचकांक 0.50 प्रतिशत चढ़ा जबकि मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप 0.22 प्रतिशत के नुकसान में रहा।
मेहता इक्विटीज लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘बाजार गिरावट के साथ सीमित दायरे में रहा। यूरोपीय बाजारों में कमजोर रुख, बृहस्पतिवार को वायदा एवं विकल्प खंड में सौदों के अनुबंध समाप्त होने से पहले निवेशकों ने अपना निवेश कम किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी फेडरल ओपेन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की मई में हुई बैठक के ब्योरे से नीतिगत दर को लेकर रुख कुछ साफ होगा।’’
एशिया के अन्य बाजारों में, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी बढ़त में रहा, जबकि जापान का निक्की 225 सूचकांक, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग गिरावट के साथ बंद हुए।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारेबार में गिरावट का रुख था। अमेरिकी बाजारों में मंगलवार को अच्छी तेजी रही थी।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 348.45 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.69 प्रतिशत चढ़कर 64.57 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को 624.82 अंक टूटा था जबकि एनएसई निफ्टी में 174.95 अंक का नुकसान रहा था।
रुपया 85.40 प्रति डॉलर पर स्थिर
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के रुख के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 85.40 (अस्थायी) पर स्थिर बना रहा।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि मासांत की डॉलर मांग बढ़ने से अमेरिकी मुद्रा को मजबूती मिली, जिससे रुपया दबाव में रहा, जबकि निवेशक भी घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़ों के इंतजार में सतर्कता बरत रहे हैं।
अप्रैल के लिए भारत के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े बुधवार को जारी किए गए जबकि मार्च तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए जाएंगे।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 85.59 पर खुला और दिन के कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 85.33 के ऊंचे और 85.72 के निचले स्तर के बीच घूमता रहा। अंत में रुपया 85.40 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले स्थिर रुख को दर्शाता है।
पिछले सत्र में मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे टूटकर 85.40 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषण विभाग के उपाध्यक्ष (जिंस एवं मुद्रा) जतिन त्रिवेदी के अनुसार, डॉलर इंडेक्स के स्थिर रहने के कारण रुपया स्थिर रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सप्ताह प्रमुख आर्थिक आंकड़े आने वाले हैं - जिसमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक का ब्योरा, मार्च तिमाही के जीडीपी आंकड़े और कोर पीसीई प्राइस इंडेक्स शामिल हैं। रुपये की चाल काफी हद तक द्वितीयक बाजारों में विदेशी कोषों की गतिविधियों से निर्देशित होगी। निकट भविष्य में, रुपये के 84.80 से 85.75 के दायरे में रहने की उम्मीद है।’’
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत बढ़कर 99.47 पर कारोबार कर रहा था।
विश्लेषकों ने डॉलर की मजबूती का श्रेय उम्मीद से बेहतर टिकाऊ वस्तुओं के ऑर्डर और उपभोक्ता विश्वास आंकड़ों के कारण अमेरिकी उपभोक्ता भरोसे में सुधार को दिया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.67 प्रतिशत बढ़कर 64.52 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 239.31 अंक घटकर 81,312.32 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 73.75 अंक के नुकसान के साथ 24,752.45 अंक पर आ गया।
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने मंगलवार को शुद्ध आधार पर 348.45 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
सोना 500 रुपये चढ़ा, चांदी में 1,000 रुपये की तेजी
विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख के बीच बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने का भाव 500 रुपये बढ़कर 99,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 500 रुपये बढ़कर 98,500 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गई।
इसके अलावा, चांदी की कीमत भी बुधवार को 1,000 रुपये बढ़कर 1,00,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर पहुंच गई। पिछले कारोबारी सत्र में, मंगलवार को चांदी की कीमत 1,370 रुपये टूटकर 99,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना 23.16 डॉलर प्रति औंस या 0.7 प्रतिशत बढ़कर 3,323.87 डॉलर प्रति औंस हो गया।
कोटक सिक्योरिटीज में एवीपी-जिंस शोध कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘सोने की कीमतों में तेजी रही, क्योंकि बाजार एफओएमसी (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) की बैठक के विवरण और आगे की नीतिगत संकेतों के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की टिप्पणियों की प्रतीक्षा कर रहे थे।’’
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