अर्थतंत्र की खबरें: बैंक ग्राहकों के लिए ATM से पैसे निकालना हुआ महंगा और अप्रैल में UPI लेनदेन इतने प्रतिशत बढ़ा
एटीएम से निर्धारित सीमा से अधिक निकासी पर लगने वाले शुल्क से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देश बृहस्पतिवार से लागू हो गए हैं।

बैंक ग्राहकों के लिए एटीएम से पैसे निकालना बृहस्पतिवार से महंगा हो गया है। अब बैंक महीने में मुफ्त निकासी सीमा खत्म होने पर ग्राहकों से प्रति नकद निकासी पर 23 रुपये शुल्क वसूल सकते हैं।
इससे पहले बैंकों को मुफ्त निकासी सीमा से अधिक लेनदेन पर 21 रुपये तक शुल्क लेने की अनुमति थी।
एटीएम से निर्धारित सीमा से अधिक निकासी पर लगने वाले शुल्क से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देश बृहस्पतिवार से लागू हो गए हैं।
ग्राहक अपने बैंक के ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) से हर महीने पांच मुफ्त लेनदेन (वित्तीय एवं गैर-वित्तीय लेनदेन समेत) के लिए पात्र हैं।
ग्राहक अन्य बैंकों के एटीएम से भी सीमित संख्या में मुफ्त लेनदेन के लिए पात्र हैं। महानगरों में वे तीन निःशुल्क लेनदेन और अन्य स्थानों पर पांच निःशुल्क लेनदेन कर सकते हैं। इससे अधिक लेनदेन करने पर बैंक शुल्क वसूलते हैं।
आरबीआई ने 28 मार्च को एटीएम निकासी पर शुल्क से संबंधित एक परिपत्र जारी किया था। आरबीआई ने कहा था, ‘‘मुफ्त लेनदेन के अलावा ग्राहक से प्रति लेनदेन अधिकतम 23 रुपये का शुल्क लिया जा सकता है। यह एक मई 2025 से प्रभावी होगा।’’
आरबीआई ने एटीएम लेनदेन के लिए इंटरचेंज शुल्क संरचना पर भी निर्देश जारी किए हैं। परिपत्र में कहा गया है कि एटीएम इंटरचेंज शुल्क को एटीएम नेटवर्क तय करेगा।
सभी केंद्रों में वित्तीय लेनदेन के लिए वर्तमान इंटरचेंज शुल्क प्रति लेनदेन 17 रुपये और गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए छह रुपये है।
एटीएम इंटरचेंज शुल्क एक बैंक अपने ग्राहकों को दूसरे बैंक के एटीएम से नकदी निकालने की अनुमति देने के लिए दूसरे बैंक को देता है।
आरबीआई का परिपत्र सभी वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है, जिसमें आरआरबी, सहकारी बैंक, अधिकृत एटीएम नेटवर्क ऑपरेटर, कार्ड भुगतान नेटवर्क ऑपरेटर और एटीएम परिचालक शामिल हैं।
शेयर बाजार अप्रैल में चुनौतियों से आगे निकला, सेंसेक्स करीब चार प्रतिशत उछला
अमेरिकी सीमा शुल्क और भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच बीएसई सेंसेक्स में पिछले महीने करीब चार प्रतिशत की तेजी देखने को मिली।
घरेलू बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की वापसी, दक्षिण-पश्चिम मानसून में सामान्य से अधिक बारिश होने के अनुमान और संभावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद ने इस सकारात्मक धारणा को बल देने का काम किया।
इसके अलावा, पिछले कुछ महीनों में बाजार में आई गिरावट के बाद शेयरों के मूल्यांकन में आई नरमी ने भी खरीदारी को नए सिरे से बढ़ावा दिया।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स पिछले महीने कुल 2,827.32 अंक यानी 3.65 प्रतिशत बढ़ा, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी 814.85 अंक यानी 3.46 प्रतिशत चढ़ा।
इस तेजी के बीच अप्रैल महीने में निवेशकों की संपत्ति 10.37 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 4,23,24,763.25 करोड़ रुपये (4.98 लाख करोड़ डॉलर) हो गई।
यह लगातार दूसरा महीना है जब सेंसेक्स एवं निफ्टी बढ़त के साथ बंद हुए हैं। मार्च के महीने में भी सेंसेक्स में 4,216.82 अंक यानी 5.76 प्रतिशत और निफ्टी में 1,394.65 अंक यानी 6.30 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली थी।
एक विशेषज्ञ ने कहा कि अमेरिकी सीमा शुल्क से जुड़े जोखिम में कमी आने, संभावित अमेरिका-भारत व्यापार समझौते और मजबूत एफआईआई प्रवाह के कारण पिछले महीने बाजारों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया ने कहा, "वैश्विक चिंताओं और पाकिस्तान के साथ तनाव के बावजूद अप्रैल में भारतीय शेयर बाजार की मजबूती और तेज उछाल के लिए कई कारक मददगार रहे। पिछले कुछ महीनों में बाजार में गिरावट आने से मूल्यांकन कम हुआ जिससे खरीदारी गतिविधि फिर से शुरू हो गई।"
इसके अलावा, अमेरिका के सीमा शुल्क पर अस्थायी रोक लगाने और देशों के साथ संभावित व्यापार वार्ता शुरू होने से भी तेजी को बढ़ावा मिला।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया ने कहा, "विदेशी निवेशकों के लंबे समय तक बिकवाली करने के बाद यह देखा जा रहा है कि एफआईआई अप्रैल में भारतीय इक्विटी के शुद्ध खरीदार बन गए।"
सिंघानिया ने कहा कि रिजर्व बैंक के रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने और नीतिगत रुख को 'तटस्थ' से 'उदार' में बदलने से भी बाजार की धारणा को बल मिला।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "बाजार का आश्चर्यजनक तरीके से लचीलापन दिखना अहम है। जवाबी शुल्क से जुड़े घटनाक्रम और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद भी निफ्टी अप्रैल में ऊपर है। यह बताता है कि संकट के समय घबराने की जरूरत नहीं है।"
सिंघानिया ने मई में बाजार की तेजी कायम रहने की संभावना पर कहा कि यह काफी हद तक कंपनियों के अनुकूल तिमाही नतीजों और सीमा पर बनने वाली स्थिति से तय होगा।
उन्होंने कहा, "निवेशक अमेरिकी बाजार के घटनाक्रमों पर भी नजर रखेंगे, क्योंकि इसका भारत जैसे उभरते बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।"
अप्रैल में यूपीआई लेनदेन सालाना आधार पर 34 प्रतिशत बढ़ा
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए होने वाले लेनदेन की संख्या अप्रैल में सालाना आधार पर 34 प्रतिशत बढ़कर 17.89 अरब पर पहुंच गई है। हालांकि, मार्च के मुकाबले इसमें मामूली कमी देखने को मिली है। बीते महीने यह आंकड़ा 18.30 अरब था।
अप्रैल में लेनदेन की संख्या के साथ यूपीआई के जरिए होने वाले लेनदेन की राशि में भी बढ़त देखी गई है और यह सालाना आधार पर 22 प्रतिशत बढ़कर 23.95 लाख करोड़ रुपए हो गया है। मार्च में हुए कुल यूपीआई लेनदेन की वैल्यू 24.77 लाख करोड़ रुपए थी।
मार्च की तुलना में अप्रैल में यूपीआई लेनदेन की संख्या और वैल्यू में कमी की वजह महीने के दौरान दिन की संख्या में अंतर होना है। मार्च में 31 दिन थे, जबकि अप्रैल महीना 30 दिन का था।
अप्रैल में औसत 59.6 करोड़ यूपीआई लेनदेन प्रतिदिन हुए हैं और इनकी औसत वैल्यू 79,831 करोड़ रुपए थी।
वहीं, मार्च में औसत 59 करोड़ यूपीआई लेनदेन प्रतिदिन हुए थे और इनकी औसत वैल्यू 79,910 करोड़ रुपए थी।
बीते महीने इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) के लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 18 प्रतिशत कम होकर 44.9 करोड़ रह गई है। हालांकि, लेनदेन की राशि सालाना आधार पर 5 प्रतिशत बढ़कर 6.22 लाख करोड़ रुपए हो गई है।
वहीं, अप्रैल में आईएमपीएस से औसत प्रतिदिन 20,722 करोड़ रुपए के लेनदेन हुए हैं और इस दौरान औसत लेनदेन की संख्या 1.49 करोड़ प्रतिदिन रही।
आधार आधारित भुगतान सिस्टम एईपीएस के माध्यम से अप्रैल में 9.5 करोड़ लेनदेन हुए हैं। इसमें सालाना आधार पर 2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। साथ ही लेनदेन की वैल्यू सालाना आधार पर 6 प्रतिशत बढ़कर 26,618 करोड़ रुपए हो गई है।
अप्रैल में एईपीएस से औसत प्रतिदिन 31.8 लाख लेनदेन हुए हैं और इन लेनदेन की औसत वैल्यू 887 करोड़ रुपए प्रतिदिन थी।
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