अर्थतंत्र की खबरें: टैरिफ शॉक से 25 बीपीएस रेट कट का संकेत और रुपया 50 पैसे टूटकर 86.26 प्रति डॉलर पर
ग्लोबल सेंटीमेंट में तेजी से बदलाव, बाजार में उच्च अस्थिरता और अमेरिकी टैरिफ शॉक के बीच मंदी के डर से संकेत मिलता है कि आरबीआई, 9 अप्रैल को 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है।

ग्लोबल सेंटीमेंट में तेजी से बदलाव, बाजार में उच्च अस्थिरता और अमेरिकी टैरिफ शॉक के बीच मंदी के डर से संकेत मिलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 9 अप्रैल को 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। साथ ही बैंक दिशा में सहजता के लिए रुख में बदलाव कर “अकोमोडेटिव” हो सकता है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।
केंद्रीय बैंक ने सोमवार को अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू की।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने नोट में कहा, "यह वैश्विक व्यापार युद्ध किस हद तक फैल सकता है, यह स्पष्ट नहीं है। इस साल भारत में मौद्रिक नीति को वित्त वर्ष की तुलना में ज्यादा काउंटर-साइक्लिकल होने के कारण भारी काम करना पड़ सकता है। भारत के लिए ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट से जुड़े व्यवधानों और रियल सेक्टर की मार दोनों से प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं।"
हालांकि बातचीत और तनाव कम करने की गुंजाइश है। नोट के अनुसार, "हमें लगता है कि यह आने वाले महीनों में उभरते बाजारों (ईएम) की परिसंपत्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।"
हालांकि, वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए आरबीआई जल्द ही सभी इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहेगा और इसलिए अप्रैल में कटौती नहीं कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "आवश्यक होने पर आसान विनियामक (उधार) मानदंडों के रूप में गैर-पारंपरिक सहजता, बैंकों के लिए 90 प्रतिशत से कम दैनिक सीआरआर रिक्वायरमेंट, स्थिर भारतीय मुद्रा प्रबंधन आदि जैसे विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है।"
निकट भविष्य में, बैंकों के लिए आसान एसेट लाइबिलिटी मैनेजमेंट (एएलएम) और लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए प्राथमिक उपकरण के रूप में 14-डे वेरिएबल रेट रेपो (वीआरआर) के बजाय डेली वीआरआर के पक्ष में लिक्विडिटी फ्रेमवर्क में कुछ बदलाव हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, अस्थिर वैश्विक गतिशीलता के कारण आरबीआई को सख्त वित्तीय स्थितियों के किसी भी जोखिम को प्रबंधित करने में तेज रहने की जरूरत होगी, विशेष रूप से सेंटीमेंट/पूंजी प्रवाह को शॉक के कारण उभरते बाजारों से उच्च जोखिम प्रीमियम की जरूरत होगी।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार युद्ध से जुड़ी परेशानियों की सीमा स्पष्ट नहीं है, लेकिन भारत में मौद्रिक नीति को भारी काम करना पड़ सकता है।
एंजेल वन, आयनिक एसेट में मैक्रो स्ट्रैटेजिस्ट और ग्लोबल इक्विटीज फंड एडवाइजर अंकिता पाठक के अनुसार, आरबीआई बुधवार को दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, साथ ही मौजूदा 'न्यूट्रल' से उदार रुख की ओर बदलाव की उम्मीद है।
पाठक ने उल्लेख किया, "जहां तक टैरिफ का सवाल है, भारत एशिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन वैश्विक मंदी की स्थिति में इसका असर देश पर भी पड़ सकता है। ट्रंप के टैरिफ पर चीन की प्रतिक्रिया एशियाई केंद्रीय बैंकों (आरबीआई सहित) के लिए महत्वपूर्ण होगी और यह मुद्रा और दरों दोनों के लिए दिशा तय करेगी।"
भारत को ट्रंप के टैरिफ से पहले भी 'मौद्रिक रिफ्लेशन' की जरूरत थी और विकास को समर्थन देने के लिए इसकी आवश्यकता थी। साथ ही ऐसा करने की क्षमता अब सबसे मजबूत है। इसलिए, इसे दर में कटौती और सरप्लस लिक्विडिटी मेनटेनेंस दोनों के माध्यम से प्रवाहित होना चाहिए।
रुपया 50 पैसे टूटकर 86.26 प्रति डॉलर पर, तीन माह में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट
लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 50 पैसे लुढ़ककर 86.26 (अस्थायी) पर बंद हुआ। वैश्विक व्यापार युद्ध के कारण आर्थिक मंदी की आशंका के बीच करीब तीन महीने में यह रुपये में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में कुछ सुधार और विदेशी पूंजी की निकासी जारी रहने से भी कारोबारी धारणा प्रभावित हुई।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अमेरिकी प्रशासन द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर चीन के 34 प्रतिशत आयात शुल्क के जवाब में 50 प्रतिशत का दंडात्मक शुल्क लगाने की नई धमकी के बाद वैश्विक बाजार अत्यधिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.89 पर खुला और डॉलर के मुकाबले 85.82 के उच्चस्तर और 86.29 के निचले स्तर के बीच झूलता रहा। अंत में रुपया 86.26 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से 50 पैसे की गिरावट है।
इससे पहले इस वर्ष 13 जनवरी को एक सत्र में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी, जब इसमें 66 पैसे की गिरावट आई थी।
सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 32 पैसे की गिरावट के साथ 85.76 पर बंद हुआ, जबकि शुक्रवार को पिछले सत्र में इसमें 14 पैसे की गिरावट आई थी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण आयातकों की मजबूत डॉलर मांग और भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी कोषों की सतत निकासी है।
उन्होंने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, रुपया इस महीने अपने एशियाई समकक्षों के बीच सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा के रूप में उभरा है। रुपये के लिए बाजार की धारणा नकारात्मक बनी हुई है, खासकर अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क लगाए जाने के बाद, जिसके कारण 21 मार्च के बाद से भारतीय मुद्रा अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है।’’
घरेलू वृहद आर्थिक मोर्चे पर, निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दर निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सोमवार को प्रमुख ब्याज दरों पर अपने तीन दिवसीय विचार-विमर्श की शुरुआत की। निर्णय की घोषणा बुधवार को की जाएगी।
इस बीच, दुनिया की छह अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती का आकलन करने वाला, डॉलर इंडेक्स 0.06 प्रतिशत बढ़कर 103.03 पर कारोबार कर रहा था।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड में कुछ सुधार दिखा, क्योंकि यह वायदा कारोबार में 0.19 प्रतिशत बढ़कर 64.33 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार रिकॉर्ड निचले स्तर से उबर गए और 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1089.18 अंक बढ़कर 74,227.08 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 374.25 अंक बढ़कर 22,535.90 अंक पर बंद हुआ।
सोमवार को दोनों बेंचमार्क सूचकांक करीब पांच प्रतिशत तक टूटने के बाद अंत में तीन प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए थे।
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने सोमवार को शुद्ध आधार पर 9,040.01 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
शेयर बाजार में तेजी से निवेशकों की संपत्ति 7.32 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
शेयर बाजार में मंगलवार को आई तेजी से निवेशकों की संपत्ति 7.32 लाख करोड़ रुपये बढ़ गयी।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,089.18 अंक यानी 1.49 प्रतिशत की बढ़त के साथ 74,227.08 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,721.49 अंक तक चढ़ गया था।
शेयर बाजार में तेजी के साथ बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 7,32,042.69 करोड़ रुपये बढ़कर 3,96,57,703.44 करोड़ रुपये (4,620 अरब डॉलर) पर पहुंच गया।
सोना 200 रुपये टूटकर 91,250 रुपये प्रति 10 ग्राम पर, चांदी में उछाल
स्थानीय बाजारों में कमजोर मांग के बीच मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 200 रुपये गिरकर 91,250 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है।
सोमवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 91,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 200 रुपये गिरकर 90,800 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। पिछले कारोबार में यह 91,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
हालांकि, पिछले पांच सत्रों की गिरावट के बाद चांदी की कीमतों में उछाल आया और यह 200 रुपये बढ़कर 92,700 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि इसका पिछला बंद भाव 92,500 रुपये प्रति किलोग्राम था।
इस बीच, विदेशी बाजारों में हाजिर सोना 0.82 प्रतिशत बढ़कर 3,007.60 डॉलर प्रति औंस हो गया।
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा), जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘रुपये की कमजोरी ने तेजी को और बढ़ाया, जिससे सोने में तेजी के साथ सकारात्मक कारोबार हुआ। डॉलर इंडेक्स के 102 अंक के आसपास रहने से वैश्विक धारणा सतर्क रही, जिससे सर्राफा कीमतों पर कोई खास असर नहीं पड़ा।’’
त्रिवेदी ने कहा कि हालांकि, शुल्क तनाव, मुख्य कारक बना रहा, क्योंकि अमेरिकी व्यापार उपायों के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख ने सुरक्षित-पनाहगाह के रूप में इसकी मांग को फिर से जगा दिया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी के अनुसार, बाजार प्रतिभागी इस सप्ताह के व्यापक आर्थिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नवीनतम नीतिगत बैठक के नतीजे भी शामिल हैं।
गांधी ने कहा कि इसके अलावा, बृहस्पतिवार को अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और शुक्रवार को उत्पादक मूल्य सूचकांक भी फेडरल रिजर्व नीति के भविष्य के मार्ग के बारे में संकेत देंगे।
एशियाई कारोबारी घंटों में हाजिर चांदी 0.69 प्रतिशत बढ़कर 30.29 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई।
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