अर्थतंत्र की खबरें: क्या अमेरिकी टैरिफ नीति के झटकों को झेल पाएगा भारत? स्विगी को इतने करोड़ का नोटिस
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उभरते बाजार की वृद्धि 2025-26 में कुल मिलाकर धीमी हो जाएगी, लेकिन देशों के बीच व्यापक भिन्नताओं के साथ सॉलिड बनी रहेगी।

भारत उन्नत और उभरते जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा और हमारा घरेलू बाजार का बड़ा आकार देश को अमेरिकी टैरिफ नीति से पड़ने वाले संभावित झटकों के प्रति कम संवेदनशील बनाता है।
एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 19 प्रतिशत मोडेस्ट एक्सटर्नल डेब्ट टू जीडीपी रेशो (जीडीपी अनुपात में अपेक्षाकृत मामूली बाह्य ऋण) और अमेरिकी बाजार पर निर्यात को लेकर कम निर्भरता (जीडीपी का मात्र 2 प्रतिशत) भारत को दुष्प्रभावों से मुकाबला करने में सक्षम बनाती हैं।
रेटिंग एजेंसी ने भारत में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2024-25 में 6.7 प्रतिशत से कम है। उसने मुद्रास्फीति के औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया, जो गत वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत थी।
इससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कम ब्याज दरों और अर्थव्यवस्था में अधिक लिक्विडिटी के साथ सॉफ्ट मनी पॉलिसी का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।
मूडीज ने कहा, "भारत तथा ब्राजील जैसे बड़े उभरते बाजार अपनी बड़ी और घरेलू रूप से उन्मुख अर्थव्यवस्थाओं, बड़े घरेलू पूंजी बाजारों, मध्यम नीति विश्वसनीयता और पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर ऐसी परिस्थितियों में वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।"
मूडीज ने समझाया, "इसके विपरीत, छोटी और ओपन अर्थव्यवस्थाएं 'इंवेस्टर सेंटीमेंट' और 'मुद्रा अस्थिरता' के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जैसा कि विदेशी मुद्रा में ऋण के बड़े हिस्से वाली अर्थव्यवस्थाएं अर्जेंटीना और कोलंबिया हैं।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उभरते बाजार की वृद्धि 2025-26 में कुल मिलाकर धीमी हो जाएगी, लेकिन देशों के बीच व्यापक भिन्नताओं के साथ सॉलिड बनी रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया, उभरते बाजारों का ग्रोथ, 2025-26 में कुल मिलाकर धीमा लेकिन दृढ़ रहेगा, जिसमें प्रत्येक देश की स्थिति के अनुसार व्यापक अंतर देखने को मिलेगा। एशिया-प्रशांत में वृद्धि सबसे अधिक रहेगी, लेकिन वैश्विक व्यापार में इस क्षेत्र के एकीकरण का मतलब है कि यह अमेरिकी टैरिफ और वृद्धि को धीमा करने की उनकी क्षमता के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है।
यूपीआई के जरिये लेन-देन मात्रा बीते वर्ष दूसरी छमाही में 42 प्रतिशत बढ़कर 93 अरब पर: रिपोर्ट
देश में डिजिटल भुगतान के मामले में यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) की लोकप्रियता बनी हुई है। यूपीआई के जरिये लेन-देन की संख्या 2024 की दूसरी छमाही में सालाना आधार पर 42 प्रतिशत बढ़कर 93.23 अरब पहुंच गई है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
वर्ल्डलाइन की 2024 की दूसरी छमाही की ‘इंडिया डिजिटल भुगतान रिपोर्ट’ के अनुसार, मात्रा और मूल्य के मामले में तीन यूपीआई मंच... फोनपे, गूगल पे और पेटीएम का दबदबा बना हुआ है।
लेन-देन की मात्रा के संदर्भ में, दिसंबर 2024 में, सभी लेन-देन में इन तीनें ऐप की हिस्सेदारी 93 प्रतिशत रही। लेन-देन मूल्य के संदर्भ में, हिस्सेदारी 92 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘बीते वर्ष की दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में यूपीआई लेनदेन की मात्रा सालाना आधार पर 42 प्रतिशत बढ़कर 93.23 अरब हो गई। एक साल पहले इसी अवधि में यह 65.77 अरब थी। इसी अवधि के दौरान, लेनदेन का मूल्य 31 प्रतिशत बढ़कर 1,30,190 अरब रुपये हो गया जो एक साल पहले 2023 की दूसरी छमाही में 99,680 अरब रुपये था।
यूपीआई के अलावा, डिजिटल भुगतान के अन्य माध्यमों क्रेडिट कार्ड, प्रीपेड कार्ड, मोबाइल भुगतान और नेट बैंकिंग शामिल हैं।
वर्ल्डलाइन इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमेश नरसिम्हन ने कहा, ‘‘भारत का डिजिटल भुगतान परिवेश तेजी से विकसित हो रहा है। इसका कारण यूपीआई के व्यापक रूप से अपनाना, पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) बुनियादी ढांचे का विस्तार और मोबाइल लेनदेन को लेकर बढ़ती रुचि तथा प्राथमिकता है...।’’
अमेरिकी शुल्क से वैश्विक व्यापार प्रवाह में बदलाव आएगा: सेल चेयरमैन
सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (सेल) के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने कहा है कि अमेरिका के ऊंचे शुल्क से वैश्विक ‘व्यापार प्रवाह’ में बदलाव आ सकता है। उन्होंने कहा कि इससे इस्पात आयात को लेकर भारत की स्थिति कमजोर पड़ सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में सभी इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दो अप्रैल से भारत और अन्य व्यापारिक भागीदार देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।
प्रकाश ने बुधवार को यहां 11वें एशियाई खनन कांग्रेस के आयोजन के बारे में जानकारी देने से संबंधित कार्यक्रम में कहा अमेरिकी शुल्क का भारत के इस्पात निर्यात पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत बड़ी मात्रा में इस्पात का निर्यात नहीं करता है।
प्रकाश ने कहा, ‘‘यह बड़ी चुनौती नहीं है। महत्वपूर्ण इस्पात या कलपुर्जों की क्षमता रातोंरात खड़ी नहीं की जा सकती। ऐसे में दाम बढ़ेंगे, लेकिन अमेरिका ऐसे उत्पादों का आयात करता रहेगा, जिनका वह उत्पादन नहीं करता है। इस तरह के उत्पादों के लिए विनिर्माण इकाई लगाने में समय लगता है।’’
देश में सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के बारे में प्रकाश ने कहा कि रक्षोपाय शुल्क (सेफगार्ड ड्यूटी) घरेलू इस्पात उद्योग के लिए जरूरी है।
वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने पिछले महीने कुछ इस्पात उत्पादों पर शुरुआती आधार पर 200 दिन के लिए 12 प्रतिशत का रक्षोपाय शुल्क लगाने की सिफारिश की है। इसका मकसद घरेलू उत्पादकों की बढ़त आयात से रक्षा करना है।
इस शुल्क को लगाने के बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय करेगा।
स्विगी को 158 करोड़ रुपये की कर मांग को लेकर नोटिस
खाना और किराने का सामान का ऑनलाइन ऑर्डर और आपूर्ति की सुविधा देने वाले मंच स्विगी को अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 के बीच की अवधि के लिए 158 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त कर मांग को लेकर नोटिस मिला है।
कंपनी ने मंगलवार को कहा कि यह आदेश आयकर उपायुक्त (सेंट्रल सर्कल 1 (1), बेंगलोर) ने जारी किया है।
स्विगी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, ‘‘कंपनी को अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 की अवधि के लिए एक आकलन आदेश प्राप्त हुआ है। इसमें कर के रूप में 1,58,25,80,987 रुपये की वृद्धि की गई है।’’
कंपनी का मानना है कि उसके पास आदेश के खिलाफ मजबूत मामला है और वह समीक्षा/अपील के माध्यम से अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
कंपनी ने कहा कि इस आदेश से उसके वित्तीय और परिचालन पर कोई बड़ा प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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