अर्थतंत्र की खबरें: शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी और म्यूचुअल फंड्स में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही महिलाएं
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है। इसका असर अब ब्रोकरेज और एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के शेयरों पर भी देखने को मिला रहा है।

शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है। इसका असर अब ब्रोकरेज और एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के शेयरों पर भी देखने को मिला रहा है।
ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म एंजेल वन के शेयर ने सोमवार को 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,952.25 रुपये का इंट्राडे लो बनाया। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई और फिलहाल शेयर 7.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,005 रुपये पर है। बीते एक हफ्ते में एंजेल वन का शेयर 11 प्रतिशत से अधिक गिर गया है।
अन्य ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का शेयर भी लाल निशान में है। दोपहर को शेयर 2.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 573 रुपये पर था। यह शेयर बीते एक हफ्ते में करीब 6 प्रतिशत फिसल चुका है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के शेयर में भी बड़ी गिरावट हुई है। दोपहर को शेयर 5.68 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,368.45 रुपये पर था। बीएसई के शेयर में बीते एक हफ्ते में 21 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई है।
इसके अलावा सीएएमएस और सीडीएसएल जैसे शेयरों में बीते एक हफ्ते में 9 प्रतिशत तक की गिरावट हुई है। इस गिरावट की वजह शेयर बाजार की वॉल्यूम में कमी को माना जा रहा है।
हाल ही में देश की बड़ी ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के सीईओ और सह-संस्थापक नितिन कामत ने कहा था कि 15 वर्षों में पहली बार उनके बिजनेस में गिरावट देखने को मिली है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कामत ने कहा कि सभी ब्रोकर्स के प्लेटफॉर्म पर ट्रेडर्स की संख्या और कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखने को मिली है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर यह ट्रेंड जारी रहता है तो वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एसटीटी कलेक्शन 40,000 करोड़ रुपये के नीचे रह सकता है, जो कि सरकार के अनुमान 80,000 करोड़ रुपये से 50 प्रतिशत कम है।
म्यूचुअल फंड्स में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही महिलाएं, एयूएम पांच वर्षों में दोगुना हुआ: रिपोर्ट
भारत में महिला निवेशकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और महिलाएं बड़े स्तर पर म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश कर रही हैं, जिसके कारण उनका एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) मार्च 2019 में 4.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2024 में 11.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो दोगुने से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक नई रिपोर्ट में दी गई।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के द्वारा क्रिसिल के साथ साझेदारी में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि महिला निवेशक अब कुल व्यक्तिगत निवेशकों के एयूएम का 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करती हैं।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है और अब प्रत्येक चार निवेशकों में से एक महिला है।
इसके अतिरिक्त, महिलाओं के निवेश पोर्टफोलियो के औसत आकार में तेज वृद्धि देखी गई है, मार्च 2019 और मार्च 2024 के बीच उनके फोलियो आकार में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पुरुषों के लिए यह वृद्धि केवल 6 प्रतिशत रही है।
रिपोर्ट में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (एसआईपी) में भी मजबूत वृद्धि दिखाई गई, जिसमें स्मॉलकैप फंड टॉप परफार्मर के रूप में उभरे, जिनका इस श्रेणी के कुल एयूएम में आधे से अधिक हिस्सा है।
इसके अतिरिक्त, मिडकैप फंडों में भी एसआईपी में वृद्धि हुई है, इस श्रेणी में एयूएम का लगभग 46 प्रतिशत नियमित निवेश से आता है। अधिकांश इक्विटी श्रेणियों में वृद्धि के बावजूद, सेक्टोरल, थीमैटिक और डिविडेंड यील्ड श्रेणियों में एसआईपी एयूएम की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, एसआईपी एयूएम में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह मार्च 2024 में बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि मार्च 2019 में 2.66 लाख करोड़ रुपये पर था।
रिपोर्ट में बताया गया कि इस बढ़त की वजह एसआईपी की स्वीकार्यता में बढ़ोतरी होना है। 18-34 वर्ष के आयुवर्ग में एसआईपी का अधिक क्रेज देखने को मिल रहा है। इस आयुवर्ग के एसआईपी एयूएम में बीते पांच साल में 2.6 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और यह मार्च 2024 में बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि मार्च 2019 में 41,209 करोड़ रुपये था।
यूपी के कपड़ा उद्योग को मिलेगी नई पहचान
यूपी का हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में यह उद्योग कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने वाला विकेन्द्रीयकृत कुटीर उद्योग बनकर उभरा है। इस क्षेत्र में लगभग 1.91 लाख हथकरघा बुनकर एवं 80 हजार से अधिक परिवार संलग्न हैं। वहीं, 2.58 लाख पावरलूम के माध्यम से 5.50 लाख से अधिक बुनकरों को रोजगार मिल रहा है।
सरकार ने इस क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है, जिससे बुनकरों और उद्यमियों को सीधा लाभ मिलेगा। राज्य में टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। पीएम मित्र योजना के अंतर्गत बनने वाले पार्क वस्त्र उद्योग को आधुनिक तकनीकों से लैस करेंगे और उत्पादन लागत को कम करके उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाएंगे। इससे उत्तर प्रदेश के कपड़ा उद्योग को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी।
इसके अलावा,यूपी सरकार ने वस्त्र एवं परिधान उद्योग को गति देने के लिए उत्तर प्रदेश वस्त्र-गारमेंटिंग नीति-2022 लागू की है, जिसके सफल क्रियान्वयन के लिए बजट 2025-26 में 150 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इस नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को परिधान निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाना है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा। यह योगी सरकार के प्रदेश को टेक्सटाइल हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेंगे तथा पारंपरिक बुनकरों एवं नए उद्यमियों को नई उड़ान देंगे।
'भारत में दूरसंचार सेवाओं के विस्तार की अपार संभावनाएं'
सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के अनुसार, भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार वृद्धि का अनुभव कर रही है और इसमें विस्तार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
सीओएआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. एसपी कोचर ने कहा कि लगभग 1,187 मिलियन ग्राहकों के साथ, शहरी टेली-घनत्व 131.01 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र 58.31 प्रतिशत पर पीछे है।
कोचर के अनुसार, "इस असमानता के बावजूद, दोनों क्षेत्रों में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। 5जी का रोल-आउट तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), स्वदेशी डेटा सेट और स्थानीय डेटा केंद्रों की स्थापना से सुगम बनाया जा रहा है।"
भारत सरकार ने माल और सेवा कर रिफंड और बैंक गारंटी हटाने जैसे वित्तीय उपायों को लागू किया है।
इसके अतिरिक्त, 6,000 से 7,000 रुपये के बीच की कीमत वाले लागत प्रभावी 5जी हैंडसेट विकसित करने के लिए रिसर्च चल रहा है। कोचर ने एक बयान में कहा, "इसके अलावा, दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की शुरुआत की जा रही है, जहां स्थलीय नेटवर्क संभव नहीं हैं।"
भारत सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने और देश को ग्लोबल हब के रूप में स्थापित करने के लिए घरेलू टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग को भी प्राथमिकता दी है।
सीओएआई के अनुसार, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना जैसी नीतियों ने महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है, आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता को बढ़ावा दिया है।
भारत वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक लागत-प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजारों में से एक होने के बावजूद डेटा खपत में लीडर के रूप में उभरा है।
टेलीकॉम सेक्टर ने साइबर धोखाधड़ी और स्पैम को कम करने के लिए दो-आयामी दृष्टिकोण भी अपनाया है।
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