अर्थतंत्र की खबरें: तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध और भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में बंद
रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर अमेरिका के नए प्रतिबंधों पर टिप्पणी करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि इनका रूसी अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा और उन्होंने इसे मास्को पर दबाव बनाने का प्रयास बताया।

अमेरिका ने बीते दिन रूस की दो तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका ने यह कदम तब उठाया है, जब ट्रंप और पुतिन की मुलाकात को लेकर चर्चा तेज हो रही थी। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच अब कोई मुलाकात नहीं होगी। इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बाद पुतिन का बयान भी सामने आया है।
रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर अमेरिका के नए प्रतिबंधों पर टिप्पणी करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि इनका रूसी अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा और उन्होंने इसे मास्को पर दबाव बनाने का प्रयास बताया।
राष्ट्रपति पुतिन ने गुरुवार को मीडिया से कहा, "कोई भी स्वाभिमानी देश दबाव में आकर कुछ नहीं करता। ये (प्रतिबंध) हमारे लिए गंभीर हैं, यह स्पष्ट है। इनके कुछ निश्चित परिणाम होंगे, लेकिन ये हमारी आर्थिक स्थिति पर कोई खास असर नहीं डालेंगे।"
उन्होंने आगे कहा कि ये प्रतिबंध एक "अमित्रतापूर्ण कार्रवाई" है जो "रूस-अमेरिका संबंधों को मजबूत नहीं करती। रूस-अमेरिका के बीच के संबंध अभी-अभी ठीक होने शुरू हुए हैं।"
रूसी नेता ने कहा कि अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत में उन्होंने चेतावनी दी थी कि इन प्रतिबंधों का असर अमेरिका सहित वैश्विक तेल कीमतों पर पड़ेगा।
राष्ट्रपति पुतिन ने याद दिलाया कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस पर अब तक के सबसे ज्यादा प्रतिबंध लगाए थे। इन सभी प्रतिबंधों के दो पहलू हैं—राजनीतिक और आर्थिक।
अमेरिका ने बुधवार को रूस के दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिए। बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की ओर से रूस पर लगाया गया यह पहला प्रतिबंध है। अमेरिका रूस पर इन प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाना चाहता है ताकि यूक्रेन युद्ध को रोका जा सके।
दूसरी ओर, पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी रद्द हुई बैठक को लेकर कहा, "बातचीत हमेशा टकराव से, विवादों से, या युद्ध से भी बेहतर होती है। इसलिए हमने हमेशा बातचीत जारी रखने का समर्थन किया है, और हम अब भी इसका समर्थन करते हैं।"
राष्ट्रपति पुतिन ने इस बात पर जोर देते हुए कहा, "मेरे और अमेरिकी राष्ट्रपति दोनों के लिए इस बैठक को हल्के में लेना और अपेक्षित परिणाम के बिना इससे बाहर आना एक गलती होगी। यह बैठक मूल रूप से अमेरिकी पक्ष द्वारा प्रस्तावित की गई थी।" रूसी नेता ने कहा कि वाशिंगटन ने शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब, ट्रंप ने बैठक को "स्थगित" करने का फैसला किया है।
भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में बंद, बैंकिंग शेयरों पर रहा दबाव
भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ। बाजार के ज्यादातर सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 344.52 अंक या 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 84,211.88 और निफ्टी 96.25 अंक या 0.37 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 25,795.15 पर था।
बाजार में गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 0.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मीडिया, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। मेटल, रियल्टी, एनर्जी और कमोडिटीज हरे निशान में थे।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 140 अंक या 0.24 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,231.20 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.21 प्रतिशत या 38.10 अंक की कमजोरी के साथ 18,253.35 पर था।
सेंसेक्स पैक में भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, बीईएल, सन फार्मा, आईटीसी, टाटा स्टील, एमएंडएम और ट्रेंट टॉप गेनर्स थे। एचयूएल, अल्ट्राटेक सीमेंट, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, बजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी और एसबीआई टॉप लूजर्स थे।
एसबीआई सिक्योरिटीज के टेक्निकल और डेरिवेटिव्स रिसर्च प्रमुख सुदीप शाह ने कहा कि यह लगातार दूसरा कारोबारी सत्र था, जब बाजार बुलिश टोन के बाद गिरावट के साथ बंद हुआ, जो दिखाता है कि बाजार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि बाजार की मौजूदा संरचना बताती है कि किसी भी नए संकेत के मौजूद न होने के कारण ट्रेडर्स सतर्क बने गुए हैं। आने वाले सत्र काफी अहम होंगे, जो बताएंगे कि यह एक छोटी-अवधि की कमजोरी है या एक बड़ा कंसोलिडेशन है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे मजबूत होकर 87.78 पर बंद
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर आशावादी रुख और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से शुक्रवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 10 पैसे मजबूत होकर 87.78 रुपये प्रति डॉलर (अस्थायी) पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के एक बार फिर बिकवाल हो जाने, विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती और घरेलू शेयर बाजारों में कमजोर धारणा ने रुपये में तेज बढ़त को सीमित कर दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 87.78 पर खुला और 87.63-87.85 के दायरे में कारोबार करने के बाद 87.78 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 10 पैसे अधिक है।
बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया पांच पैसे बढ़कर 87.88 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक (जिंस एवं मुद्रा) अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के चलते रुपया सकारात्मक रुख के साथ कारोबार कर रहा है। हमें उम्मीद है कि इस आशावादिता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रवाह के बीच जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ने से रुपया सकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। भू-राजनीतिक तनाव कम होने से भी रुपये को समर्थन मिल सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों से पहले निवेशक सतर्क हैं। डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 87.45 रुपये से 88.10 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है।’’
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.10 प्रतिशत बढ़कर 99.03 पर कारोबार कर रहा था।
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