अर्थतंत्र की खबरें: ट्रंप टैरिफ बेअसर, भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ बंद और क्या अब चीन पर लगेगा टैरिफ?
वैश्विक अस्थिरता के बावजूद, मजबूत घरेलू इन्फ्रास्ट्रक्चर और संस्थागत खरीदारी ने कुछ राहत प्रदान की है। निवेशक अब अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता के नतीजों और अगले सप्ताह आने वाले महंगाई के आंकड़ों पर नजर रखे हुए हैं।

भारतीय शेयर बाजार में तेजी ऐसे समय पर देखने को मिली है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया गया है, जो कि 27 अगस्त से लागू होंगे।
भारतीय शेयर बाजार गुरुवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद हुआ। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 79.27 अंक या 0.10 प्रतिशत की तेजी के साथ 80,623.26 और निफ्टी 21.95 अंक या 0.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,596.15 पर बंद हुआ।
लार्जकैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी तेजी देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 188.55 अंक या 0.33 प्रतिशत की तेजी के साथ 56,938.30 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 30.05 अंक या 0.17 प्रतिशत की तेजी के साथ 17,692.65 पर था।
निफ्टी के ज्यादातर इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। आईटी, फार्मा और मीडिया सबसे ज्यादा बढ़ने वाले इंडेक्स थे, जबकि रियल्टी, एनर्जी और इन्फ्रा लाल निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स पैक में टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, इटरनल (जोमैटो), एक्सिस बैंक, मारुति सुजुकी, एचडीएफसी बैंक, टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, टीसीएस, अल्ट्राटेक सीमेंट, आईटीसी, एलएंडटी, पावर ग्रिड और सन फार्मा टॉप गेनर्स थे। ट्रेंट, टाटा मोटर्स, टाटा मोटर्स,एचयूएल, एनटीपीसी, एमएंडएम, कोटक महिंद्रा बैंक, बीईएल, आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल टॉप लूजर्स थे।
पीएल कैपिटल में एडवाइजरी प्रमुख विक्रम कसात ने कहा कि उतार-चढ़ाव भरे कारोबारी सत्र के बाद भारतीय बाजार मामूली बढ़त के साथ बंद हुए। कपड़ा, आभूषण और ऑटो उपकरण जैसे उच्च अमेरिकी निर्यात वाले क्षेत्र दबाव में रहे, लेकिन सत्र के अंत में बैंकिंग और एफएमसीजी में आई तेजी ने व्यापक नुकसान की भरपाई करने में मदद की।
आगे कहा कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद, मजबूत घरेलू इन्फ्रास्ट्रक्चर और संस्थागत खरीदारी ने कुछ राहत प्रदान की है। निवेशक अब अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता के नतीजों और अगले सप्ताह आने वाले महंगाई के आंकड़ों पर नजर रखे हुए हैं।
टैरिफ पर मार्केट एक्सपर्ट सुनील शाह ने कहा, “सरकार किसी भी दबाव की राजनीति में नहीं आएगी। बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखकर फैसला किया जाएगा। भारत के लिए राष्ट्रीय हित सबसे पहले है। सरकार सही दिशा में कदम उठा रही है और हमें भरोसा है कि देशहित सर्वोपरि रहेगा।”
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत लाल निशान में हुई थी। सुबह 9:23 पर सेंसेक्स 230 अंक या 0.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,313 और निफ्टी 73 अंक या 0.30 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 24,501 पर था।
चीन पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की जल्दबाजी में नहीं अमेरिका
अमेरिका के विशेष व्यापारिक दूत स्टीव विटकॉफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात हुई। अमेरिका ने इसे सकारात्मक बताया है। विटकॉफ-पुतिन मुलाकात के बाद अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। हालांकि, चीन पर फिलहाल अमेरिका ने टैरिफ नहीं लगाया है।
व्हाइट हाउस के एडवाइजर पीटर नवारो ने एबीसी न्यूज से साक्षात्कार के दौरान कहा कि अमेरिका रूसी तेल की खरीद पर चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने में जल्दबाजी नहीं कर रहा है। हम उस बिंदु पर नहीं जाना चाहते, जहां हम वास्तव में खुद को नुकसान पहुंचाएं। चीन पहले से ही कई वस्तुओं पर 50 फीसदी टैरिफ के अधीन है।
नवारो ने आगे कहा कि वॉशिंगटन रूस के साथ चीन के ऊर्जा संबंधों पर नजर रख रहा है। हम इंतजार कर रहे हैं। तत्काल किसी कार्रवाई की कोई योजना नहीं है।
भारत की तरह चीन पर भी रूस से तेल खरीदने की स्थिति में अमेरिका ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। लेकिन, ट्रंप ने सिर्फ भारत पर ही टैरिफ लगाया है; चीन के खिलाफ ऐसी कार्रवाई से फिलहाल वह बच रहे हैं।
इस बीच, अमेरिका ने स्टीव विटकॉफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बुधवार को हुई मुलाकात को सकारात्मक बताया है। वैसे, दोनों के बीच चली वार्ता के बाद ही भारत पर टैरिफ लगाया गया। संभावना यह भी जताई जा रही है कि यूक्रेन के साथ रूस की जंग को रोकने के लिए ट्रंप पुतिन से अगले सप्ताह मिल सकते हैं।
ट्रंप ने कहा था कि वह स्टीव विटकॉफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मुलाकात के बाद ही भारत पर टैरिफ लगाने का फैसला करेंगे।
ट्रंप की कंप्यूटर चिप्स पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की योजना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कंप्यूटर चिप्स पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका में डिजिटल युग को गति देने वाले प्रोसेसर पर निर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, घरेलू उपकरणों और दूसरे जरूरी उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
ट्रंप ने एप्पल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) टिम कुक के साथ बैठक के दौरान कहा, ''हम चिप्स और सेमीकंडक्टर पर लगभग 100 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे।'' उन्होंने साथ ही जोड़ा, ''...लेकिन अगर आप अमेरिका में निर्माण कर रहे हैं, तो कोई शुल्क नहीं लगेगा।''
यह घोषणा ट्रंप के अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों को शुल्क से अस्थायी छूट देने के तीन महीने से भी अधिक समय बाद आई है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में कंप्यूटर चिप्स बनाने वाली कंपनियों को आयात कर से छूट दी जाएगी। कोविड-19 महामारी के दौरान कंप्यूटर चिप्स की कमी ने ऑटोमोबाइल की कीमतों में वृद्धि की और मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया।
रुपया तीन पैसे की बढ़त के साथ 87.69 प्रति डॉलर पर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने - (कुल 50 प्रतिशत करने) की घोषणा के बाद बाजार प्रभावित हो रही है। अज रुपया एक सीमित दायरे में स्थिर रहा और डॉलर के मुकाबले केवल तीन पैसे बढ़कर 87.69 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कच्चे तेल की कमजोर कीमतों और अमेरिकी डॉलर सूचकांक में गिरावट ने रुपये को समर्थन दिया। हालांकि, सुस्त घरेलू बाजारों और विदेशी पूंजी की निकासी ने रुपये की बढ़त को सीमित कर दिया।
इसके अलावा, ट्रंप के आक्रामक कदम, जो 21 दिन में लागू होगा, से चुनिंदा भारतीय निर्यात पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ने का खतरा है - जिससे भारतीय माल वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक कर वाले अमेरिकी आयात में शामिल हो जाएगा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 87.69 पर खुला और दिन भर 87.67-87.77 के दायरे में घट-बढ़ के बाद 87.69 (अस्थायी) पर बंद हुआ। यह पिछले बंद भाव से तीन पैसे की बढ़त है।
बुधवार को रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से उबरकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे बढ़कर 87.72 पर बंद हुआ।
भारतीय निर्यात पर ट्रंप के शुल्क से कपड़ा, समुद्री और चमड़ा निर्यात जैसे क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ने की संभावना है और भारत ने इसे ‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’ करार दिया है।
रूसी तेल आयात के लिए भारत को विशेष रूप से चिन्हित करने वाले इस कदम से, भारत पर ब्राजील के साथ 50 प्रतिशत का उच्चतम अमेरिकी शुल्क लगेगा।
अमेरिका ने रूसी आयात के लिए यह अतिरिक्त शुल्क या जुर्माना केवल भारत पर लगाया है, जबकि चीन और तुर्की जैसे अन्य खरीदार अब तक ऐसे कठोर उपायों से बचे हुए हैं। चीन पर 30 प्रतिशत और तुर्की पर 15 प्रतिशत शुल्क भारत के 50 प्रतिशत शुल्क से कम है।
मिराए एसेट शेयरखान में शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि रुपया गिरेगा क्योंकि व्यापार शुल्क समझौता अब भी लंबित है और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया है, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है।’’
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