अर्थतंत्र की खबरें: व्यापार युद्ध की आशंका से शेयर बाजार सहमा और चीन का अमेरिका पर पलटवार, लगाया 34% शुल्क

विश्व में व्यापार युद्ध गहराने की आशंका हावी हो रही है। इस बीच वैश्विक बाजारों में आई नरमी के बीच शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज की गई।

भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
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नवजीवन डेस्क

व्यापार युद्ध गहराने की आशंका हावी होने से वैश्विक बाजारों में आई नरमी के बीच शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज की गई। मानक सूचकांक सेंसेक्स करीब 931 अंक लुढ़क गया जबकि निफ्टी में 346 अंकों की गिरावट आई।

विश्लेषकों ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट और घरेलू दिग्गज कंपनियों रिलायंस इंडस्ट्रीज, लार्सन एंड टुब्रो और इन्फोसिस में भारी बिकवाली ने भी निवेशकों की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।

बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 930.67 अंक यानी 1.22 प्रतिशत गिरकर 76,000 के स्तर से काफी नीचे 75,364.69 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,054.81 अंक गिरकर 75,240.55 तक आ गया था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 345.65 अंक यानी 1.49 प्रतिशत गिरकर 23,000 के नीचे 22,904.45 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 382.2 अंक गिरकर 22,867.90 पर आ गया था।

सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से टाटा स्टील के शेयरों में सर्वाधिक 8.59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद टाटा मोटर्स, लार्सन एंड टूब्रो, अदाणी पोर्ट्स, इंडसइंड बैंक, टेक महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सन फार्मा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस और एनटीपीसी में भी प्रमुख रूप से गिरावट रही।

दूसरी तरफ, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, नेस्ले इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, एशियन पेंट्स और एक्सिस बैंक के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "अमेरिका के अपेक्षा से अधिक शुल्क लगाए जाने का वैश्विक बाजारों पर खासा प्रभाव देखने को मिला। प्रभावित देशों की तरफ से अमेरिका के खिलाफ जवाबी कदम उठाने की संभावना ने अनिश्चितता बढ़ाने का काम किया। इसके व्यापक निहितार्थ को समझने में जुटे निवेशकों के बीच बिकवाली का जोर देखा गया।"

इस कारोबारी सप्ताह में बीएसई सेंसेक्स में कुल 2,050.23 अंक यानी 2.64 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जबकि एनएसई निफ्टी में 614.8 अंक यानी 2.61 प्रतिशत का नुकसान रहा।

मझोली कंपनियों का बीएसई मिडकैप सूचकांक में 3.08 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि छोटी कंपनियों के स्मॉलकैप सूचकांक 3.43 प्रतिशत टूटे

मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, "वैश्विक बाजारों में गिरावट के साथ ही घरेलू बाजारों में भी गिरावट हावी रही। व्यापक बिकवाली के कारण विभिन्न क्षेत्रों में दो-छह प्रतिशत की गिरावट देखी गई।"

तापसे के मुताबिक, निवेशकों को डर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जवाबी शुल्क नीति अमेरिका में मंदी और मुद्रास्फीति को बढ़ावा देगी जो आगे चलकर अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को भी अपनी चपेट में ले लेगी।

बीएसई में सूचीबद्ध 2,820 कंपनियां गिरावट के साथ बंद हुईं जबकि 1,126 कंपनियों में तेजी रही औऱ 130 अन्य अपरिवर्तित रहीं।

चौतरफा गिरावट के चलते बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 9,98,379.46 करोड़ रुपये घटकर 4,03,34,886.46 करोड़ रुपये (4.73 लाख करोड़ डॉलर) रह गया।

एशिया के अन्य बाजारों में जापान के निक्की और दक्षिण कोरिया के कॉस्पी सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई जबकि हांगकांग और शंघाई शेयर बाजार छुट्टियों के कारण बंद रहे।

यूरोप के बाजार मध्य सत्र के सौदों में गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को 2020 में कोविड महामारी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए थे।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 3.26 प्रतिशत गिरकर 67.85 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 2,806 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने शुद्ध आधार पर 221.47 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 322.08 अंकों की गिरावट के साथ 76,295.36 और निफ्टी 82.25 अंकों की गिरावट के साथ 23,250.10 पर बंद हुआ था।

चीन का पलटवार, अमेरिकी वस्तुओं पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाया

चीन ने शुक्रवार को अमेरिका पर पलटवार करते हुए वहां से आयातित सभी उत्पादों पर 34 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। यह अमेरिका में चीन से आयात पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के जवाब में किया गया है।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, ये शुल्क 10 अप्रैल से लागू होंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका द्वारा व्यापार साझेदारों पर ‘जवाबी शुल्क’ लगाए जाने के बाद चीन ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज कराई है।

वाणिज्य मंत्रालय ने यहां कहा कि चीन ने 16 अमेरिकी कंपनियों को दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का भी फैसला किया है।

ट्रंप ने बुधवार को चीनी वस्तुओं के आयात पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की, जिसे अमेरिकी व्यापार नीति को नया रूप देने के उद्देश्य से व्यापक ‘मुक्ति दिवस’ पैकेज के हिस्से के रूप में पेश किया गया।

इस फैसले के बाद अमेरिका में प्रवेश पर चीन की वस्तुओं पर कुल शुल्क 54 प्रतिशत हो गया। यह ट्रंप द्वारा उनके चुनाव अभियान के दौरान दी गई चीन पर 60 प्रतिशत शुल्क की धमकी के करीब ही है।

उन्होंने कहा कि चीन ने अमेरिका पर 67 प्रतिशत शुल्क लगाया है। उन्होंने कहा कि इस आंकड़े में मुद्रा की विनिमय दर में हेरफेर और व्यापार बाधाओं के प्रभाव भी शामिल हैं।

चीनी आयात पर नए 34 प्रतिशत शुल्क में 10 प्रतिशत मूल शुल्क और देश के लिए 24 प्रतिशत विशिष्ट शुल्क शामिल हैं। 10 प्रतिशत शुल्क पांच अप्रैल से, जबकि उच्च जवाबी शुल्क नौ अप्रैल से लागू होंगे।

चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को अमेरिका को अपने 438 अरब डॉलर के निर्यात पर ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्क की कड़ी आलोचना की थी।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने एक अलग बयान में कहा कि अमेरिकी शुल्क ने डब्ल्यूटीओ के नियमों का गंभीर उल्लंघन किया है और नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमजोर किया है।

उन्होंने कहा कि चीन इसका दृढ़ता से खंडन करता है और अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह करेगा।

आसियान और ईयू के बाद अमेरिका, चीन का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में चीन के साथ अमेरिका का कुल वस्तु व्यापार अनुमानित 582.4 अरब डॉलर था।

पिछले साल चीन को अमेरिकी वस्तु निर्यात 143.5 अरब डॉलर था जबकि आयात कुल 438.9 अरब डॉलर था। इस दौरान चीन के साथ अमेरिकी वस्तु व्यापार घाटा 295.4 अरब डॉलर था।


दोनों देशों के लिए लाभकारी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से टैरिफ का प्रभाव कम होने की उम्मीद : रिपोर्ट

अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने का भारत पर सीधा प्रभाव अभी तक अस्थिर लग रहा है और इस साल के अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते से इसका प्रभाव सीमित हो जाएगा। यह जानकारी शुक्रवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।

भारत घरेलू-उन्मुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है, जिसमें कुल जीडीपी में खपत का हिस्सा 60 प्रतिशत है। दूसरी ओर, वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी में व्यापारिक निर्यात का हिस्सा केवल 12 प्रतिशत रहा।

बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की रिपोर्ट के अनुसार, अगर माना जाए कि अमेरिका को भारत के निर्यात के मूल्य में 10 प्रतिशत की गिरावट आती है तो भारत की जीडीपी वृद्धि पर कुल प्रभाव लगभग 0.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने कहा, "हालांकि, फार्मा उत्पादों पर छूट और व्यापार समझौते की संभावना इस प्रभाव को सीमित कर सकती है। इसके अलावा, भारत के निर्यातकों के लिए दूसरे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से बाजार हिस्सेदारी हासिल करने का अवसर भी है, जिस स्थिति में ये टैरिफ भारत के लिए मामूली रूप से सकारात्मक हो सकते हैं।"

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (अमेरिकी समय) को कहा कि उनका प्रशासन फार्मास्युटिकल्स पर संभावित टैरिफ पर भी विचार कर रहा है।

जिन क्षेत्रों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना है, उनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, कीमती स्टोन और मशीनरी के अलावा रेडीमेड गारमेंट्स शामिल हैं।

कुल मिलाकर, भारत पर उच्च अमेरिकी टैरिफ का सीधा प्रभाव अभी अस्थिर लग रहा है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि निर्यात में कमी आती है या नहीं और अगर कमी आती भी है तो यह किस हद तक आती है।

गुप्ता ने कहा कि सभी देशों पर उच्च टैरिफ लगाए गए हैं, इसलिए भारत के लिए नुकसान कुछ हद तक कम हो सकता है। यह देखा जा सकता है कि अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे वियतनाम, थाईलैंड, ताइवान और इंडोनेशिया पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगा है, इनकी टैरिफ दरें 32 प्रतिशत से 46 प्रतिशत के बीच हैं।

चीन पर टैरिफ दर मौजूदा 20 प्रतिशत के ऊपर बढ़ाकर 34 प्रतिशत कर दी गई है, जबकि भारत के लिए नई टैरिफ दर 27 प्रतिशत निर्धारित की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच अच्छे कूटनीतिक संबंधों को देखते हुए, 2025 के अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार सौदे को अंतिम रूप देने की प्रगति तेज होने की उम्मीद है, जिससे प्रभाव और सीमित हो जाएगा।

सोना 1,350 रुपये टूटकर 93,000 रुपये पर, चांदी 5,000 रुपये लुढ़की

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कमजोर रुख के बीच सोने में पांच दिनों से चली आ रही तेजी का सिलसिला थम गया और शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 1,350 रुपये टूटकर 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।

बृहस्पतिवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 200 रुपये मजबूत होकर 94,350 रुपये प्रति 10 ग्राम के ताजा ऊंचाई पर पहुंच गया था।

पांच दिनों की तेजी के बाद 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,350 रुपये लुढ़ककर 92,550 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया जो बृहस्पतिवार को 93,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

अबांस फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न देशों पर शुल्क लगाने के बाद सुरक्षित निवेश की मांग में कमी आने से सोने की कीमतों में गिरावट आई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निवेशकों ने अपना ध्यान वैश्विक व्यापार की स्थिति और संभावित आर्थिक प्रभाव पर केंद्रित किया है, जो वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं और कारोबारी भावना को कमजोर कर सकते हैं।’’

चांदी की कीमत भी 5,000 रुपये औंधे मुंह लुढ़क गया, जो चार महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है। इसकी कीमत 95,500 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 1,00,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

मेहता इक्विटीज के उपाध्यक्ष (जिंस), राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘सोने की कीमतें एक सप्ताह में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं, जबकि चांदी पांच सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि ट्रंप के संवाददाता सम्मेलन के दौरान दोनों धातुओं ने शुरुआत में तेजी दिखाई थी...।’’

वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना 21.74 डॉलर यानी 0.70 प्रतिशत टूटकर 3,093.60 डॉलर प्रति औंस रह गया। एशियाई बाजारों में हाजिर चांदी 1.69 प्रतिशत टूटकर 31.32 डॉलर प्रति औंस रह गई।

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