अर्थतंत्र की खबरें: शेयर बाजार में नहीं लौट रही तेजी और लोन वाली महिलाओं की संख्या में 42 % की वृद्धि
निफ्टी में बैंकिंग के अलावा मेटल, एनर्जी और फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए हैं। ऑटो, आईटी, फार्मा और एफएमसीजी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं।

भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में करीब सपाट बंद हुए। मुख्य सूचकांकों में हल्की गिरावट देखी गई। हालांकि, बैंकिंग, मेटल और एनर्जी शेयरों में तेजी थी।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 96 अंक या 0.13 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 72,989 और निफ्टी 36 अंक या 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,082 पर था।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप हरे निशान में बंद हुए। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 23.70 अंक की मामूली तेजी के साथ 48,007 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 101 अंक या 0.69 प्रतिशत की तेजी के साथ 14,762 पर बंद हुआ।
कारोबारी सत्र में बैंकिंग शेयरों में खरीदारी देखने को मिली। निफ्टी बैंक 130 अंक या 0.27 प्रतिशत चढ़कर 48,245 पर बंद हुआ।
निफ्टी में बैंकिंग के अलावा मेटल, एनर्जी और फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए हैं। ऑटो, आईटी, फार्मा और एफएमसीजी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं।
व्यापक बाजार का रुझान सकारात्मक था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,219 शेयर हरे निशान में, 1,738 शेयर लाल निशान में और 129 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए।
सेंसेक्स पैक में एसबीआई, जोमैटो, टीसीएस, टाटा स्टील, पावर ग्रिड, एचडीएफसी बैंक, अदाणी पोर्ट्स, इंडसइंड बैंक और आईसीआईसीआई बैंक टॉप गेनर्स थे। बजाज फिनसर्व, एचसीएल टेक, नेस्ले, एशियन पेट्स, सन फार्मा, भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी, इन्फोसिस और टाइटन टॉप लूजर्स थे।
प्रभुदास लीलाधर (पीएल कैपिटल) के एडवाइजरी प्रमुख, विक्रम कसात ने कहा कि मंगलवार का कारोबारी सत्र काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। इसकी वजह वैश्विक अस्थिरता है। अमेरिका द्वारा कनाडा, चीन और मैक्सिको पर टैरिफ लगाए जाने से ट्रेड वार का खतरा बढ़ गया है। इन ट्रेड वार के साथ-साथ रूस और यूक्रेन के बीच भू-राजनीतिक तनावों के कारण संभावित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान, प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव और अमेरिका में महंगाई बढ़ने की संभावना के संबंध में चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।
भारतीय बाजार की शुरुआत कमजोरी के साथ हुई थी। सुबह करीब 9.30 बजे सेंसेक्स 363.22 अंक या 0.50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 72,722.72 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 125.80 अंक या 0.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 21,993.50 पर कारोबार कर रहा था।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने लगातार आठवें दिन अपनी बिकवाली जारी रखी, क्योंकि वे 3 मार्च को 4,788.29 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने उसी दिन 8,790.70 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
बिजनेस चलाने के लिए लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या में 42 प्रतिशत की वृद्धि : नीति आयोग
भारत में कम से कम 27 मिलियन महिलाएं बिजनेस चलाने के लिए लोन ले रही हैं और अपने क्रेडिट स्कोर की सक्रिय रूप से निगरानी कर रही हैं। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है, जो सालाना आधार पर वृद्धि को भी दर्शाती है।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक 27 मिलियन महिलाएं अपने क्रेडिट की निगरानी कर रही थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जो बढ़ती वित्तीय जागरूकता और सशक्तीकरण का संकेत देता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल स्व-निगरानी बेस में महिलाओं की हिस्सेदारी दिसंबर 2024 में बढ़कर 19.43 प्रतिशत हो गई, जो 2023 में 17.89 प्रतिशत थी।
गैर-मेट्रो क्षेत्रों की महिलाओं की संख्या में सक्रिय रूप से अपने क्रेडिट की स्वयं निगरानी करने की संख्या में 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मेट्रो क्षेत्रों के मामले में यह 30 प्रतिशत बढ़ी है।
2024 में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में सभी स्व-निगरानी महिलाओं का 49 प्रतिशत हिस्सा रहा, जबकि दक्षिणी क्षेत्र में कुल संख्या 10.2 मिलियन महिलाओं तक पहुंचकर सबसे आगे है।
रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित उत्तरी और मध्य राज्यों में पिछले पांच वर्षों में सक्रिय महिला उधारकर्ताओं में सबसे अधिक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) देखी गई।
2019 से बिजनेस लोन उत्पत्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और गोल्ड लोन में उनकी हिस्सेदारी में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, दिसंबर 2024 तक बिजनेस उधारकर्ताओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत रही।
रिपोर्ट को ट्रांसयूनियन सिबिल, नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) और माइक्रोसेव कंसल्टिंग (एमएससी) ने प्रकाशित किया है।
लॉन्च के दौरान, नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने में वित्त तक पहुंच की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
सुब्रह्मण्यम ने कहा, "सरकार मानती है कि वित्त तक पहुंच महिला उद्यमिता के लिए एक बुनियादी सक्षमकर्ता है। महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) एक इंक्लूसिव इकोसिस्टम बनाने की दिशा में काम करना जारी रखता है, जो वित्तीय साक्षरता, ऋण तक पहुंच, सलाह और बाजार संबंधों को बढ़ावा देता है।"
सुब्रह्मण्यम ने कहा, "इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, फाइनेंसिंग वूमेन कोलैबोरेटिव का गठन किया गया है। हम चाहते हैं कि वित्तीय क्षेत्र के अधिक हितधारक फाइनेंसिंग वूमेन कोलैबोरेटिव में शामिल हों और इस मिशन में योगदान दें।"
नीति आयोग की प्रमुख आर्थिक सलाहकार और डब्ल्यूईपी की मिशन निदेशक अन्ना रॉय ने कहा कि महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करना भारत में वर्कफोर्स में प्रवेश करने वाली महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने का एक तरीका है।
रॉय ने कहा, "यह समान आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक व्यवहार्य रणनीति के रूप में भी काम करता है। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने से 150 से 170 मिलियन लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं, जबकि श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सकती है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती क्रेडिट जागरूकता और बेहतर स्कोर के साथ, वित्तीय संस्थानों के पास महिलाओं की खास जरूरतों के अनुरूप जेंडर-स्मार्ट फाइनेंशियल प्रोडक्ट पेश करने का अवसर है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूर्व सेबी प्रमुख और 5 अन्य के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश पर लगाई रोक
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को विशेष अदालत के उस आदेश पर चार सप्ताह की रोक लगा दी, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।
विशेष अदालत ने शेयर बाजार में धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के आरोपों के बाद एफआईआर का आदेश जारी किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि आदेश विवरणों की उचित जांच किए बिना और अभियुक्तों की विशिष्ट भूमिकाएं बताए बिना जारी किया गया था।
न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने अपने फैसले में कहा कि विशेष अदालत के 1 मार्च के फैसले में "मामले की बारीकियों पर गौर नहीं किया गया और न ही अभियुक्तों द्वारा गलत काम किए जाने की स्पष्ट पहचान की गई।"
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला बुच और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं के बाद आया है, जिनमें सेबी के तीन वर्तमान निदेशक अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय और बीएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ राममूर्ति और पूर्व अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल शामिल थे।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विशेष अदालत का आदेश अवैध और मनमाना था और उन्होंने इसे रद्द करने की मांग की।
सेबी ने अपने बयान में एसीबी अदालत में दायर आवेदन की आलोचना करते हुए इसे छोटा मामला बताया था और इस बात पर प्रकाश डाला कि इसमें शामिल अधिकारी कथित घटनाओं के समय अपने पदों पर नहीं थे।
सेबी ने आगे दावा किया कि यह आवेदन एक "आदतन वादी" द्वारा किया गया था और इस बात पर जोर दिया कि एसीबी कोर्ट के आदेश ने उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी।
विशेष अदालत का मानना था कि नियामक चूक और संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करने वाले प्रथम दृष्टया सबूत थे और इस कारण अदालत की निगरानी में निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया था।
इसके जवाब में बॉम्बे हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है, जिससे आगे की कानूनी कार्रवाई करने से पहले मामले की जांच करने के लिए और समय मिल गया है।
भारत में क्रेडिट कार्ड से खर्च जनवरी में 14 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा
भारत में क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाला खर्च जनवरी में बढ़कर 1,84,100 करोड़ रुपये हो गया है। इसमें सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। यह जानकारी मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
कुल क्रेडिट कार्ड की लेनदेन की वॉल्यूम जनवरी 2025 में 43 करोड़ रही है। इसमें सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, मासिक आधार पर एक प्रतिशत की मामूली गिरावट हुई है। इसकी वजह दिसंबर 2024 का उच्च आधार होना है।
असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, लेनदेन की मात्रा में गिरावट का कारण धोखाधड़ी के कारण बढ़ी हुई सतर्कता है।
इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट, अक्षय तिवारी ने कहा, "हालांकि नए कार्ड डिस्पैच, कार्ड खर्च और प्रति कार्ड लेनदेन के मामले में उद्योग स्तर पर क्रेडिट कार्ड डेटा में कमी देखी गई, लेकिन एचडीएफसी और एसबीआई जैसे प्रमुख बैंकों के अधिक कार्ड डिस्पैच देखे गए हैं और इसके परिणामस्वरूप बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है।"
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि आउटस्टैंडिंग क्रेडिट कार्ड की संख्या जनवरी में 10.9 करोड़ रही है। दिसंबर 2024 के मुकाबले इसमें 12 लाख की कमी आई है। प्रति कार्ड औसत खर्च भी मासिक आधार पर एक प्रतिशत गिरकर 16,911 रुपये हो गया है। हालांकि, इसमें सालाना आधार पर मामूली एक प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
हर लेनदेन का औसत आकार सालाना आधार पर 15 प्रतिशत घटकर 4,282 रुपये रह गया है, जो कि ग्राहकों के बदलते व्यवहार और व्यापक आर्थिक परिस्थितियों को दिखाता है।
अग्रणी बैंकों ने क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना जारी रखा। एचडीएफसी बैंक ने आक्रामक ग्राहक अधिग्रहण रणनीतियों के माध्यम से पिछले वर्ष की तुलना में अपनी बाजार हिस्सेदारी 20.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 21.5 प्रतिशत कर ली है।
एसबीआई ने बाजार हिस्सेदारी में गिरावट से उबरते हुए अकेले जनवरी में 2,40,000 नए कार्ड जोड़े हैं और कंपनी का मार्केट शेयर 18.8 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक की बाजार हिस्सेदारी 16.3 प्रतिशत से बढ़कर 16.6 प्रतिशत हो गई है।
इस महीने की एक प्रमुख विशेषता यह रही कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फरवरी 2025 में कोटक महिंद्रा बैंक के क्रेडिट कार्ड जारी करने पर अपने 10 महीने के प्रतिबंध को हटा दिया।
रिपोर्ट में बताया गया कि लेनदेन की मात्रा और खर्च में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, क्रेडिट कार्ड उद्योग ने मजबूत दीर्घकालिक विकास प्रदर्शित करना जारी रखा है।
--आईएएनएस
एबीएस/
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