अर्थतंत्र की खबरें: शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आया और RBI रेपो रेट में कर सकता है कटौती

दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर जीडीपी वृद्धि के बाद इस सप्ताह आरबीआई के प्रमुख ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कम होने से बाजार में उच्चस्तर पर गिरावट देखी गई।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

स्थानीय शेयर बाजार सोमवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अंत में मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। उच्चस्तर पर मुनाफावसूली और विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी से दोनों मानक सूचकांक... बीएसई सेंसेक्स में 65 अंक की गिरावट आई जबकि एनएसई निफ्टी 27 अंक के नुकसान में रहा।

तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स शुरुआती बढ़त गंवाकर 64.77 अंक यानी 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,641.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, सूचकांक 452.35 अंक चढ़कर 86,159.02 अंक के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था।

पचास शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 27.20 अंक यानी 0.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 26,175.75 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, यह 122.85 अंक चढ़कर 26,325.80 अंक के अबतक के उच्चस्तर पर पहुंच गया था।

विशेषज्ञों के अनुसार, दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर जीडीपी वृद्धि के बाद इस सप्ताह आरबीआई के प्रमुख ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कम होने से बाजार में उच्चस्तर पर गिरावट देखी गई। जीएसटी संग्रह में धीमी वृद्धि और उच्चस्तर पर मुनाफावसूली से भी बाजार नुकसान में रहा।

शेयर बाजार शुरुआती कारोबार में अपने रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था। इसका कारण जुलाई-सितंबर में भारत की अर्थव्यवस्था के अनुमान से अधिक 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने के बाद निवेशकों की धारणा सकारात्मक थी। यह छह तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है।

सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में बजाज फाइनेंस, सन फार्मा, ट्रेंट, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारतीय स्टेट बैंक और बजाज फिनसर्व प्रमुख रूप से नुकसान में रहीं।

दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स, मारुति सुजुकी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, कोटक महिंद्रा बैंक, अदाणी पोर्ट्स और एचसीएल टेक शामिल हैं।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार नए उच्चस्तर पर पहुंचने के बाद, सीमित दायरे में रहा क्योंकि दिसंबर में आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद दूसरी तिमाही की अपेक्षा से बेहतर जीडीपी वृद्धि और रुपये में भारी गिरावट के बाद कम हुई है। दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के बाद जीएसटी संग्रह में कमी के कारण धारणा थोड़ी सतर्क रही।’’

रुपया आठ पैसे टूटकर 89.53 प्रति डॉलर पर

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे टूटकर 89.53 (अस्थायी) पर बंद हुआ। गिरावट का कारण डॉलर की मज़बूत बाजार मांग है।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रुपये में लगातार कमजोरी मुख्य रूप से बढ़ते व्यापार घाटे, भारत-अमेरिकी व्यापार सौदे में देरी और केन्द्रीय बैंक के सीमित दखल की वजह से है।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 89.45 पर खुला, फिर अपनी पकड़ खो दी और दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले 89.79 (अस्थायी) के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया, जो पिछले बंद स्तर से 34 पैसे की गिरावट है।

इससे पहले 21 नवंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 89.66 पर अपने दिन के कारोबार के निचले स्तर पर गया था, जब यह 98 पैसे गिरा था।

सोमवार को व्यापार के आखिर में, रुपया डॉलर के मुकाबले 89.53 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से आठ पैसे की गिरावट है। शुक्रवार को, रुपया डॉलर के मुकाबले नौ पैसे गिरकर 89.45 पर बंद हुआ था।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव बना रह सकता है, क्योंकि डॉलर की मांग और आपूर्ति के बीच अंदरूनी असंतुलन बना रह सकता है।’’

परमार ने आगे कहा कि निकट अवधि में, डॉलर-रुपया हाजिर भाव को 89.95 के स्तर पर प्रतिरोध और 89.30 के स्तर पर समर्थन मिल सकता है।


जीएसटी कलेक्शन नवंबर में बढ़कर 1.70 लाख करोड़ रुपए रहा

गुड्स सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन नवंबर में बढ़कर 1,70,276 करोड़ रुपए रहा है। इसमें सालाना आधार पर 0.7 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। पिछले साल समान अवधि में यह 1,69,016 करोड़ रुपए था। यह जानकारी सरकार की ओर से सोमवार को दी गई। इससे पहले के महीने अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1,95,936 करोड़ रुपए रहा था।

नवंबर के जीएसटी कलेक्शन में सेंट्रल गुड्स सर्विसेज टैक्स (सीजीएसटी) का हिस्सा 34,843 करोड़ रुपए, स्टेट गुड्स सर्विसेज टैक्स (एसजीएसटी) का हिस्सा 42,522 करोड़ रुपए और इंटीग्रेटेड गुड्स सर्विसेज टैक्स (आईजीएसटी) का हिस्सा 92,910 करोड़ रुपए रहा है।

वहीं, सेस से आय नवंबर में 4,006 करोड़ रुपए रही है। यह पिछले साल समान अवधि में 12,950 करोड़ रुपए थी।

नवंबर में सरकार ने 18,196 करोड़ रुपए का जीएसटी रिफंड जारी किया है। पिछले साल समान अवधि में जारी हुए 18,954 करोड़ रुपए के रिफंड के मुकाबले इसमें 4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

रिफंड के बाद नवंबर में नेट जीएसटी कलेक्शन 1,52,079 करोड़ रुपए रहा है, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 1,50,062 करोड़ रुपए था।

मासिक आधार पर जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की वजह सरकार की ओर से 22 सितंबर से जीएसटी सुधारों को लागू करना और त्योहारी सीजन निकलने को माना जा रहा है। आमतौर पर दीपावली के बाद के महीने का जीएसटी कलेक्शन त्योहरी बिक्री न होने के कारण कम हो जाता है।

आरबीआई रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कर सकता है कटौती : एचएसबीसी

आगे कुछ समय के लिए मुद्रास्फीति टारगेट लेवल से कम बने रहने का अनुमान है इस बीच एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की ओर से सोमवार को कहा गया कि आरबीआई की ओर से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जाएगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का रेपो रेट को लेकर फैसला 5 दिसंबर को आएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास दर अभी तक मजबूत बनी हुई है, जिसे सरकारी खर्च और जीएसटी-कट लेड रिटेल खर्च से बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा, नवंबर फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 56.6 से संकेत मिलता है कि जीएसटी के कारण वृद्धि अपने पीक पर पहुंच गई है क्योंकि कुल मिलाकर नए ऑर्डर कम आ रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, "अभी विकास दर मजबूत बनी हुई है, लेकिन मार्च 2026 की तिमाही में इसमें नरमी आ सकती है। हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक आगामी दिसंबर नीति बैठक में पॉलिसी रेट को कम करेगा।"

रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत रही, जो कि जून तिमाही के जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत और हमारे 7.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक रही। वहीं, ग्रॉस वैल्यू एडेड वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत और नॉमिनल जीडीपी 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी।

जीडीपी में वृद्धि की गति तेज रही, जिसके बहुत से कारण रहे। इनमें से एक महत्वपूर्ण कारक 22 सितंबर को लागू की गई जीएसटी दरों में कटौती रही, जिसे लेकर 15 अगस्त को घोषणा की गई थी।


भारत की औद्योगिक विकास दर अक्टूबर में 0.4 प्रतिशत रही

भारत की औद्योगिक विकास दर अक्टूबर में कम होकर 0.4 प्रतिशत रही है। इसकी वजह महीने के दौरान दशहरा, दीपावली और छठ जैसे त्योहारों के कारण कार्यदिवसों की संख्या कम होना है। यह जानकारी सोमवार को सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से दी गई।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आधारित भारत की औद्योगिक विकास दर सितंबर और अगस्त में 4 प्रतिशत और जुलाई में 3.5 प्रतिशत और जून में 1.5 प्रतिशत थी।

अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन मजबूत रहा है और पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इसमें 1.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

अक्टूबर में 23 में से 9 औद्योगिक समूहों ने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। इस दौरान जिन तीन समूहों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। उनमें मैन्युफैक्चर ऑफ बेसिक मेटल्स समूह ने 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। मैन्युफैक्चर ऑफ कोक एंड रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स समूह की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत और मैन्युफैक्चर ऑफ मोटर व्हीकल्स,ट्रेलर्स और सेमी-ट्रेलर्स समूह की वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रही है।

अक्टूबर में माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की वृद्धि दर नकारात्मक क्रमश: -1.8 प्रतिशत और -6.9 प्रतिशत रही है।

सरकार ने कहा कि बारिश और तापमान कम रहने के कारण बिजली की मांग कम रही है, जिससे बिजली का उत्पादन कम हो गया है।

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