अर्थतंत्र की खबरें: RBI गवर्नर बोले- भारत-यूके एफटीए से कैसे होगा फायदा और बाजार में गिरावट से इतने करोड़ स्वाहा

आरबीआई के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बहुपक्षवाद का दौर अब पीछे छूट गया है और भारत को अब अन्य देशों के साथ भी ऐसे और मुक्त व्यापार समझौते करने की आवश्यकता है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) से देश के कई सेक्टर्स को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी, इसमें मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विसेज इंडस्ट्री शामिल हैं। यह बयान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को दिया।

आरबीआई के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बहुपक्षवाद का दौर अब पीछे छूट गया है और भारत को अब अन्य देशों के साथ भी ऐसे और मुक्त व्यापार समझौते करने की आवश्यकता है।

मल्होत्रा ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, "ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) ही आगे बढ़ने का रास्ता है, क्योंकि दुर्भाग्य से बहुपक्षवाद पीछे छूट गया है।"

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता भी एडवांस स्टेज में है।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि कई अन्य व्यापार समझौते भी वार्ता के विभिन्न चरणों में हैं।

लंदन में आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कई देशों के साथ व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चर्चाएं चल रही हैं। भारत ने ब्रिटेन के साथ एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दोनों देशों के लिए अरबों डॉलर के अवसर खुलेंगे।

वाणिज्य मंत्री ने कहा, "न्यूजीलैंड, ओमान, चिली, पेरू और यूरोपीय संघ के साथ बहुत अच्छी बातचीत चल रही है। द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर अमेरिका के साथ भी अच्छी चर्चा चल रही है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इन सभी वार्ताओं के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे।"

भारत और अमेरिका की टीमों ने वाशिंगटन डीसी में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए पांचवें दौर की वार्ता पूरी कर ली है।

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) आधिकारिक तौर पर 1 अक्टूबर से लागू होगा, जिससे भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।

आरबीआई गवर्नर ने भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) को एक "ऐतिहासिक छलांग" करार दिया गया है। यह देश भर के श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई और स्टार्टअप्स को सशक्त बनाएगा।

मल्होत्रा ने आगे कहा कि यूके एफटीए भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में मददगार साबित होगा। इस समझौते के तहत कृषि क्षेत्र भी एक बड़ा फायदा है, जहां लगभग 95 प्रतिशत भारतीय कृषि उत्पादों को यूके में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी।

शेयर बाजार में दो दिन की गिरावट से निवेशकों को 8.67 लाख करोड़ रुपये की चपत

शेयर बाजार में दो दिनों की तेज गिरावट से निवेशकों की संपत्ति 8.67 लाख करोड़ रुपये घट गई। शेयर बाजारों में दो दिन में सेंसेक्स 1.52 प्रतिशत टूट गया है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार निकासी और वित्तीय, आईटी शेयरों में भारी बिकवाली से बाजार नुकसान में रहे।

पिछले दो कारोबारी सत्रों में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 1,263.55 अंक टूट चुका है।

शेयरों में तेज गिरावट के बाद, बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण दो दिनों में 8,67,406.75 करोड़ रुपये घटकर 4,51,67,858.16 करोड़ रुपये (5,220 अरब डॉलर) पर आ गया।

बीएसई में 2,892 शेयरों में गिरावट आई, जबकि 1,117 शेयरों में तेजी रही और 145 शेयरों के भाव अपरिवर्तित रहे।


सोना 500 रुपये टूटकर 99,120 रुपये प्रति 10 ग्राम पर; चांदी स्थिर

वैश्विक व्यापार तनाव कम होने और सुरक्षित निवेश की मांग में कमी के बीच शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमतों में लगातार दूसरे दिन गिरावट जारी रही और यह आज यह 500 रुपये टूटकर 99,120 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई।

अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को 99,620 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

स्थानीय बाजारों में, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी शुक्रवार को 500 रुपये गिरकर 98,750 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) रह गया, जबकि पिछला बंद स्तर 99,250 रुपये प्रति 10 ग्राम था।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘शुक्रवार को सोने की कीमतों में गिरावट आई। शुल्क संबंधी चिंताओं में कमी, डॉलर के मजबूत होने और मजबूत रोजगार बाजार के कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कई बार कटौती की उम्मीद कम होने से यह गिरावट आई।’’

एसोसिएशन के अनुसार, हालांकि, शुक्रवार को चांदी की कीमतें 1,15,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर स्थिर रहीं।

गांधी ने आगे बताया कि अमेरिका ने जापान के साथ पहले ही एक व्यापार समझौता कर लिया है और अमेरिका-यूरोपीय संघ व्यापार समझौते को लेकर आशान्वित हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका के भारत, मेक्सिको और ब्राजील के साथ व्यापार समझौते होने की उम्मीद है, जिससे सर्राफा में बिकवाली का दबाव और बढ़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 20.72 डॉलर या 0.62 प्रतिशत गिरकर 3,347.94 डॉलर प्रति औंस रह गया।

एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी एंड करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘अमेरिका और जापान व यूरोपीय संघ जैसे व्यापारिक साझेदारों के बीच शुल्क समझौतों की उम्मीदों के कारण सुरक्षित निवेश की अपील कम होने से सोना 3,345 डॉलर प्रति औंस पर कमजोर होकर कारोबार कर रहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इन घटनाक्रमों से सोने में, खासकर ऊंचे स्तरों पर, अस्थिरता बनी रह सकती है। अब सारा ध्यान अगले हफ्ते फेडरल रिजर्व के ब्याज दर संबंधी फैसले पर केंद्रित है, जो सर्राफा कीमतों की दिशा के लिए महत्वपूर्ण होगा।’’

वैश्विक स्तर पर, हाजिर चांदी 0.35 प्रतिशत गिरकर 38.92 डॉलर प्रति औंस रह गई।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे टूटकर 86.52 पर बंद

घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे टूटकर 86.52 (अस्थायी) पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और विदेशी पूंजी की निकासी के कारण स्थानीय मुद्रा पर और दबाव पड़ा।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 86.59 पर खुला और डॉलर के मुकाबले 86.63 के निचले स्तर पर पहुंच गया। कारोबार के दौरान रुपये ने 86.47 के ऊपरी स्तर को छुआ और अंत में 86.52 (अस्थायी) पर बंद हुआ। यह पिछले बंद स्तर से 12 पैसे की गिरावट है।

रुपया बृहस्पतिवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पैसे बढ़कर 86.40 पर बंद हुआ था।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और घरेलू बाजारों में कमजोर रुख के कारण रुपया टूटा।

उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के लिए एक अगस्त की समय सीमा नजदीक आने से अनिश्चितता बढ़ी है। उन्होंने अनुमान जताया कि रुपया थोड़े नकारात्मक रुख के साथ कारोबार कर सकता है।

चौधरी ने कहा, ''अगले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति के फैसलों से पहले निवेशक सतर्क रह सकते हैं। डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 86.30 रुपये से 86.90 रुपये के बीच रहने का अनुमान है।''

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाना वाला डॉलर सूचकांक 0.33 प्रतिशत बढ़कर 97.44 पर पहुंच गया।

विश्लेषकों ने डॉलर सूचकांक में सुधार का श्रेय अमेरिका में रोजगार के बेहतर आंकड़ों को दिया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.42 प्रतिशत बढ़कर 69.47 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया।

इस बीच, घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 721.08 अंक या 0.88 प्रतिशत टूटकर 81,463.09 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 225.10 अंक यानी 0.90 प्रतिशत गिरकर 24,837 पर आ गया।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को शुद्ध रूप से 2,133.69 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।


अटल पेंशन योजना के अंशधारकों की संख्या आठ करोड़ के पार

केंद्र सरकार की प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजना अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के अंशधारकों की संख्या आठ करोड़ को पार कर गई है। योजना शुरू होने के 10 साल पूरे हाने के साथ यह उपलब्धि हासिल की गयी है। पीएफआरडीए ने शुक्रवार को एक बयान में यह कहा।

पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा संचालित इस योजना के तहत चालू वित्त वर्ष (2025-26) में अबतक 39 लाख नए अंशधारक जुड़े हैं और इसके साथ इस योजना के अंशधारकों की संख्या आठ करोड़ को पार कर गयी है।

नौ मई, 2025 में शुरू हुई इस योजना को 10 साल हो चुके हैं।

अटल पेंशन योजना को भारत के सभी नागरिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली लाने के उद्देश्य से पेश किया गया था। यह एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जो मुख्य रूप से गरीब, वंचित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर केंद्रित है।

पीएफआरडीए ने कहा कि इसकी सफलता सभी बैंकों, डाक विभाग, राज्य स्तरीय एवं केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय बैंकर समिति के साथ-साथ केंद्र सरकार के समर्थन के कारण है।

एपीवाई के तहत अंशधारक योगदान राशि के आधार पर 60 वर्ष की आयु के बाद 1,000 रुपये से 5,000 रुपये की गारंटीकृत मासिक पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। अंशधारक की मृत्यु के बाद उसके जीवनसाथी को समान पेंशन, और दोनों की मृत्यु के बाद जमा राशि नॉमिनी (नामित व्यक्ति) को वापस कर दी जाती है।

यह 18-40 वर्ष की आयु के सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुला है, सिवाय उन लोगों के जो आयकरदाता हैं या रहे हैं।

अनिल अंबानी की कंपनियों पर ईडी के छापों के बाद रिलायंस इन्फ्रा और पावर के शेयरों में लगा लोअर सर्किट

उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों के बाद रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के शेयरों में शुक्रवार को लोअर सर्किट लगा, जिसके कारण दोनों कंपनियों के शेयर इंट्रा-डे में 5-5 प्रतिशत तक फिसल गए।

ईडी की कार्रवाई शुरू होने के बाद दोनों कंपनियों में लगातार निवेशक बिकवाली कर रहे हैं और बीते दो कारोबारी सत्रों में शेयर 10 प्रतिशत से अधिक फिसल चुके हैं।

ईडी की ओर से अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप के 35 से अधिक ठिकानों पर 3,000 करोड़ रुपए के यस बैंक लोन घोटाले मामले में छापे मारे गए थे।

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों ने बयान जारी कर खुद को जांच से अलग कर लिया है और कहा है कि ईडी की कार्रवाई मुख्य रूप से रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस होम फाइनेंस से संबंधित है। ये दोनों कंपनियां अब उनसे किसी भी प्रकार से जुड़ी नहीं हैं।

दिन के कारोबार के दौरान, रिलायंस पावर का शेयर 5 प्रतिशत के लोअर सर्किट के साथ गिरकर 56.72 रुपए पर आ गया। वहीं, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर भी 5 प्रतिशत के लोअर सर्किट के साथ 341.85 रुपए पर था।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी है।

ईडी की प्रारंभिक जांच में बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों के साथ धोखाधड़ी करके जनता के पैसों को इधर-उधर करने/निपटाने की एक सुनियोजित और सोची-समझी योजना का खुलासा हुआ है। साथ ही, यस बैंक लिमिटेड के प्रमोटर सहित बैंक अधिकारियों को रिश्वत देने का अपराध भी जांच के दायरे में है।

प्रारंभिक जांच में यस बैंक से (2017 से 2019 तक) लगभग 3,000 करोड़ रुपए के अवैध लोन डायवर्जन का पता चला है। ईडी ने पाया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को पैसा दिया गया था। एजेंसी रिश्वतखोरी और लोन के इस गठजोड़ की भी जांच कर रही है।

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