अर्थतंत्र की खबरें: व्यापार समझौतों से कुछ एशियाई देशों को शुल्क से राहत और ऑल टाइम हाई पर पहुंची चांदी

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि चीन के साथ वार्ता को अधिक समय देने को 12 अगस्त की समयसीमा को फिर से आगे बढ़ाया जा सकता है। भारत के साथ बातचीत की स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान और कुछ अन्य एशियाई देशों के साथ व्यापार समझौतों की घोषणा की है, जिससे कंपनियों एवं उपभोक्ताओं पर अमेरिका को उनके निर्यात पर अत्यधिक उच्च शुल्क से पड़ने वाले दबाव में कुछ राहत मिलेगी।

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि चीन के साथ वार्ता को अधिक समय देने को 12 अगस्त की समयसीमा को फिर से आगे बढ़ाया जा सकता है।

भारत के साथ बातचीत की स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, इसकी प्रगति देश के अत्यधिक संरक्षित कृषि क्षेत्र पर निर्भर प्रतीत होती है। देश पर 26 प्रतिशत शुल्क का खतरा मंडरा रहा है।

अप्रैल से लगभग हर देश को अमेरिका में प्रवेश करने वाले उत्पादों पर अन्य क्षेत्रीय शुल्कों के अलावा न्यूनतम 10 प्रतिशत के आधार शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।

साथ ही इस्पात व एल्युमीनियम के अमेरिकी आयात पर भारी शुल्क अब भी लागू हैं और दक्षिण कोरिया तथा थाइलैंड सहित कई अन्य देशों ने अभी तक कोई समझौता नहीं किया है। कुल मिलाकर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ये शुल्क निश्चित रूप से एशिया और दुनिया की वृद्धि को प्रभावित करेंगे।

अमेरिका की बढ़ी शुल्क दरों पर फिलहाल एक अगस्त तक की रोक लगाई गई है।

ट्रंप और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने बुधवार को एक समझौते की घोषणा की जिसके तहत जापान से अमेरिकी आयात पर 15 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा, जो अमेरिका द्वारा पहले प्रस्तावित 25 प्रतिशत जवाबी शुल्क से कम है। टोयोटा मोटर कॉर्प और होंडा जैसी वाहन विनिर्माताओं के लिए यह बड़ी राहत की बात है।

ट्रंप ने फिलिपीन और इंडोनेशिया के साथ भी व्यापार समझौतों की भी घोषणा की।

फिलिपीन के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के साथ बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि उनके देश से आयातित उत्पादों पर 19 प्रतिशत का शुल्क लगेगा। यह पहले प्रस्तावित 20 प्रतिशत शुल्क से केवल एक प्रतिशत कम है। इंडोनेशिया को भी 19 प्रतिशत शुल्क सामना करना पड़ेगा, जो कि पहले प्रस्तावित 32 प्रतिशत की दर से कम है।

इससे पहले, ट्रंप ने घोषणा की थी कि वियतनाम के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा, जो चीन से आने वाले सामान पर दोगुना होगा। हालांकि, इसकी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।

चीन के साथ बातचीत भी आगे बढ़ सकती है।

बेसेंट ने ‘फॉक्स बिजनेस’ के साथ बातचीत में मंगलवार को कहा कि चीन के साथ शुल्क की समयसीमा 12 अगस्त है, लेकिन इसे बढ़ाए जाने की संभावना है। दोनों पक्षों के बीच अगले सप्ताह की शुरुआत में स्वीडन में एक और दौर की बातचीत होनी है।

इस बीच, ट्रंप ने कहा कि जल्द ही वह चीन यात्रा पर जा सकते हैं, जिससे अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों को स्थिर करने के प्रयासों का संकेत मिलता है।

जून में घोषित प्रारंभिक समझौते ने चीन के लिए दुर्लभ खनिजों, उच्च प्रौद्योगिकी और अन्य विनिर्माण के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर कुछ प्रतिबंध हटाने का मार्ग प्रशस्त किया।

दक्षिण कोरिया और अन्य एशियाई देशों के लिए अभी तक किसी समझौते की कोई खबर नहीं है। एक अगस्त की समयसीमा नजदीक आने से एशिया और अन्य स्थानों के कुछ देशों पर दबाव बढ़ रहा है।

चांदी 4,000 रुपये की छलांग के साथ 1.18 लाख रुपये के नए रिकॉर्ड पर, सोना 1,000 रुपये चमका

स्टॉकिस्ट के भारी खरीदारी से बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में चांदी की कीमतें 4,000 रुपये बढ़कर 1,18,000 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं जबकि सोने में 1,000 रुपये की तेजी रही।

अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 1,000 रुपये बढ़कर 1,01,020 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) पर पहुंच गया।

पिछले कारोबारी सत्र में यह 1,00,020 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बंद हुआ था।

बुधवार को 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 900 रुपये बढ़कर 1,00,450 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। पिछले कारोबारी सत्र में यह 99,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के साथ सोने की मांग बनी हुई है। इसका मुख्य कारण एक अगस्त की समयसीमा से पहले व्यापार समझौता होने की घटती उम्मीदें हैं।’’

गांधी ने कहा कि इस अनिश्चितता ने बाजार की चिंता बढ़ा दी है जिससे सुरक्षित निवेश की ओर रुझान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर में समग्र कमजोरी से भी कीमती धातु को समर्थन मिल रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को चांदी 3,000 रुपये बढ़कर 1,14,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। पिछले तीन सत्रों में इसमें 7,500 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई थी।

सर्राफा कारोबारियों ने कहा कि चांदी में तेजी का मौजूदा रुझान मुख्य रूप से औद्योगिक मांग से प्रेरित है।

इस बीच, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सितंबर आपूर्ति के लिए चांदी वायदा 896 रुपये यानी 0.77 प्रतिशत बढ़कर 1,16,551 रुपये प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

हालांकि, कमोडिटी एक्सचेंज में अगस्त आपूर्ति के लिए सोना वायदा 24 रुपये गिरकर 1,00,305 डॉलर प्रति 10 ग्राम पर आ गया।

वैश्विक स्तर पर, हाजिर सोना 0.26 प्रतिशत गिरकर 3,422.87 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।

एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध उपाध्यक्ष और विश्लेषक (जिंस एवं मुद्रा) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि निवेशक अमेरिका, ब्रिटेन और यूरो क्षेत्र से विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र के पीएमआई आंकड़ों का इंतजार करेंगे। इससे निकट भविष्य में सर्राफा कीमतों की दिशा के बारे में संकेत मिलेंगे।

विदेशी बाजारों में हाजिर चांदी 0.26 प्रतिशत बढ़कर 39.39 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई। किया गया है।


सेंसेक्स 540 अंक चढ़ा, निफ्टी 25,200 अंक के पार

एशियाई बाजारों में मजबूत रुख के बीच स्थानीय शेयर बाजार में बुधवार को तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स 540 अंक चढ़ गया। वहीं एनएसई निफ्टी 25,200 अंक के पार पहुंच गया। जापान और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के बाद एशियाई बाजारों में सकारात्मक रुख के बीच बैंक और पेट्रोलियम कंपनियों के शेयरों में भारी लिवाली से बाजार में तेजी आई।

तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 539.83 अंक यानी 0.66 प्रतिशत की बढ़त के साथ 82,726.64 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 599.62 अंक तक चढ़ गया था।

पचास शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 159 अंक यानी 0.63 प्रतिशत की तेजी के साथ 25,219.90 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी में शामिल 50 शेयरों में से 37 लाभ में जबकि 13 नुकसान में रहे।

सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टाटा मोटर्स में सर्वाधिक 2.51 प्रतिशत की तेजी आई। इसके अलावा भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस, मारुति, बजाज फिनसर्व, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख रूप से लाभ में रहीं।

निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक कारोबार के दौरान अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। बाद में इन बैंकों के शेयर एक प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए।

पांच दिन की गिरावट के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज में हुई लिवाली से भी तेजी को समर्थन मिला। आरआईएल के शेयर में 0.83 प्रतिशत की तेजी आई।

दूसरी तरफ, नुकसान में रहने वाले शेयरों में हिंदुस्तान यूनिलीवर, अल्ट्राटेक सीमेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटीसी शामिल हैं।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘कंपनियों के वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के वित्तीय परिणाम की मिली-जुली शुरुआत के बावजूद भारतीय शेयर बाजार ने मजबूती दिखाई। अमेरिका-जापान व्यापार समझौते की घोषणा के साथ सकारात्मक वैश्विक संकेतों से धारणा को मजबूती मिली। इसके अतिरिक्त, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में हुई प्रगति से भी बाजार धारणा मजबूत हुई है।’’

नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक व्यापार वार्ताओं में निरंतर प्रगति से निकट भविष्य में व्यापार तनाव कम होने और बाजार में स्थिरता बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, उच्च मूल्यांकन चिंता का विषय बना हुआ है, लेकिन मौजूदा बाजार की मजबूती निकट भविष्य में आय में सुधार की संभावना का संकेत देती है।’’

मझोली कंपनियों से संबंधित बीएसई मिडकैप सूचकांक 0.24 प्रतिशत और छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप 0.05 प्रतिशत चढ़ा।

आशिका इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार, ‘‘वैश्विक स्तर पर, अमेरिका-जापान व्यापार समझौते के बाद निवेशकों की धारणा मजबूत हुई। इससे निकट भविष्य में और देशों के साथ समझौतों की उम्मीदें बढ़ गई है।’’

एशिया के अन्य बाजारों में, जापान के निक्की सूचकांक में 3.51 प्रतिशत का उछाल आया। इसका कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जापान के साथ व्यापार समझौते की घोषणा है। समझौते के तहत जापान से आयातित वस्तुओं पर 15 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा।

दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग भी बढ़त में रहे।

यूरोप के प्रमुख बाजार दोपहर के कारोबार में बढ़त में थे। मंगलवार को अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए थे।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 3,548.92 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने पिछले कारोबार में 5,239.77 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.45 प्रतिशत टूटकर 68.29 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।

अमेरिकी मुद्रा में मजबूती और विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी के बीच, रुपया लगातार छठे कारोबारी सत्र में कमजोर रहा और बुधवार को डॉलर के मुकाबले तीन पैसे की गिरावट के साथ 86.41 पर बंद हुआ।

रुपये में लगातार छठे दिन गिरावट, तीन पैसे टूटकर 86.41 प्रति डॉलर पर

अमेरिकी डॉलर में मजबूती और विदेशी पूंजी की निकासी के बीच रुपया बुधवार को लगातार छठे कारोबारी सत्र में कमजोर हुआ और तीन पैसे टूटकर 86.41 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिका के जापान के साथ व्यापार समझौते की घोषणा के बाद वैश्विक रुझानों के अनुरूप कच्चे तेल की कम कीमतों और घरेलू शेयर बाजारों में भारी लिवाली से घरेलू मुद्रा को कुछ समर्थन मिला।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.46 प्रति डॉलर पर कमजोर रुख के साथ खुला। यह कारोबार के दौरान 86.34 प्रति डॉलर के उच्चस्तर पर पहुंचा। अंत में यह 86.41 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से तीन पैसे की गिरावट है।

रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.38 पर बंद हुआ था।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि डॉलर में मजबूती और विदेशी पूंजी की निकासी से रुपया कमजोर हुआ। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में रातोंरात गिरावट और घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख ने गिरावट को सीमित रखा।

उन्होंने कहा, ‘‘ डॉलर-रुपये के हाजिर भाव के 85.60 से 86.30 रुपये के दायरे में रहने के आसार हैं।’’

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत की बढ़त के साथ 97.16 पर पहुंच गया।

घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 539.83 अंक की बढ़त के साथ 82,726.64 अंक पर, जबकि निफ्टी 159.00 अंक की बढ़त के साथ 25,219.90 अंक पर बंद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.52 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.23 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक एक अगस्त की समयसीमा से पहले भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। यदि चर्चा विफल हो जाती है या इसमें देरी होती है तो भारतीय निर्यातकों को नए दबाव का सामना करना पड़ सकता है जिससे रुपये की चुनौतियां बढ़ जाएंगी।

भारत और अमेरिकी दलों ने पिछले सप्ताह वॉशिंगटन में समझौते पर पांचवें दौर की वार्ता पूरी की थी। दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी दल अगस्त में भारत आएगा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को बिकवाल रहे और उन्होंने शुद्ध रूप से 3,548.92 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।


ईडी ने 1,654 करोड़ रुपए के कथित एफडीआई उल्लंघन के लिए मिंत्रा के खिलाफ फेमा का केस दर्ज किया

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड, उसकी संबंधित कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत कथित उल्लंघनों के लिए एक शिकायत दर्ज की है।

यह कार्रवाई ईडी के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा की गई है, जिसमें कंपनी पर 1,654.35 करोड़ रुपए के अवैध विदेशी निवेश का आरोप लगाया गया है।

ईडी के आधिकारिक बयान के अनुसार, सरकारी एजेंसी को विश्वसनीय जानकारी मिली थी कि मिंत्रा और उसकी संबंधित कंपनियां कथित तौर पर मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग (एमबीआरटी) में शामिल थीं, जबकि वे थोक कैश एंड कैरी व्यवसाय के रूप में काम करने का दावा कर रही थीं।

इस जानकारी के बाद ईडी ने तुरंत जांच शुरू कर दी।

ईडी ने कहा कि यह व्यवस्था भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का सीधा उल्लंघन है।

ईडी की जांच से पता चला है कि मिंत्रा डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड ने खुद को थोक व्यापार में शामिल बताकर 1,654 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया था।

हालांकि, एजेंसी ने पाया कि कंपनी ने अपना ज्यादातर सामान एक अन्य कंपनी (वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड) को बेचा, जिसने फिर उन सामानों को सीधे खुदरा ग्राहकों को बेचा।

ईडी का मानना है कि मिंत्रा डिजाइन्स और वेक्टर ई-कॉमर्स, दोनों एक ही समूह की कंपनियां हैं।

यह स्ट्रक्चर कथित तौर पर प्रत्यक्ष खुदरा बिक्री को बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के रूप में पेश करके और फिर वेक्टर के माध्यम से खुदरा (बी2सी) बिक्री करके एफडीआई नियमों को दरकिनार करने के लिए बनाया गया था।

ईडी ने आगे कहा कि मिंत्रा ने अप्रैल और अक्टूबर 2010 में लागू किए गए एफडीआई नियमों का उल्लंघन किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि समूह की कंपनियों को केवल 25 प्रतिशत तक थोक बिक्री की जा सकती है।

हालांकि, मिंत्रा ने अपनी 100 प्रतिशत बिक्री वेक्टर को की, जिसे ईडी कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताता है।

इन निष्कर्षों के आधार पर, प्रवर्तन निदेशालय ने फेमा, 1999 की धारा 16(3) के तहत शिकायत दर्ज की है।

एजेंसी का आरोप है कि 1,654.35 करोड़ रुपए के लिए मिंत्रा और उसकी संबंधित कंपनियों ने फेमा की धारा 6(3)(बी) और कंसोलिडेटेड एफडीआई नीति दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।

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