अर्थतंत्र की खबरें: चांदी एक बार फिर ऑल-टाइम हाई पर, सोने की कीमत में उछाल और जानें खुदरा महंगाई दर की रिपोर्ट
24 कैरेट के सोने की कीमतों में 700 रुपए से ज्यादा का इजाफा हुआ। वहीं, चांदी की कीमत एक बार फिर ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है।

सोना-चांदी की कीमतों में सोमवार को बढ़त दर्ज की गई। 24 कैरेट के सोने की कीमतों में 700 रुपए से ज्यादा का इजाफा हुआ। वहीं, चांदी की कीमत एक बार फिर ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है।
इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) द्वारा शाम को जारी की गई कीमतों के मुताबिक, 24 कैरेट के सोने की कीमत 792 रुपए बढ़कर 98,303 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है, जो कि बीते शुक्रवार को 97,511 रुपए प्रति 10 ग्राम दर्ज की गई थी।
22 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत बढ़कर 90,045 रुपए हो गई है, जो कि पहले 89,320 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। वहीं, 18 कैरेट के 10 ग्राम सोने का दाम बढ़कर 73,727 रुपए हो गया है, जो कि पहले 73,133 रुपए प्रति 10 ग्राम था।
आईबीजेए की ओर से सोने और चांदी की कीमतों को दिन में दो बार सुबह और शाम अपडेट किया जाता है।
सोने के साथ चांदी की कीमत में भी इजाफा देखने को मिला है और यह ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है। चांदी की कीमत 1,13,867 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि पहले 1,10,290 रुपए प्रति किलो थी। चांदी की कीमत में 3,577 रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे पहले चांदी की कीमत ने शुक्रवार को ऑल-टाइम हाई छुआ था। इससे पहले 18 जून को चांदी का पिछला ऑल-टाइम हाई 1,09,550 रुपए प्रति किलो था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत में गिरावट और चांदी की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। सोना 0.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,359.80 डॉलर प्रति औंस और चांदी 0.59 प्रतिशत की तेजी के साथ 39.185 डॉलर प्रति औंस पर थी।
एलकेपी सिक्योरिटीज के जतीन त्रिवेदी ने कहा, "ग्लोबल टैरिफ तनाव के कारण सोने की कीमतों में 550 की बढ़त के साथ 98,350 रुपए पर सकारात्मक रुख देखा गया, जिससे बाजार में सकारात्मक रुख बना रहा। अमेरिका द्वारा यूरो, कनाडा, मेक्सिको आदि जैसे व्यापारिक साझेदारों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने, डॉलर इंडेक्स में व्यापक कमजोरी और हाल ही में कमजोर रुपए के कारण सोना एक पसंदीदा सुरक्षित निवेश बन गया है।"
उन्होंने आगे कहा कि अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे सोने की सुरक्षित निवेश मांग बढ़ रही है। इस सप्ताह के प्रमुख अमेरिकी सीपीआई आंकड़ों पर प्रतिभागियों की कड़ी नजर रहेगी। तकनीकी रूप से, जब तक सोना 97,500-99,500 रुपए के व्यापक दायरे में कारोबार करता है, तब तक इसमें सकारात्मक रुझान बना रहता है।
खुदरा महंगाई दर जून 2025 में घटकर 6 साल के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर रही
खुदरा महंगाई दर जून 2025 में घटकर 2.1 प्रतिशत हो गई है। इसमें पिछले महीने के मुकाबले 0.72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। मई में यह 2.82 प्रतिशत थी। यह जानकारी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी किए डेटा से मिली।
जून 2025 में रिकॉर्ड की गई खुदरा महंगाई दर जनवरी 2019 के बाद रिटेल मुद्रास्फीति का सबसे न्यूनतम आंकड़ा है।
मंत्रालय के डेटा के अनुसार, बीते महीने में ग्रामीण स्तर पर खुदरा महंगाई दर 1.72 प्रतिशत रही है, जबकि शहरी स्तर पर खुदरा महंगाई दर 2.56 प्रतिशत रही है।
सरकारी डेटा के मुताबिक, खाद्य महंगाई दर जून में सालाना आधार पर -1.06 प्रतिशत रही है, जो कि मई में 0.99 प्रतिशत थी।
वहीं, जून में ग्रामीण स्तर पर खाद्य महंगाई दर -0.92 प्रतिशत और शहरी स्तर पर खाद्य महंगाई दर -1.22 प्रतिशत रही है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के बयान के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर में कमी की वजह सब्जियों, दालों और उत्पादों, मांस और मछली, अनाज और उत्पादों, चीनी और मिष्ठान्न, दूध और उत्पादों और मसालों में मुद्रास्फीति में गिरावट होना है।
सरकारी बयान के मुताबिक, हाउसिंग महंगाई दर जून 2025 में 3.24 प्रतिशत रही है, जो कि मई में 3.16 प्रतिशत थी। शिक्षा महंगाई दर जून में 4.37 प्रतिशत रही है, जो कि मई में 4.12 प्रतिशत थी।
वहीं, परिवहन और संचार में महंगाई दर जून 2025 में 3.90 प्रतिशत रही है, जो कि मई 2025 में 3.85 प्रतिशत रही है। ईंधन और बिजली में महंगाई दर बीते महीने 2.55 प्रतिशत रही है, जो कि मई में 2.84 प्रतिशत थी।
इससे पहले, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से थोक महंगाई दर से आंकड़े जारी किए गए थे। थोक महंगाई दर जून में गिरकर (-)0.13 प्रतिशत हो गई है। इस साल की शुरुआत से यह पहला मौका है जब थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर नकारात्मक स्तर और 14 महीने के न्यूनतम स्तर पर चली गई है। मई में थोक महंगाई दर 0.39 प्रतिशत थी।
बीते महीने एमपीसी बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई दर अनुमान 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया था।
सेंसेक्स 247 अंक गिरकर बंद, मिडकैप और स्मॉलकैप में हुई खरीदारी
भारतीय शेयर बाजार के लिए सोमवार का कारोबारी सत्र उतार-चढ़ाव भरा रहा। लार्जकैप में बिकवाली देखी गई, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी हुई।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 247.01 अंक या 0.30 प्रतिशत कम होकर 82,253.46 और निफ्टी 67.55 अंक या 0.27 प्रतिशत कमजोर होकर 25,082.30 पर बंद हुआ।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में जबरदस्त तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 410.35 अंक या 0.70 प्रतिशत बढ़कर 59,052.55 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 191.50 अंक या 1.02 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,954.95 पर था।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, पीएसयू बैंक, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया और एनर्जी इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज और प्राइवेट बैंक इंडेक्स लाल निशान में बंद हुआ।
सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), टाइटन, आईटीसी, सन फार्मा, एमएंडएम, टाटा स्टील, अदाणी पोर्ट्स, एसबीआई, भारती एयरटेल और आईसीआईसीआई बैंक टॉप गेनर्स थे। एशियन पेंट्स, टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, इन्फोसिस, एचसीएल टेक, टीसीएस, एलएंडटी, टाटा मोटर्स, बजाज फिनसर्व और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप लूजर्स थे।
पीएल कैपिटल के विक्रम कसात ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार कमजोर कॉरपोरेट आय और वैश्विक ट्रेड की चिंताओं के कारण कमजोर बंद हुए। वैश्विक संकेतों, आय रिपोर्टों और विदेशी पूंजी प्रवाह के चलते आने वाले सप्ताह में बाजार में लगातार अस्थिरता देखने को मिल सकती है और आईटी सेक्टर में भी कमजोरी बनी रह सकती है, लेकिन शेयर-विशिष्ट गतिविधियां कुछ सहारा दे सकती हैं।
एलकेपी सिक्योरिटीज के रूपक डे ने कहा कि निवेशक भारत और अमेरिका दोनों से सीपीआई डेटा का इंतजार कर रहे हैं, जिसके कारण बाजार पर दबाव देखा गया।
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में खुला था। सुबह 9:36 पर सेंसेक्स 375 अंक या 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 82,131 और निफ्टी 95 अंक या 0.38 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,054 पर था।
रुपया 22 पैसे टूटकर 86.02 प्रति डॉलर पर
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने से रुपया सोमवार को 22 पैसे टूटकर 86.02 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि विदेशी पूंजी की निकासी तथा भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में किसी भी प्रकार की सफलता में देरी से स्थानीय मुद्रा पर दबाव बढ़ा है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.96 प्रति डॉलर पर खुला। दिन में 85.92 से 86.05 प्रति डॉलर के सीमित दायरे में कारोबार के बाद अंत में यह 86.02 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह पिछले बंद भाव से 22 पैसे की गिरावट है।
रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.80 पर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कोष प्रमुख एवं कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘ भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अभी तक नहीं हो पाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों यूरोपीय संघ और मेक्सिको पर शुल्क लगा दिए हैं, जिससे भारतीय रुपये में फिर से गिरावट आई है। डॉलर सूचकांक में तेजी आई और पूरे दिन रुपये में गिरावट रही जबकि एशियाई मुद्राएं थोड़ी कमजोर रहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ रुपये के मंगलवार को 85.75 से 86.25 के बीच रहने के आसार हैं क्योंकि निवेशकों को अभी अमेरिकी के खुदरा मुद्रास्फीति आंकड़ों का इंतजार है।’’
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.03 प्रतिशत की बढ़त के साथ 97.82 पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 247.01 अंक की गिरावट के साथ 82,253.46 अंक पर जबकि निफ्टी 67.55 अंक फिसलकर 25,082.30 अंक पर बंद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 1.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ 71.46 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को बिकवाल रहे और उन्होंने शुद्ध रूप से 5,104.22 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
जेन स्ट्रीट ने ‘एस्क्रो’ खाते में जमा किए 4843 करोड़ रुपये; सेबी से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध
बाजार में कथित तौर पर हेरफेर के जरिये भारी मुनाफा कमाने वाली अमेरिकी ‘ट्रेडिंग’ कंपनी जेन स्ट्रीट ने एक ‘एस्क्रो खाते’ में 4,843.57 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं और सेबी से कुछ प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को बयान में यह जानकारी दी और कहा कि बाजाज नियामक इस अनुरोध पर गौर कर रहा है।
सेबी ने तीन जुलाई को अपने अंतरिम आदेश में जेन स्ट्रीट (जेएस) को भारी लाभ कमाने के लिए नकदी और वायदा एवं विकल्प बाजारों में एक साथ दांव लगाकर बाजारों में हेरफेर करने का दोषी पाया था।
बाजार नियामक ने कंपनी को बाजार में प्रवेश करने से रोक दिया और 4,843 करोड़ रुपये से अधिक के कथित अवैध लाभ को वापस करने का निर्देश दिया था। जांच में पाया गया था कि जेएस ने जनवरी 2023 से मई 2025 तक की जांच अवधि के दौरान शुद्ध आधार पर 36,671 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।
नियामक ने कहा कि अंतरिम आदेश के अनुपालन में 4,843.57 करोड़ रुपये की राशि सेबी के पक्ष में ग्रहणाधिकार चिह्नित करते हुए एक ‘एस्क्रो’ खाते में जमा कर दी गई है।
‘एस्क्रो’ खाता एक विशेष प्रकार का बैंक खाता होता है जिसे तीसरे पक्ष द्वारा प्रबंधित किया जाता है। इस खाते का इस्तेमाल दो पक्षों (जैसे खरीदार और विक्रेता) के बीच वित्तीय लेनदेन में सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। इसमें पैसा या संपत्ति तब तक रखी जाती है जब तक कि लेन-देन से जुड़ी सभी शर्तें पूरी नहीं हो जातीं।
बयान में कहा गया, ‘‘ जेन स्ट्रीट ने सेबी से अनुरोध किया है कि सेबी के निर्देशों के अनुपालन में इस ‘एस्क्रो’ खाते में पैसे जमा करने के बाद अंतरिम आदेश के तहत लगाए गए कुछ सशर्त प्रतिबंध हटा दिए जाएं और सेबी इस संबंध में उचित निर्देश जारी करे।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ सेबी वर्तमान में इस अनुरोध पर अंतरिम आदेश के निर्देशों के तहत गौर कर हा है।’’
नियामक ने कहा कि वह उचित प्रक्रिया का पालन करने और प्रतिभूति बाजार की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
जेन स्ट्रीट ग्रुप की स्थापना 2000 में की गई थी। यह एलएलसी वित्तीय सेवा उद्योग में एक वैश्विक स्वामित्व वाली ‘ट्रेडिंग’ कंपनी है। यह अमेरिका, यूरोप और एशिया में पांच कार्यालयों में 2,600 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती है और 45 देशों में ‘ट्रेडिंग’ का संचालन करती है।
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