अर्थतंत्र की खबरें: खुदरा महंगाई दर फरवरी में 7 महीने के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर रही और जानें कैसा रहा भारतीय शेयर?

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर फरवरी में सात महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर रही है, जो कि जनवरी के आंकड़े से 0.65 प्रतिशत कम है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारत में खुदरा महंगाई दर फरवरी में सात महीने के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर रही

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर फरवरी में सात महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर रही है, जो कि जनवरी के आंकड़े से 0.65 प्रतिशत कम है। इसकी वजह खाद्य उत्पादों की कीमत में कमी आना है। देश में जुलाई 2024 के बाद खुदरा महंगाई का यह सबसे निचला स्तर है।

आधिकारिक बयान में कहा गया कि फरवरी में खाद्य महंगाई दर मई 2023 के बाद सबसे निचले स्तरों पर आ गई है और जनवरी के मुकाबले इसमें 2.22 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है।

मुख्य महंगाई दर और खाद्य महंगाई दर में फरवरी में आई गिरावट की वजह सब्जियों, अड्डों, मीट और मछ्ली, दालों और दुग्ध उत्पादों की कीमतों में कमी आना है।

फरवरी में जिन उत्पादों में सबसे कम महंगाई दर रही है। उनमें अदरक (-35.81 प्रतिशत), जीरा (-28.77 प्रतिशत), टमाटर (-28.51 प्रतिशत), फूलगोभी (-21.19 प्रतिशत) और लहसन (-20.32 प्रतिशत) शामिल थे।

इस महीने ईंधन की कीमत में कमी देखने को मिली है और यह फरवरी में (-) 1.33 प्रतिशत रही है।

खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे आने के कारण केंद्रीय बैंक के पास आर्थिक विकास दर को बढ़ाने और अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की पर्याप्त जगह है।

पिछले महीने आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट को 25 आधार अंक कम करके 6.5 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही कहा था कि महंगाई दर आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप 4 प्रतिशत के नीचे आने की उम्मीद है।

फरवरी महीने में हुई एमपीसी ने सर्वसम्मति से मौद्रिक नीति में अपने तटस्थ रुख को जारी रखने का भी फैसला किया और विकास को समर्थन देते हुए महंगाई को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया था। मल्होत्रा ​​ने कहा कि इससे व्यापक आर्थिक माहौल पर प्रतिक्रिया करने में लचीलापन मिलेगा।

भारतीय शेयर बाजार सपाट बंद, ऑटो और बैंकिंग शेयरों में हुई खरीदारी

भारतीय शेयर बाजार बुधवार को सपाट बंद हुआ। कारोबार के अंत में बाजार के ज्यादातर सूचकांक लाल निशान में थे। हालांकि, ऑटो और बैंकिंग शेयरों में खरीदारी देखने को मिली।

सेंसेक्स 72.56 अंक या 0.10 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 74,029.76 और निफ्टी 27.40 अंक या 0.12 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 22,470.50 पर बंद हुआ।

मुख्य सूचकांकों के उलट निफ्टी बैंक 202.70 अंक या 0.42 प्रतिशत की तेजी के साथ 48,056.65 बंद हुआ।

लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी गिरावट देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 276.15 अंक या 0.57 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 48,486.60 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 31.55 अंक या 0.21 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 15,044.35 पर बंद हुआ।

निफ्टी बैंक के अलावा ऑटो, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और कमोडिटीज इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए हैं।

इंडसइंड बैंक, टाटा मोटर्स, कोटक महिंद्रा बैंक, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, आईसीटी, सन फार्मा, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फिनसर्व और पावर ग्रिड टॉप गेनर्स थे।

इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, टीसीएस, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स, एक्सिस बैंक, जोमैटो, एचयूएल और एसबीआई टॉप लूजर्स थे।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,494 शेयर हरे निशान में, 2,490 शेयर लाल निशान में और 138 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए हैं।

आशिका इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सुंदर केवट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ को दोगुना करने की चेतावनी के बाद वैश्विक व्यापार नीतियों को लेकर चिंताओं के कारण शुरुआती कारोबार में बिकवाली हुई थी, जिससे निवेशक बाजार को लेकर सर्तक हो गए।

सुबह करीब 9.28 बजे, सेंसेक्स 22.30 अंक या 0.03 प्रतिशत बढ़कर 74,080.02 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 24.65 अंक या 0.11 प्रतिशत बढ़कर 22,473.25 पर कारोबार कर रहा था।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 11 मार्च को अपनी बिकवाली जारी रखी और उन्होंने 2,823.76 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अपनी खरीद जारी रखी और उन्होंने उसी दिन 2,001.79 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।


सेबी ने राइट्स इश्यू को पूरा करने की समयसीमा घटाकर 23 दिन की, 7 अप्रैल से लागू

मुंबई, 12 मार्च (आईएएनएस)। कंपनियों को तेजी से पूंजी जुटाने में मदद करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने राइट्स इश्यू को पूरा करने की समयसीमा 126 दिनों से घटाकर 23 दिन कर दी है, जो 7 अप्रैल से प्रभावी होगी।

एक सर्कुलर में, पूंजी बाजार नियामक ने राइट्स इश्यू में स्पेसिफिक निवेशकों को अलॉटमेंट के लिए फ्लेक्सिबिलिटी भी प्रदान की है।

सेबी ने कहा, "नए फ्रेमवर्क के हिस्से के रूप में, सेबी रेगुलेशन, 2018 (सेबी आईसीडीआर विनियम) के संशोधित रेगुलेशन 85 के संदर्भ में, यह निर्दिष्ट किया जा रहा है कि राइट्स इश्यू को जारीकर्ता के निदेशक मंडल द्वारा राइट्स इश्यू को मंजूरी देने की तारीख से 23 कार्य दिवसों के भीतर पूरा किया जाएगा।"

इसमें कहा गया है, "सेबी आईसीडीआर रेगुलेशन के रेगुलेशन 87 के अनुसार और रिवाइज्ड टाइमलाइन को देखते हुए यह निर्दिष्ट किया जा रहा है कि राइट्स इश्यू को सब्सक्रिप्शन के लिए न्यूनतम सात दिन और अधिकतम तीस दिनों के लिए ओपन रखा जाएगा।"

राइट्स इश्यू में शेयरों की सदस्यता के लिए प्राप्त एप्लीकेशन बोलियों का सत्यापन और अलॉटमेंट के आधार को फाइनल करने का काम भी स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी द्वारा इश्यू के रजिस्ट्रार के साथ मिलकर किया जाएगा।

बाजार नियामक के अनुसार, इस सर्कुलर के प्रावधान 7 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे तथा इस सर्कुलर के लागू होने की तिथि से इश्यूअर के निदेशक मंडल द्वारा अप्रूव्ड राइट्स इश्यू पर लागू होंगे।

इस बीच, न्यूली अपॉइंटेड चेयरपर्सन तुहिन कांत पांडे की लीडरशिप में आगामी पहली बोर्ड मीटिंग में सेबी कई प्रमुख विनियामक प्रस्तावों पर चर्चा करने वाला है।

प्रस्तावित एजेंडे में डीमैट खातों के लिए यूपीआई जैसी सुरक्षा, क्लियरिंग कॉरपोरेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के दायरे का विस्तार करना और रिसर्च विश्लेषकों द्वारा फी कलेक्शन में बदलाव शामिल हैं।

निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सेबी ने डीमैट खातों के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसा सिस्टम लागू करने का प्रस्ताव दिया है।

ऑस्ट्रेलिया इस्पात, एल्युमीनियम पर अमेरिका के ‘अनुचित’ शुल्क पर जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज़ ने बुधवार को कहा कि ऑस्ट्रेलिया के इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिकी शुल्क अनुचित हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अपने शुल्क के साथ जवाबी कार्रवाई नहीं करेगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने कहा था कि वह ऑस्ट्रेलिया के लिए शुल्क छूट पर विचार कर रहे हैं, जो एक मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) भागीदार है जिसने दशकों से अमेरिका के साथ घाटे में व्यापार किया है।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 2018 में पिछले ट्रंप प्रशासन के साथ इस तर्क के आधार पर छूट हासिल की थी कि ऑस्ट्रेलियाई इस्पात विनिर्माता ब्लूस्कोप अमेरिका में हजारों श्रमिकों को रोजगार देती है।

अल्बानीज ने कहा कि वह ऑस्ट्रेलियाई छूट के लिए प्रयास जारी रखेंगे। साल 2018 की छूट हासिल करने में कई महीने लग गए।

अल्बानीज़ ने कहा, “यह पहले से ही संकेत था कि अमेरिका के साथ अपने संबंधों के बावजूद किसी भी देश को छूट नहीं दी गई है। ट्रंप प्रशासन का ऐसा निर्णय पूरी तरह से अनुचित है।”

उन्होंने कहा, “शुल्क और बढ़ते व्यापार तनाव आर्थिक आत्म-क्षति का एक रूप हैं और धीमी वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति का एक नुस्खा हैं। इनका भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है। यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका पर जवाबी शुल्क नहीं लगाएगा।”

अमेरिका ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर सभी इस्पात और एल्युमीनियम आयातों पर शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया।

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