अर्थतंत्र की खबरें: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को फिर धमकाया और ब्याज दर पर बुधवार को आएगा MPC का फैसला

ट्रंप ने कहा, ‘‘भारत एक अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं रहा है। वह हमारे साथ काफी व्यापार करता है, लेकिन हम उसके साथ व्यापार नहीं करते। इसलिए हमने 25 प्रतिशत शुल्क पर समझौता किया, लेकिन मुझे लगता है कि मैं अगले 24 घंटों में इसे काफी बढ़ा दूंगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
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नवजीवन डेस्क

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि भारत एक अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं रहा और वह अगले 24 घंटों में इस दक्षिण एशियाई देश पर शुल्क को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएंगे।

ट्रंप ने 'सीएनबीसी स्क्वॉक बॉक्स' को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत के बारे में लोग जो कहना पसंद नहीं करते, वह यह है कि वह सबसे ज्यादा शुल्क लगाने वाला देश है। उसका शुल्क किसी भी देश से ज्यादा है। हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं क्योंकि उसके शुल्क बहुत ज्यादा हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं रहा है। वह हमारे साथ काफी व्यापार करता है, लेकिन हम उसके साथ व्यापार नहीं करते। इसलिए हमने 25 प्रतिशत शुल्क पर समझौता किया, लेकिन मुझे लगता है कि मैं अगले 24 घंटों में इसे काफी बढ़ा दूंगा, क्योंकि वे रूस से तेल खरीद रहे हैं।’’

ट्रंप ने पिछले हफ्ते ही भारत से आयातित उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने रूस से तेल एवं गैस खरीदने की वजह से भारत पर अलग से जुर्माना लगाने की बात भी कही थी।

ब्याज दर पर बुधवार को आएगा MPC का फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि हाल ही में तीन बार में रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती के बाद इस बार नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना कम है।

मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नीतिगत दर पर विचार-विमर्श का सिलसिला सोमवार से ही जारी है। एमपीसी की बैठक में लिए गए फैसले की घोषणा बुधवार सुबह 10 बजे की जाएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार रिजर्व बैंक ब्याज दर को लेकर यथास्थिति बनाए रख सकता है। अमेरिका की तरफ से भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के बाद आरबीआई अधिक व्यापक-आर्थिक आंकड़ों का इंतज़ार कर सकता है।

हालांकि, उद्योग जगत के एक तबके को उम्मीद है कि बुधवार को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत अंक की कटौती की जा सकती है।

इस साल फरवरी से लेकर जून तक हुई तीन एमपीसी बैठकों में कुल एक प्रतिशत अंक की कटौती की जा चुकी है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत में साझेदार विवेक अय्यर ने कहा कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य अब भी अस्थिर है और पिछली दर कटौतियों के असर को पूरी तरह देखने के लिए अभी और समय की दरकार है।

उन्होंने कहा, “सीमा शुल्क से जुड़ी अनिश्चितता के पहलू को आरबीआई पिछली दर कटौती के समय ही ध्यान में रख चुका है। ऐसे में हमें नहीं लगता है कि इसका नीतिगत निर्णय पर तत्काल प्रभाव पड़ना चाहिए।”

आरईए इंडिया (हाउसिंग डॉट कॉम) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रवीण शर्मा ने कहा कि इस साल पहले ही एक प्रतिशत अंक की कटौती हो चुकी है लिहाजा दरों को स्थिर ही बनाए रखने की उम्मीद है।

शर्मा ने कहा, “घर खरीदार अब अल्पकालिक ब्याज दरों से कहीं ज्यादा दीर्घकालिक आत्मविश्वास से प्रेरित हैं। रियल एस्टेट डेवलपर भी लचीले भुगतान विकल्पों और सूझबूझ भरे प्रोत्साहनों के जरिये घरों की मांग बनाए हुए हैं।”

एमपीसी में आरबीआई के तीन सदस्यों के रूप में गवर्नर मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन शामिल हैं जबकि बाहरी सदस्यों में नागेश कुमार, सौरभ भट्टाचार्य और राम सिंह शामिल हैं।

केंद्र सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घटबढ़ के साथ चार प्रतिशत के दायरे में बनाए रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

इस साल फरवरी से खुदरा मुद्रास्फीति लगातार चार प्रतिशत के नीचे बनी हुई है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दरों में बदलाव से पहले आरबीआई को और अनुकूल आंकड़ों का इंतजार रहेगा।


रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति पर निर्णय से पहले सेंसेक्स 308 अंक टूटा, निफ्टी भी नुकसान में

स्थानीय शेयर बाजार में मंगलवार को गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 308 अंक के नुकसान में रहा जबकि एनएसई निफ्टी में 73 अंक की गिरावट आई। भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा से पहले बैंक और तेल एवं गैस शेयरों में बिकवाली से बाजार नीचे आया।

तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 308.47 अंक यानी 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,710.25 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय इसमें 464.32 अंक की गिरावट आई थी।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 73.20 अंक यानी 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,649.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 132.45 अंक लुढ़क गया था।

सेंसेक्स में शामिल शेयरों में, अदाणी पोर्ट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), बीईएल, एचडीएफसी बैंक, पावर ग्रिड, आईटीसी और सन फार्मास्युटिकल प्रमुख रूप से नुकसान में रहे।

दूसरी तरफ, लाभ में रहने वाले शेयरों में टाइटन, मारुति, ट्रेंट, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस, टेक महिंद्रा, भारतीय स्टेट बैंक, एलएंडटी, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एनटीपीसी शामिल हैं।

छोटी कंपनियों से जुड़ा बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.27 प्रतिशत नीचे आया जबकि मझोली कंपनियों का मिडकैप 0.14 प्रतिशत के नुकसान में रहा।

एशिया के अन्य बाजारों में, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट, हांगकांग का हैंगसेंग और जापान का निक्की बढ़त में रहे।

यूरोप के प्रमुख बाजार दोपहर के कारोबार में बढ़त में थे। अमेरिकी बाजारों में सोमवार को तेजी रही थी।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.02 प्रतिशत टूटकर 68.06 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 4,386.29 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

सेंसेक्स सोमवार को 418.81 अंक चढ़ा था जबकि एनएसई निफ्टी 157.40 अंक के लाभ में रहा था।

टैरिफ के जरिए भारत को टारगेट कर रहा ट्रंप प्रशासन : एक्सपर्ट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर टैरिफ बढ़ाने को लेकर दी गई धमकी रेसिप्रोकल टैरिफ की भावना के खिलाफ है। इसके जरिए ट्रंप प्रशासन केवल भारत को टारगेट करने का काम कर रहा है। यह बयान एक्सपर्ट की ओर से मंगलवार को दिया गया।

विश्वमित्रा रिसर्च फाउडेशन की संस्थापक और एक्सपर्ट प्रियम गांधी मोदी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा,"पहले हमें लगा था कि टैरिफ रेसिप्रोकल होंगे, लेकिन अब इसके जरिए भारत को प्रत्यक्ष तौर पर टारगेट किया जा रहा है। इसे टैरिफ से कही अधिक बढ़कर भू राजनीतिक चश्मे से देखना चाहिए।"

अमेरिकी की ओर से एकतरफ टैरिफ बढ़ाने के ऐलान पर उन्होंने आगे कहा कि यह बिल्कुल अनुचित है और इसके पीछे कुछ अन्य शक्तियां हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भारत एक बड़ी ताकत है और कोई देश उसे यह नहीं बता सकता कि किस देश के साथ उसे व्यापार करना चाहिए या नहीं।

कल विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया था कि भारत की रूस से तेल खरीद को पिछले अमेरिकी प्रशासन ने सराहा था।

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर धमकी दी है कि इस कारण भारत पर टैरिफ (शुल्क) को काफी हद तक बढ़ा दिया जाएगा।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "भारत न सिर्फ भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि उसमें से काफी हिस्से को खुले बाजार में बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि यूक्रेन में कितने लोग रूस के हाथों मारे जा रहे हैं।"

उन्होंने आगे लिखा, "इसी कारण, मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले शुल्क में भारी बढ़ोतरी करूंगा।"

ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन मिलर ने भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि भारत को रूसी तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, "ट्रंप का संदेश स्पष्ट है कि रूस से तेल खरीद कर युद्ध को फंड करना स्वीकार्य नहीं है।" हालांकि, मिलर ने यह भी कहा कि ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच "शानदार रिश्ते" हैं।

पिछले हफ्ते ट्रंप ने संकेत दिया था कि वह भारत से आयात होने वाले सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने के साथ-साथ रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं।


रुपया 16 पैसे टूटकर 87.82 प्रति डॉलर पर

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मंगलवार को 16 पैसे टूटकर 87.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि रुपया दबाव में है और इस सप्ताह भी यही स्थिति रह सकती है, क्योंकि अमेरिका ने रूसी कच्चा तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी दी है। साथ ही भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अनिश्चितता घरेलू बाजार की धारणा को प्रभावित कर रही है।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 प्रति डॉलर पर कमजोर रुख के साथ खुला। दिन में यह 87.75 प्रति डॉलर पर पहुंचा लेकिन अंत में 87.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 16 पैसे की गिरावट है।

रुपया सोमवार को 48 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.66 पर बंद हुआ था।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘ हमारा अनुमान है कि रुपये में गिरावट जारी रहेगी क्योंकि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता घरेलू बाजार की धारणा को प्रभावित कर रही है। घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।’’

चौधरी ने कहा , ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से पहले रुपया भी कमजोर रह सकता है। बाजार को केंद्रीय बैंक रेपो दर में और कटौती की उम्मीद है। हालांकि, सितंबर में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाओं के बीच अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, रुपये को निचले स्तर पर सहारा दे सकती है।’’

वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक भी सतर्क हैं। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बुधवार को अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.68 पर पहुंच गया।

घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 308.47 अंक की गिरावट के साथ 80,710.25 अंक पर, जबकि निफ्टी 73.20 अंक के नुकसान के साथ 24,649.55 अंक पर बंद हुआ।

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.97 प्रतिशत फिसलकर 68.09 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अमेरिकी शुल्क में खासी बढ़ोतरी करने जा रहे हैं। दूसरी ओर भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए उसे ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’’ तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा है कि भारत ने रूस से आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।

सोना 800 रुपये चढ़ा, चांदी में 2,000 रुपये की तेजी

स्टॉकिस्टों की भारी लिवाली के कारण मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 800 रुपये बढ़कर 98,820 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।

पिछले कारोबारी सत्र में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 98,020 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी।

राष्ट्रीय राजधानी में 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना मंगलवार को 700 रुपये बढ़कर 98,500 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। सोमवार को इसकी कीमत 97,800 रुपये प्रति 10 ग्राम रही थी।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अगले महीने होने वाली बैठक में ब्याज दरों में कटौती के चक्र को फिर से शुरू करने को लेकर बढ़ती आम सहमति के कारण मंगलवार को सोने की कीमतों में तेजी आई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की नरम रुख वाली टिप्पणियों और पिछले हफ्ते की निराशाजनक रोजगार बाजार रिपोर्ट के कारण कारोबारियों के बीच सितंबर में फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ी है। इससे सोने के कारोबारियों का उत्साह बढ़ा है।’’

सर्राफा संघ के अनुसार, मंगलवार को चांदी की कीमतें 2,000 रुपये बढ़कर 1,12,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गईं। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी की कीमत 1,10,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

मिराए एसेट शेयर खान के एसोसिएट वाइस-प्रेसिडेंट (मुद्रा और जिंस) प्रवीण सिंह ने कहा, ‘‘जून में अमेरिकी कारखाने ऑर्डर में गिरावट के कारण हाजिर सोने की कीमतों में सोमवार को लगभग 0.30 प्रतिशत की तेजी आई और यह 3,375 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस से तेल खरीद पर भारत पर भारी शुल्क लगाने की चेतावनी से भी सोने को बल मिला है और एनडीएफ बाजार में भारतीय रुपया 88 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया।’’

इस बीच, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 20.95 डॉलर की गिरावट के साथ 3,352.61 डॉलर प्रति औंस रह गया।

कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी (जिंस शोध) कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘सोना 3,430 डॉलर प्रति औंस के आसपास स्थिर बना हुआ है क्योंकि बाजार आईएसएम सर्विसेज पीएमआई और अमेरिका के नवीनतम व्यापार संतुलन आंकड़ों के जारी होने का इंतजार कर रहे हैं।’’

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, हाजिर चांदी 37.39 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रही।

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