अर्थतंत्र की खबरें: अमेजन 300 रुपये से कम कीमत वाले उत्पादों पर ये मिलेगी सुविधा और 1 अप्रैल से इस स्कीम की शुरुआत
कंपनी के बयान में कहा गया है कि इस कदम का मकसद छोटे व्यवसायों का समर्थन करना और अमेजन पर विक्रेताओं की वृद्धि को बढ़ावा देना है।

ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इंडिया ने उसके मंच पर 300 रुपये से कम कीमत वाले 1.2 करोड़ से अधिक उत्पादों पर ‘रेफरल’ शुल्क नहीं लेने की सोमवार को घोषणा की। ‘रेफरल’ शुल्क एक तरह का ‘कमीशन’ है जो विक्रेता प्रत्येक बेचे गए उत्पाद के लिए अमेजन को देते हैं।
कंपनी के बयान में कहा गया है कि इस कदम का मकसद छोटे व्यवसायों का समर्थन करना और अमेजन पर विक्रेताओं की वृद्धि को बढ़ावा देना है।
अमेजन इंडिया के बिक्री साझेदार (सेवा) के निदेशक अमित नंदा ने कहा, ‘‘ करोड़ों उत्पादों पर रेफरल शुल्क समाप्त कर और शिपिंग लागत कम कर हम विक्रेताओं के लिए अमेजन डॉट इन पर बिक्री को और अधिक आकर्षक बना रहे हैं। यह पहल अमेजन पर विक्रेताओं की वृद्धि का समर्थन करती है..।’’
नंदा ने कहा, ‘‘ जैसे-जैसे हम अपने परिचालन में दक्षता हासिल करते हैं, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि वे लाभ हमारे विक्रेताओं और ग्राहकों तक पहुंचें।’’
शून्य ‘रेफरल’ शुल्क 135 उत्पाद श्रेणियों जैसे परिधान, जूते, फैशन आभूषण, किराना, घरेलू सजावट व साज-सज्जा, सौंदर्य प्रसाधन, खिलौने, रसोई उत्पाद और पालतू पशु उत्पाद आदि पर लागू होगा।
अमेजन ने ‘ईजी शिप’ और ‘सेलर फ्लेक्स’ जैसी बाह्य पूर्ति सेवाओं का उपयोग करने वाले विक्रेताओं के लिए एक नई ‘फ्लैट’ दर भी पेश की है।
बयान के अनुसार, राष्ट्रीय शिपिंग दरें अब 77 रुपये से घटकर 65 रुपये से शुरू होती हैं।
‘फ्लैट’ दर शिपिंग एक मूल्य निर्धारण मॉडल है, जिसमें निर्धारित सीमा के भीतर, पैकेजों के वजन, आकार या दूरी पर ध्यान दिए बिना शिपिंग के लिए एक निश्चित लागत ली जाती है।
वहीं ‘ईजी शिप’ एक आपूर्ति माध्यम है, जहां अमेजन विक्रेताओं के स्थान से पैकेज एकत्र करता है और उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाता है। ‘सेलर फ्लेक्स’ के हिस्से के तहत अमेजन विक्रेताओं के गोदाम के एक हिस्से को अमेजन पूर्ति केंद्र के रूप में रखता है।
इसके अलावा, अमेजन ने एक किलोग्राम से कम वजन वाले हल्के सामानों पर ‘हैंडलिंग’ शुल्क में 17 रुपये तक की कटौती की है, जिससे विक्रेताओं द्वारा भुगतान किया जाने वाला शुल्क कम हो गया है।
कंमनी ने कहा कि ये संशोधित शुल्क सात अप्रैल से लागू होंगे। अमेजन के ‘मार्केटप्लेस’ पर 16 लाख से अधिक विक्रेता हैं।
1 अप्रैल से यूनिफाइड पेंशन स्कीम की शुरुआत, 23 लाख कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए एक नई योजना यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) ला रही है। इस योजना के तहत केंद्रीय कर्मचारी जो कि कम से कम 25 वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं, 1 अप्रैल से यूपीएस के तहत रिटायरमेंट से पहले आखिरी 12 महीनों के अपने औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में पाने के पात्र होंगे।
सरकार अपनी इस योजना के साथ कम से कम 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा देने की तैयारी में है। यूपीएस खासकर उन लोगों को ध्यान में रखते हुए लाई जा रही है, जिन्हें बाजार से जुड़ी पेंशन के बजाय एक स्थिर और अनुमानित आय पसंद आती है।
नई योजना के तहत जिन कर्मचारियों ने 10 साल से अधिक लेकिन 25 साल से कम समय तक सेवा की है, उन्हें प्रति माह न्यूनतम 10,000 रुपये पेंशन मिलेगी।
पेंशनभोगी की मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को पारिवारिक पेंशन के रूप में अंतिम पेंशन का 60 प्रतिशत मिलेगा।
इसके अलावा, केंद्र सरकार के कर्मचारी, जो वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत हैं, वे यूपीएस पर स्विच कर सकते हैं।
इस योजना को हाइब्रिड मॉडल के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसमें ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) दोनों की विशेषताएं शामिल हैं।
एनपीएस बिना किसी निश्चित भुगतान के बाजार-आधारित रिटर्न प्रदान करता है, वहीं, एनपीएस से अलग नई योजना एक गारंटीकृत पेंशन राशि सुनिश्चित करती है।
ओपीएस को 2004 में एनपीएस से बदला गया था। ओपीएस आवधिक महंगाई भत्ते संशोधनों के साथ पूरी तरह से सरकारी समर्थित पेंशन प्रदान करता था।
यूपीएस की शुरुआत एनपीएस की अनिश्चितताओं के बारे में सरकारी कर्मचारियों के बीच बढ़ती चिंताओं को देखते हुए हुई है।
कई सरकारी कर्मचारियों ने रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अधिक पूर्वानुमानित पेंशन प्रणाली की मांग की।
सरकार का लक्ष्य इस नई योजना के माध्यम से कर्मचारी सुरक्षा को अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करना है।
यह कदम राज्य सरकारों को समान पेंशन मॉडल तलाशने के लिए भी प्रभावित कर सकता है।
25 साल से अधिक सेवा करने वालों को 50 प्रतिशत गारंटीकृत पेंशन से सबसे अधिक लाभ होगा।
रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय चाहने वाले कर्मचारियों को यूपीएस अधिक उपयुक्त लग सकता है, जबकि बाजार में उतार-चढ़ाव से सहज रहने वाले कर्मचारी संभावित रूप से उच्च रिटर्न के लिए एनपीएस को प्राथमिकता दे सकते हैं।
पिछले सप्ताह, पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने एनपीएस विनियम 2025 के तहत यूपीएस के संचालन को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया।
ये विनियम केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तीन कैटेगरी में बांटते हैं :-
पहली कैटेगरी में 1 अप्रैल, 2025 तक सेवा में कार्यरत मौजूदा केंद्र सरकार के कर्मचारी शामिल हैं, जो एनपीएस के अंतर्गत आते हैं।
दूसरी कैटेगरी में केंद्र सरकार की सेवाओं में नए भर्ती हुए लोग शामिल हैं, जो 1 अप्रैल, 2025 को या उसके बाद सेवा में शामिल होते हैं।
तीसरी कैटेगरी में केंद्र सरकार के वे कर्मचारी शामिल हैं, जो एनपीएस के अंतर्गत आते थे और जो 31 मार्च, 2025 को या उससे पहले रिटायर हो चुके हैं (स्वैच्छिक रूप से रिटायर या मौलिक नियम 56(जे) के तहत रिटायर) और यूपीएस के लिए पात्र हैं या कानूनी रूप से विवाहित जीवनसाथी, जो रिटायर हो चुके हैं या यूपीएस के लिए विकल्प का प्रयोग करने से पहले जिनका देहांत हो चुका है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों की इन सभी कैटेगरी के लिए एनरोलमेंट और क्लेम फॉर्म 1 अप्रैल, 2025 से वेबसाइट - https://npscra.nsdl.co.in पर ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।
भारतीय शेयर बाजार में तेजी, आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से मिला बल
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भी तेजी जारी रही। इसमें कई मुख्य कारक जैसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, घरेलू और विदेशी निवेशकों द्वारा की गई जोरदार खरीदारी और वैश्विक विश्लेषकों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक दृष्टिकोण शामिल हैं।
बेंचमार्क सूचकांकों ने बढ़त के साथ शुरुआत की और इंट्रा-डे ट्रेडिंग सत्र के दौरान जीत का सिलसिला जारी रखा, जिससे लगातार छह सत्रों में बढ़त दर्ज की गई।
निफ्टी 50 इंडेक्स हरे निशान में 23,515 स्तर पर खुला और तेजी से अपने इंट्रा-डे हाई 23,650 स्तर पर पहुंच गया।
पिछले छह सत्रों में इंडेक्स में 1,253 अंक या 5.50 प्रतिशत से अधिक की तेज बढ़त दर्ज की गई।
सेंसेक्स ने भी 77,456 पर मजबूत शुरुआत की और फिर दिन के उच्चतम स्तर 77,897 पर पहुंच गया, जो पिछले छह सत्रों में 4,069 अंकों या 5.45 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
बैंकिंग शेयरों ने रैली का नेतृत्व किया, बैंक निफ्टी सूचकांक 50,982 पर खुला और 51,769 के इंट्रा-डे उच्च स्तर पर पहुंच गया।
बाजार विशेषज्ञों ने इस उछाल को लेकर कई कारकों का जिक्र किया। पिछले सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व से मिले संकेतों के बाद आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीद इसका मुख्य कारण है।
स्थिर भारतीय रुपया, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) दोनों द्वारा लगातार खरीदारी और मॉर्गन स्टेनली के भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति के लिए मजबूत दृष्टिकोण ने निवेशकों की धारणा को और बढ़ावा दिया है।
विश्लेषकों को भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी उछाल की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप 2025 के लिए चौथी तिमाही की आय मजबूत हो सकती है।
एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज के महेंद्र पाटिल ने कहा, "भारत के प्रति निवेशकों की भावना संरचनात्मक रूप से सकारात्मक बनी हुई है। भारत को एक दीर्घकालिक विकास कहानी के रूप में देखा जा रहा है, जो मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्थिक सुधारों और बढ़ती खपत क्षमता पर आधारित है।"
बैंकिंग सेक्टर टॉप परफॉर्मर्स में शामिल रहा, जिसने केवल छह कारोबारी सत्रों में 3,709 अंकों या 7.70 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है।
सूचकांक पहले से ही अपने 2025 के शुरुआती स्तर 50,860 से ऊपर कारोबार कर रहा है।
व्यापक बाजारों ने प्रमुख सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसमें बीएसई स्मॉल-कैप सूचकांक पिछले छह सत्रों में 9.60 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है और बीएसई मिड-कैप सूचकांक 8.30 प्रतिशत बढ़ा है।
दोपहर तक, 540 बीएसई-लिस्टेड स्टॉक अपनी सर्किट सीमा को छू चुके थे, जिनमें से 328 ऊपरी सर्किट को छू रहे थे और 212 निचले सर्किट को छू रहे थे।
इसके अलावा, 80 स्टॉक 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, जबकि 81 स्टॉक 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंचे।
दालों में आत्मनिर्भर बन रहा भारत, एनडीए सरकार में आयात के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा निर्यात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर विजन' के तहत भारत दालों में तेजी से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। बीते 10 वर्षों में देश में दालों का निर्यात, आयात की अपेक्षा तेजी से बढ़ा है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ''भारत का दालों का निर्यात वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में 4,437 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पूरे वित्त वर्ष 15 में यह 1,218 करोड़ रुपये था। इस तरह, बीते 10 वर्षों में भारत का दाल निर्यात 264.29 प्रतिशत बढ़ा है।''
दूसरी तरफ, इस दौरान आयात में 86.45 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। देश में वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में 31,814 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया गया है। वहीं, वित्त वर्ष 15 में यह आंकड़ा 17,063 करोड़ रुपये था।
वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के शासनकाल के 10 वर्षों में दालों के निर्यात में 187.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और आयात में 457.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ था।
वित्त वर्ष 14 में भारत ने 1,749 करोड़ रुपये की दालों का निर्यात किया था। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 05 में 608 करोड़ रुपये था।
यूपीए के शासन में वित्त वर्ष 14 में भारत ने 11,037 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया था। वहीं, वित्त वर्ष 05 में यह आंकड़ा 1,981 करोड़ रुपये पर था।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी लगातार काम कर रही है। दालों के किसानों को एनडीए सरकार 93,544 करोड़ रुपये की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान कर चुकी है, जबकि यूपीए सरकार ने अपने शासनकाल में दालों के किसानों को केवल 1,936 करोड़ रुपये की एमएसपी का भुगतान किया था।
केंद्र सरकार दालों में आत्मनिर्भरता को लेकर लगातार काम कर रही है।
केंद्र सरकार द्वारा बजट 2025-26 में ऐलान किया गया था कि देश में दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से 2028-29 तक चार साल के लिए तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद की जाएगी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुअर (अरहर), मसूर और उड़द की खरीद को क्रमश: 13.22 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 9.40 एलएमटी और 1.35 एलएमटी की सीमा तक मंजूरी दी है।
सोना 700 रुपये टूटकर 90,550 रुपये पर, चांदी में 200 रुपये की तेजी
आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की सतत बिकवाली के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने की कीमत 700 रुपये टूटकर 90,550 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
इसके अलावा, तीन साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए रविवार को सऊदी अरब में यूक्रेन और अमेरिकी अधिकारियों के बीच वार्ता के मद्देनजर संभावित रूस-यूक्रेन शांति समझौते की उम्मीदों के बीच हालिया तेजी के बाद व्यापारियों ने लंबे जमा सौदों की कटान और मुनाफावसूली करना जारी रखा।
99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना शुक्रवार को 91,250 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
लगातार तीसरे दिन गिरावट के साथ 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 700 रुपये गिरकर 90,100 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई, जबकि इसका पिछला बंद भाव 90,800 रुपये प्रति 10 ग्राम था।
रविवार को यूक्रेन और अमेरिका के बीच रूस के साथ संभावित शांति समझौते की संभावना पर चर्चा के बाद भू-राजनीतिक जोखिम कम होने से सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे आ गईं।
अबंस फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘हालांकि, पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के कारण सोने की सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में मांग मजबूत बनी हुई है, क्योंकि इजरायल ने गाजा पट्टी में हमास पर हमले फिर से शुरू कर दिए हैं।’’
हालांकि, चांदी की कीमतें शुक्रवार के बंद स्तर 1,00,300 रुपये प्रति किलोग्राम से 200 रुपये बढ़कर 1,00,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं।
मेहता ने कहा कि हालिया गिरावट के बावजूद, अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) से और अधिक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों से सोने की तेजी जारी रहने की उम्मीद है।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 0.22 प्रतिशत बढ़कर 3,028.90 डॉलर प्रति औंस हो गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी के अनुसार, निवेशक सोमवार को जारी होने वाले वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतजार करेंगे। अमेरिका में, अस्थायी एसएंडपी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई डेटा और फेडरल सदस्य राफेल बोस्टिक का संबोधन आना इसमें शामिल है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia