अर्थतंत्र की खबरें: सेंसेक्स और निफ्टी नया ऑल-टाइम हाई बनाने के बाद बढ़त के साथ बंद और रुपया फिर टूटा
घरेलू शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांक बृहस्पतिवार को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद मामूली बढ़त के साथ बंद हुए। सेंसेक्स में 111 अंक और निफ्टी में 10 अंक की तेजी रही।

सेंसेक्स और निफ्टी नया ऑल-टाइम हाई बनाने के बाद गुरुवार को तेजी के साथ बंद हुआ। दिन के अंत में सेंसेक्स 110.87 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 85,720.38 पर था। सत्र के दौरान इसने 86,055.86 का नया उच्चतम स्तर बनाया।
निफ्टी 10.25 अंक की मामूली बढ़त के साथ 26,215.55 पर बंद हुआ और दिन के दौरान यह अपने पुराने ऑल-टाइम हाई 26,277 को तोड़कर 26,310.45 का नया उच्चतम स्तर बनाने में कामयाब रहा।
बैंकिंग सेक्टर के मुख्य सूचकांक निफ्टी बैंक ने भी 59,866.60 का नया ऑल-टाइम हाई बनाया और यह कारोबार के अंत में 209.25 अंक या 0.35 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,737.30 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स पैक में बजाज फाइनेंस, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फिनसर्व, एचयूएल, एचसीएल टेक, एचडीएफसी बैंक, इन्फोसिस, एलएंडटी, आईटीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, सन फार्मा और एनटीपीसी गेनर्स थे। मारुति सुजुकी, इटरनल (जोमैटो), अल्ट्राटेक सीमेंट, एसबीआई, टाटा स्टील, टीसीएस, टेक महिंद्रा, ट्रेंट, भारती एयरटेल, पावर ग्रिड, बीईएल, एक्सिस बैंक और एमएंडएम लूजर्स थे।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में मिलाजुला कारोबार हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 51 अंक की मामूली तेजी के साथ 61,113 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 95 अंक या 0.53 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 17,876 पर बंद हुआ।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, पीएसयू बैंक, मेटल, रियल्टी, एनर्जी, इन्फ्रा, कमोडिटीज, कंजप्शन और पीएसई हरे निशान में बंद हुए। वहीं, प्राइवेट बैंक, आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी औ सर्विसेज दबाव के साथ बंद हुआ।
डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे टूटकर 89.30 पर बंद
अंतरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे टूटकर 89.30 (अस्थायी) पर बंद हुआ। आयातकों और बैंकों की डॉलर मांग की वजह से अमेरिकी मुद्रा में मजबूती आई।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पूंजी आने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमतों से रुपये को समर्थन मिला।
अंतरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 89.19 पर खुला और कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 89.40 के सबसे निचले स्तर पर आ गया। डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले बंद स्तर से आठ पैसे की गिरावट के साथ 89.30 (अस्थायी) पर बंद हुआ। बुधवार को रुपया, अमेरकी मुद्रा के मुकाबले 89.22 पर स्थिर रुख के साथ बंद हुआ था।
इस बीच, विश्व की छह प्रमुख प्रतिस्पर्धी मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला, डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत बढ़कर 99.63 पर रहा।
विश्लेषकों ने कहा कि डॉलर में मजबूती का कारण आयातकों और बैंकों की मासांत डॉलर की मांग है। वैश्विक कच्चातेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.03 प्रतिशत घटकर 63.11 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोना और चांदी की कीमतों में गिरावट हुई दर्ज
हाल की रैली के बाद ट्रेडर्स का रुझान प्रॉफिट बुकिंग की ओर बढ़ने से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर गुरुवार को सोना और चांदी की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों का ध्यान अगले महीने होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति बैठक से पहले फेडरल रिजर्व से मिलने वाले संकेतों पर लगातार बना रहा, जिसके साथ कीमती धातुओं की कीमत में गिरावट देखी गई।
शुरुआती कारोबार में एमसीएक्स पर सोने की दिसंबर वायदा कीमतें 0.36 प्रतिशत की गिरावट पर 1,25,480 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बनी हुई थीं। वहीं, चांदी की दिसंबर वायदा कीमतें 0.20 प्रतिशत फिसलकर 1,60,950 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई थीं।
एनालिस्ट ने कहा, "गोल्ड का सपोर्ट लेवल 4130-4095 डॉलर और रेजिस्टेंस 4195-4225 डॉलर पर बना हुआ है। वहीं, सिल्वर का सपोर्ट लेवल 52.65-52.35 डॉलर तो रेजिस्टेंस लेवल 53.65-53.90 डॉलर पर बना हुआ है।"
उन्होंने आगे कहा, "रुपए में गोल्ड का सपोर्ट लेवल 1,25,350-1,24,780 रुपए और रेजिस्टेंस 1,26,650-1,27,100 रुपए पर बना हुआ है। इसी तरह सिल्वर का सपोर्ट लेवल 1,60,350-1,59,600 रुपए और रेजिस्टेंस 1,62,110, 1,63,000 रुपए पर बना हुआ है।"
यूएस फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की मीटिंग 9-10 दिसंबर को होने जा रही है। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है अमेरिकी रोजगार मार्केट कमजोर बना हुआ है और महंगाई भी बनी हुई है।
हाल ही के इकोनॉमिक डेटा ने दिसंबर में ब्याज दरों में होने वाली कटौती को लेकर उम्मीदों को बढ़ा दिया है। अमेरिकी रिटेल सेल्स सितंबर में उम्मीद से धीमी गति से बढ़ी, जो कि अगस्त के 0.6 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में सितंबर में 0.2 प्रतिशत की तेजी से बढ़ी।
अमेरिका में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस भी अप्रैल के बाद से अपने निचले स्तर पर है। इस वर्ष सितंबर में प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स 0.3 प्रतिशत बढ़ा, जो कि अनुमान के अनुरूप रहा।
कमजोर अमेरिकी डॉलर ने सोने की कीमतों में गिरावट को सीमित कर दिया। डॉलर इंडेक्स 0.10 प्रतिशत गिरा, जिससे दूसरी करेंसी होल्ड करने वाले खरीदारों के लिए सोना सस्ता ऑप्शन बन गया।
बांग्लादेश में महंगाई दर 8 प्रतिशत के पार, निवेश में गिरावट आने से नहीं पैदा हो रहे नए रोजगार
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के हालात खस्ताहाल होते जा रहे हैं। एक तरफ नया निवेश न आने से नए रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं। साथ ही महंगाई भी 8 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई है, जो कि दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। यह जानकारी पड़ोसी देश के न्यूज आउटलेट प्रोथोम अलो की ओर से दी गई।
बांग्लादेश के सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक, देश में महंगाई बढ़कर अक्टूबर में 8.17 प्रतिशत हो गई है।
प्रोथोम अलो के आर्टिकल में बताया गया कि पड़ोसी देश भारत में महंगाई दर 0.25 और श्रीलंका में 2.1 प्रतिशत है। दूसरी तरफ नेपाल में महंगाई दर विद्रोह समाप्त होने के बाद 1.47 प्रतिशत हो गई है।
दक्षिण एशिया में महंगाई दर में बांग्लादेश के करीब पाकिस्तान ही है, जहां मुद्रास्फीति दर 6.2 प्रतिशत है। भुटान और मालदीव में महंगाई दर क्रमश: 3.93 प्रतिशत और 3.87 प्रतिशत है।
आर्टिकल में कहा गया कि बांग्लादेश के आम नागरिकों को देश के बदतर आर्थिक हालातों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आय गिर रही और महंगाई में इजाफा हो रहा है। निजी सर्वेक्षण बताते है कि बांग्लादेश में गरीबी दर बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई है। वहीं, सरकारी आंकड़ों में यह 2022 में 18.7 प्रतिशत थी।
आर्टिकल बताया गया कि बड़े प्रतिनिधिमंडल विदेश यात्रा कर रहे हैं। पुलिस की वर्दी बदलने में भारी खर्च हुआ है। इस बीच, लोगों के दैनिक खर्च लगातार बढ़ रहे हैं। उनकी आय में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। रोजगार बाजार सिकुड़ रहा है। कई लोग बैंकों से जमा राशि नहीं निकाल पा रहे हैं। नतीजतन, विश्वास कम हो रहा है। सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त नहीं है। अस्थिरता और अनिश्चितता बनी हुई है। इस कारण जनता को महंगाई में तेज गिरावट की उम्मीद बहुत कम है।
जब अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाला था, तब सरकारी उधारी की सालाना वृद्धि दर 11.61 प्रतिशत थी। निजी क्षेत्र के ऋण की वृद्धि दर 9.86 प्रतिशत थी। अब सरकारी उधारी की वृद्धि दर बढ़कर 27.22 प्रतिशत हो गई है, जबकि निजी क्षेत्र की ऋण की वृद्धि दर घटकर 6.29 प्रतिशत रह गई है।
इससे पता चलता है कि सरकार अपने बजट घाटे को पूरा करने के लिए बैंकिंग प्रणाली से भारी मात्रा में उधार ले रही है। सरकारी राजस्व कम है, वहीं खर्च अधिक है। जून 2023 में, सरकार ने बजट घाटे को पूरा करने के लिए बैंकों से अब तक का सबसे अधिक लगभग 35 प्रतिशत उधार लिया है।
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